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राजनीतिबांग्लादेश

बांग्लादेश की खुफिया जेलों में मां-बाप के साथ बच्चे बंद थे

२१ जनवरी २०२५

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन में बच्चों समेत सैकड़ों लोगों को खुफिया जगहों पर कैद में रखने का पता चला है. हसीना के दौर में लापता हुए लोगों की जांच के लिए गठित आयोग ने इस बारे में रिपोर्ट दी है.

मीरपुर के मेट्रो स्टेशन पर प्रेस से बात करतीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (25.07.2024)
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना फिलहाल भारत में रह रही हैंतस्वीर: Bangladesh Prime Minister's Office/AFP via Getty Images

मंगलवार को जारी आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक कम से कम आधा दर्जन बच्चे अपनी मांओं के साथ गुप्त जगहों पर बनाई गई जेलों में महीनों तक बंद रहे. आयोग की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक पूछताछ के दौरान दबाव बनाने के लिए बच्चों का भी इस्तेमाल किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन बच्चों को मां के दूध से वंचित करने जैसे तरीकों को अपनाया गया.

बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप लगाए गए हैं. 77 साल की हसीना ने अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के बाद देश छोड़ कर भारत में शरण ली. हसीना की सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन, सैकड़ों राजनीतिक विरोधियों की गैरन्यायिक हत्याओं और सैकड़ों दूसरे लोगों के गैरकानूनी अपहरण और लापता करने के आरोप हैं.

छात्रों के प्रबल आंदोलन के बाद बीते साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार गिर गई और उन्हें भाग कर भारत में शरण लेनी पड़ी. फिलहाल वह वहीं रह रही हैं, जबकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से हसीना को सौंपने की मांग की है. 

बच्चों के साथ गर्भवती महिला गिरफ्त में

आयोग का कहना है कि उसने बच्चों समेत महिलाओं के गायब होने के बारे में कई स्रोतों से जानकारी पुष्ट की है और इसका ब्यौरा जुटाया है. आयोग के मुताबिक इनमें से कई मामले तो साल 2023 के भी हैं.

इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल ने शेख हसीना और कई लोगों के खिलाफ जनसंहार और मानवता के विरुद्ध अपराधों के आरोपों में जांच शुरू की है तस्वीर: Privat

आयोग ने एक मामले के बारे में बताया है, जिसमें एक गर्भवती महिला को उसके दो छोटे बच्चों के साथ पकड़ा गया. उस महिला के साथ हिरासत केंद्र में मारपीट भी की गई. रिपोर्ट में कहा गया है, "यह कोई अकेला मामला नहीं था."

आयोग का कहना है कि एक चश्मदीद ने जांच अधिकारियों को हिरासत केंद्र का वह कमरा भी दिखाया जहां एक बच्चे और उसकी मां को रखा गया था. यह हिरासत केंद्र बांग्लादेश का अर्धसैनिक बल रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) चलाता था. रिपोर्ट में कहा गया है, "वह महिला कभी लौट कर नहीं आई."

इसी तरह की एक और घटना में एक पति-पत्नी और उनके बच्चे को हिरासत में लिया गया. बच्चे को मां के दूध के लिए तरसाया गया और मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न के एक तरीके की तरह इसका इस्तेमाल कर उसके पिता पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया गया.

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कहां लापता हुए लोग

सत्ता में रहते हुए हसीना सरकार ने जबरन लापता करने के आरोपों से इनकार किया था. उनका दावा था कि जिन लोगों के गायब होने की बात की जाती है उनमें से कुछ यूरोप पहुंचने की कोशिश में भूमध्यसागर में डूब गए.

छात्रों और युवाओं के प्रबल आंदोलन के बाद शेख हसीना को देश छोड़ कर जाना पड़ातस्वीर: Rajib Dhar/AP/picture alliance

आयोग का कहना है कि सुरक्षा बलों ने करीब 200 बांग्लादेशियों का अपहरण किया था जो अब भी लापता हैं. कमेटी के सदस्य सज्जाद हुसैन का कहना है कि कुछ पीड़ित उन अधिकारियों के बारे में ठीक ठीक जानकारी नहीं दे पाए जिन्होंने उनका उत्पीड़न किया था. उनके बयानों का इस्तेमाल उन अधिकारियों या फिर सुरक्षा बलों की पहचान करने में की जा सकती है.

हुसैन ने समचार एजेंसी एएफपी से कहा, "ऐसे मामलों में हम यही सुझाव देंगे कि कमांडर को जिम्मेदार ठहराया जाए." रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, "पीड़ितों के परिवारों पर इसका असर कई रूपों में सामने आया, इसमें मनोवैज्ञानिक तकलीफों से ले कर कानूनी और आर्थिक चुनौतियां भी शामिल हैं.

संयुक्त राष्ट्र और एमनेस्टी इंटरनेशनल समेत कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी बांग्लादेश में सरकारी मशीनरी के हाथों लोगों के गायब होने की बात कही थी. 2021 में अमेरिका ने आरएबी और उसके साथ अधिकारियों पर प्रतिबंध भी लगाया था. इसके बाद ऐसी घटनाओं में कमी आनी शुरू हुई. हालांकि यह सिलसिला पूरी तरह बंद तो नहीं ही हुआ. आरएबी पर खास तौर से इस तरह के मामलों में कई आरोप लगाए गए हैं.

एनआर/वीके (एएफपी)

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