क्या है नया गाजा संघर्षविराम योजना, जिससे हमास असहमत
३० मई २०२५
गाजा में एक साल से ज्यादा से जारी युद्ध को रोकने के लिए एक नई योजना बनी, उसे अमेरिका ने पेश किया, इस्राएल ने समर्थन दिया, और फिर हमास ने उस पर सहमति नहीं जताई है. इस एक पंक्ति में बहुत कुछ छिपा है, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की थकावट, असहमत पक्षों की जिद और लाखों आम लोगों की असहाय पीड़ा.
यह नई योजना अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की सीधी गारंटी में तैयार हुई थी और इसमें 60 दिनों के युद्धविराम की बात थी. प्रस्ताव के तहत हमास पहले सप्ताह में 28 इस्राएली बंधकों को छोड़ता, जिनमें से कुछ जीवित हैं और कुछ मृत. इसके बदले में इस्राएल 125 फलीस्तीनी कैदियों को रिहा करता, साथ ही 180 मृत फलीस्तीनी नागरिकों के शव लौटाता. इस दौरान गाजा में प्रतिदिन सैकड़ों राहत ट्रकों को जाने की अनुमति मिलती. बाद के चरण में, स्थायी युद्धविराम लागू होने पर बाकी बंधकों की रिहाई की बात होती.
व्हाइट हाउस ने गुरुवार को एलान किया कि इस्राएल इस प्रस्ताव को "पूरी तरह समर्थन" दे रहा है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा, "इस्राएल ने इस नए अमेरिकी प्रस्ताव को मंजूरी और समर्थन दिया है.” लेकिन हमास ने एक बार फिर इस प्रस्ताव को नकार दिया.
हमास क्यों नहीं माना?
हमास की प्रतिक्रिया तीखी थी. वरिष्ठ नेता बासिम नईम ने कहा कि यह योजना "कब्जे को बनाए रखने और युद्ध और भूख को जारी रखने की मंशा रखती है." उनका कहना था कि प्रस्ताव में गाजा के लोगों की बुनियादी मांगें, जैसे युद्ध का अंत, सेना की वापसी, और स्थायी शांति को नजरअंदाज किया गया है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमास "राष्ट्रीय जिम्मेदारी" के तहत प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है, लेकिन संकेत स्पष्ट थे कि संगठन इसे मंजूर नहीं करेगा.
हमास के वरिष्ठ अधिकारी बासिम नईम ने एसोसिएटेड प्रेस से कहा, "जायनिस्ट प्रतिक्रिया का असल मतलब है कब्जे को बनाए रखना और हत्या व अकाल को जारी रखना. यह हमारे लोगों की किसी भी मांग को पूरा नहीं करता, जिनमें सबसे अहम है, युद्ध और भूख को रोकना."
हमास ने यह भी दोहराया कि वह अंतिम बंधकों की रिहाई तभी करेगा जब एक स्थायी संघर्षविराम लागू हो, इस्राएली सेना गाजा से पूरी तरह से हटे और बड़ी संख्या में फलीस्तीनी कैदियों को रिहा किया जाए. साथ ही वह सत्ता एक स्वतंत्र फलीस्तीनी समिति को सौंपने की बात करता है, जो पुनर्निर्माण की निगरानी कर सके.
उधर, इस्राएली प्रधानमंत्री नेतन्याहू का रुख पहले जैसा ही है कि सभी बंधकों की रिहाई, हमास का पूर्ण निरस्त्रीकरण, और गाजा पर इस्राएली नियंत्रण. उन्होंने यह भी कहा है कि गाजा के कुछ हिस्सों से "स्वैच्छिक पलायन" को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अवैध माना है. इस बीच अमेरिका, मिस्र और कतर की मध्यस्थता से कई महीनों से चल रही वार्ताएं एक बार फिर ठहर गई हैं.
क्या कोई समाधान बचा है?
इस युद्ध की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को हमास के उस हमले से हुई थी जिसमें 1,200 से ज्यादा इस्राएली नागरिक मारे गए और 251 को बंधक बना लिया गया. जवाब में इस्राएल ने गाजा पर व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया. आज, गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 54,000 से अधिक फलीस्तीनी मारे जा चुके हैं. इनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं. लगभग 90 फीसदी आबादी विस्थापित है और लाखों लोग तंबुओं और अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं.
हमास अपने कई शीर्ष नेताओं को खो चुका है, उसका सैन्य ढांचा भी काफी हद तक टूट चुका है. लेकिन वह अपने पास बचे बंधकों को अंतिम सौदेबाजी की शक्ति के रूप में देखता है. वह मानता है कि यदि वह अभी सभी बंधकों को छोड़ देता है, तो इस्राएल फिर से हमला कर के उसे पूरी तरह समाप्त कर देगा.
दूसरी ओर, इस्राएल को आशंका है कि अगर अभी युद्ध रोक दिया गया, तो हमास धीरे-धीरे फिर से ताकतवर हो सकता है और एक और 7 अक्टूबर जैसी घटना दोहरा सकता है. प्रधानमंत्री नेतन्याहू की दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार भी उनके ऊपर दबाव डाल रही है कि वह युद्ध जल्द न रोके, नहीं तो उनकी सत्ता भी खतरे में पड़ सकती है. साथ ही, नेतन्याहू के खिलाफ पुराने भ्रष्टाचार मामलों की जांच भी रुकी हुई है, जो सत्ता से हटते ही फिर से शुरू हो सकती है. यूरोप और अन्य अंतरराष्ट्रीय पक्ष भी इस्राएल पर दबाव बना रहे हैं.
इन दोनों पक्षों की रणनीतिक गणनाओं के बीच, आम फलीस्तीनी सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं. गाजा में अस्पतालों की कमी है, खाना नहीं है, और राहत सामग्री सीमित है. बच्चे स्कूलों में नहीं, टेंटों में हैं. और हर दिन मौत और भूख की खबरें सामने आ रही हैं. शांति की हर योजना किसी न किसी ‘शर्त' के आगे दम तोड़ती है. इस बार भी वही हुआ.