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राजनीतिबांग्लादेश

बांग्लादेश: नौकरी कोटा का छात्र क्यों कर रहे हैं इतना विरोध

१८ जुलाई २०२४

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों के कोटा सिस्टम में बदलाव की मांग को लेकर छात्रों ने देशव्यापी बंद की अपील जारी की. इसी हफ्ते प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसक झड़पों में कम-से-कम छह लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए.

18 जुलाई को प्रदर्शनकारियों द्वारा बुलाई गई बंद के दौरान राजधानी ढाका के रामपुरा इलाके में पुलिस और कोटा विरोधी छात्रों के बीच संघर्ष.
प्रदर्शनकारी छात्रों ने 18 जुलाई को देशभर में बंद की अपील जारी की. इसी दिन बांग्लादेश के कानून मंत्री अनीसुल हक ने बताया कि पीएम शेख हसीना की घोषणा के बाद एक जांच समिति का गठन किया गया है. यह समिति बीते दिनों प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा की जांच करेगी. 16 जुलाई को हुई हिंसा में छह लोग मारे गए थे. तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS

दक्षिण एशिया के बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी छात्रों ने 18 जुलाई को देशभर में बंद बुलाया. राजधानी ढाका समेत कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प होने की खबर है. 

स्थानीय समाचारों के मुताबिक, 18 जुलाई को ढाका में पुलिस और यूनिवर्सिटी छात्रों के बीच हुए संघर्ष के दौरान एक शख्स की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए. घायलों में ज्यादातर छात्र हैं. बताया जा रहा है कि मृतक एक कार चालक है, जो घटना के समय उस इलाके से गुजर रहा था.  

इस बीच सरकार ने घोषणा की है कि वह कोटा रिफॉर्म पर प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ बातचीत के लिए तैयार है. ढाका ट्रिब्यून की एक खबर के मुताबिक, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कानून मंत्री अनीसुल हक और शिक्षा मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी को प्रदर्शनकारियों से बातचीत का दायित्व सौंपा है. कानून मंत्री ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर उनकी सरकार कोटा व्यवस्था में सुधार के खिलाफ नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रदर्शनकारी राजी हों, तो वह 18 जुलाई को ही बैठक करने के लिए तैयार हैं.

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पुलिस की कार्रवाई पर सवाल

इससे पहले टीवी पर प्रसारित राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रदर्शन के दौरान हुई मौतों की जांच के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की थी. ये मौतें 16 जुलाई को हुईं, जब कई जगहों पर विरोधी छात्र संगठनों के युवा आपस में भिड़ गए.

सरकारी नौकरियों में लागू कोटा व्यवस्था के खिलाफ जारी प्रदर्शन में छात्रों ने 18 जुलाई की शाम तक देशव्यापी बंद की अपील की है. उनका आरोप है कि छात्रों के शांतिपूर्ण आंदोलन पर पुलिस ने क्रूरता बरती. छात्र प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. तस्वीर: Munir Uz Zaman/AFP/Getty Images

पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया. हिंसक झड़पों में छह लोग मारे गए. आरोप लग रहे हैं कि कुछ मौतों का संबंध पुलिस की कार्रवाई से हो सकता है. समाचार एजेंसी एएफपी ने अस्पतालों और छात्रों से मिले ब्योरों के आधार पर बताया कि मृतकों में कम-से-कम कुछ तो ऐसे हैं, जिनकी मौत पुलिस की कार्रवाई के दौरान हुई. इन मौतों के कारण प्रदर्शनकारी छात्रों में भारी नाराजगी है.

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प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आश्वासन दिया

तनाव और हिंसा को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कहा है कि सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालय, उनसे जुड़े कॉलेज और अन्य संस्थान अगले निर्देश तक बंद रहेंगे. यूजीसी द्वारा जारी आदेश में विश्वविद्यालयों के प्रशासन से कहा गया है कि वे छात्रों की सुरक्षा के लिए सभी डॉरमेट्रिज खाली कराएं. विश्वविद्यालय परिसरों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है.

