ब्रिटेन ने कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में प्लास्टिक माइक्रोबीड्स के इस्तेमाल पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की मांग की. प्लास्टिक के बेहद बारीक ये कण आहार चक्र का हिस्सा बन गए हैं और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
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ब्रिटेन की पर्यावरण ऑडिट कमेटी के मुताबिक टूथपेस्ट, क्लेंजर, शॉवर और हेयर जेल में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के बारीक कण हजारों किलोमीटर दूर आर्कटिक की बर्फ में भी मिल रहे हैं. समुद्र का धरातल भी इन कणों से भर रहा है. समिति ने कॉस्मेटिक उत्पादों में प्लास्टिक के इन बारीक कणों का इस्तेमाल तुरंत बंद करने की अपील की है.
कमेटी की अध्यक्ष मैरी क्रेग के मुताबिक, "बहुत ही छोटे प्लास्टिक के खरबों टुकड़े समुद्र, झीलों और जलधाराओं में घुस चुके हैं, ये जलीय जीवन को नुकसान पहुंचा रहे हैं और आहार चक्र में घुस रहे हैं. एक बार शॉवर लेने के मतलब है कि 1,00,000 प्लास्टिक के कण समुद्र में पहुंचेंगे. कॉस्मेटिक कंपनियों द्वारा प्लास्टिक माइक्रोबीड्स को खुद धीरे धीरे हटाने का ऐलान असरदार नहीं है. हमें पूरी तरह कानूनी प्रतिबंध लगाने की जरूरत है."
मेरी क्रेग ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा, "प्रदूषण सीमाओं का सम्मान नहीं करता है." ब्रिटेन की सरकार जल्द ही कॉस्मेटिक्स में प्लास्टिक माइक्रोबीड्स के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने जा रही है. माइक्रोबीड्स पांच मिलीमीटर से छोटे प्लास्टिक के कण हैं. इनका इस्तेमाल क्लेंजर, टूथपेस्ट, हेयर जेल, शॉवर जेल, प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक की बोतल बनाने में किया जाता है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस वक्त दुनिया भर के महासागरों में 15-510 खरब माइक्रोप्लास्टिक कण हैं.
विशेषज्ञों के मुताबिक पानी में घुल चुके प्लास्टिक के ये बारीक कण इंसान के आहार का हिस्सा भी बन रहे हैं. एक्सेटर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर तमारा गालोवे खुद भी हैरान हैं, "दुनिया भर में जहां से भी हमने समुद्री पानी के नमूने लिये, वहां हमें प्लास्टिक के टुकड़े मिले. कई जलीय जीव इन माइक्रोबीड्स को खाते हैं, उन्हें लगता है कि यह खाना है."
एक प्लेट समुद्री सीप में प्लास्टिक के 50 कण हो सकते हैं. गालोवे के मुताबिक, "अभी हमारे पास इनसे होने वाले नुकसान के पर्याप्त सबूत नहीं हैं, लेकिन यह साफ है कि ज्यादातर लोग भोजन में माइक्रोबीड्स खाना पंसद नहीं करेंगे." अब तक सिर्फ नीदरलैंड्स और अमेरिका ने ही कॉस्मेटिक उत्पादों में माइक्रोबीड्स के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया है.
(लाखों टन प्लास्टिक दुनिया भर के सागरों में पहुंच कर उनसे जीवन छीन रहा है. आइए देखें कि प्लास्टिक प्रदूषण रूपी दैत्य से लड़ने के लिए दुनिया भर में क्या तरीके सोचे जा रहे हैं.)
प्लास्टिक के दानव से जंग
लाखों टन प्लास्टिक दुनिया भर के सागरों में पहुंच कर उनसे जीवन छीन रहा है. आइए देखें कि प्लास्टिक प्रदूषण रूपी दैत्य से लड़ने के लिए दुनिया भर में क्या तरीके सोचे जा रहे हैं.
