बाल्टीमोर में पानी के एक जहाज की टक्कर से पुल टूटने की घटना में कम से कम छह लोगों की मौत हुई है. इस वजह से कारों से लेकर कोयले तक की आपूर्ति शृंखला बाधित हो गई है.
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26 मार्च की सुबह सिंगापुर का झंडा लगा हुआ जहाज डाली बाल्टीमोर के फ्रांसिस स्कॉट की-ब्रिज से टकरा गया और कुछ ही सेकंड में करीब ढाई किमी लंबा पुल ढह गया. इस मालवाहक जहाज में करीब पांच हजार कंटेनर लदे थे. हादसा उस वक्त हुआ जब डाली कोलंबो के लिए रवाना हो रहा था. शुरुआत में आशंका थी कि हादसे में करीब छह लोगों की मौत हुई है. बाद में इसकी पुष्टि हो गई.
हादसे के बाद बाल्टीमोर के बंदरगाह को बंद करना पड़ा जिसकी वजह से लाखों टन कोयला, सैकड़ों कारों के अलावा लकड़ी और जिप्सम की डिलिवरी अटकी पड़ी है. मंगलवार को करीब चालीस जहाज बंदरगाह से रवाना होने के लिए तैयार बैठे थे और बंदरगाह के अधिकारियों का कहना है कि अटलांटिक की ओर से आने वाले कई जहाज बिना किसी अग्रिम सूचना के लंगर नहीं डाल सकते.
वित्तीय बाजारों पर असर
पुल ढहने की इस घटना का असर वित्तीय बाजारों में तुरंत देखने को मिला. बुधवार को कोपेनहेगेन में वैश्विक शिपिंग लाइन माएर्स्क (Maersk) के शेयरों में 2.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
लेकिन ऑनलाइन ब्रोकर नॉर्डनेट के एक विश्लेषक ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि यह घटना स्टॉक मार्केट को ज्यादा दिनों तक प्रभावित नहीं कर पाएगी. उन्होंने कहा, "स्टॉक मार्केट के लिए यह घटना कोई बहुत मायने नहीं रखती जब तक कि कोई अनहोनी नहीं होती. मतलब, घटना के पीछे किसी बड़ी लापरवाही का पता नहीं चलता.”
वहीं बुधवार को ब्लूमबर्ग न्यूज से बातचीत में ईवाई के चीफ इकोनॉमिस्ट ग्रेगरी डेको का कहना था, "मुझे लगता है कि इस घटना के व्यापक आर्थिक प्रभाव सीमित ही रहेंगे.”
सामान्य स्थिति कैसे बहाल होगी
अमेरिका के परिवहन मंत्री पीट बटगीग ने बाल्टीमोर बंदरगाह के बंद होने के बाद ‘बड़े और लंबे समय तक प्रभाव' की चेतावनी दी है. मंगलवार को बाल्टीमोर में एक प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने कहा, "चैनल को साफ करने और उसे खोलने में कितना समय लगेगा, इस बारे में कुछ भी अनुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी.”
डब्बे में सारी दुनिया
साधारण से दिखने वाले स्टील के डिब्बे ने अंतरराष्ट्रीय कारोबार में क्रांति ला दी और वैश्वीकरण को संभव बनाया. आज दुनिया में भेजा जाने वाला 95 प्रतिशत माल किसी न किसी जगह कंटेनर के अंदरूनी हिस्से को जरूर देखता है.
1930 के आखिरी साल रहे होंगे. अमेरिकी कारोबारी मैल्कम मैकलीन कपाल के पुल्लों को बार बार लोड करने, उतारने, रिपैकेजिंग करने और स्टोर करने से परेशान थे. लेकिन तभी धनी परिवहन विशेषज्ञ के दिमाग में एक विचार कौंधा. कपास को स्टील के कंटेनरों में पैक करो ताकि उसे आसानी से ट्रकों और जहाज पर लादा और उतारा जा सके. और माल के पानी में खराब होने का भी खतरा न रहे. फिर भी आयडिया पर अमल में 20 साल लग गए.