पीएम हसीना ने कहा है कि जो लोग भी इन छह मौतों के जिम्मेदार हैं, उन्हें सजा दी जाएगी. अपने संबोधन में उन्होंने कहा, "मैं हर हत्या की निंदा करती हूं. मैं पुख्ता तरीके से एलान करती हूं कि जिन लोगों ने हत्या, लूट और हिंसा की है, वे चाहे जो भी हों, मैं सुनिश्चित करूंगी कि उन्हें उपयुक्त सजा दी जाए."

प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि सत्तारूढ़ पार्टी के छात्र संगठन 'बांग्लादेश छात्र लीग' ने हिंसा भड़काई. छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस को हिंसा मुक्त बनाने का आश्वासन मांग रहे हैं. तस्वीर: Munir Uz Zaman/AFP/Getty Images

प्रदर्शनकारी छात्रों ने प्रधानमंत्री के आश्वासन को खारिज कर दिया और उन पर गंभीर ना होने के आरोप लगाए. प्रदर्शनों में शामिल प्रमुख समूह 'स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' के संयोजक आसिफ महमूद ने पीएम हसीना के संबोधन की आलोचना करते हुए समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "इसमें उनके पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा की गई हत्याओं और तबाही पर बात नहीं की गई."

बांग्लादेश छात्र लीग और प्रदर्शनकारियों में संघर्ष

बांग्लादेश में छात्रों का यह हालिया प्रदर्शन करीब एक पखवाड़े से चल रहा है. देशभर के कई विश्वविद्यालय परिसरों में हजारों छात्र सरकारी नौकरियों में लागू कोटा व्यवस्था को पक्षपातपूर्ण बताते हुए इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार कोटा व्यवस्था का बेजा इस्तेमाल कर रही है.

16 जुलाई ताजा प्रदर्शनों का सबसे हिंसक दिन रहा. इससे पहले 15 जुलाई को भी बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल) के सदस्यों और प्रदर्शनकारी युवाओं में हिंसक भिड़ंत की खबरें आई थीं. इन झड़पों में कम-से-कम 400 लोग घायल हुए. बीसीएल, पीएम शेख हसीना की सत्तारूढ़ आवामी लीग पार्टी का छात्र संगठन है.

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ढाका यूनिवर्सिटी में स्थितियां खासतौर पर संवेदनशील बनी हुई हैं. पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर की ओर जाने वाली सड़क को कंटीली तार लगाकर बाधित कर दिया है. परिसर के भीतर हो रहे प्रदर्शन में शामिल लोगों पर आंसू गैस भी छोड़ी गई. वहीं, छात्र 16 जुलाई की रात परिसर के भीतर डॉरमैट्री के भीतर तलाशी ले कर सरकार समर्थक छात्रों को बाहर निकालते रहे. इन छात्रों का कहना है कि हिंसा रोकने की मंशा से ऐसा किया जा रहा है.

16 जुलाई प्रोटेस्ट में अब तक का सबसे हिंसक दिन रहा. हिंसक झड़पों में कम-से-कम छह लोग मारे गए. इनमें तीन छात्र थे. इसके बाद पूरे देश में शैक्षणिक संस्थानों को अनिश्चित काल तक बंद करने का आदेश दिया गया. ढाका यूनिवर्सिटी में प्रदर्शनकारी छात्रों ने मारे गए लोगों के प्रति शोक जताते हुए सांकेतिक ताबूत रखकर प्रार्थना सभा बुलाई. तस्वीर: Munir Uz Zaman/AFP/Getty Images

ढाका यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रैजुएशन कर रहे एक छात्र अब्दुल्ला मुहम्मद रुहेल ने एएफपी को बताया, "16 जुलाई को जब छात्र मारे गए, तो बहुत ज्यादा गुस्सा भड़क गया. पहले छात्राओं ने आवामी लीग से जुड़ी छात्राओं को बाहर निकालना शुरू किया, फिर छात्र भी पुरुष डॉरमेट्रियों में ऐसा करने लगे." विश्वविद्यालय परिसर में कई अन्य छात्रों ने एएफपी को बताया कि अवामी लीग के छात्र संगठन से जुड़े सभी सदस्यों को छात्रावास छोड़ने के लिए कहा गया. जिन्होंने इनकार किया, उन्हें घसीटकर बाहर निकाला गया.

