लोगों के बैंक खातों में कहां से आ रहे करोड़ों रुपये
मनीष कुमार
३० सितम्बर २०२१
साइबर अपराधियों द्वारा खाते में सेंध या फिर क्रेडिट-डेबिट कार्ड से खरीदारी के मामले तो सामने आ ही रहे थे, अब खाताधारकों की जानकारी के बिना उनके अकाउंट से ट्रांजैक्शन भी किए जा रहे हैं.
तस्वीर: Jaipal Singh/dpa/picture alliance
विज्ञापन
दिलचस्प तो यह है कि कई तरह की योजनाओं के तहत सरकार द्वारा खाते में सीधे पैसे भेजे जाने के कारण लोग गलतफहमी के भी शिकार हो रहे हैं. उन्हें लगता है कि रकम सरकार द्वारा ही भेजी गई है, इसलिए वे पैसा बैंक को लौटाने से इंकार भी कर देते हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ जाता है.
आजकल लोगों के बैंक खाते में सरकारी योजनाओं के तहत कई तरह की धनराशि सीधे भेजी जाती है. यह राशि किसान सम्मान योजना, फसल बीमा योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, आपदा सहायता राशि, छात्र-छात्राओं के लिए साइकल या पोशाक योजना या कई प्रकार की अन्य योजनाओं के तहत दी जाती है.
तस्वीरेंः आप अपना पासवर्ड कहां रखते हैं
आप अपना पासवर्ड कहां रखते हैं?
एटीएम पिन, बैंक खाता नंबर, डेबिट कार्ड या फिर क्रेडिट कार्ड डिटेल्स हो या आधार और पैन कार्ड जैसी संवेदनशील निजी जानकारी, भारतीय बेहद लापरवाह तरीके से इन्हें रखते हैं. एक सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
तस्वीर: BR
33 प्रतिशत भारतीय रखते हैं असुरक्षित तरीके से डेटा
लोकल सर्किल के सर्वे में यह पता चला है कि करीब 33 प्रतिशत भारतीय संवेदनशील डेटा असुरक्षित तरीके से ईमेल या कंप्यूटर में रखते हैं.
तस्वीर: Elmar Gubisch/Zoonar/picture alliance
ईमेल और फोन में रखते हैं पासवर्ड
सर्वे में शामिल लोगों ने बताया कि वे संवेदनशील डेटा जैसे कि कंप्यूटर पासवर्ड, बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारी, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के साथ ही साथ आधार और पैन कार्ड जैसी निजी जानकारी भी ईमेल और फोन के कॉन्टैक्ट लिस्ट में रखते हैं. 11 फीसदी लोग फोन कॉन्टैक्ट लिस्ट में ऐसी जानकारी रखते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/N. Armer
याद भी करते हैं और लिखते भी हैं
लोकल सर्किल ने देश के 393 जिलों के 24,000 लोगों से प्रतिक्रिया ली, सर्वे में शामिल 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपनी जानकारियां कागज पर लिखते हैं, वहीं 21 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अहम जानकारियों को याद कर लेते हैं.
तस्वीर: Fotolia/THPStock
डेबिट कार्ड पिन साझा करते हैं
लोकल सर्किल के सर्वे में शामिल 29 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अपने डेबिट कार्ड पिन को अपने परिवार के सदस्यों के साथ साझा करते हैं. वहीं सर्वे में शामिल चार फीसदी लोगों ने कहा कि वे पिन को घरेलू कर्मचारी या दफ्तर के कर्मचारी के साथ साझा करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Ohlenschläger
बड़ा वर्ग साझा नहीं करता एटीएम पिन
सर्वे में शामिल एक बड़ा वर्ग यानी 65 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्होंने एटीएम और डेबिट कार्ड पिन को किसी के साथ साझा नहीं किया. दो फीसदी लोगों ने ही अपने दोस्तों के साथ डेबिट कार्ड पिन साझा किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Warmuth
फोन में अहम जानकारी
कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बैंक खातों से जुड़ी जानकारी, आधार या पैन कार्ड जैसी जानकारी फोन में रखते हैं. सर्वे में शामिल सात फीसदी लोगों ने इसको माना है. 15 प्रतिशत ने कहा कि उनकी संवेदनशील जानकारियां ईमेल या कंप्यूटर में है.
तस्वीर: Imago Images/U. Umstätter
डेटा के बारे में पता नहीं
इस सर्वे में शामिल सात फीसदी लोगों ने कहा है कि उन्हें नहीं मालूम है कि उनका डेटा कहां हो सकता है. मतलब उन्हें अपने डेटा के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है.
