चीन ने फरवरी में बीजिंग में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक खेलों के बबल को "सील" कर दिया है. इस तरह खेलों के स्थलों, यातायात और स्टाफ के लिए महामारी के इस युग के सबसे कड़ाई वाले खेल कार्यक्रम के आयोजन की तैयारी शुरू हो गई.
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चार से 20 फरवरी तक चलने वाले ओलंपिक खेल और उसके बाद होने वाले पैरालंपिक खेलों को लेकर चीन ने जीरो-टॉलरेंस रणनीति अपनाई है ताकि खेलों पर महामारी के संभावित असर को नियंत्रित रखा जा सके.
खेलों से जुड़े हजारों स्टाफ, वालंटियरों, सफाई कर्मियों, रसोइयों और ड्राइवरों को एक "क्लोज्ड लूप" में डाल दिया गया है जिसके तहत हफ्तों तक बाहर की दुनिया के साथ उनका कोई भी सीधा संपर्क नहीं होगा.
सख्त नियम
ये तैयारी कोविड की वजह से देर से हुए टोक्यो ओलंपिक खेलों से अलग है, जिसमें वालंटियरों और दूसरे कर्मियों के लिए थोड़ी आवाजाही की अनुमति थी. उम्मीद है कि अगले कुछ ही दिनों में दुनिया भर के मीडियाकर्मी और लगभग 3,000 खिलाड़ी बीजिंग में आना शुरू हो जाएंगे.
वे सब भी देश में कदम रखने से लेकर वहां से निकलने तक इसी बबल में रहेंगे. बबल में प्रवेश करने के लिए पूर्ण टीकाकरण अनिवार्य है. अगर टीका नहीं लिया है तो देश में आते ही 21 दिनों तक क्वारंटाइन रहना होगा.
बबल के अंदर भी रोज सबकी जांच होगी और हर समय मास्क पहने रहना होगा. पिछले सप्ताह खेलों की आयोजन समिति के मीडिया विभाग के प्रमुख शाओ वेडोंग ने कहा था कि बीजिंग "पूरी तरह से तैयार है."
अप्रैल तक रह सकता है बबल
उन्होंने बताया था कि, "होटल, यातायात, आवास और विज्ञान और टेक्नोलॉजी से चलने वाले हमारे शीतकालीन ओलंपिक के सभी प्रोजेक्ट तैयार हैं." इस क्लोज्ड लूप में प्रशंसक शामिल नहीं होंगे और आयोजकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वो खिलाड़ियों और बबल के अंदर रहने वाले दूसरे लोगों के साथ मिले जुले नहीं.
चीन में रहने वाले लोगों को भी बबल से निकलने के बाद घर पर क्वारंटाइन रहना होगा. बबल के अंदर खेलों के स्थलों के बीच यातायात की भी व्यवस्था है. "क्लोज्ड लूप" में चलने वाली तेज ट्रेनें भी उपलब्ध रहेंगी जो आम लोगों के लिए उपलब्ध ट्रेनों के साथ साथ चलेंगी.
बबल मार्च के अंत तक लागू रहेगा और संभव है की अप्रैल की शुरुआत तक भी लागू रहेगा. स्थलों के बाहर कड़ाके की ठण्ड में कर्मियों को बिजली की तारों वाली बाड़ लगाते हुए और सुरक्षाकर्मियों को पहरा देते देखा गया.
अधिकांश स्थल बीजिंग के बाहर स्थित हैं. लेकिन चीन में रहने वाले विदेशी राजदूतों ने बताया कि ये कदम इतने अभेद्य लग रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें चिंता है कि वो बबल के अंदर उनके देश के नागरिकों को जरूरी मदद नहीं पहुंचा पाएंगे.
सीके/एए (एएफपी)
इन 13 देशों के साथ है भारत का "एयर बबल"
कोरोना महामारी शुरू होने के महीनों बाद भी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद पड़ी हैं. भारत ने 13 देशों के साथ समझौता किया है. भारत और इन देशों के बीच कुछ सीमित उड़ानें चल रही हैं. सूची में और देशों को जोड़ने पर बात चल रही है.
