जर्मनी में फिर किया प्रवासी ने हमला, लोगों में चिंता
वीके/एमजे (डीपीए)२५ जुलाई २०१६
रविवार रात एक सीरियाई प्रवासी ने आत्मघाती हमला किया. 12 लोग घायल हुए. एक हफ्ते के भीतर जर्मनी में यह तीसरा हमला है. हमलावर मारा गया है.
विज्ञापन
जर्मनी में फिर एक रिफ्यूजी ने हमला किया है. एक हफ्ते के भीतर यह तीसरा हमला है जिसके बाद रिफ्यूजी पॉलिसी को लेकर शुरू में छिड़ी बहस न सिर्फ ताजा हो गई है बल्कि चांसलर अंगेला मैर्केल के लिए मुश्किल भी बन गई है क्योंकि युद्ध पीड़ित रिफ्यूजियों के लिए उन्होंने बाहें खोल दी थीं और काफी विरोध के बावजूद उनका स्वागत किया था.
रविवार रात एक सीरियाई रिफ्यूजी ने एक कॉन्सर्ट के बाहर आत्मघाती हमला किया. उसके पिट्ठू बैग में विस्फोटक थे जिनसे उसने धमाका किया. धमाके में उसकी मौत हो गई जबकि 12 लोग घायल हुए. इनमें से तीन की हालत गंभीर बनी हुई है.
यह रिफ्यूजी 27 साल का सीरियाई युवक था. एक साल पहले ही उसकी असायलम की अर्जी को नामंजूर किया जा चुका था और उसे अस्थायी तौर पर रहने की इजाजत दी गई थी. रविवार को बवेरिया प्रांत के आंसबाख शहर में वह एक कॉन्सर्ट में प्रवेश चाहता था. आयोजकों ने उसे प्रवेश नहीं करने दिया जिसके बाद उसने गेट पर ही धमाका कर दिया.
देेखें, म्यूनिख हमले की तस्वीरें
म्यूनिख हमले की तस्वीरें
शुक्रवार शाम बवेरिया की राजधानी म्यूनिख में हुए गोलीकांड में दस लोगों की मौत हो गई. बहुत से अन्य घायल भी हुए. घंटों की छानबीन और हमलावरों की खोज के बाद पुलिस ने शहर की नाकेबंदी खत्म कर दी है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Widmann
मॉल कराया गया खाली
हमले की खबर आते ही पुलिस ओलंपिया मॉल पहुंच गई. परिवहन रोक दिया गया और मॉल खाली कराया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Widmann
जान की चिंता
ओलंपिया मॉल में पहली गोली चलने के बाद लोग जान बचाने को भागे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
मदद की अपील
पुलिस ने लोगों से घटनास्थल की तस्वीरें पोस्ट न करने की अपील की. सोशल मीडिया पर निर्देश दिए गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Wolf
हमलावरों की खोज
घंटों की खोज के बाद पुलिस को घटनास्थल के करीब एक लाश मिली. वह हमलावर की थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Balk
रात गुजारने की चिंता
मुख्य रेलवे स्टेशन और रेल यातायात को रोक दिया गया था. जर्मन रेल ने बाद में अतिरिक्त गाड़ियां चलाई.
तस्वीर: Reuters/C. Mang
सैकड़ों सुरक्षाकर्मी
पुलिस के अनुसार म्यूनिख में फायरिंग के बाद 2300 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Widmann
तैयारी
बड़े हमले की आशंका से श्वाबिंग और आसपास के अस्पतालों को सतर्क कर दिया गया था.
तस्वीर: Getty Images/J. Koch
सुनसान स्टेशन
दुनिया भर के पर्यटकों में मशहूर म्यूनिख का मुख्य रेल स्टेशन सुनसान पड़ा था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Hörhager
मेट्रो की सुरक्षा
सुरक्षा के लिए नगर परिवहन को रोका ही नहीं गया, रास्तों पर पुलिस का पहरा बिठा दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Gebert
हमलावर
पुलिस ने संदिग्ध हमलावर की शिनाख्त कर ली है. वह 18 वर्षीय ईरानी मूल का जर्मन है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Widmann
दस की मौत
म्यूनिख में हुए हमले में हमलावर सहित 10 लोगों की मौत हुई. हमलावर ने खुदकुशी कर ली.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Gebert
हथियार
पुलिस के अनुसार अब तक की जानकारी के अनुसार फायरिंग में पिस्तौल का इस्तेमाल हुआ.
