बेल्जियम की सरकार ने फैसला किया है कि 2025 तक देश के सभी सातों परमाणु रिएक्टर बंद कर दिए जाएंगे. हालांकि देश पूरी तरह से परमाणु ऊर्जा को अलविदा नहीं कहेगा. आधुनिक परमाणु टेक्नोलॉजी पर काम चलता रहेगा.
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इस विषय पर बेल्जियम की गठबंधन सरकार के सदस्य दलों में पूरी रात चली बातचीत के बाद सहमति बनी. समझौते के अनुसार "छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर करीब 10 करोड़ यूरो का निवेश" भी किया जाएगा.
देश में 2003 में ही एक कानून बना दिया गया था जिसके तहत परमाणु ऊर्जा को धीरे धीरे पूरी तरह से बंद करना अनिवार्य है. इसकी अंतिम तिथि साल 2025 है. अक्टूबर 2020 में जब मौजूदा सात पार्टियों की मिली जुली सरकार का कार्यकाल शुरू हुआ था तब भी सरकार ने इस लक्ष्य को हासिल करने का वादा किया था.
परमाणु ऊर्जा को पूरी तरह से ना नहीं
लेकिन इस मुद्दे पर अभी तक गठबंधन में सहमति नहीं बन पाई थी. फ्लेमिश मूल के ग्रीन पार्टी के ऊर्जा मंत्री टिन वान डर स्ट्रैटेन ने पूरी तरह से परमाणु ऊर्जा का दामान छोड़ देने का सुझाव दिया था लेकिन फ्रांसीसी भाषा बोलने वाली लिबरल एमआर पार्टी के सदस्यों ने उनका समर्थन नहीं किया.
एमआर पार्टी का कहना था कि बेल्जियम की परमाणु क्षमता में से कुछ को बाकी रखना चाहिए क्योंकि ऊर्जा की सप्लाई सुनिश्चित रखने के लिए गैस से चलने वाले जिन संयंत्रों की योजना बनाई गई है उनसे बहुत प्रदूषण होगा.
सरकारी मीडिया आरटीबीएफ के अनुसार "अक्षय और कार्बन-तटस्थ ऊर्जाओं" में निवेश करने पर सहमति बनी है. इनमें नई पीढ़ी की परमाणु ऊर्जा भी शामिल है. सरकार के एक सूत्र ने बताया कि इस टेक्नोलॉजी में निवेश करने का बजट तैयार भी कर लिया गया है.
यूरोपीय संघ में भी सहमति का इंतजार
बेल्जियम में दो परमाणु संयंत्र हैं जिनमें कुल सात रिऐक्टर हैं. इन्हें फ्रांस की कंपनी एनजी चलाती है. नए समझौते के बाद बेल्जियम की सरकार को अभी भी यह सोचना बाकी है कि ऊर्जा की सप्लाई में जो कमी आएगी उसे कैसे पूरा किया जाएगा. हो सकता है इस पर फैसला मार्च से पहले ना आए.
परमाणु ऊर्जा को लेकर यूरोपीय संघ के बाकी सदस्य देशों में भी मत विभाजन है. परमाणु और प्राकृतिक गैस को निवेश के योग्य ऊर्जा के सस्टेनेबल स्रोतों की संघ की सूची में शामिल किया जाए या नहीं, इसे लेकर संघ में गहन चर्चा चल रही है.
यूरोपीय संघ की "टैक्सोनौमी" कही जाने वाली इस सूची का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल स्रोतों का प्रोत्साहन करना और एक कार्बन तटस्थ भविष्य की तरफ बदलाव को आसान करना है.
आंतरिक बाजार आयुक्त थिएरी ब्रेटन ने सोमवार 20 दिसंबर को कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि जनवरी में जब यह सूची पेश की जाएगी तब इसमें परमाणु ऊर्जा और प्राकृतिक गैस भी शामिल होंगे. लेकिन आलोचकों का कहना है कि परमाणु ऊर्जा जलवायु अनुकूल नहीं है और उसे धीरे धीरे अलविदा कहते हुए दूसरे स्रोतों का इस्तेमाल करना चाहिए.
सीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)
जर्मनी में परमाणु विवाद के पांच दशक
जर्मनी में परमाणु ऊर्जा को लेकर पांच दशक से विवाद चल रहा है. इन सालों में जर्मनी ने परमाणु बिजली घरों की हिमायत से लेकर उसे पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया है. एक नजर इस विवाद के पड़ावों पर.
