पुतिन विरोधी अलेक्सी नावाल्नी को कौन सा जहर दिया गया?
२५ अगस्त २०२०
बर्लिन में अलेक्सी नावाल्नी का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने जहर दिए जाने की पुष्टि की है. नावाल्नी को जर्मनी भेजे जाने से पहले रूसी डॉक्टरों ने उनके शरीर में कोई जहर ना मिलने की बात कही थी.
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44 वर्षीय अलेक्सी नावाल्नी को शनिवार, 22 अगस्त को जर्मनी लाया गया. रूस में उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना था कि सुबह से कुछ ना खाने के कारण उनके शरीर में शुगर की मात्रा कम होने से वे बेहोश हो गए थे. वहीं नावाल्नी की प्रवक्ता ने शक जाहिर किया कि पुतिन के अन्य विरोधियों की तरह नावाल्नी को भी जहर दिया गया. अब बर्लिन के मशहूर शारिटे अस्पताल ने जहर दिए जाने की बात की पुष्टि कर दी है. अपने बयान में अस्पताल ने लिखा है कि नावाल्नी पर हुए टेस्ट दिखाते हैं कि "कोलेनेस्टरेज इनहिबिटर्स ग्रुप के किसी रसायन" के जरिए उन्हें जहर दिया गया है.
कोलेनेस्टरेज एक एंजाइम है जिसकी जरूरत शरीर के तंत्रिका तंत्र को होती है. इसके इनहिबिटर ऐसे तत्व होते हैं जो इसके काम में अवरोध पैदा करते हैं. ऐसा कुछ दवाओं में, कीटनाशकों में और सरीन जैसे नर्व एजेंट में पाया जाता है. रूस में पहले भी सरकार विरोधियों को नर्व एजेंट दे कर मारा जा चुका है. लेकिन इस मामले में फिलहाल अस्पताल पक्की तरह से यह कहने की हालत में नहीं है कि जहर वाकई में नर्व एजेंट ही था. इस सिलसिले में टेस्ट अभी जारी हैं.
नर्व एजेंट आखिर होता क्या है और कैसे शरीर पर असर करता है?
नर्व एजेंट की एबीसी
2018 में रूस के पूर्व जासूस सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी पर नर्व एजेंट से हमला किया गया था. नर्व एजेंट आखिर होता क्या है और कैसे शरीर पर असर करता है?
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क्या होता है नर्व एजेंट?
नर्व एजेंट ऐसे जहरीले रसायन हैं जो सीधे नर्वस सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र पर असर करते हैं. ये दिमाग तक जाने वाले संकेतों को रोक देते हैं, जिससे शरीर ठीक तरह से काम करना बंद कर देता है. इसका असर सबसे पहले मांसपेशियों पर लकवे के रूप में देखने को मिलता है.
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कैसा दिखता है?
यह पाउडर के रूप में भी होते हैं और गैस के भी, लेकिन ज्यादातर द्रव का इस्तेमाल किया जाता है, जो भाप बन कर उड़ जाता है. अक्सर यह गंधहीन और रंगहीन होता है, इसलिए किसी तरह का शक भी नहीं होता.
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कैसे दिया जाता है?
यह भाप अगर सांसों के साथ शरीर के अंदर पहुंचे, तो कुछ सेकंडों में ही अपना असर दिखा सकती है. कई बार द्रव को त्वचा के जरिये शरीर में भेजा जाता है. ऐसे में असर शुरू होने में कुछ मिनट लग जाते हैं.
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कैसा होता है असर?
नर्व एजेंट के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को फौरन ही सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. आंखों की पुतलियां सफेद हो जाती हैं, हाथ-पैर चलना बंद कर देते हैं और व्यक्ति कोमा में पहुंच जाता है. ज्यादातर मामलों में कुछ मिनटों में ही व्यक्ति की मौत हो जाती है.
जहर देने के तरीके
कई बार इन्हें खाने में या किसी ड्रिंक में मिला कर दिया जाता है. लेकिन ऐसे में असर देर से शुरू होता है. ऐसे भी मामले देखे गए हैं जब इन्हें सीधे व्यक्ति पर स्प्रे कर दिया गया हो. इससे वे सीधे त्वचा के अंदर पहुंच जाते हैं.
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क्या है इलाज?
जहर को जहर काटता है. इसके असर को कम करने के लिए एक एंटीडोट दिया जा सकता है लेकिन जरूरी है यह जल्द से जल्द दिया जाए. एंटीडोट देने से पहले यह पता लगाना भी जरूरी है कि किस प्रकार का नर्व एजेंट दिया गया है.
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किस प्रकार के होते हैं?
नर्व एजेंट को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. जी-एजेंट, वी-एजेंट और नोविचोक. शुरुआत 1930 के दशक में हुई जब सस्ते कीटनाशक बनाने के चक्कर में एक घातक जहर का फॉर्मूला तैयार हो गया और यह जर्मन सेना के हाथ लग गया.