तस्वीर: bremenports/BLG
साधारण शुरुआत
1950 के दशक के अंत तक मैकलीन (तस्वीर में) ने अपने ट्रक बेच दिए थे और एक छोटी सी शिपिंग कंपनी खरीदी. उन्होंने एक टैंकर का इस्तेमाल न्यूयार्क और हूस्टन के बीच 1958 में पहली बार कंटेनरों के परिवहन के लिए किया. ये कंटेनर शिपिंग की शुरुआत थी. शुरुआत में उनका इस्तेमाल सिर्फ अमेरिका के पूर्वी और खाड़ी तटों पर किया जाता था, लेकिन बाद में समुद्रपारीय ठिकानों पर माल भेजने के लिए भी किया जाने लगा.
तस्वीर: Maersk Sealand
छोटों के बदले बड़ा पैकेट
माल के परिवहन के लिए क्रेट उस जमाने में भी हुआ करते थे. मैकलीन के आयडिया में नई बात बक्सों का आकार था. 1961 में अंतरराष्ट्रीय मानक संगठन आईएसओ ने कंटेनर के लिए विश्वव्यापी मानक तय कर दिए. आजकल कंटेनरों के कई साइज हैं लेकिन सामान के ट्रांसपोर्ट के लिए 20 फुट वाला कंटेनर मानक बन चुका है, जिसे ट्वेंटी फुट इक्विवेलेंट यूनिट या टीईयू कहा जाता है. जहाजों को भी टीईयू यूनिटों में ही मापा जाता है.
तस्वीर: Imago
सरल और शानदार
पैकिंग के इस अंतरराष्ट्रीय तौर पर मान्य तरीके के अमल में आने से ट्रांसपोर्ट में काफी तेजी आ गई है और माल को एक जगह से दूसरी जगह तक बिना खोले पहुंचाया जा सकता है. इससे ट्रांसपोर्ट का खर्च बहुत ही कम हो जाता है. पहले 80 टन सामान को लादने में 18 लोगों की जरूरत होती थी, अब कंटेनर का उपयोग शुरू होने के बाद 9 लोगों की टीम उतने ही समय में 2,000 टन सामान लाद देती है.
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एक जैसे नहीं
टीईयू यानि 20 फुट का कंटेनर. करीब 6.1 वर्गमीटर के कंटेनर में जूतों की 10,000 जोड़ियां या 20,000 घड़ियां आ सकती हैं. खाने के सामान के ट्रांसपोर्ट के लिए रेफ्रिजरेटेड कंटेनरों का इस्तेमाल होता है, तो टैंक वाले कंटेनरों और हवादार कंटेनरों में सामान ले जाने के भी विकल्प हैं. एक सामान्य कंटेनर की जिंदगी करीब 13 साल की होती है. इस समय इस्तेमाल हो रहे ज्यादातर कंटेनर चीन में बनाए जाते हैं.
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यूरोप की राह
हालांकि जर्मनी समुद्री यातायात के केंद्र में रहा है, लेकिन पहले कंटेनर 60 साल पहले ही जर्मनी पहुंचे. 5 मई 1966 को मैकलीन शिपिंग कंपनी का फेयरलैंड जहाज 110 कंटेनरों को लेकर समुद्र तट पर बसे जर्मन शहर ब्रेमेन के हार्बर में पहुंचा. उस समय किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. ज्यादातर लोगों ने इसे अमेरिकी पागलपन कहा. आज कंटेनरों से सामान का यातायात सामान्य हो चुका है.
कंटेनरों के आने से ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय में बहुत कुछ बदल गया. पहले ग्राहकों को सीखना पड़ता था कि सामान को लोड करने के लिए कैसे पैक करें. शिपिंग एजेंट पीटर यानसन बताते हैं कि कभी कभी तो लोग ऐसी चीजों को साथ में पैक कर देते थे जिनके साथ आने से रासायनिक प्रतिक्रिया हो सकती है और धमाके का खतरा होता है. अब हालात उतने बुरे नहीं रहे.
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बंदरगाहों की चुनौतियां
लेकिन दूसरी ओर बंदरगाहों को नई जरूरतों के हिसाब से अपने ढांचागत संरचना में बदलाव करने पड़े हैं. शुरू में कंटेनर अक्सर खो जाते थे क्योंकि किस चीज को कहां रखा जाए इसका कोई सिस्टम नहीं था. बाद में कंटेनर ब्रिज बनाए गए ताकि उन्हें आसानी से लादा और उतारा जा सके. इसके अलावा स्पेशल कंटेनर भी बनाए गए जिसके लिए बंदरगाहों को अतिरिक्त कदम उठाने पड़े.