तस्वीर: Getty Images/J. Simon
12 तस्वीरें1 | 12
बवेरिया में शुक्रवार को भी एक ईरानी मूल के जर्मन ने हमला किया था. म्यूनिख में हुए इस हमले में हमलावर सहित 10 लोग मारे गए थे. लेकिन अधिकारियों का कहना था कि वह इस्लामिक आतंकवादी हमला नहीं था. हालांकि रविवार को हुए हमले को लेकर अभी असमंजस बना हुआ है. राज्य के गृह मंत्री योआखिम हेरमन ने कहा, "मेरा विचार है कि दुर्भाग्य से यह एक इस्लामिक आत्मघाती हमला हो सकता है."
हमलावर के बारे में मिली जानकारी बताती है कि वह मानसिक रूप से बीमार था. हेरमन ने बताया कि उसका मानसिक रोगों के लिए इलाज चल रहा था और वह एक बार आत्महत्या की कोशिश भी कर चुका था. जब गृह मंत्री से पूछा गया कि क्या हमलावर के संबंध इस्लामिक स्टेट से हो सकते हैं तो उन्होंने कहा कि इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता लेकिन अभी कोई सबूत नहीं मिला है. उन्होंने कहा, "उसकी मंशा और ज्यादा से ज्यादा लोगों को मार डालने की थी जिससे लगता है कि उसका कोई आतंकी संबंध हो सकता है."
लेकिन अधिकारी अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं कि हमलावर की असली मंशा क्या था. आंसबाख में सरकारी प्रवक्ता मिषेल श्रोटबेर्गर ने कहा, "इस वक्त यह सिर्फ अटकलबाजी होगी कि उसका आतंकी संगठन से कोई संबंध था या नहीं." हालांकि इस बात को लेकर सभी स्पष्ट हैं कि यदि हमलावर कॉन्सर्ट के भीतर चला गया होता तो बड़ा नुकसान पहुंचा सकता था.
देखिए, सीरिया से जर्मनी कैसे पहुंचे लोग
जान हथेली पर लिए सीरिया से जर्मनी
सीरिया में युद्ध की भयावहता से बचने के लिए कई सारियाई तमाम खतरों का सामना करते हुए किसी तरह यूरोप पहुंचना चाहते हैं. एक नजर इस खतरनाक यात्रा के मुख्य बिंदुओं पर.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Stache
घर छोड़ने की मजबूरी
2011 से जारी सीरियाई संघर्ष में अब तक 2,40,000 से भी अधिक लोगों की जान जा चुकी है. किसी तरह सीरिया से जान बचा कर भागने कि लिए लोग कोई भी ट्रेन, पैदल या फिर मानव तस्करों तक की मदद ले रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/A.A./M. Rashed
पहला स्टॉप: तुर्की
सीरिया से तुर्की के इज्मीर प्रांत पहुंचने वाले कई लोग वहां हॉस्टलों में रहते हैं. जो इसका खर्च नहीं उठा सकते, वे पार्कों और फुटपाथों पर ही सोने को मजबूर होते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AA/E. Atalay
ग्रीस की ओर
तुर्की छोड़ने के बाद कई रिफ्यूजी ग्रीस की ओर से यूरोप में प्रवेश की कोशिश करते हैं. तस्वीर में दिख रहा एक सीरियाई समूह तुर्की के तटीय इलाके से एक फुलाने वाली छोटी सी नाव में बैठकर ग्रीस के कॉस द्वीप की ओर बढ़ते हुए.
तस्वीर: Reuters/A. Konstantinidis
यूरोप की मुख्यभूमि तक
तस्वीर में एक छोटी सी सीरियाई लड़की कॉस से ग्रीस मुख्यभूमि पर पिरेउस तक जाने वाली फेरी में. दस घंटे की यात्रा के बाद कई रिफ्यूजी उत्तर की ओर बढ़ते हुए ग्रीस और मैसेडोनिया की सीमा और फिर मैसेडोनिया से होते हुए सर्बिया की ओर इस "बाल्कन रूट" पर आगे बढ़ते हैं.