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1977
लोअर सेक्सनी प्रांत के मुख्यमंत्री एर्न्स्ट अलब्रेष्ट ने गोरलेबेन में परमाणु कचरे के भंडारण के लिए सेंट्रल स्टोरेज बनाने की घोषणा की. कुछ ही हफ्तों के भीतर इसका विरोध शुरू हो गया. इसी विरोध से शुरू हुए आंदोलन से बाद में ग्रीन पार्टी का जन्म हुआ.
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1979
गोरलेबेन में परमाणु कचरे के लिए सेंट्रल स्टोरेज बनाने का इतना विरोध हुआ कि सरकार ने ये फैसला तो वापस ले लिया लेकिन वहां अंतिम भंडार बनाने की जांच करने पर सरकार अड़ी रही. उसी साल इस पर आरंभिक काम शुरू हो गया.
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1980
परमाणु ऊर्जा के हजारों विरोधियों ने गोलवेबेन के निकट फ्री रिपब्लिक ऑफ वेंडलंड बनाने की घोषणा की और वहां झोपड़ियों वाला एक गांव बनाया. ये गांव पर्यावरण सुरक्षा आंदोलन का आदर्श बन गया. एक महीने बाद ही पुलिस ने लोगों को हटा दिया और गांव को गिरा दिया.
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1983
अक्टूबर 1983 में जर्मन सरकार ने गोरलेबेन में नमक वाले खान में भूमिगत हिस्से की जांच को सहमति दे दी. 1984 में पहली बार स्टाडे के परमाणु बिजलीघर से परमाणु कचरे को गोरलेबेन के स्टोर में ले जाया गया. उसी के साथ परमाणु विरोधियों का उसे रोकने का आंदोलन भी.
तस्वीर: AP
1995
अप्रैल 1995 में अत्यंत रेडियोधर्मी परमाणु कचरे का परमाणु बिजलीघर फिलिप्सबुर्ग से पहली बार कास्टर ट्रांसपोर्ट शुरू हुआ. हजारों लोगों ने इसका विरोध किया, रेल लाइन पर हमले हुए, सड़कों को जाम किया गया. कास्टर ट्रांसपोर्ट की सुरक्षा के लिए हुई पुलिस कार्रवाई जर्मनी में तब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई थी.
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2000
1998 के चुनाव के बाद पहली बार जर्मनी में ऐसी सरकार बनी जिसमें ग्रीन पार्टी शामिल थी. पर्यावरण मंत्रालय उसी के पास था. 2000 में सरकार और परमाणु बिजलीघरों के बीच में उन्हें बंद करने का समझौता हुआ. साथ ही गोरलेबेन में स्टोर बनाने के लिए भूमिगत जांच को दस साल तक बंद रखने का फैसला हुआ.
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2009
सीडीयू और एफडीपी की तत्कालीन जर्मन सरकार ने गोरलेबेन में जांच के दस साल से रुके काम को फिर से शुरू करने का फैसला किया. 2010 में ये काम शुरू हुआ लेकिन बीच बीच में रुका रहा. पिछली सरकार के फैसले को बदलने के कारण देश में तीखी बहस भी चलती रही.
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2011
इस साल जापान में अचानक फुकुशिमा परमाणु बिजलीघर में दुर्घटना हुई. जर्मनी में दुर्घटना की स्थिति में कोई सुरक्षा ना होने की बहस और बढ़ गई. अंगेला मैर्केल की सरकार ने फौरन परमाणु बिजलीघरों को बंद करने का फैसला लिया. केंद्र और राज्य सरकारों ने देश भर में परमाणु कचरे का अंतिम भंडार खोजने का फैसला किया.
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2017
सालों के विवाद के बाद जर्मन संसद ने परमाणु कचरे के लिए अंतिम भंडार कानून पास कर दिया. इसके तहत एक ठिकाने की तलाश के लिए एक संस्था बनाई गई. उसने जो अंतरिम रिपोर्ट दी है उसमें 90 ठिकानों के नाम हैं. गोरलेबेन को इस सूची से बाहर रखा गया है. इसके साथ पांच दशक पुराने विवाद का अंत हो गया है.