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यूरोपीय क्लब में जलवा दिखाएंगी भारतीय फुटबॉलर बाला देवी

श्रेया बहुगुणा
६ फ़रवरी २०२०

भारतीय महिला फुटबॉल टीम की खिलाड़ी बाला देवी के साथ स्कॉटलैंड के फुटबॉल क्लब "रेंजर्स" ने करार किया है. इस करार के साथ बाला विदेशी क्लब के साथ खेलने वाली पहली भारतीय ही नहीं, बल्कि एशियाई महिला फुटबॉलर भी बन गई हैं.

Indien Bala Devi, Fußballspielerin
तस्वीर: Privat

खेल हो या फिर राजनीति का मैदान, महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. अपने ऐसे ही हुनर की ताजा बानगी पेश की है भारतीय महिला फुटबॉलर नंगंगोम बाला देवी ने. फुटबॉलर बाला देवी के साथ हाल ही में यूरोपीय फुटबॉल क्लब रेंजर्स ने 18 महीने का करार किया है. बाला भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं जो यूरोपीयन लीग में खेलेंगी. डीडब्ल्यू हिंदी ने बाला देवी के साथ बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपने फुटबॉल करियर और अनुभवों के बारे में खुलकर बात की. 

2 फरवरी 1990 में मणिपुर के विष्णुपुर जिले के इरेंगबम में पैदा हुईं बाला देवी 10 साल की उम्र से फुटबॉल खेल रही हैं. जिस उम्र में उनके साथ की लड़कियां गुड्डे-गुड़िया का खेल खेल रही थीं, तब वह अपने मुहल्ले के लड़कों के साथ फुटबॉल में दो-दो हाथ करने के लिए मैदान में पसीना बहा रहीं थी. बाला के पिता ने सबसे पहले उनकी प्रतिभा को देखा और उन्हें औपचारिक ट्रेनिंग के लिए इरेंगबम अकादमी भेज दिया. बाला डीडब्ल्यू हिंदी को बताती हैं, "इरेंगबम में उसी दौरान लड़कियों के लिए फुटबॉल ट्रेनिंग अकादमी खुली थी जहां मैने औपचारिक ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया."

तस्वीर: Privat

2002 में उन्होंने पहली बार अंडर 17 खेला. 2003 में अंडर 19 टूर्नामेंट खेला और पहली बार में ही उन्हें टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया. 2005 से वो भारतीय टीम के लिए खेल रही हैं. बाला देवी जबरदस्त मेहनत को अपनी सफलता का राज बताती हैं. वह कहती हैं, "दुनिया चाहे कुछ भी कहे लेकिन आपको हार नहीं माननी चाहिए. अपने लक्ष्य को पाने के लिए बस जुट जाना चाहिए."

नवंबर, 2019  में 29 साल की बाला देवी ने रेंजर्स के साथ ट्रायल्स में हिस्सा लिया था. उनकी लगन और मेहनत ने इस करार का रास्ता साफ कर दिया. इस करार के साथ बाला देवी यूरोपीय लीग में खेलने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन जाएंगी. इस वक्त बाला स्कॉटलैंड में रेंजर्स टीम के साथ प्रैक्टिस कर रही हैं. वह कहती हैं, "यह एक सपने के सच होने जैसा है. अब मैं दुनिया के सबसे बड़े क्लबों में से एक यूरोप में फुटबॉल खेल पाऊंगी. उम्मीद है कि यह सफलता भारत में फुटबॉल को पेशे के तौर पर अपनाने और इसमें बड़ा करने की चाह रखने वाली मेरी जैसी लड़कियों को प्रेरित करेगी.”