तस्वीर: Getty Images//W. McNamee
सीलबंद सीमाएं
अगस्त में मैसेडोनिया ने शरणार्थियों की बढ़ती तादाद को देखते हुए आपातकाल घोषित कर दिया. सेना को देश की सीमाओं को बंद करने के आदेश दिए गए. तस्वीर में मैसेडोनिया से सर्बिया जाने वाली ट्रेनों में भरे हुए शरणार्थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Licovski
बेलग्रेड में सुस्ताते
सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में कई रिफ्यूजी सार्वजनिक स्थलों पर कुछ समय तक रुक कर सुस्ताते हैं. अंतरराष्ट्रीय आप्रवासन संगठन के आंकड़े दिखाते हैं कि 2015 की शुरुआत से जून के मध्य तक ही करीब 1,60,000 प्रवासियों ने दक्षिण यूरोपीय देशों में कदम रखे हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/T. Brey
सर्बिया के बाद हंगरी बेहाल
हंगरी में गैरकानूनी रूप से सीमा पार करने की कोशिश करने वालों के लिए सजा कड़ी कर दी गई है. ईयू नियमों के अनुसार पकड़े जाने पर ऐसे लोगों का हंगरी में ही रजिस्ट्रेशन करवाया जाना चाहिए, लेकिन रिफ्यूजी आगे जर्मनी तक जाने की कोशिश कर रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/B. Szabo
अप्रत्याशित रोड़ा
हंगरी के बाद अगला पड़ाव ऑस्ट्रिया है, जहां इनको शरण के लिए पंजीकृत किए जाने पर लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरु कर दिया. ऑस्ट्रिया के बिचके स्टेशन पर ऐसे ही एक प्रदर्शन में जर्मनी जाने देने की मांग करती एक रिफ्यूजी बच्ची.
तस्वीर: Reuters/L. Foeger
गर्मजोशी से स्वागत
कई दिनों तक हंगरी में अटके रहने के बाद हजारों रिफ्यूजी ऑस्ट्रिया और जर्मनी तक पहुंच रहे हैं. जर्मन शहर म्यूनिख में तो कई जर्मन एक बेहद मुश्किल यात्रा के बाद जर्मनी पहुंचने पर रिफ्यूजी दल के स्वागत के लिए पहुंच रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/N. Armer
अब आगे क्या?
जर्मन राजनीतिज्ञ बड़ी संख्या में जर्मनी पहुंचने वाले रिफ्यूजी को शरण देने संबंधी व्यवस्था और खर्च का हिसाब लगाने में व्यस्त हैं. केवल सीरिया से भागने वालों के लिए ही नहीं बल्कि उन्हें शरण देने वालों के सामने भी एक बड़ी चुनौती है.
तस्वीर: Getty Images/A. Beier
10 तस्वीरें1 | 10
जर्मनी में पिछले एक साल में लगभग 11 लाख प्रवासियों को प्रवेश मिला है. इस नीति को लेकर चांसलर अंगेला मैर्केल को विरोध भी झेलना पड़ा है लेकिन उन्होंने पूरी सख्ती के साथ इस विरोध का सामना किया है. लेकिन एक के बाद एक प्रवासियों के लगातार हमलों के बाद आलोचकों की आवाज तेज होती जा रही है. म्यूनिख हमले के बाद तो बवरेयिाई गृह मंत्री ने ऐसे हमलों के वक्त सेना की तैनाती की अपील की है. जर्मनी के कानून के मुताबिक देश में किसी जगह पर सेना तभी तैनात की जा सकती है जबकि कोई राष्ट्रीय आपातकाल हो. हेरमन इस स्थिति की तुलना आपातकाल से कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सेना की तैनाती का कानून पुराना पड़ चुका है और जर्मन लोगों को अपनी सुरक्षा का अधिकार है.
इसी साल जनवरी में आंसबाख शहर में एक कार्यक्रम शुरू किया गया था जिसके तहत प्रवासियों को जर्मनी के कानूनों की सामान्य जानकारी दी जा रही थी. देश में यह बहस लगातार जारी है कि इतनी बड़ी तादाद में आए प्रवासियों का समेकन कैसे होगा. इसी मकसद से उन्हें देश के कानून की जानकारी देने की योजना बनाई गई थी. कक्षाओं में लोगों को अपनी राय जाहिर करने की आजादी, धर्म और राज्य के अलग-अलग वजूद और महिलाओं और पुरुषों को बराबर के अधिकार जैसी बातें सिखाई गई थीं. इस दौरान एक फिल्म भी दिखाई गई थी जिसमें कहा गया, "जर्मनी एक आकर्षक देश है क्योंकि यहां हर इंसान का सम्मान होता है. और इसे ऐसा ही बनाए रखना है."