बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में मनोज बाजपेयी की 'दि फेबल' का जलवा
स्वाति बक्शी
२२ फ़रवरी २०२४
74वें बर्लिन फिल्म महोत्सव में यूं तो सात भारतीय फिल्में शामिल हुईं, लेकिन मनोज बाजपेयी के अभिनय वाली राम रेड्डी निर्देशित फिल्म 'दि फेबल' की खास तौर पर चर्चा रही.
यह मनोज बाजपेयी की पहली फिल्म है जिसका बर्लिन में वर्ल्ड प्रीमियर हुआतस्वीर: Andreas Rentz/Getty Images
विज्ञापन
बर्लिन फिल्म फेस्टिवल की पहचान कला फिल्मों के राजनीतिक मंच के तौर पर है. भारतीय फिल्मों का इस महोत्सव से रिश्ता तो रहा है, लेकिन मुख्य प्रतियोगिता में पहुंचने का रिकॉर्ड ना के बराबर है.
हालांकि इस बार मनोज बाजपेयी की फिल्म 'दि फेबल' ने फेस्टिवल के "एनकाउंटर्स" कैटेगरी में ना सिर्फ जगह बनाई, बल्कि इसकी ज्यादातर स्क्रीनिंग हाउसफुल गईं.
अंतरराष्ट्रीय फिल्म मैगजीन और अखबारों ने फिल्म को जमकर सराहा. खासकर राम रेड्डी के निर्देशन और फिल्मांकन को विशेष रूप से प्रशंसा मिली है. डीडब्ल्यू से खास बातचीत में मनोज बाजपेयी ने कहा कि कहीं न कहीं उन्हें भरोसा था कि यही फेस्टिवल उनकी फिल्म की तरफ ध्यान खींचने के लिए बेहतर प्लेटफॉर्म साबित होगा. ऐसा हुआ भी. हालांकि उनकी पिछली फिल्म 'जोरम' ने भी तारीफें और अवॉर्ड तो लिए, पर बहुत सारे दर्शकों को लुभाने में कामयाब नहीं रही.
'दि फेबल' क्यों है खास फिल्म
30 साल के करियर में मनोज बाजपेयी की यह पहली फिल्म है जिसका बर्लिन में वर्ल्ड प्रीमियर हुआ. उनकी फिल्में दूसरे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तो गई हैं लेकिन इस महोत्सव में कोई फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई.
मनोज बाजपेयी ने डीडब्ल्यू से कहा, "मुझे लगा था कि इस फिल्म को बर्लिनाले में दिखाने से हम दुनिया को आकर्षित कर पाएंगे और मैं सही साबित हुआ हूं. जो फिल्में कान समारोह में जाती हैं और जो यहां आती हैं, उनकी प्रकृति में फर्क है. आप देखिए, जिस तरह से फिल्म के बारे में पूरी दुनिया के अखबारों और मैगजीनों ने लिखा है, उससे भरपूर प्रोत्साहन मिला है."
बर्लिनाले में शिरकत करने पहुंचे एक्टर मनोज बाजपेयी से डीडब्ल्यू ने की खास बातचीत तस्वीर: Irfan Aftab/DW
इसके पहले आखिरी बार 1994 में बुद्धदेब दासगुप्ता की बांग्ला फिल्म 'चराचर' बर्लिनाले की मुख्य प्रतियोगिता में प्रतिभागी थी.
'द फेबल' निर्देशित करने वाले राम रेड्डी की यह दूसरी फिल्म है. उनकी पहली फिल्म 'तिथि' भी फिल्म फेस्टिवल के मंच से ही दर्शकों तक पहुंची थी, जिसे बेहद सराहा गया और पुरस्कार भी हासिल हुआ.
'दि फेबल' 1989 में हिमालय की गोद में बसे एक परिवार की कहानी है, जिसमें अंदरूनी भावनाओं और बाहरी जिंदगी को जादुई यथार्थवाद (मैजिकल रियलिज्म) के जरिए जोड़ा गया है.
