पोलैंड में एलजीबीटी समुदाय के लोगों के खिलाफ घृणा अपराध चरम पर है. दक्षिणपंथी नेताओं के निशाने पर समुदाय के लोग हैं. ऐसे में वे बर्लिन को सुरक्षित ठिकाना मानकर यहां रहना पसंद कर रहे हैं.
विज्ञापन
जब रूढ़िवादी नेताओं ने अपने भाषणों में एलजीबीटी समुदायों को निशाना बना शुरू किया तो पश्चिमी पोलैंड के एक समलैंगिक व्यक्ति पिओत्र कालवारिषकी ने फैसला किया अब देश छोड़ने का वक्त आ गया है. साल 2019 के यूरोपीय संसद चुनाव के हफ्तों बाद कालवारिषकी और उनके पार्टनर पॉज्नान शहर छोड़कर बर्लिन आ गए. उन्होंने अपने देश में बढ़ते होमोफोबिया के कारण बर्लिन में बसने का फैसला किया. कई और एलजीबीटी सदस्य हैं जो बर्लिन को अपने शहरों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित मानते हैं और यहीं पनाह ले रहे हैं.
बर्लिन को मानते हैं सुरक्षित
टेक कंपनी में काम करने वाले 27 साल के कालवारिषकी कहते हैं, "यह पहली बार था जब नेता खुले तौर पर समलैंगिकता विरोधी बयान दे रहे थे. मुझे पता था कि पोलैंड समलैंगिक मित्र देश नहीं है, फिर भी आप बड़े शहरों में समलैंगिक हो सकते हैं. लेकिन यह बहुत ज्यादा हो रहा था."
आइएलजीए-यूरोप समर्थन समूह के मुताबिक एलजीबीटी+ लोगों के लिए कानूनी सुरक्षा के मामले में पोलैंड 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ में सबसे नीचे है. देश भर में दर्जनों स्थानीय अधिकारियों ने तथाकथित "एलजीबीटी विचारधारा मुक्त" घोषणाएं जारी की हैं, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई और यूरोपीय संघ के वित्त पोषण तक पहुंच खोने का खतरा पैदा हुआ.
विज्ञापन
निशाने पर एलजीबीटी समुदाय
देश की सत्ताधारी कंजर्वेटिव 'लॉ एंड जस्टिस' पार्टी के कार्यकाल में समलैंगिक, उभयलिंगी और ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों पर दबाव बढ़ता गया और पिछले चुनाव में तो उन पर दबाव और बढ़ गया. गैर-बाइनरी न तो पुरुष और न ही खुद को महिला बताने वाले 26 वर्षीय फिफी कुन्सविक्ज के मुताबिक, "दक्षिणपंथी पार्टी के लिए एलजीबीटी+ लोग एक विचारधारा हैं. हम इंसान नहीं है. हम सामान्य नहीं हैं. उन्होंने हमें जनता का दुश्मन बना दिया है."
कुन्सविक्ज साल 2019 में बर्लिन आने के बाद खुद को ज्यादा सुरक्षित मानते हैं. सोशल मीडिया कंपनी में काम करने वाले कुन्सविक्ज कहते हैं, "मैं यहां पोलैंड की तुलना में अधिक सुरक्षित हूं."
पिछले साल दिसंबर में बर्लिन आई 31 वर्षीय लेस्बियन मार्ता मालाचोस्का कहती हैं कि वह वॉरसॉ में अपनी गर्लफ्रेंड का हाथ पकड़ने से डरती थीं क्योंकि नेताओं ने देश में एलजीबीटी विरोधी भावना भड़काई.
मालाचोस्का कहती हैं, "जब हमने सरकार को समलैंगिकता विरोधी कहते हुए सुनना शुरू किया तो हमने समाज में हिंसक व्यवहार का अनुभव किया."
मालाचोस्का भी सोशल मीडिया कंपनी के लिए काम करती हैं. वो कहती हैं, "बर्लिन में किसी को कोई परवाह नहीं कि आप किसके साथ रहते हैं, किससे प्यार करते हैं. यहां किसी को कोई मतलब नहीं."