क्या है कोटा सिस्टम

1971 में बांग्लादेश की स्थापना के एक साल बाद मिनिस्ट्री ऑफ कैबिनेट सर्विसेज ने 'बांग्लादेश सिविल सर्विसेज' के लिए एक कोटा व्यवस्था लाने की घोषणा की. इस शुरुआती कोटा सिस्टम में बांग्लादेश की आजादी के संघर्ष में शामिल होने वालों के लिए नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान रखा गया. आगे के दशकों में इसमें बदलाव भी हुए. कोटा में विस्तार कर स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों और उनकी अगली पीढ़ी को भी लाभार्थी बना दिया गया.

ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक, साल 2018 तक यहां सरकारी नौकरियों में 56 फीसदी सीटों में कोटा लागू था. इसमें 30 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों और उनके बच्चों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं, 10 फीसदी पिछड़े जिलों के लोगों, पांच फीसदी अल्पसंख्यकों और एक प्रतिशत कोटा विकलांगों के लिए था. इस तरह सभी भर्तियों में केवल 44 फीसदी सीटें ही बाकियों के लिए खाली थीं.

देशभर के कई विश्वविद्यालय परिसरों में हजारों छात्र सरकारी नौकरियों में लागू कोटा व्यवस्था को पक्षपातपूर्ण बताते हुए इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. तस्वीर: Munir Uz Zaman/AFP/Getty Images

अभी कैसे गहराया तनाव?

भारत की ही तरह बांग्लादेश में भी सरकारी नौकरियों का बड़ा आकर्षण है. बढ़ती बेरोजगारी दर के बीच सरकारी नौकरियां नियमित आय का अच्छा स्रोत मानी जाती हैं. ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 की पहली तिमाही में बांग्लादेश में बेरोजगारी दर 3.51 प्रतिशत रही.

स्टैटिस्टा के अनुसार, 2024 में यहां बेरोजगारी दर 5.09 प्रतिशत रहने का अनुमान है. बढ़ती बेरोजगारी के बीच सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए प्रतियोगिता भी बढ़ रही है. समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, हर साल करीब 3,000 सरकारी भर्तियों के लिए चार लाख से ज्यादा स्नातक आवेदन करते हैं.

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ऐसे में पिछले काफी समय से युवा सरकारी क्षेत्रों में नौकरियों से जुड़ी नीतियां बदलने की मांग उठाते रहे हैं. स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारजनों के लिए तय कोटा के खिलाफ विशेष विरोध रहा है. चूंकि आजादी की लड़ाई का नेतृत्व शेख मुजीबुर्ररहमान ने किया था, ऐसे में युवाओं का आरोप है कि इस श्रेणी का कोटा शेख हसीना की पार्टी को फायदा पहुंचाता है और इसके जरिए पार्टी के वफादारों और समर्थकों को उपकृत किया जाता रहा है.

भारत की ही तरह बांग्लादेश में भी सरकारी नौकरियों का बड़ा आकर्षण है. बढ़ती बेरोजगारी के बीच सरकारी नौकरियां नियमित आय का अच्छा स्रोत मानी जाती हैं. छात्रों की मांग है कि कोटा घटाकर इसे केवल पिछड़े वर्गों (जनजातियों) और विकलांगों तक सीमित कर दिया जाए. तस्वीर: Zabed Hasnain Chowdhury/IMAGO/SOPA Images

2018 में शिक्षकों और छात्रों ने कोटा व्यवस्था के खिलाफ एक बड़ी मुहिम छेड़ी और चार महीने तक प्रदर्शन किया. उस समय भी प्रदर्शनकारी छात्रों की बीसीएल और पुलिसकर्मियों से हिंसक झड़पें हुई थीं. प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई को लेकर शेख हसीना सरकार की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना भी हुई. इसके बाद अक्टूबर 2018 में सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर कोटा सिस्टम को खत्म करने की घोषणा की. इसके अंतर्गत स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारजनों के लिए आरक्षित 30 फीसदी कोटा को भी खत्म करने की बात कही गई.

