बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन बना ली है जो मानव-मूत्र को पेयजल में बदल सकती है. इस प्रक्रिया में उर्वरक भी बनते हैं जो कि विकासशील देशों के लिए बहुत उपयोगी होगी.
विज्ञापन
गंदे पानी को साफ करने के कितने ही तरीके आज तक विकसित किए जा चुके हैं. लेकिन एक बेल्जियन यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों के दल ने सौर ऊर्जा और एक खास तरह की झिल्ली के इस्तेमाल से बेहद किफायती और उपयोगी मशीन बनाई है. यूनिवर्सिटी ऑफ गेंट में लगाई गई इस मशीन के नतीजे उत्साहजनक हैं. इन्हें दुनिया भर के ग्रामीण इलाकों में या ऐसी जगहों पर भी लगाया जा सकेगा जहां बिजली की समस्या है.
यूनिवर्सिटी ऑफ गेंट में रिसर्चर सेबास्टियन डेरेसे ने बताया, "हमने एक सरल से तरीके और सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर मूत्र से उर्वरक और पीने का पानी अलग किया." मूत्र को एक बड़े टैंक में इकट्ठा किया जाता है, फिर सोलर पावर से चलने वाले बॉयलर में उबाला जाता है. इसके बाद पूरे द्रव को खास झिल्ली से गुजरा जाता है, जहां से पोटैशियम, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व और पानी अलग कर लिए जाते हैं.
सेहत के कई सुराग मूत्र की जांच में मिलते हैं. मूत्र का रंग, गंध और उसकी प्रक्रिया इस बात के कई सुराग देती है कि शरीर में क्या हो रहा है.
डॉक्टर को दिखाएं, अगर...
सेहत के कई सुराग मूत्र की जांच में मिलते हैं. मूत्र का रंग, गंध और उसकी प्रक्रिया इस बात के कई सुराग देती है कि शरीर में क्या हो रहा है.
तस्वीर: Fotolia/Nikola Bilic
मीठी गंध
इसका आपके मीठा खाने से कोई लेना देना नहीं है. डायबिटीज विशेषज्ञ डॉक्टर हॉली फिलिप्स के मुताबिक, "मीठी सी गंध छोड़ने वाला मूत्र अक्सर डायबिटीज की पहचान में अहम होता है." रक्त में शुगर का लेवल ठीक न होने पर मूत्र से ऐसी गंध आ सकती है.
तस्वीर: Elena Schweitzer - Fotolia.com
पारदर्शी न होना
यह यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का संकेत हो सकता है. असामान्य रंग बैक्टीरिया और श्वेत रंग कोशिकाओं के चलते हो सकता है. हो सकता है कि आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन न हो और आप स्वस्थ भी महसूस कर रहे हों, लेकिन मूत्र के रंग में बदलाव को नजरअंदाज न करें.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
लाल रंग
आम तौर पर बहुत ज्यादा तरबूज या लाल रंग के दूसरे फल खाने से ऐसा होता है. लेकिन रंग अगर बहुत ज्यादा लाल हो तो ध्यान दें, मूत्र में खून भी हो सकता है. यह यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, किडनी में पथरी या कैंसर का संकेत भी हो सकता है.
तस्वीर: Fotolia/Africa Studio
बहुत ज्यादा दुर्गंध
मूत्र से आम तौर पर दुर्गंध आती है लेकिन अगर दुर्गंध बहुत ही तीखी हो और सड़े खाने जैसी हो तो मूत्राशय में संक्रमण का संकेत हो सकता है.
तस्वीर: Jörg Beuge/Fotolia
मूत्र के साथ जलन
कई लोगों को लगता है कि ऐसा ज्यादा मिर्च खाने से होता है. आम तौर पर ऐसा शरीर में पानी की कमी से होता है. लेकिन अगर पर्याप्त पानी पीने के बाद भी पेशाब करने पर जलन बरकरार रहे तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है.
तस्वीर: Fotolia/sommai
पेशाब करने में बाधा
यह यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का आम संकेत है. इसका सबसे आम संकेत है हर वक्त पेशाब करते वक्त जलन होना, पेशाब रुक रुककर होना या बार बार पेशाब करने की इच्छा होना. 60 साल की उम्र के बाद पुरुषों में प्रोस्टेट बढ़ने से भी ऐसा होता है. ऐसे में डॉक्टर से जरूर मशविरा लें.
तस्वीर: AP Graphics
बार बार पेशाब लगना
महिलाओं में यह गर्भ धारण के शुरुआती संकेत हैं. हॉर्मनों में बदलाव के चलते गुर्दों से खून का प्रवाह बढ़ जाता है. बहुत ज्यादा कैफीन या अल्कोहल की वजह से भी ऐसा होता है. अगर लंबे वक्त तक हर दिन कई बार पेशाब लगे तो डॉक्टर से संपर्क करें, यह डायबिटीज या ट्यूमर का संकेत भी हो सकता है.
तस्वीर: Fotolia/Nikola Bilic
7 तस्वीरें1 | 7
#peeforscience के नारे के साथ इस टीम ने सेंट्रल गेंट में आयोजित हुए 10 दिन के संगीत और थियेटर कार्यक्रम में इस तकनीक को टेस्ट किया. यहां से इकट्ठा हुए लोगों के मूत्र से 1,000 लीटर पानी बनाया गया.
