इंडोनेशिया के प्रसिद्ध द्वीप बाली में पर्यटकों के प्रवेश पर एक नया कर लगाया गया है. यह टैक्स बाली आने वाले विदेशी पर्यटकों पर लगाया जाएगा. यह टैक्स द्वीप की संस्कृति को संरक्षित करेगा.
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यह घोषणा अधिकारियों ने बुधवार को की, जिसके तहत बाली आने वाले सभी विदेशी पर्यटकों से 10 डॉलर टैक्स वसूला जाएगा. इस टैक्स का उद्देश्य "देवताओं के द्वीप" के नाम से मशहूर बाली की संस्कृति को संरक्षित करना है.
पर्यटन पर निर्भर यह द्वीप सालाना लाखों विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है. द्वीप ने अपने समुद्र तट की अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता के आधार पर, प्रति व्यक्ति दस डॉलर के शुल्क के साथ अपने खजाने को भरने और अपने भौगोलिक आकर्षण की रक्षा करने के लिए यह कदम उठाया है.
बाली के कार्यवाहक गवर्नर सांग महेंद्रा जया ने सोमवार को एक समारोह में कहा, "इस टैक्स का उद्देश्य बाली में संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा करना है."
ई-टैक्स देना होगा
एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक टैक्स का भुगतान "लव बाली" ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक रूप से करना होगा और यह विदेश से या इंडोनेशिया के अन्य हिस्सों से बाली में दाखिल होने वाले विदेशी पर्यटकों पर लागू होगा.
हालांकि, यह टैक्स घरेलू इंडोनेशियाई पर्यटकों पर लागू नहीं होगा. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जनवरी से नवंबर के बीच लगभग 48 लाक पर्यटकों ने बाली का दौरा किया था.
जीरो टॉलरेंस की नीति
कोविड महामारी के बाद बाली द्वीप धीरे-धीरे पर्यटकों को आकर्षित करने में सक्षम हो गया है. बाली ने हाल ही में नियम तोड़ने वाले पर्यटकों पर जीरो टॉलरेंस की नीति लागू की है.
ताड़ के पेड़ों से घिरे इस द्वीप ने कई घटनाओं के बाद दुर्व्यवहार करने वाले पर्यटकों पर कड़ी कार्रवाई करने का वादा किया है, जिसमें मुख्य रूप से हिंदू द्वीप की संस्कृति के प्रति अनादर के कृत्य शामिल हैं.
हाल के सालों में विदेशी पर्यटकों द्वारा पवित्र तीर्थस्थलों पर नग्न तस्वीरें लेने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. पिछले साल स्थानीय सरकार ने द्वीप के आव्रजन कार्यालय के दबाव के बाद विदेशी पर्यटकों के लिए एक दिशा निर्देश भी जारी किया था.
एए/वीके (एएफपी)
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता सचमुच डूब रही है
दुनिया की सबसे घनी आबादी वाले शहरों में एक जकार्ता सबसे तेजी से डूब रहे शहरों में भी एक है. बढ़ता समुद्री जलस्तर और घटता भूजल ये दोनों मिल कर इसे डुबो रहे हैं.
तस्वीर: Prita Kusumaputri/DW
घरों को निगल रहा है पानी
समुद्र किनारे बसे लोग एक एक कर अपनी जमीन खो रहे हैं. समंदर का बढ़ता पानी उनके घरों को निगल रहा है.
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गायब होती जमीन पर अनिश्चित भविष्य
यहां के निवासियों का कहना है कि शहर के डूबने का प्रमुख कारण है भूजल का घटना और उसी समय समुद्री जलस्तर का बढ़ना. बाढ़ और भयानक तूफान यहां बार बार पहुंच रहे हैं जो पहले कभी नहीं होता था.
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कामचलाऊ दीवार से कब तक बचेंगे
सरकार ने 40 अरब अमेरिकी डॉलर के खर्च से करीब 22 किलोमीटर लंबी समुद्री दीवार बनाने का काम शुरू किया है. इसे गरुड़ नाम दिया गया है. इसके साथ ही 17 कृत्रिम द्वीप भी बनाए जा रहे हैं ताकि जीवन की रक्षा की जा सके.
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पानी में डूबी जकार्ता की गलियां
बीते 25 सालों में इंडोनेशिया की राजधानी के सबसे अधिक प्रभावित इलाके में 16 फीट से ज्यादा हिस्सा समुंदर में समा चुका है. विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर जल्दी ही कुछ नहीं किया गया तो 2025 तक जकार्ता का पांच मीटर और इलाका डूब जाएगा.
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अस्थाई गांवों में शरण लेने को मजबूर गरीब लोग
प्लास्टिक के थैले को साफ करता एक इंडोनेशियाई नागरिक. इन्हीं थैलों को दोबारा बेचकर उसकी जिंदगी चलती है. इसका घर डूब गया है और दीवारों से घिरे इलाके में किसी तरह दिन गुजर रहे हैं.
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दीवारों से लटकी जकार्ता की जिंदगी
जकार्ता की राजधानी में रहने वाले करीब एक करोड़ लोगों को लगातार भयानक बाढ़ और सागर में समाती जमीन के खतरे से जूझना पड़ रहा है. सरकार फिलहाल सिर्फ गरुड़ के सहारे लोगों के जीवन बचाने की कोशिश में है.