इसके खिलाफ 2021 में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. इसी साल 5 जून को हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह संबंधित सर्कुलर को रद्द करे और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए चले आ रहे 30 फीसदी कोटा को कायम रखे. सरकार ने इस फैसले पर पुनर्विचार की अपील की. अब 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार की अपील को सुनेगा.

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हाई कोर्ट के फैसले के बाद युवाओं ने ढाका में प्रदर्शन शुरू किया. जल्द ही और भी हिस्सों में प्रोटेस्ट शुरू हो गए. खबरों के मुताबिक, सत्तारूढ़ दल के छात्रसंघ के सदस्यों और प्रदर्शनकारियों के बीच देशभर में कई जगहों पर संघर्ष हुआ और इससे हिंसा भड़की.

प्रदर्शनकारी छात्रों ने कई जगहों पर मुख्य राष्ट्रीय राजमार्गों को ब्लॉक कर दिया. ढाका के कई इलाकों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों की खबर है. तस्वीर: Habibur Rahman/IMAGO/ABACAPRESS

स्थितियां तब और बिगड़ गईं, जब शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों की मांग मानने से इनकार कर दिया. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम ने कहा, "क्या स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चे और पोते-पोतियां प्रतिभाशाली नहीं हैं? क्या केवल रजाकरों के बच्चे और पोते-पोतियां ही प्रतिभाशाली हैं?"

खबरों के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों को "रजाकर" कहे जाने से गुस्सा और भड़का. बांग्लादेश में इस शब्द का ऐतिहासिक पहलू है. "रजाकर वाहिनी" नाम का एक अर्धसैनिक बल था, जिसने 1971 के लिबरेशन वॉर में पाकिस्तानी सेना का साथ दिया था. बांग्लादेश में इस शब्द के इस्तेमाल का संदर्भ देशद्रोही से जुड़ा है.

मोबाइल इंटरनेट सेवा पर रोक

18 जुलाई को बुलाई गई बंद में प्रदर्शनकारियों ने देशभर में चक्काजाम का एलान किया है. प्रदर्शनों के संयोजक नाहिद इस्लाम ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "सभी प्रतिष्ठान बंद रहेंगे. केवल अस्पताल और आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी. परिवहन में केवल ऐंबुलेंस सेवा को आवाजाही की इजाजत है." प्रोटेस्टरों का कहना है कि विश्वविद्यालय परिसरों में हो रहे प्रदर्शनों पर सुरक्षाबलों द्वारा किए जा रहे हमलों के विरोध में यह बंद बुलाई गई है.

देश के मुख्य विपक्षी दल 'बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी' ने कहा कि वह बंद को सफल बनाने की हर मुमकिन कोशिश करेगी. हालांकि, रॉयटर्स ने बताया है देशव्यापी बंद की अपील का बहुत असर नहीं दिख रहा है. राजधानी ढाका में सरकारी-निजी दफ्तर और दुकान खुले हैं. गाड़ियां भी आ-जा रही हैं, हालांकि सरकारी बसें सामान्य से कम नजर आ रही हैं.

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ढाका के कई इलाकों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों की खबर है. प्रदर्शनकारी छात्रों ने कई जगहों पर मुख्य राष्ट्रीय राजमार्गों को ब्लॉक कर दिया. रॉयटर्स के मुताबिक, चटगांव में हाईवे ब्लॉक कर रहे छात्रों ने पुलिस पर पत्थर फेंके और पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया. देश के एक बड़े हिस्से में मोबाइल इंटरनेट सेवा अस्थायी तौर पर बंद कर दी गई है.

एसमए/सीके (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)

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