तस्वीर: Imago/Science Photo Library
बढ़ रहे साइबर अपराध
ओटीपी, सीवीवी, एटीएम, क्रेडिट या डेबिट कार्ड क्लोनिंग कर अपराधी वित्तीय अपराध को अंजाम दे रहे हैं. ईमेल के जरिए भी लोगों को निशाना बनाया जाता है और संवेदनशील जानकारियों चुराई जाती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/chromorange/C. Ohde
डेटा सुरक्षा में जागरूकता की कमी
लोकल सर्किल का कहना है कि देश के लोगों में अहम डेटा के संरक्षण को लेकर जागरूकता की कमी है. कई ऐप ऐसे हैं जो कॉन्टैक्ट लिस्ट की पहुंच की इजाजत मांगते हैं ऐसे में डेटा के लीक होने का खतरा अधिक है. लोकल सर्किल के मुताबिक वह इन नतीजों को सरकार और आरबीआई के साथ साझा करेगा ताकि वित्तीय साक्षरता की दिशा में ठोस कदम उठाया जा सके.
तस्वीर: Fotolia/Sergey Nivens
9 तस्वीरें1 | 9
वर्तमान में भारत सरकार द्वारा 311 तरह की योजनाओं की राशि डीबीटी के तहत लाभार्थियों खाते में क्रेडिट की जाती है. इसके अलावा राज्य सरकार की भी ऐसी कई योजनाएं हैं. अमूमन समय के अनुरूप इसी राशि का लोग इंतजार करते हैं. अकाउंट में पैसे आने की सूचना बैंक द्वारा एसएमएस के जरिए मेसेज भेज कर दी जाती है या फिर लोग समय-समय पर बैंक या ग्राहक सेवा केंद्रों (सीएसपी) में जाकर खाता अपडेट भी करवाते हैं. बीते दिनों कुछ ऐसे मामले सामने आए जिससे यह समझना कठिन हो गया कि आखिर अकाउंट में इतनी बड़ी रकम कहां से आ गई. हालांकि बैंकों ने तकनीकी त्रुटि का हवाला देकर इससे पल्ला झाड़ लिया.
विज्ञापन
छात्र के खाते में आए नौ सौ करोड़
कटिहार जिले के आजमनगर प्रखंड के पस्तिया गांव निवासी कक्षा छह के दो छात्र, असित कुमार और गुरुचरण विश्वास अपने खाते में पोशाक राशि आने की राह देख रहे थे, किंतु उनके अकाउंट में करोड़ों रुपये होने की जानकारी उन्हें तब मिली, जब वे अपना खाता अपडेट करवाने गए.
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के खाताधारक असित के खाते में छह करोड़ से ज्यादा तो गुरुचरण के खाते में 900 करोड़ से अधिक की राशि होने का पता चला. यह पता चलने पर बैंक प्रबंधन भी हलकान हो गया. इन दोनों बच्चों ने इंडसइंड बैंक की सीएसपी पर जाकर अपना-अपना खाता चेक करवाया था. यह बैंक स्पाइस मनी कंपनी के सिस्टम का उपयोग करती है जिसके ब्रांड एंबेसडर सोनू सूद बताए जाते हैं.
तस्वीरेंः हो जाएं सावधान, ये हैं साइबर फ्रॉड के नए तरीके
हो जाइए सावधान, ये हैं साइबर फ्रॉड के नए तरीके
तकनीक तेजी से बदल रही है और साथ ही बदल रही है धोखाधड़ी करने की तकनीक भी. आजकल साइबर ठगों के निशाने पर बैंक खाते भी आ गए हैं और अनजान लिंक पर क्लिक करने भर से आपके पैसे गायब हो सकते हैं. यहां जानिए कैसे रह सकते हैं सतर्क.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/APA/H. Fohringer
व्हाट्सऐप कॉल से फर्जीवाड़ा
अगर आपको व्हाट्सऐप पर किसी अनजान नंबर से वॉयस कॉल आती है तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि फोन करने वाला आपको ठग सकता है. इस वारदात को अंजाम देने के बाद आपके नंबर को ब्लॉक कर सकता है. वॉयस कॉल करने वाला अपनी ट्रिक में फंसाकर आपके पैसे हड़प सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Rehder
यूपीआई
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के जरिए किसी को भी आसानी से पैसे भेजे या मंगाए जा सकते हैं. यूपीआई के जरिए ठग किसी व्यक्ति को डेबिट लिंक भेज देता है और जैसे ही वह उस लिंक पर क्लिक कर अपना पिन डालता है तो उसके खाते से पैसे कट जाते हैं. इससे बचने के लिए अनजान डेबिट रिक्वेस्ट को तुरंत डिलीट कर देना चाहिए. अजनबियों के लिंक भेजने पर क्लिक ना करें.