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उफनता वैश्विक व्यापार
कंटेनरों की सफलता का असर व्यापार पर भी पड़ा. दुनिया भर में माल भेजने में आसानी आई और कारोबार बढ़ा. इस समय दुनिया भर में 41,000 बड़े व्यावसायिक जहाज रजिस्टर्ड हैं जिनमें 5,000 कंटेनर शिप हैं. उनके जरिये साल में दुनिया भर में करीब 13 करोड़ स्टैंडर्ड कंटेनरों का ट्रांसपोर्ट होता है.
बड़े होते कंटेनर शिप
कंटेनरों के आने के बाद से कंटेनर शिप लगातार बड़े होते गए हैं. आम तौर पर ये जहाज दक्षिण कोरिया, चीन और जापान में बनाए जाते हैं. इस बीच दक्षिण कोरिया के शिपयार्ड ऐसे जहाज बना रहे हैं जिनकी क्षमता 20,000 टीईयू होती है. कहना मुश्किल है कि क्या और बड़े जहाज बनेंगे. इन विशाल जहाजों पर प्रति कंटेनर बचत ज्यादा नहीं है, लेकिन जोखिम काफी बढ़ जाता है.
पोर्ट का विस्तार
एशिया को और वहां से हो रहा व्यापार दुनिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इस समय दुनिया के 10 सबसे बड़े कंटेनर पोर्ट में एक भी यूरोप या अमेरिका में नहीं है. ब्रेमेन का इंटरनेशनल पोर्ट इस बीच अंतराराष्ट्रीय नौवहन में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है. वह जर्मनी के ही हैम्बर्ग पोर्ट से काफी पिछड़ गया है.
लक्ष्य है आसानी
शुरू में जहाज मालिक, पोर्ट ऑपरेटरों, रेलवे कंपनी और कर्मचारियों का प्रतिरोध बहुत ही अधिक था. उन्हें अपनी नौकरियों की चिंता थी. ये डर भी था कि क्रेन, ट्रक और कंटेनरों को इधर उधर ले जाना मुश्किल होगा. लेकिन मैकलीन ने कंटेनरों ने दिखा दिया कि ट्रांसपोर्ट का खर्च बिना किसी शक के घटा.
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बटगीग ने पुल को अमेरिकी बुनियादी ढांचे का एक प्रमुख स्तंभ बताते हुए कहा कि इसे दोबारा बनाने में काफी समय लग सकता है. उन्होंने कहा, "इस रास्ते पर सामान्य स्थिति बहाल करना आसान नहीं है. यह इतना जल्दी नहीं होने वाला है, यह इतना सस्ता भी नहीं है लेकिन हम मिलकर जल्दी ही इसका पुनर्निर्माण करेंगे.”
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पुल ढहने की घटना को एक ‘भयानक दुर्घटना' बताते हुए बंदरगाह को दोबारा खोलने और पुल के पुनर्निर्माण का वादा किया. वॉशिंगटन में उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि संघीय सरकार इस पुल के पुनर्निर्माण का पूरा खर्च वहन करे.”
पुल को दोबारा बनाने में 50 करोड़ डॉलर से लेकर 1.2 अरब डॉलर तक की लागत का अनुमान है. साथ ही इसे बनाने में करीब दो साल का समय लगेगा.
बाल्टीमोर की बंदरगाह मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल्स और छोटे ट्रकों के आयात और निर्यात के लिए इस्तेमाल होता था. इस बंदरगाह से करीब साढ़े आठ लाख वाहनों को एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता था और करीब 15 हजार लोगों को इस बंदरगाह से रोजगार मिला हुआ था. इसके अलावा, फ्रांसिस स्कॉट की ब्रिज को पश्चिमी तट का मुख्य मार्ग है जहां से हर दिन करीब 30 हजार वाहन गुजरते हैं.
आपूर्ति श्रृंखला की चिंताएं बढ़ीं
बाल्टीमोर क्षेत्र में मर्सीडीज, फॉक्सवैगन और बीएमडब्ल्यू सहित कई यूरोपीय वाहन निर्माता कंपनियां वाहन शिपमेंट के लिए व्यापक बुनियादी ढांचे का रखरखाव करते हैं.
कंटेनर से माल भेजने के 65 साल
कंटेनर जहाज 26 अप्रैल, 1956 को दुनिया में पहली बार भेजा गया था. व्यापार का यह तरीका मैल्कम पी मैकलीन द्वारा पेश किया गया था. वह एक स्कॉटिश अमेरिकी थे और उन्होंने समुद्र के रास्ते व्यापार को एक नया आयाम दिया.
