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समाज

बांग्लादेश: 1600 रोहिंग्या शरणार्थी सुदूर द्वीप भेजे गए

४ दिसम्बर २०२०

बांग्लादेश ने शुक्रवार को 1,600 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों के पहले समूह को मानव अधिकार संगठनों की अपील की अनदेखी करते हुए एक सुदूर द्वीप पर भेज दिया है.

तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS

बांग्लादेशी अधिकारियों का कहना है कि शरणार्थियों को उनकी इच्छा के खिलाफ द्वीप पर नहीं भेजा जा रहा है. हालांकि मानवाधिकार समूहों ने शरणार्थियों के ट्रांसफर की प्रक्रिया को रोकने की अपील की है. बांग्लादेश सरकार का कहना है कि द्वीप पर केवल उन शरणार्थियों को भेजा जा रहा जो वहां जाना चाहते हैं, जिससे शिविरों में अव्यवस्था कम हो जाएगी. गौरतलब है कि शरणार्थियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुछ रोहिंग्याओं को जबरन भेजा जा रहा है. जिस द्वीप पर रोहिंग्या शरणार्थियों को भेजा जा रहा है उसका नाम भाषान चर है. इस द्वीप को 20 साल पहले समुद्र में खोजा गया था और यहां अक्सर बाढ़ आ जाती है.

फिलहाल रोहिंग्या शरणार्थी कॉक्स बाजार में शिविरों में रहते हैं और यहां करीब दस लाख रोहिंग्या शरणार्थियों के रहने का इंतजाम है. लेकिन शिविर शरणार्थियों से भरे पड़े हैं और अक्सर यहां सुविधाओं की कमी हो जाती है. यहां रहने वाले रोहिंग्या म्यांमार से जान बचाकर आए थे.

शरणार्थियों की शिकायत

शुक्रवार को अधिकारियों ने शरणार्थियों के पहले जत्थे, जिनमें 1,600 लोग शामिल हैं उन्हें भाषान चर भेजा. कई संगठनों ने अधिकारियों से इस प्रक्रिया को रोकने की अपील लेकिन इसका असर होता नहीं दिखा. बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन ने कहा,"सरकार किसी को भी जबरदस्ती भाषान चर में नहीं ले जाएगी. हम अपनी इस स्थिति पर कायम है."

नाव पर सवार होकर भाषान चर द्वीप जाते हुए रोहिंग्या. तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS

हालांकि, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कुछ शरणार्थियों के हवाले से कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त स्थानीय नेताओं द्वारा तैयार सूची में उनके भी नाम शामिल हैं, लेकिन उन्होंने द्वीप पर जाने की सहमति नहीं दी थी. नौसेना के अधिकारियों का कहना है कि शरणार्थियों को ले जाने के लिए सात नावों की व्यवस्था की गई है, जिसमें दो नाव पर खाने-पीने का सामान होगा. 31 वर्षीय शरणार्थी ने रॉयटर्स को बताया, "वे हमें जबरन उठाकर ले जा रहे हैं. तीन दिन पहले जब मुझे पता चला कि मेरे परिवार का नाम सूची में है, तो मैं भाग गया, लेकिन कल उन्होंने मुझे पकड़ लिया और अब मुझे द्वीप पर भेज रहे हैं."

अपने बेटे और अन्य रिश्तेदारों को छोड़ने के लिए आई 60 साल की सोफिया ने बताया, "उन्होंने मेरे बेटे को इतनी बुरी तरह पीटा कि उसके दांत टूट गए, ताकि वह द्वीप पर जाने के लिए तैयार हो जाए. मैं उसे और उसके परिवार को देखने आई हूं और हो सकता है कि यह आखिरी बार हो." सोफिया इसके बाद रोने लगती हैं. अपने भाई और उसके परिवार को अलविदा कहने आए 17 साल के हाफिज अहमद कहते हैं, "मेरा भाई दो दिनों से लापता था. अब हमें पता चला कि वह यहां (ट्रांजिट कैंप में) है, जहां से उसे द्वीप ले जाया जाएगा. वह खुद से नहीं जा रहा है."

मन में खौफ और आशंकाओं के साथ एक दूर द्वीप पर जाती महिला और एक बच्ची. तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS

मानवाधिकार संगठनों का आरोप

मानवाधिकार समूहों ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक कुछ शरणार्थियों को द्वीप पर जाने के लिए मजबूर किया गया है. 2017 में म्यांमार में एक सैन्य अभियान के दौरान अधिकांश रोहिंग्या मुसलमानों के गांव नष्ट हो गए थे. संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं के मुताबिक लाखों लोग वहां से भागकर बांग्लादेश आ गए थे. संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा कि शरणार्थियों को द्वीप पर भेजने की प्रक्रिया में वह शामिल नहीं है और उसे इस बारे में थोड़ी जानकारी है.

भाषान चर द्वीप 13,000 एकड़ क्षेत्र में फैला है और यहां पर एक लाख रोहिंग्या के लिए आश्रय का इंतजाम किया गया है. सरकार का दावा है कि बाढ़ से बचाने के लिए यहां बांध बनाए गए हैं. लेकिन लोगों का कहना है कि तूफान के दौरान पानी द्वीप पर आ सकता है.

एए/सीके (एपी, रॉयटर्स)

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