तस्वीर: DW
एटीएम क्लोनिंग
पहले सामान्य कॉल के जरिए ठगी होती थी लेकिन अब डाटा चोरी कर पैसे खाते से निकाले जा रहे हैं. ठग हाईटेक होते हुए कार्ड क्लोनिंग करने लगे हैं. एटीएम कार्ड लोगों की जेब में ही रहता है और ठग पैसे निकाल लेते हैं. एटीएम क्लोनिंग के जरिए आपके कार्ड की पूरी जानकारी चुरा ली जाती है और उसका डुप्लीकेट कार्ड बना लिया जाता है. इसलिए एटीएम इस्तेमाल करते वक्त पिन को दूसरे हाथ से छिपाकर डालें.
तस्वीर: Reuters/R.D. Chowdhuri
कार्ड के डाटा की चोरी
एटीएम कार्ड के डाटा की चोरी के लिए जालसाज कार्ड स्कीमर का इस्तेमाल करते हैं, इसके जरिए जालसाज कार्ड रीडर स्लॉट में डाटा चोरी करने की डिवाइस लगा देते हैं और डाटा चुरा लेते हैं. इसके अलावा फर्जी कीबोर्ड के जरिए भी डाटा चुराया जाता है. किसी दुकान या पेट्रोल पंप पर अगर आप अपना क्रेडिट कार्ड स्वाइप कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि कर्मचारी कार्ड को आपकी नजरों से दूर ना ले जा रहा हो.
तस्वीर: picture-alliance/empics/M. Keene
क्यूआर कोड स्कैम
क्यूआर यानि क्विक रिस्पांस कोड के जरिए जालसाज ग्राहकों को भी लूटने का काम कर रहे हैं. इसके जरिए मोबाइल पर क्यूआर कोड भेजा जाता है और उसे पाने वाला शख्स क्यूआर कोड लिंक को क्लिक करता है तो ठग उसके मोबाइल फोन का क्यूआर कोड स्कैन कर बैंक खाते से रकम निकाल लेते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Imaginechina/D. Qing
ई-मेल स्पूफिंग
ई-मेल स्पूफिंग के जरिए ठग ऐसी ई-मेल आईडी बना लेते हैं जो नामी गिरामी कंपनियों से मिलती-जुलती होती हैं और फिर सर्वे फॉर्म के जरिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर डाटा चुरा लेते हैं. गूगल सर्च के जरिए भी ठगी के मामले सामने आए हैं. जालसाज सर्च इंजन में जाकर मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर अपना नंबर डाल देते हैं और अगर कोई सर्च इंजन पर कोई खास चीज तलाशता है तो वह फर्जी साइट भी आ जाती है.
अगर आप ऑनलाइन मैट्रिमोनियल साइट पर पार्टनर की तलाश कर रहे हैं तो जरा सावधान रहिए क्योंकि इसके जरिए भी ठगी हो रही है. गृह मंत्रालय के साइबर सुरक्षा विभाग के मुताबिक ऑनलाइन वैवाहिक साइट पर चैट करते वक्त निजी जानकारी साझा ना करें और साइट के लिए अलग से ई-मेल आईडी बनाएं और बिना किसी पुख्ता जांच किए निजी जानकारी साझा करने से बचें.
तस्वीर: picture-alliance
बैंक खातों की जांच
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक खातों की नियमित जांच करनी चाहिए और अस्वीकृत लेनदेन के बारे में तुरंत अपने बैंक को जानकारी देनी चाहिए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
नौकरी का झांसा
कई जॉब पोर्टल संक्षिप्त विवरण को लिखने, विज्ञापित करने और जॉब अलर्ट के लिए फीस लेते हैं, ऐसे पोर्टलों को भुगतान करने से पहले, वेबसाइट की प्रमाणिकता और समीक्षाओं की जांच करना जरूरी है.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
सतर्कता जरूरी
ऑनलाइन लेनदेन करते समय मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर किसी ऐसे लिंक को क्लिक ना करे जिसके बारे में आप सुनिश्चित ना हो. सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते समय भी सुनिश्चित कर लें कि वेबसाइट वेरिफाइड हो.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Klose
बैंकों की जिम्मेदारी
साइबर अपराध को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी दिशा-निर्देश बनाए हैं जिनके तहत बैंकों को साइबर सुरक्षा के पैमाने को और सुधारना, ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना और साइबर अपराध रोकने के लिए बैंक ग्राहकों को जागरुक करना शामिल हैं.