तस्वीर: Maersk Sealand
एक आदमी और उसके बक्से
1965 में जहाज-मालिक और फ्रेट फॉरवर्डर मैल्कम मैकलीन को विचार आया कि माल को अलग-अलग बक्से में रखने की बजाय अगर एक ही बड़े कंटेनर में रखा जाए तो समय के साथ-साथ पैसे की भी बचत होगी. इस विचार के कारण कंटेनर की खोज हुई. इस तरह से कंटेनर से माल भेजने की लागत कम हुई.
तस्वीर: Maersk Sealand
नौकरियों पर पड़ा असर
मैकलीन ने बंदरगाह व्यापार में क्रांति ला दी, जिससे दुनिया के बंदरगाहों में हलचल पैदा हो गई. वे उन लोगों के जीवन को आसान बनाना चाहते थे जो बंदरगाहों पर बोझ ढोते थे लेकिन इस खोज के कारण कई लोगों की नौकरी भी चली गई.
1956 में मैकलीन ने एक तेल टैंकर को खरीदा और इसे एक मालवाहक जहाज में बदल डाला. आज, समुद्र में बहुत बड़े कार्गो जहाज तैर रहे हैं. एक-एक मालवाहक जहाज कई हजार टन माल ढो सकते हैं.
तस्वीर: Joe Giddens/PA Wire/picture alliance
जर्मनी पहुंचने वाले पहले कंटेनर
मई 1966 में, मैकलीन की कंपनी के जहाज द फैरलैंड ने ओवरसीज पोर्ट ऑफ ब्रेमेन में लंगर डाला और कंटेनरों की पहली खेप जर्मनी में उतारी गई. इस खेप में 110 कंटेनर थे. मैकलीन की कंटेनर सेवा समय के साथ संपन्न हो रही थी.
एक कंटेनर की लंबाई और चौड़ाई समय के साथ निर्धारित होती गई. मानक कंटेनर एक बीस फुट इकाई है. कंटेनर कोल्ड स्टोरेज सहित कई आकारों में आते हैं. जानवरों और बड़े माल के लिए कंटेनर का आकार बदलना संभव है, लेकिन सामान्य तौर पर उनका आकार समान है.
तस्वीर: Robert Schmiegelt/Geisler/picture alliance
दिन और रात चलता रहता है काम
विश्व व्यापार का नब्बे प्रतिशत माल समुद्र के रास्ते भेजा जाता है. लोडिंग और अनलोडिंग की प्रक्रिया बंद नहीं होती है. दुनिया के सबसे प्रमुख बंदरगाहों से लाखों टन माल कंटेनर के द्वारा भेजे जाते हैं.
देश में जहाजों से बंदरगाहों को माल की आपूर्ति करने के लिए, रेलवे ट्रैक को बंदरगाहों तक पहुंचाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई. हैम्बर्ग के बंदरगाह का अपना शिपिंग स्टेशन है. इस तस्वीर में क्रेन से कंटेनर को ट्रेनों पर लादा जा रहा है.
तस्वीर: Reuters/F. Bimmer
सुरक्षित प्रणाली
बंदरगाहों पर पहुंचने वाले माल की अच्छी डिलीवरी एक सुरक्षित प्रणाली के तहत ही संभव है. हैम्बर्ग के इस बंदरगाह में माल की आवाजाही की निगरानी के लिए एक बहुत ही कुशल प्रणाली है. यह सिस्टम एक एयरपोर्ट कंट्रोल टॉवर की तरह काम करता है.
तस्वीर: HHLA
तस्करी का जरिया
विश्व व्यापार में हजारों कंटेनरों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है. प्रत्येक कंटेनर को खोलना संभव नहीं है, इसलिए तस्कर इस खामी का फायदा उठाते हैं और माल को कंटेनर में छिपाते हैं. इस तस्वीर में पाकिस्तानी ब्रिगेडियर अशफाक रशीद खान मादक पदार्थ के साथ खड़े नजर आ रहे हैं जो उनकी टीम ने कंटनेर से पकड़ा है.
तस्वीर: AP
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जर्मन प्रीमियम कार निर्माता बीएमडब्ल्यू के एक प्रवक्ता ने रॉयटर्स को भेजे एक ईमेल में कहा कि कंपनी को उम्मीद है कि कुछ दिनों तक यातायात में रुकावट भले हो, इससे ज्यादा इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा. प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी वाहनों के आयात के लिए बाल्टीमोर बंदरगाह का उपयोग करती है, लेकिन ऑटोमोटिव टर्मिनल बंदरगाह के प्रवेश द्वार पर जो कि पुल के सामने स्थित है, वहां अभी भी पहुंचा जा सकता है.