देखें: बर्लिन की वो नौ खास बातें जो आपके दिमाग में भी नहीं आएंगी
बर्लिन की वो नौ खास बातें जो आपके दिमाग में भी नहीं आएंगी
बर्लिन जर्मनी की राजधानी है, लेकिन वह अपने आलीशान इमारतों और फैशनेबल व ट्रेंडी इलाकों के लिए भी जानी जाती है. लेकिन वहां ऐसी जगहें भी हैं जो आपकी कल्पना से बाहर हैं.
तस्वीर: DW/W. Modesto
समुद्र का रेतीला किनारा
बर्लिन में कई सारी झीलें हैं, लेकिन समुद्र नहीं. इसलिए वहां समुद्र तट भी नहीं है. लेकिन वानजे झील का 1200 मीटर लंबा रेतीला तट ऐसा है जहां 50,000 लोग नहा सकते हैं. यह उन्हें समुद्र में नहाने का मजा देता है. यहां इस्तेमाल बालू बाल्टिक सागर से आया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Hirchberger
जापान सा चेरी ब्लॉसम
बर्लिन की सीमा पर लिष्टरफेल्डे और टेल्टो शहर के बीच चेरी के 2000 पेड़ लगे हैं. वसंत में वहां फूल खिलते हैं तो नजारा जापान सा होता है. 1989 में जब बर्लिन दीवार गिरी तो एक जापानी चैनल की अपील पर जमा चंदे से ये बगीचा बना.
तस्वीर: picture-alliance/R. Keuenhof
खुले में सैर करते मोर
वानजे के नजदीक ही फाउएनइंजेल है, मोर द्वीप. प्रशिया के राजा फ्रीडरिष विल्हेम द्वितीय के बसाए द्वीप पर प्राकृतिक नजारा है, यहां मोर रहते हैं और खुले में घूमते दिखते हैं. आज ये यूनेस्को की विश्व धरोहर है और पर्यटकों में खासा लोकप्रिय है.
तस्वीर: picture-alliance/imageBROKER/Schoening
मैदानी इलाके की तरह भैंसे
फाउएनइंजेल पर भैंसे भी रहती हैं. जर्मनी में आम तौर पर भैंसे नहीं होतीं. सर्दियां आने से पहले वे हरी भरी घास चरते हैं और मशीन से घास काटने की जरूरत नहीं रहने देते. द्वीप पर टहलने आने वालों को मजा अलग से देते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Jensen
देहात जैसी जिंदगी
बर्लिन के समृद्ध इलाके राइनिकेनडॉर्फ का अल्ट लुबार्स मोहल्ला असल में शहर का सबसे पुराना गांव है, जहां आज भी खेती होती है. प्राकृतिक नजारों से भरा ये इलाका शहर से सिर्फ 30 मिनट दूर है, लेकिन देहात का पूरा मजा देता है.
तस्वीर: picture-alliance/ZB/dpa/P. Grimm
आल्प पहाड़ों जैसी केबल कार
आल्प जैसे पहाड़ तो बर्लिन में नहीं हैं, लेकिन एक केबल कार जरूर है. उसे 2017 में अंतरराष्ट्रीय गार्डन मेले के लिए बनाया गया था. मारसान में गार्डन ऑफ द वर्ल्ड के ऊपर बने रोपवे में 64 केबिन है और उसमें बैठकर शहर का नजारा लिया जा सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. von Jutrczenka
फिल्म जैसी सुनसान जगह
बर्लिन के प्लैंटरवाल्ड में गाइडेड टूर पर जो चीजें दिखती हैं उन्हें देखकर फिल्म जुरैसिक पार्क का अहसास होता है. यहां कभी एम्यूजमेंट पार्क हुआ करता था, अब बिग व्हील, टनेल ऑफ होरर और डायनासोर जैसी सारी चीजों में जंक लग गया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Zinken
दक्षिण सागर सी समुद्री दुनिया
बर्लिन के केंद्र में अक्वाडोम है जो दुनिया का सबसे बड़ा बेलनाकार एक्वेरियम है. इस समय उसकी मरम्मत चल रही है लेकिन जल्द ही लोग उसके भीतर बने लिफ्ट से यात्रा कर सकेंगे और 1500 ट्रॉपिकल मछलियों को देख सकेंगे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Cartsensen
भारत जैसा मंदिर
बर्लिन के नॉय कोएल्न इलाके में हाजेनहाइडे पार्क में श्री गणेश हिंदू मंदिर है. यह मंदिर 2009 से बन रहा है और इसी साल अगले महीने उसका उद्घाटन होगा. गणेश मंदिर का लैंडमार्क उसका चौकोर गुंबद होगा जो 17 मीटर ऊंचा है.