तस्वीर: dapd
11 तस्वीरें1 | 11
जिला प्रशासन के सक्रिय होने पर ग्रामीण बैंक ने सफाई दी कि दोनों के खाते में इतनी बड़ी रकम नहीं है. एक के खाते में मात्र सौ तो दूसरे के खाते में 128 रुपये हैं. फिर भी यह सवाल तो लाजिमी है कि इंडसइंड बैंक की सीएसपी में थोड़ी देर के लिए ही सही इतनी बड़ी रकम दिखी कैसे. दोनों छात्रों के खाते से उस वक्त हुआ लेनदेन किसी साइबर अपराध से भी जुड़ा हो सकता है.
अकाउंट खोला ही नहीं, बन गए करोड़पति
सुपौल के विपिन चौहान की कहानी तो और अजीब है. वह जब मनरेगा के जॉब कार्ड के संबंध में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सीएसपी पर पहुंचे तो आधार कार्ड के जरिए वित्तीय स्थिति की जांच पर पता चला कि उनका जॉब कार्ड नहीं बन सकता है क्योंकि उनके खाते में करीब दस करोड़ रुपये जमा हैं. उन्होंने जब अकाउंट से संबंधित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शाखा से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि इस अकाउंट को 13 अक्टूबर 2016 को खोला गया था और फरवरी 2017 को खाते में करोड़ों के लेनदेन के बाद उसे फ्रीज कर दिया गया था.
दरअसल, विपिन ने इस बैंक में अपना खाता खोला ही नहीं था. उस खाते में विपिन चौहान का केवल आधार नंबर था. फोटो विपिन की तस्वीर से मेल नहीं खा रहा था जबकि हस्ताक्षर उससे मिलता-जुलता प्रतीत हो रहा था. फोन नंबर भी किसी और का था. अकाउंट खोलने संबंधी फॉर्म का भी बैंक में अता-पता नहीं था. शाखा प्रबंधक को वरीय अधिकारियों ने पूरे प्रकरण की जांच का निर्देश दिया है.
पैसा हो गया खर्च, भेजे गए जेल
खगड़िया जिले के एक शख्स के अकाउंट में पांच लाख रुपये आ गए. रंजीत दास नाम के इस शख्स ने बैंक को इतनी बड़ी रकम की सूचना नहीं दी. आम लोगों के बीच मामले का खुलासा तब हुआ जब बैंक ने नोटिस भेजकर उनसे रकम वापस करने को कहा. उन्होंने बैंक को सीधा जवाब दिया, ये पैसे पीएम मोदी जी ने भेजे हैं, इसलिए लौटाऊंगा नहीं.
तस्वीरेंः बिना बैंक अकाउंट के काम चला रहे हैं इन देशों के लोग
इन देशों में बिना बैंक एकाउंट के काम चला रहे हैं लोग
वित्तीय समावेशन के दौर में आज भी दुनिया की आधी आबादी बिना बैंक एकाउंट के जिंदगी गुजार रही है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के इन 10 देशों में ऐसे लोग सबसे ज्यादा हैं जिनके पास बैंक एकाउंट ही नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/AP
1. चीन
बैंकिग सेवाओं से वंचित दुनिया के सबसे ज्यादा लोग चीन में रहते हैं. चीन के 22.5 करोड़ लोगों के पास बैंक खाते नहीं है.
तस्वीर: Getty Images/AFP
2. भारत
बैंकिग व्यवस्था से दूर रहने वाली दुनिया की 11 फीसदी आबादी भारत में रहती है. देश के 19 करोड़ लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP
3. पाकिस्तान
भारत के बाद तीसरे स्थान पर आता है पाकिस्तान जहां करीब 10 करोड़ लोग बैंकिंग सेवाओं के अभाव में जिंदगी काट रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A.Gulfam
4. इंडोनेशिया
इंडोनेशिया पाकिस्तान से कोई बहुत पीछे नहीं है. देश के करीब 9.5 करोड़ लोग बैंक खातों के बिना ही काम चला रहे हैं.
तस्वीर: AP
5. नाइजीरिया
अफ्रीकी देश नाइजीरिया में भी करीब 6.27 करोड़ लोगों के पास बैंक में खाते नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Alamba
6. मेक्सिको
मेक्सिको में बैंक खातों से वंचित रहने वालों की कुल संख्या करीब 5.8 करोड़ है.
तस्वीर: picture-alliance/AP
7. बांग्लादेश
बैंकिंग सेवाओं में बांग्लादेश का हाल भी कुछ खास अच्छा नहीं है. यहां करीब 5.7 करोड़ लोगों के पास बैंक खाते नहीं है.