हालांकि, अमेरिका की दिग्गज कार निर्माता कंपनी फोर्ड का कहना है कि चूंकि ‘पुर्जों को अन्य बंदरगाहों पर ले जाना होगा', इसलिए उनकी आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी. फोर्ड कंपनी के सीएफओ जॉन लॉलर ने एक बयान में रॉयटर्स को बताया कि ‘कम समय में जहां समाधान आवश्यक हैं, वहां हमारी टीम ने पहले ही शिपिंग विकल्प सुरक्षित कर लिए हैं.”
लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म फ्लेक्सपोर्ट के संस्थापक और सीईओ रेयान पीटरसन कहते हैं कि बाल्टीमोर ने साल 2023 में केवल 11 लाख कंटेनरों को संभाला है. इसलिए पुल के टूटने से कंटेनर दरों और शिपिंग लागत पर जो भी नुकसान होगा वो उस नुकसान की तुलना में बहुत कम होगा जो कि लाल सागर में हूती आतंकी समूहों के हमले के कारण जहाजों को रास्ता बदलने के कारण हुआ है.
आपकी सस्ती टीशर्ट पर्यावरण को पड़ती है भारी
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ब्लूमबर्ग से बातचीत में उन्होंने बताया, "पूर्वी तट छोटा हो गया है और उन बंदरगाहों के पास इसे संभालने की क्षमता है.”
हालांकि, उन्होंने ‘ट्रैफिक जाम और देरी' के बारे में चेतावनी देते हुए कहा कि किसी बंदरगाह पर यातायात में अचानक 10 से 20 फीसदी की वृद्धि की वजह से हर तरह की देरी की आशंका बनी रहती है.
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जर्मनी के बंदरगाह
हैम्बर्ग स्थित फेडरल ब्यूरो ऑफ मेरीटाइम कैजुअलिटी इनवेस्टीगेशन के उल्फ कैस्पेरा को जर्मनी में इस तरह की किसी आसन्न दुर्घटना का खतरा नहीं दिखता.
डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा, "जो भी विशिष्ट सुरक्षा उपाय किए जाते हैं वे बंदरगाह ऑपरेटरों पर निर्भर करते हैं. उदाहरण के लिए, हैम्बर्ग में बड़े जहाजों को बंदरगाह के विस्तृत क्षेत्रों में खींचना और संचालित करना जरूरी है. टगबोटों यानी जहाजों को खींचने वाले जहाजों के इस्तेमाल से ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है.”
RWTH आखेनन यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रक्चरल कंक्रीट के योसेफ हेगर कहते हैं कि बाल्टीमोर में दुर्घटना को रोका जा सकता था. हेगर विश्वविद्यालय में लेक्चरर हैं और पुल निर्माण के विशेषज्ञ हैं. उन्होंने जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए को बताया कि विभिन्न संरचनात्मक उपायों के संयोजन से उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है.
बहुत खतरनाक है समंदर में बढ़ता शोर
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वह कहते हैं, "पिलर यानी खंभे में एक निश्चित लचीलापन होना चाहिए ताकि यह थोड़े से प्रभाव पर भी न गिरे.”
जर्मनी के फेडरल वॉटरवेज इंजीनियरिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने उन फोर्सेज के संबंध में सख्त नियम स्थापित किए हैं जिनके प्रभाव में पुल के खंभों को झेलने में सक्षम होना चाहिए. इसके अलावा, पुलों पर तथाकथित रेलिंग खंभों से टकराव को रोकने के लिए होती हैं.
हेगर कहते हैं, "राइन नदी के पुलों पर, बड़े खंभे और तोरण अक्सर नदी के किनारे पर स्थित होते हैं ताकि नदी की ओपनिंग फ्री हो. यदि बीच में कोई खंभा है, तो यह अपेक्षाकृत विशाल और ऐसा होता है कि इससे टकराने वाले जहाज टकराने से पहले ही फंस जाते हैं.”
हेगर कहते हैं कि जहाजों के ‘पूरी ताकत से खंभे से टकराने से पहले' वहां फंसने की संभावना ज्यादा रहती है.