बाला का मैदान में जलवा 

बाला मौजूदा समय में भारत की महिला फुटबॉल टीम के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाली खिलाड़ी हैं. 2010 के बाद से अब तक उन्होंने 58 मैचों में 52 गोल किए हैं.  वह दक्षिण एशियाई रीजन में सबसे अधिक इंटरनेशनल गोल करने वाली महिला फुटबॉलर हैं. अपने शानदार इंटरनेशनल करियर में बाला देवी ने भारत की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की कप्तानी भी की है. महज 15 साल की उम्र में वह भारतीय फुटबॉल टीम का हिस्सा बन गई थीं. 

तस्वीर: Privat

घरेलू फुटबॉल में भी बाला का रिकॉर्ड शानदार रहा है. उन्होंने घरेलू आयोजनों में 120 मैचों में 100 से अधिक गोल किए हैं. बीते दो सीजन से वह इंडियन वूमेंस लीग में टॉप स्कोरर भी हैं. बाला को 2015 और 2016 में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने 'वुमेंस प्लेयर ऑफ द ईयर' पुरस्कार से नवाजा था. अपनी सफलता पर बाला कहती हैं, "यह महज शुरुआत है. अब पहले से भी ज्यादा मेहनत करनी होगी. ऐसे मौके बार बार नहीं मिलते. जो मौका मिला है इसका भरपूर फायदा उठाना ही लक्ष्य है.” रेंजर्स महिला फुटबॉल क्लब फुटबॉल टीम है जो स्कॉटिश प्रीमियर लीग के लिए खेलती है. यह यूरोप की टॉप 10 में शुमार है.

रेंजर्स की वूमेंस एंड गर्ल्स फुटबॉल मैनेजर एमी मैक्डोनाल्ड ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा, "रेंजर्स में बाला का स्वागत करते हुए हमें खुशी हो रही है. बाला कई स्तर पर एक रोचक खिलाड़ी हैं. वह प्लेमेकर हैं. वह हमारे आक्रमण में मजबूती लाएंगी. इसका उपयोग हम 2020 सीजन में कर सकेंगे.”

पिता की मेहनत रंग लाई

बाला अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देती हैं. वह कहती हैं, "मेरे पिता के बिना मेरा यहां तक पहुंचना मुश्किल था." बाला के पिता खुद फुटबॉलर रह चुके हैं. बाला कहती हैं कि उनके पिता हर रोज उन्हें ट्रेनिंग कैंप तक ले जाते थे. खुद ट्रेनिंग देते थे. जब भी उन्हें चोट लगती थी तो रात भर जगकर पट्टीयां किया करते थे.

तस्वीर: Privat

भारत में क्रिकेट के मुकाबले फुटबॉल और खास तौर पर महिला फुटबॉल को लेकर सरकार का रवैया निराशाजनक ही रहा है. इसको लेकर भी बाला चिंता जताती हैं. उनके मुताबिक मनिपुर राज्य में जिस तरह का प्रोत्साहन फुटबॉल को मिलता है, वैसा भारत के बाकी राज्यों में नहीं है. उनको मिले करार को वह देश के लिए भी अवसर मानती है. 18 महीने तक परिवार से दूर रहने पर बाला कहती हैं, "इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता. मेरा फोकस इस वक्त सिर्फ फुटबॉल है."

बाला को टीम में दस नंबर की जर्सी मिली है. इस जर्सी की फुटबॉल जगत में अलग अहमियत है. जिनेदिन जिदान, लियोनल मैसी, डिएगो माराडोना और पेले जैसे खिलाड़ियों की 10 नंबरी जर्सी रही है . बाला को भी इसी नंबर की जर्सी मिली है. इस पर वह हंसते हुए कहती हैं, "एक फुटबॉलर के लिए यह गौरव की बात होती है कि उसे 10 नंबरी जर्सी मिले. यह मेरे लिए दुनिया की सबसे मूल्यवान वस्तु है. इसके गौरव की रक्षा करना ही अब मेरे लिए सब कुछ है."

वह खेल में अपना भविष्य देखने वाली लड़कियों से कहती हैं, "सपने देखना कभी मत छोड़ना, चाहे कोई भी कुछ भी कहे."

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