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क्या होता है एयर बबल?
एयर बबल बनाने का मकसद किन्ही दो देशों में अटके वहां के नागरिकों को सुरक्षित वापस लाना होता है. अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस के साथ जुलाई से ही भारत ने एयर बबल शुरू कर दिया था.
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वंदे भारत मिशन
कोरोना महामारी शुरू होने पर उन लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा जिनका वीजा खत्म हो रहा था या जिन्हें नौकरी या पढ़ाई के लिए दूसरे देश में जाना था. शुरू में वंदे भारत मिशन के तहत भारत ने कुछ स्पेशल उड़ानें चलाईं और दुनिया भर से भारतीयों को देश वापस लाया गया. फिर धीरे धीरे एयर बबल की शुरुआत हुई.
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ठोस वजह जरूरी
वंदे भारत मिशन से अलग एयर बबल के तहत एक व्यक्ति किसी देश में जा कर वहां से लौट भी सकता है. इसके तहत नियमित रूप से उड़ानें चल रही हैं लेकिन यात्री को ठोस वजह देने के बाद ही सफर की अनुमति मिलती है.
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यूं हुई शुरुआत
कोरोना काल में यूरोप के तीन छोटे छोटे बाल्टिक देशों - एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया ने सबसे पहले एयर बबल बनाए थे. इसकी सफलता के बाद बाकी देशों ने भी ऐसा करना शुरू किया.
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कौन से हैं 13 देश?
अमेरिका, जापान, कनाडा, कतर, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, इराक, नाइजीरिया, बहरीन. इन 13 देशों के साथ भारत ने एयर बबल समझौता किया है.
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लुफ्थांसा के साथ विवाद
जर्मनी की लुफ्थांसा एयरलाइंस ने भारत और जर्मनी के बीच उड़ान भरने से मना कर दिया है. उसका आरोप है कि उसे तय उड़ानें नहीं भरने दी जा रही हैं, जबकि भारत का कहना है कि एयर इंडिया की तीन से चार उड़ानों की तुलना में लुफ्थांसा हफ्ते में 20 उड़ानें भर रहा था.
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कौन जा सकता है?
मौजूदा समझौते के तहत भारतीय नागरिक, ओसीआई कार्ड होल्डर और भारत का वीजा रखने वाले विदेशी भारत आ सकते हैं. इसी तरह भारत में रहने वाले विदेशी नागरिक या उस देश का वीजा रखने वाले भारतीय भी यात्रा कर सकते हैं.
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क्वॉरंटीन जरूरी
भारत पहुंचने पर यात्रियों को 14 दिन का क्वॉरंटीन करना अनिवार्य है. इसमें 7 दिन सरकार द्वारा निर्धारित जगह पर और 7 दिन घर में क्वॉरंटीन किया जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति ने यात्रा से 96 घंटे पहले तक अपना कोविड टेस्ट कराया हो, तो वह क्वॉरंटीन से बच सकता है. इस तरह की उड़ानों में एयर हॉस्टेस आपको खाना देने या सामान बेचने के लिए नहीं आती हैं.
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व्यापार को फायदा
जहां जुलाई से अक्टूबर के बीच गर्मियों के मौसम में भारत से बड़ी संख्या में लोग यूरोप घूमने आया करते थे, वहीं इस साल टूरिज्म उद्योग बिलकुल ही ठप रहा. एयर बबल समझौते देशों के लिए व्यापार और कुछ हद तक टूरिज्म के दरवाजे भी खोलते हैं जिन पर कोरोना महामारी के कारण काफी बुरा असर हुआ है.
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और 13 देश मुमकिन
इस वक्त कुल 13 देशों के साथ एयर बबल चल रहे हैं लेकिन 13 और देशों के साथ भी बात चल रही है. इनमें इटली, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इस्राएल, कीनिया, फिलीपींस, रूस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड शामिल हैं.