तस्वीर: DW/D. Tosidis
टनों कूड़ा
कम से कम 80 लाख टन प्लास्टिक हर साल सागरों में जाकर मिल रहा है. एलन मैकआर्थर फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार अगर तुरंत कुछ नहीं किया गया तो साल 2050 तक सागर में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगा. देखिए प्रशांत महासागर में मिडवे द्वीप के बीच का दृश्य.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R.Olenick
प्लास्टिक की लत
पानी पर तैरता प्लास्टिक ना केवल दिखने में बुरा लगता है बल्कि बहुत छोटे छोटे टुकड़ों में टूट जाता है, जिसे समुद्री जीव भोजन समझकर खा लेते हैं. उपसाला विश्वविद्यालय की एक स्टडी दिखाती है कि प्लास्टिक खाने से मछलियों की वृद्धि अवरूद्ध होती है और वे जल्दी मरने लगती हैं. वहीं कुछ मछलियों को इन्हें खाने की लत लग जाती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R.Olenick
खाने योग्य विकल्प
ओशन कंजर्वेन्सी के अनुसार समुद्री जीवों की तकरीबन 690 प्रजातियां प्लास्टिक प्रदूषण से प्रभावित हुई हैं. फ्लोरिडा में डेलरे बीच क्राफ्ट ब्रूअरी ने खाने लायक छह छल्ले बनाए हैं, जो गेहूं और जौ से बनते हैं. यह बीयर कैन्स के ऊपर लगने वाले प्लास्टिक के रिंग की जगह ले सकता है और इससे समुद्री जीव खा भी सकते हैं.
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बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग
एक बार इस्तेमाल में आने वाली प्लास्टिक पैकिंग के बजाए कई कंपनियां बायोडिग्रेडेबल विकल्पों के बारे में सोच रही हैं. पोलैंड के एक प्लांट में गेहूं के ब्रैन से बायोट्रेम पैकेजिंग विकसित करने का आइडिया जेर्सी विसोकी का है. इस पैकेट को ओवन या फ्रिज में भी रखा जा सकता है. यह 30 दिनों में अपने आप विघटित हो जाएगी या इसे खाया भी जा सकता है.
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प्लास्टिक की जगह बैंबू
तेजी से बढ़ने वाले बांस के पौधे से टूथब्रश से लेकर बाथरूम के पर्दे, बर्तन यहां तक कि कंप्यूटर के पार्ट्स भी बनाए जा सकते हैं. तस्वीर में देखिए कि टोंगू जियांगकियो बैंबू ऐंड वुड इंडस्ट्री कंपनी ने कैसे कीबोर्ड, माउस और मॉनिटर का निर्माण कर रही है.
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सागरों की छनाई
एक डच फाउंडेशन ओशन क्लीनअप का मकसद है कि वह 100 किलोमीटर लंबे तैरने वाले बांध से कचरे को छान सके और इससे पानी में रहने वाली मछलियों पर असर ना पड़े. इस तरह का एक सिस्टम प्रशांत महासागर में लगाने का काम 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
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कूड़े से फैशन
ऐसे कुछ प्लास्टिक को रिसाइकिल कर दूसरे रूपों में इस्तेमाल किया जाना चाहिए. जैसे कि एक स्पैनिश कंपनी इकोआल्फ कर रही है. मैड्रिड स्थित यह कंपनी प्लास्टिक कचरे से कपड़े बना रही है. मछुआरों ने पानी से कचरा इकट्ठा किया, इसे प्लेक्स के रूप में पीसा गया, फिर इनसे पॉलिएस्टर फाइबर बनाकर फैशनेबल जैकेट, बैकपैक और दूसरी चीजें बनाई गईं.
तस्वीर: AFP/Getty Images/P. Armestre
असली रूप में
2012 में संयुक्त राष्ट्र की एक कॉन्फ्रेंस के दौरान प्लास्टिक की बेकार बोतलों से बड़ी मछली बना दी गई थी. इसे रियो जडे जेनेरो में पानी के पास ही प्रदर्शित किया गया था.