तस्वीर: DW/W. Modesto
9 तस्वीरें1 | 9
अपराध बढ़े
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2019 पोलैंड में एलजीबीटी+ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट किए गए घृणा अपराध दोगुने हो गए. हालांकि असली आंकड़े कहीं अधिक हो सकते हैं क्योंकि लोग रिपोर्ट करने से डरते हैं.
यूरोपीय संघ के 2020 के एक सर्वे में पाया गया कि पोलिश एलजीबीटी+ लोगों में से केवल 16 प्रतिशत ने अपने खिलाफ अपराध की रिपोर्ट करने पुलिस के पास गए. पोलैंड में मानवाधिकार कार्यकर्ता लिडका मकोव्स्का कहती हैं, "चार साल पहले इन मामलों को पुलिस के पास ले जाना आसान था, लेकिन अब एलजीबीटी+ लोग पुलिस को रिपोर्ट करने से डरते हैं."
बर्लिन में रहने वाले कई एलजीबीटी+ समुदाय के लोगों का कहना है कि शहर का मुख्य आकर्षण लिंग और यौन अल्पसंख्यकों के प्रति इसकी स्वीकार्य संस्कृति है. हालांकि शहर में पिछले साल समुदाय के खिलाफ घृणा अपराधों में 36 फीसदी की उछाल दर्ज की गई है.
एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
LGBTQ की ABCD
भारत समेत कई देशों में समलैंगिक अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं. लेकिन जिन्हें हम एक शब्द "समलैंगिक" में समेट देते हैं, वे खुद को एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी कहते हैं. आखिर क्या है LGBTQ?
तस्वीर: Reuters/O. Teofilovski
एल से लेस्बियन
लेस्बियन यानी वे महिलाएं जो महिलाओं की ओर आकर्षित होती हैं. 1996 में आई फिल्म फायर ने जब इस मुद्दे को उठाया तब काफी बवाल हुआ. आज 20 साल बाद भी यह मुद्दा उतना ही संवेदनशील है.
तस्वीर: Reuters
जी से गे
गे यानी वे पुरुष जो पुरुषों की ओर आकर्षित होते हैं. दोस्ताना और कल हो ना हो जैसी फिल्मों में हंसी मजाक में समलैंगिक पुरुषों के मुद्दे को उठाया गया, तो हाल ही में आई अलीगढ़ में इसकी संजीदगी देखने को मिली.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बी से बायसेक्शुअल
बायसेक्शुअल एक ऐसा व्यक्ति है जो महिला और पुरुष दोनों की ओर आकर्षित महसूस करे. ऐंजेलिना जोली और लेडी गागा खुल कर अपने बायसेक्शुअल होने की बात कह चुकी हैं.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
टी से ट्रांसजेंडर
एल, जी और बी से अलग ट्रांसजेंडर को उनके लैंगिक रुझान के अनुसार नहीं देखा जाता. भारत में जिन्हें हिजड़े या किन्नर कहा जाता है, वे भी ट्रांसजेंडर हैं और बॉलीवुड में जानेमाने बॉबी डार्लिंग जैसे वे लोग भी जो खुद अपना सेक्स बदलवाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Muheisen
क्यू से क्वीयर
इस शब्द का मतलब होता है अजीब. इसके जरिये हर उस व्यक्ति की बात की जा सकती है जो "सामान्य" नहीं है. चाहे जन्म से उस व्यक्ति में महिला और पुरुष दोनों के गुण हों और चाहे वह किसी की भी ओर आकर्षित हो.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Bruna
और भी हैं
यह सूची यहां खत्म नहीं होती. कई बार एलजीबीटीक्यू के आगे ए भी लगा दिखता है. इसका मतलब है एसेक्शुअल यानी ऐसा व्यक्ति जिसकी सेक्स में कोई रुचि ना हो. इनके अलावा क्रॉसड्रेसर भी होते हैं यानी वे लोग जो विपरीत लिंग की तरह कपड़े पहनना पसंद करते हैं.