"कहानी से आगे कुछ नहीं देखता"
डीडब्ल्यू को दिए खास इंटरव्यू में मनोज बाजपेयी ने अपने करियर पर विस्तार से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें मेनस्ट्रीम फिल्मों से कोई दिक्कत नहीं, लेकिन उनकी नजर सिर्फ कहानी और अपने चरित्र पर होती है. वह कहते हैं, "जब लोग मुझे कैरेक्टर ऐक्टर कहते हैं, तो मुझे अच्छा नहीं लगता है. ऐसा लगता है कि उनका मतलब है मानो आप सेकेंड क्लास सिटिजन हैं. मैं सिर्फ कहानी-प्रधान फिल्म करता हूं, सिर्फ वही देखता हूं. बाकी चीजों से मुझे कोई मतलब नहीं रहता."
सन 1994 में गोविंद निहलानी की 'द्रोहकाल' से सफर शुरू करने वाले मनोज बाजपेयी ने शेखर कपूर, प्रकाश झा, राम गोपाल वर्मा, हंसल मेहता, महेश भट्ट, अनुराग कश्यप समेत लगभग सभी नामचीन निर्देशकों के साथ काम किया है.
डीडब्ल्यू के एक सवाल के जवाब में वह कहते हैं, "मैं बिल्कुल मानता हूं कि मैं खुशकिस्मत हूं, इसीलिए इतना सब कर पाया, नहीं होता तो नहीं कर पाता. खुशकिस्मती आपको काम दिलवा सकती है, लेकिन मेहनत तो आपको ही करनी होगी. उससे भी इंकार नहीं किया जा सकता."
किलिअन मर्फी की फिल्म के साथ शुरू हुआ बर्लिनाले
जर्मनी में 74वां बर्लिन फिल्म फेस्टिवल ‘स्मॉल थिंग्स लाइक दीज’ के वर्ल्ड प्रीमियर के साथ शुरू हुआ. उद्घाटन समारोह में लुपिता न्योंगो, एमिली वॉटसन और मैट डेमन समेत कई फिल्मी सितारे मौजूद रहे.
तस्वीर: Markus Schreiber/AP/picture alliance
बर्लिन में सिनेमा का वार्षिक उत्सव
बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल जिसे बर्लिनाले भी कहते हैं, 15 फरवरी को पारंपरिक रेड कार्पेट और उद्घाटन समारोह के साथ शुरु हुआ. दस दिन चलने वाले इस फेस्टिवल में दुनियाभर की सैकड़ों फिल्में दिखाई जाएंगी. 20 फिल्में गोल्डन और सिल्वर बियर अवॉर्ड के लिए मुकाबले में हैं.
तस्वीर: Markus Schreiber/AP/picture alliance
अंतरराष्ट्रीय ज्यूरी का नेतृत्व करेंगी लुपिता न्योंगो
सात सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय ज्यूरी विजेताओं का चुनाव करेगी. इसका नेतृत्व ऑस्कर विजेता मैक्सिकन-केन्याई स्टार लुपिता न्योंगो कर रही हैं. उनके अलावा अभिनेता-निर्देशक ब्रैडी कॉर्बेट (अमेरिका), निर्देशक एन हुई (हांगकांग, चीन), निर्देशक क्रिस्टियान पेत्सोल्ट (जर्मनी), निर्देशक अलबर्ट सेरा (स्पेन), अभिनेता-निर्देशक जैस्मीन ट्रिंका (इटली) और लेखक ओक्साना जाबुज्हको (यूक्रेन) भी ज्यूरी का हिस्सा हैं.