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क्या है जी-एजेंट?
'जी' इसलिए क्योंकि यह जर्मनी में बना. 1936 में सबसे पहला जी-एजेंट जीए बना. उसके बाद जीबी, जीडी और जीएफ तैयार किए गए. जीबी को ही सारीन के नाम से भी जाना जाता है. अमेरिका युद्ध की स्थिति में रासायनिक हथियार के रूप में इसका इस्तेमाल कर चुका है.
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क्या है वी-एजेंट?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस, अमेरिका और ब्रिटेन ने भी नर्व एजेंट बनाना शुरू किया. ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने 1950 के दशक में वीएक्स तैयार किया. वीएक्स के अलावा वीई, वीजी, वीएम और वीआर भी हैं लेकिन वीएक्स सबसे घातक है.
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क्या है नोविचोक?
रूसी भाषा में नोविचोक का मतलब है नया. इन्हें 70 और 80 के दशक में सोवियत संघ में बनाया गया था. इनमें से एक ए-230, वीएक्स की तुलना में पांच से आठ गुना ज्यादा जहरीला होता है और मिनटों में जान ले सकता है.
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कैसे ट्रांसपोर्ट होते हैं?
यह इतने जहरीले होते हैं कि इन्हें ले जाने वाले पर भी खतरा बना रहता है. जरा सा संपर्क भी जानलेवा साबित हो सकता है. इसलिए इनके लिए खास तरह की शीशी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कस कर बंद किया जाता है. साथ ही ट्रासंपोर्ट करने वाला खास तरह के कपड़े भी पहनता है.
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कहां से आया?
नर्व एजेंट कोई आम जहर नहीं है जिसे घर पर बना लिया जाए. यह सैन्य प्रयोगशालाओं में बनाया जाता है और हर एक फॉर्मूले में थोड़ा बहुत फर्क होता है. इसलिए हमले के मामले में पता किया जाता है कि फॉर्मूला कौन से देश का है. इसके अलावा जिस शीशी या कंटेनर में जहर लाया गया, उसकी बनावट से भी पता किया जाता है.
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कितना असरदार?
नर्व एजेंट के हमले के बाद बचने की संभावना बहुत ही कम होती है. हालांकि खतरा कितना ज्यादा है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि जहर किस मात्रा में दिया गया है.
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कोलेनेस्टरेज इनहिबिटर्स के कारण नसें मांसपेशियों तक ठीक तरह संदेश नहीं भेज पाती हैं. दोनों के बीच तालमेल रुक जाने की स्थिति में मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं. ऐसे में सांस लेने के लिए जरूरी मांसपेशियां भी असक्रिय हो जाती हैं और सांस ना ले पाने के कारण इंसान बेहोश हो जाता है. इसका सीधा असर दिमाग पर भी पड़ता है. ज्यादातर मामलों में घुटन से या फिर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाती है. जहर किस तरह से काम करेगा यह इस पर भी निर्भर करता है कि जहर किस दिया गया है. अगर खाने में मिला कर दिया जाए तो व्यक्ति सबसे पहले बेहोश हो जाता है और फिर बेहोशी में ही सांस ना आने से जान चली जाती है.
गुरुवार, 20 अगस्त को नावाल्नी की फ्लाइट में हालत इतनी खराब हुई कि प्लेन को इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी. रूसी डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें जहर नहीं दिया गया. लेकिन फिर उन्हें जर्मनी लाया गया और यहां रूसी डॉक्टरों के दावों को गलत साबित किया गया. उनका इलाज कर रहे शारिटे अस्पताल ने ट्वीट कर कहा है कि नावाल्नी की हालत के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता और "नर्वस सिस्टम पर लॉन्ग टर्म इफेक्ट" की संभावना को खारिज भी नहीं किया जा सकता.
बर्लिन के इस अस्पताल में हो रहा है अलेक्सी नावाल्नी का इलाज
बर्लिन के इस अस्पताल में हो रहा है अलेक्सी नावाल्नी का इलाज
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक अलेक्सी नावाल्नी को कथित रूप से जहर दिए जाने के बाद इलाज के लिए जर्मन राजधानी बर्लिन लाया गया. यहां के शारिटे अस्पताल में पहले भी इस तरह के कई हाई प्रोफाइल मामले आ चुके हैं.
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देश का नंबर 1
जर्मनी के लिए यह अस्पताल उतना ही महत्वपूर्ण है जितना भारत में दिल्ली का एम्स. जर्मनी के चिकित्सा क्षेत्र के आधे से ज्यादा नोबेल पुरस्कार विजेता इस अस्पताल में काम कर चुके हैं.