भविष्य में खेल के आयोजनों और हवाईअड्डों में इन मशीनों के बड़े संस्करण लगाए जाने की योजना है. इसके अलावा विकासशील देशों और दुनिया भर के ग्रामीण इलाकों में भी इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा, जहां पीने का साफ पानी नहीं मिलता. फिलहाल बेल्जियम में तो इस पानी से यहां की मशहूर बीयर बनाई जा रही है. रिसर्चर डेरेसे इसे "सीवर से ब्रूअर तक" का सफर कहते हैं.
जानिए दुनिया भर की ऊर्जा की जरूरतें पूरा करने में सक्षम कुछ नए और अनोखे ऊर्जा स्रोतों और तरीकों के बारे में...
ऊर्जा के नए स्रोतों की खोज
जानिए दुनिया भर की ऊर्जा की जरूरतें पूरा करने में सक्षम कुछ नए और अनोखे ऊर्जा स्रोतों और तरीकों के बारे में...
तस्वीर: Wattway/COLAS/Joachim Bertrand
मल मूत्र
रिसर्चर मनुष्य के मल-मूत्र से ऊर्जा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इससे ना केवल सैनिटेशन और हाइजीन की समस्या कम होगी, बल्कि बढ़ती आबादी की ऊर्जा की जरूरतें भी पूरी होंगी.
तस्वीर: Imago
शैवाल की खेती
आइडिया अभी प्रारंभिक अवस्था में है लेकिन वैज्ञानिकों को इसमें काफी संभावना दिख रही है. माइक्रोएल्गी की खेती बायोफ्यूल का एक स्थाई और सुरक्षित स्रोत साबित हो सकती है. बड़े माइक्रोएल्गी फार्म में सूर्य की किरणें और कार्बनडाइ ऑक्साइड मिलकर बायो-इथेनॉल बनाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/MAXPPP
हवा की शक्ति
मोया, एक हल्की और लचीली परत होती है जो काफी हल्की हवा से भी ऊर्जा पैदा करने में सक्षम है. दक्षिण अफ्रीका में इसकी खोज करने वाले शारलॉटे स्लिंग्सबी इसके कहीं भी आसानी से लगाए जा सकने वाले पर्दे बनाना चाहते हैं. बड़ी पवन चक्कियों की तरह इससे चिड़ियों या चमगादड़ों को भी नुकसान नहीं है.
तस्वीर: Charlotte Slingsby
नारियल से कोयला
दुनिया के कई हिस्सों में लकड़ी जला कर ऊर्जा ली जाती है, जिससे जंगल खत्म हो रहे हैं. नारियल के खोल और भूसे के इस्तेमाल से केन्या, कंबोडिया जैसे देशों में इस समस्या का स्थाई समाधान किया जा सकता है. यह लकड़ी के चारकोल से लंबा जलता है, उससे सस्ता है और नारियल के कचरे का इस्तेमाल भी हो जाता है.
तस्वीर: Imago/fotoimedia
मछली का कचरा
मछली की फैक्ट्रियों में हर दिन ढेर सारा कचरा निकलता है. इसमें स्केल, हड्डियों के अलावा वसा की भी भारी मात्रा होती है. इन चीजों से बायोडीजल बनाने का आइडिया है. ब्राजील, होंडुरास और वियतनाम जैसे कई देश कई सालों से ऐसे प्रयोग कर भी रहे हैं. इस तकनीक को सस्ता बनाने पर काम किया जाना है.
तस्वीर: AP
विंड ट्री
एक अनोखा फ्रेंच आइडिया है विंड ट्री. इसमें प्रकृति की नकल कर ऊर्जा पैदा करने की कोशिश है. जेरोमी मिकाउड-लारिविएर को पेड़ पर पत्तों को हवा से फड़फड़ाते देख इसका खयाल आया. उन्होंने पत्तियों की जगह 72 मिनि-टर्बाइनों वाली एक पेड़ जैसी संरचना बनाई. इससे इलेक्ट्रिक कार चार्ज हो सकती है, या 15 स्ट्रीट लाइटें जलाई जा सकती हैं.
तस्वीर: NewWind
कदमों में शक्ति
आप जितने कदम चलें उतनी ही ऊर्जा पैदा हो, डांस फ्लोर, फुटबॉल मैदानों या ट्रेन स्टेशनों पर ऐसी एक समार्ट सतह हो तो. इस आइडिया से कम वोल्टेज वाली लाइटें जलाया या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चार्ज किया जा सकता है. बस कदमताल शुरु करनी है.
तस्वीर: Daan Roosegaarde
ऑलिव के फायदे
खाने में बहुत पसंद किए जाने वाले ऑलिव से तेल निकालने के बाद भी बायोफ्यूल बनाया जा सकता है. इससे जितना तेल निकलता है, उसका करीब चार गुना कचरा भी. फेनोलिव प्रोजेक्ट इस कचरे से बिजली और गर्मी पैदा करने का अभियान है.
तस्वीर: Fotolia/hiphoto39
सरसों के अवशेष
कई विकासशील देशों में लगभग रोज बिजली की कटौती होती है. सरसों जैसे पौधों के तने और पत्तियों को जलाने से हजारों ग्रामीण घरों की बिजली की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा. राख को भी खेत में उर्वरक के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.
तस्वीर: DW
सोलर रोड वे
नीदरलैंड्स में 70 मीटर लंबी सोलर सड़क बनाई जा चुकी है और फ्रांस तो 1,000 किलोमीटर लंबी सड़क को ऐसा बनाने जा रहा है. खास डिजाइन वाले फोटोवोल्टेइक सोलर सेल के पैनल लगी यह सड़क पांच साल में बन कर तैयार होनी है.