तस्वीर: DW
8. वियतनाम
वियतनाम को इस सूची में आठवां स्थान मिला है. यहां करीब 4.9 करोड़ लोग बिना बैंक खाते के काम चला रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L. Thai Linh
9. ब्राजील
ब्राजील में बिना बैंक खाते के जीने वालों की संख्या तकरीबन 4.8 करोड़ है.
तस्वीर: imago stock&people
10. फिलिपींस
फिलिपींस के करीब 4.6 करोड़ लोग अब तक बैंक में अपना खाता भी नहीं खुलवा सके हैं.
तस्वीर: Reuters/E. De Castro
10 तस्वीरें1 | 10
रंजीत दास ने पैसे निकाल कर खर्च कर दिए. अंतत: मामला पुलिस के पास गया और रंजीत दास को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. यह सिलसिला यहीं नहीं थमा. मुजफ्फरपुर के कटरा थाना क्षेत्र निवासी वृद्ध राम बहादुर शाह जब वृद्धा पेंशन की राशि चेक करवाने सीएसपी पर पहुंचे तो संचालक ने आधार नंबर पूछा और अंगूठा लगाने को कहा. अंगूठा लगाते ही उनके खाते में 52 करोड़ का बैलेंस स्क्रीन पर आ गया. सीएसपी संचालक और राम बहादुर दोनों दंग रह गए. उनका खाता उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक की पहसौल शाखा में है.
इस प्रकरण की सूचना उनके पुत्र सुजीत कुमार ने पुलिस को दी. पुलिस ने जांच की तो शाखा प्रबंधक सुधीर कुमार ने बताया कि उनके खाते में महज दो हजार रुपये हैं. उनका कहना था कि तकनीकी गड़बड़ी के कारण इतनी बड़ी राशि अकाउंट में दिखी होगी. अब बुजुर्ग ने पीएम मोदी से मांग की है कि कुछ राशि उन्हें दे दी जाए जिससे उनका बुढ़ापा अच्छे से कट जाए.
बांका जिले के शंभूगंज निवासी एक रिक्शा चालक नीतीश कुमार के खाते में एक करोड़ की राशि आने का पता तब चला जब गुजरात पुलिस उनके घर पर पहुंची. पुलिस का कहना था कि नीतीश के यूनियन बैंक के खाते में एक करोड़ की राशि आई है. इसलिए इसकी जांच की जा रही है. पिता फूदो रविदास से पूछताछ हुई. वे परेशान थे कि आखिर इतनी बड़ी रकम उनके खाते में कहां से आ गई.
पल्ला झाड़ ले रहे बैंक
इन सभी मामलों से साफ है कि कहीं न कहीं बैंकिंग सिस्टम में कोई बड़ी गड़बड़ी है. ग्रामीण क्षेत्र के बैंकों से करोड़ों का लेन-देन नहीं होता है, लेकिन इसके बावजूद ऐसे अकाउंट ऑपरेट होते रहे. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अवकाश प्राप्त बैंक अधिकारी कहते हैं, ‘‘थोड़ी आश्चर्य की बात है कि ऐसा हो रहा है. तकनीकी खराबी हो सकती है, किंतु अगर यही स्थिति रही तो बहुत मुश्किल होगी. बैंक को ऑफलाइन ट्रांजैक्शन मैनेजमेंट सिस्टम पर भी नजर रखने की जरूरत है. सीबीएस सिस्टम में ऐसी गड़बड़ी चिंताजनक है.''
ट्रेंड करने की ट्रिक
02:21
This browser does not support the video element.
पत्रकार अनूप पांडेय कहते हैं, ‘‘जन-धन योजना के तहत लोगों के भले के लिए ही सही भारी संख्या में खाते खोले गए. जिनमें बिना पढ़े-लिखे लोगों की संख्या ज्यादा है. बहुत संभव है, इनके खातों व संबंधित कागजातों का भी किसी न किसी स्तर पर दुरुपयोग किया जा रहा हो. नोटबंदी के समय इन खातों का कैसे इस्तेमाल किया गया, यह जगजाहिर है.''
वहीं वित्तीय मामलों के जानकार अंकित का कहना है, ‘‘ऐसी बातें यह इशारा करती हैं कि किसी न किसी स्तर पर या तो बैंक कर्मी की मिलीभगत है या फिर हैकर्स सक्रिय हैं. आखिर विपिन का खाता बिना प्रमाणिक कागजातों के कैसे खोला गया या फिर थोड़ी देर के लिए ही सही उतनी बड़ी रकम अकाउंट में दिखी कहां से?''