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300 साल पुराना
शारिटे अस्पताल की स्थापना साल 1710 में प्लेग के मरीजों का इलाज करने के लिए की गई थी. कुछ 100 साल बाद यहां मेडिकल कॉलेज भी बना और धीरे धीरे यह रिसर्च के लिहाज से अहम जगह बन गई.
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काला अध्याय
नाजी काल में इस अस्पताल की छवि खराब हुई. तब यहां यहूदियों के शवों पर कई तरह के शोध किए जा रहे थे. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब जर्मनी बंटा, तो यह पूर्वी जर्मनी का हिस्सा बन गया.
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हाई प्रोफाइल मामले
यह अस्पताल यूरोप के कई हाई प्रोफाइल लोगों का इलाज कर चुका है. मार्च 2014 में यूक्रेन की विपक्षी नेता और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार यूलिया टीमोशेंको को इलाज के लिए यहां लाया गया. वे ढाई साल कैद में रही थीं जहां उन्हें तीन स्लिप डिस्क हुई थी.
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नावाल्नी का इलाज
जैसे ही अलेक्सी नावाल्नी को कथित रूप से जहर दिए जाने की बात सामने आई, तो तुरंत ही माना जाने लगा कि उनकी जान नहीं बच पाएगी. रूसी डॉक्टरों ने शुरू में कहा कि वे यात्रा करने की हालत में नहीं हैं. लेकिन शारिटे के डॉक्टरों ने दावा किया कि वे उनका इलाज कर सकते हैं.
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पहला मामला नहीं
व्लादिमीर पुतिन के किसी विपक्षी के यहां इलाज का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले 2018 में पुतिन के कट्टर विरोधी पुसी रायट बैंड के पियोत्र वेरजिलोव को भी मॉस्को से यहां लाया गया. उन्हें भी जहर दिया गया था.
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इबोला के दौर में भी
2015 में जब अफ्रीका में इबोला फैला, तब भी यह अस्पताल चर्चा में रहा. सिएरा लिओन में मरीजों का इलाज कर रहे एक दक्षिण कोरियाई डॉक्टर खुद जब इबोला से संक्रमित हो गए, तो उन्हें यहीं लाया गया.
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जर्मनी का कोरोना एक्सपर्ट
शारिटे जर्मनी का पहला अस्पताल था जहां लोकल ट्रांसमिशन के मामले की पुष्टि की गई. यहां के वायरस एक्सपर्ट क्रिस्टियान ड्रोस्टेन महामारी के दौरान सरकार के सलाहकार और कोरोना से निपटने की नीति का मुख्य चेहरा हैं.
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नावाल्नी फिलहाल आईसीयू में कोमा में हैं. अस्पताल के अनुसार "उनकी हालत गंभीर है लेकिन फिलहाल जान को खतरा नहीं है." इस तरह के जहर का इलाज करने के लिए मरीज को दवा दे कर कोमा में भेजा जाता है. यह एक बेहद पेचीदा तरीका है जिसमें कई दिनों या कई हफ्तों का वक्त लग सकता है. लेकिन जितना ज्यादा वक्त लगेगा जहर के असर को खत्म करना उतना ही मुश्किल भी हो जाएगा.
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कड़े शब्दों में रूस से इस मामले की जांच करने को कहा है. जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास के साथ साझा बयान में उन्होंने रूस से "पूरी पारदर्शिता के साथ" जांच करने की मांग है. उन्होंने कहा, "जो भी जिम्मेदार है उसकी पहचान की जाए और उसे दोषी ठहराया जाए." वहीं यूरोपीय संघ ने भी रूस से "स्वतंत्र और पारदर्शी जांच" की मांग की है.
रूस के विपक्षी नेता अलेक्सी नावाल्नी पुतिन विरोधी मुहिम का सबसे प्रमुख चेहरा हैं. लेकिन इस वक्त वह आईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. शक है कि उन्हें जहर दिया गया है.
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रूसी विरोध का चेहरा
रूस में विरोध करने वालों के बीच एक बुलंद आवाज और मजबूत छवि अलेक्सेई नावाल्नी की है. नावाल्नी ने 2008 में एक ब्लॉग लिख कर रूसी राजनीति और सरकारी कंपनियों के कथित गंदे कामों की ओर लोगों का ध्यान खींचा. उनके ब्लॉग में लिखी बातें अकसर इस्तीफों की वजह बनती हैं जो रूस की राजनीति में दुर्लभ बात है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/TASS/V. Sharifulin
विवादित संसदीय चुनाव
2011 में नावाल्नी को पहली बार गिरफ्तार किया गया. मॉस्को में डूमा के बाहर हुई रैली में उनकी भूमिका के लिए उन्हें 15 दिन की सजा हुई. संसदीय चुनाव में पुतिन की यूनाइटे़ड रसिया जरूर जीती लेकिन सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारियों की तरफ से डाली तस्वीरों ने चुनाव के दौरान हुई धांधलियों को उजागर किया. बाहर निकलने पर नावाल्नी ने विरोध प्रदर्शनों के लिए "असाधारण कोशिशों" को जारी रखने की शपथ ली.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Stenin
दूसरी बार जेल
2012 में दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन ने रूस की जांच कमेटी को नावाल्नी के अतीत की आपराधिक जांच का आदेश दिया. इसके अगले साल नावाल्नी पर आरोप लगे और उन्हें सजा दी गई. इस बार उन्हें किरोव शहर में हुई कथित आगजनी के लिए पांच साल की सजा मिली. हालांकि उन्हें अगले ही दिन रिहा कर दिया गया क्योंकि उच्च अदालत से सजा की पुष्टि नहीं हो सकी. बाद में उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया.
