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समाज

बलोच महिला कार्यकर्ता की रहस्यमय मौत

२३ दिसम्बर २०२०

करीमा बलोच पाकिस्तान में मानवाधिकारों के हनन की आलोचक और पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम प्रांत बलोचिस्तान के लिए स्वायत्तता की समर्थक थीं. साल 2015 में करीमा पाकिस्तान से भागकर कनाडा चली गई थीं.

तस्वीर: Abdul Ghani Kakar/DW

करीमा के लापता होने की खबर सबसे पहले रविवार को सामने आई थी और उनके शव को बाद में कनाडा के टोरंटो में पाया गया. करीमा पाकिस्तान की जानी मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता थीं और पाकिस्तान में मानवाधिकारों के हनन का मुद्दा उठाती आई थीं. उनके लापता होने के बाद पुलिस ने उनकी खोज शुरू की थी. वह रविवार से लापता थीं. पुलिस ने उनका शव सोमवार को ओंटारियो झील के पास पाया. करीमा के परिवार ने बाद में पुष्टि की कि शव उनका ही है.

करीमा मानवाधिकार और खासकर महिलाओं अधिकारों के मुद्दे उठाते आई थीं. वह बलोचिस्तान के लोगों की दुर्दशा के बारे में खुले तौर पर बोलती थीं. 2016 में बीबीसी ने करीमा बलोच को दुनिया की 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया था. 2018 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 39वें सत्र में करीमा ने पाकिस्तान के समाज में लैंगिक भेदभाव और असमानता का मुद्दा उठाया था. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के अपने संबोधन में उन्होंने बलोचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी. करीमा को देश और विदेश में बलोचों की सबसे मजबूत आवाज के रूप में माना जाता था.

यह पहली घटना नहीं

बलोच पत्रकार साजिद हुसैन इस साल मई में स्वीडन में मृत पाए गए थे. वे मार्च में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से उपसाला शहर से लापता हो गए थे. 2012 में पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत से भागने वाले साजिद बलोच 2017 से स्वीडन में रह रहे थे. बलोचिस्तान में चल रहे अलगाववादी आंदोलन को एक पुराना आंदोलन माना जाता है. कई सशस्त्र समूह भी प्रांत में लड़ रहे हैं और पाकिस्तानी सरकार ने उन पर विदेशी समर्थन पाने का आरोप लगाया है, ये सशस्त्र समूह पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों से भिड़ते हैं. बलोच खुद को असमानता का शिकार बताते आए हैं.

बलोचिस्तान के अलगाववादी समूहों ने हमेशा सरकारी एजेंसियो पर बलोच राजनीतिक कार्यकर्ताओं के गायब होने और हत्याओं का आरोप लगाया है जबकि पाकिस्तानी सरकार इस तरह के आरोपों से इनकार करती आई है. बड़ी संख्या में बलोच राजनीतिक कार्यकर्ता देश छोड़कर चले गए हैं और कई देशों में निर्वासित रह रहे हैं.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने करीमा की मौत की जांच की मांग की है. संस्था ने एक बयान में कहा, "अपराधियों को मौत की सजा दिए बिना सजा होनी चाहिए." कनाडा में पाकिस्तान उच्चायोग ने कहा कि उसने कनाडा सरकार से करीमा की मौत के कारण निर्धारित करने के लिए संपर्क किया है.

एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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