तस्वीर: Marina Takimoto/ZUMA Wire/IMAGO
किलियन मर्फी का एक और गंभीर किरदार
फेस्टिवल की ओपनिंग फिल्म ‘स्मॉल थिंग्स लाइक दीज’ में किलियन मर्फी ने कोयला डिलीवर करने वाले व्यक्ति का किरदार निभाया है. उसे पता चलता है कि कैसे कैथोलिक चर्च द्वारा चलाए जा रहे एक शरणस्थल में युवा महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है. मर्फी को ओपेनहाइमर फिल्म में उनके अभिनय के लिए अकेडमी अवॉर्ड के लिए नॉमिनेशन मिला है.
तस्वीर: Sören Stache/dpa/picture alliance
सिस्टर मैरी के किरदार में एमिली वॉटसन
‘स्मॉल थिंग्स लाइक दीज’ फिल्म में ब्रिटिश अभिनेत्री एमिली वॉटसन एक ऐसी नन का किरदार निभा रही हैं. जिस पर घिनौने और परेशान करने वाले रहस्यों को छिपाने की जिम्मेदारी है. फिल्म में आयरलैंड की मैग्डलीन लॉन्ड्रीज को दिखाया गया है, जहां बिना शादी के गर्भवती हुई महिलाएं काम करती थीं. फिल्म में 1980 के दशक का आयरलैंड दिखाया गया है.
तस्वीर: Annegret Hilse/REUTERS
निर्माता के तौर पर पहुंचे मैट डेमन
अमेरिकी अभिनेता मैट डेमन ‘स्मॉल थिंग्स लाइक दीज’ के निर्माताओं में शामिल हैं. इसे टिम मीलेंट्स ने निर्देशित किया है. यह फिल्म आयरलैंड के लेखक क्लेयर कीगन के बहुचर्चित उपन्यास पर आधारित है. इस फिल्म के वर्ल्ड प्रीमियर के साथ ‘साइटगाइस्ट आयरलैंड 24’ की भी शुरुआत हो रही है. जो जर्मनी में आयरिश सभ्यता का साल भर चलने वाला कार्यक्रम है.
तस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance
निदेशक जोड़ी का आखिरी बर्लिनाले
बर्लिनाले आयोजित करने वाली संस्था की कार्यकारी प्रबंधक मैरिएट राइजनबीक और कलात्मक निदेशक कार्लो चैट्रिइन के लिए यह आखिरी फिल्म फेस्टिवल है. उनके कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो रहे हैं. यूरोप के तीन सबसे बड़े फिल्म फेस्विटल में शामिल बर्लिनाले की कमान उनके बाद अमेरिका की ट्रिसिआ टटल संभालेंगी.
तस्वीर: Gerald Matzka/dpa/picture alliance
जर्मनी की संस्कृति मंत्री ने सिनेमा की राजनीतिक ताकत को सराहा
बर्लिनाले को जर्मन सरकार द्वारा फंड किया जाता है. संस्कृति मंत्री क्लाउडिया रोथ भी उद्घाटन समारोह में शामिल हुईं. हर साल जर्मन सरकार के चुने हुए प्रतिनिधियों को फेस्टिवल में आमंत्रित किया जाता है. यानी धुर-दक्षिणपंथी पार्टी ‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ (एएफडी) के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया था. बाद में विरोध होने के चलते आयोजकों ने न्योता वापस ले लिया.
तस्वीर: Jens Kalaene/dpa/picture alliance
रेड कार्पेट पर उठाई गई राजनीतिक आवाज
बर्लिनाले को यूरोप का सबसे ज्यादा राजनीतिक फिल्म फेस्टिवल माना जाता है. इस बार भी टॉप मॉडल पैपिस लवडे रेड कार्पेट पर ‘नो रेसिज्म, नो एएफडी’ का साइन लेकर पहुंचीं. कई अन्य ने अपने कपड़ों पर ‘फौरन सीजफायर’ का संदेश लगाया. वहीं एक अन्य समूह 2020 में हनाऊ में हुए नस्लीय हमले के पीड़ितों की तस्वीर लेकर पहुंचा.