तस्वीर: Reuters
क्रेमलिन का विरोध बढ़ा
कानूनी पचड़ों में फंसने के बावजूद नावाल्नी को 2013 में मॉस्को के मेयर का चुनाव लड़ने की इजाजत मिल गई. पुतिन के सहयोगी सर्गेई सोब्यानिन से मुकाबले में दूसरे नंबर पर आकर नावाल्नी पुतिन विरोध की मुहिम को आगे बढ़ाने में कामयाब हो गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सोशल मीडिया पर नावाल्नी की लड़ाई
राष्ट्रपति के विरोध में गढ़े नारों के कारण नावाल्नी को रूस के सरकारी टेलिविजन पर दिखाने की रोक लग गई. मजबूर हो कर नावाल्नी ने अपना राजनीतिक संदेश सोशल मीडिया और ब्लॉग के जरिए लोगों तक पहुंचाने लगे. अच्छा भाषण देने, पुतिन और उनके सहयोगियों पर तीखे व्यंग्य और हास्य के जरिए उनका मजाक बना कर नावाल्नी ने युवा प्रशंसकों की एक फौज खड़ी कर ली है.
तस्वीर: Alexei Navalny/Youtube
राष्ट्रपति बनने की महत्वाकांक्षा
दिसंबर 2016 में विपक्षी नेता ने मार्च 2018 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी के अभियान की औपचारिक शुरूआत की. हालांकि लगातार लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई. उनके समर्थकों का कहना है कि उन पर लगे सारे आरोप राजनीति से प्रेरित थे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/K. Kudryavtsev
भ्रष्टाचार के दोषी
2016 में यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने फैसला दिया कि किरोव मामले में रूस की सरकार ने नावाल्नी की उचित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन किया. रूस की सर्वोच्च अदालत ने पांच साल कैद की सजा उलट दी लेकिन इस फैसले को किरोव की अदालत में वापस भेज दिया गया. 2017 में फिर उन्हें पांच साल के निलंबित कैद की सजा सुनाई गई. नावाल्नी ने फैसले को चुनौती दी और इस पर सुनवाई जारी है.
तस्वीर: picture-alliance/Sputnik/A. Kudenko
6 साल में मॉस्को का सबसे बड़ा प्रदर्शन
फरवरी 2017 में भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्जनों शहरों में हुई रैलियों के कारण देश भर में नावाल्नी समेत 1000 से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार हुए. 2012 के बाद यह विरोध प्रदर्शन सबसे ज्यादा बड़े थे. नावाल्नी ने अपनी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री दिमित्री मेद्वेद्वेव को एक अरब यूरो के एक इम्पायर से संबंधित बताया. 15 दिन बाद नावाल्नी को रिहा कर दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Evgeny Feldman for Alexey Navalny's campaign
शारीरिक हमला
नावाल्नी पर शारीरिक हमले भी हुए. अप्रैल 2017 में उनकी एक आंख में किसी ने केमिकल डाइ फेंक दिया इसकी वजह से उनके दक्षिणी कॉर्निया को भारी क्षति हुई. नावल्नी ने रूसी अधिकारियों पर आरोप लगाया कि किरोव मामले की आड़ लेकर उन्हें इलाज के लिए बाहर नहीं जाने दिया जा रहा. हालांकि रूसी राष्ट्रपति दफ्तर से जुड़े मानवाधिकार परिषद की दखल के बाद उन्हें स्पेन जा कर आंख का ऑपरेशन कराने की अनुमति मिली.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Feldman
जहर दिया गया?
20 अगस्त 2020 को नावाल्नी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. वह मॉस्को जा रहे थे कि विमान की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई और उन्हों तुरंत आईसीयू में दाखिल कराया गया. डॉक्टर उनकी हालत को गंभीर बता रहे हैं. नावाल्नी की प्रवक्ता का कहना है कि शायद चाय के जरिए उन्हें जहर देने की कोशिश की गई है.