भूटान दो साल बाद पहली बार सितंबर से अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए से खुल जाएगा. हिमालय में बसा दक्षिण एशिया का छोटा सा देश अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना चाहता है.
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भारत और चीन से घिरे भूटान के अधिकारियों ने गुरुवार को कहा है कि देश सितंबर से अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का स्वागत करने को तैयार है. प्राकृतिक सुंदरता और प्राचीन बौद्ध संस्कृति वाले देश ने मार्च 2020 में कोविड-19 का पहला मामला मिलने के बाद कठोर शुरुआती कदम उठाए और पर्यटन पर प्रतिबंध लगा दिया.
देश की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत विदेशी पर्यटक हैं. आठ लाख से कम की आबादी वाले देश ने 60,000 से भी कम कोरोना के मामले दर्ज किए और संक्रमण से 21 मौतें हुईं, लेकिन कोरोना के कारण पिछले दो वित्तीय वर्ष में तीन अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था सिकुड़ गई, जिस कारण अधिक लोग गरीबी में चले गए.
पर्यटन परिषद भूटान (टीसीबी) ने बताया है कि विदेशी पर्यटकों को देश में 23 सितंबर से प्रवेश की अनुमति होगी. हालांकि, उनसे प्रति पर्यटक प्रति रात दो सौ डॉलर सतत विकास शुल्क लिया जाएगा, जो कि पिछले तीन दशक से लिए जा रहे शुल्क से 65 डॉलर ज्यादा है. अधिकारियों ने कहा कि नया शुल्क पर्यटकों के कार्बन प्रभाव को कम करेगा.
कोविड के कारण ठप हो गया था पर्यटन
टीसीबी के अध्यक्ष और देश के विदेश मंत्री तांडी दोरजी ने एक बयान में कहा, "कोविड-19 ने हमें दोबारा से स्थापित करने की इजाजत दी है, इस पर पुनर्विचार करने के लिए कि कैसे कार्बन फुटप्रिंट को कम रखते हुए क्षेत्र को सबसे अच्छी तरह से संरचित और संचालित किया जा सकता है." अधिकारियों ने कहा कि भूटान ने सर्विस प्रोवाइडर्स जैसे कि होटल, गाइड, टूर ऑपरेटर्स और ड्राइवरों के लिए सेवा मानकों को संशोधित किया.
परी जगत की यात्रा जैसा है तुर्की के कैपादोशिया जाना
तुर्की के कैपादोशिया इलाके को वहां की पत्थरों से बानी अजीबोगरीब आकृतियों के लिए जाना जाता है. इन्हें जमीन से तो देखा जा ही सकता है, लेकिन गर्म हवा के गुब्बारों में उड़ कर नीचे का नजारा देखने की बात ही कुछ और है.
तस्वीर: Behcet Alkan/AA/picture alliance
उचीसर में सूर्योदय
कैपादोशिया केंद्रीय एनाटोलिया का एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण प्रांत है जहां कम से कम 3000 ईसापूर्व काल से मानव गतिविधियों की खोज हुई है. इसे 1985 में एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया था. उचीसर के इस किले में जमीन के नीचे बने आवासों के साथ साथ इस इलाके का सबसे ऊंचा स्थल भी है.
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शिल्पकारी और संस्कृति
यहां तोहफों और कालीनों की कई दुकानें हैं जिन्हें सजाने के लिए छोटी से छोटी बारीकियों का ख्याल रखा गया है. नेवसेहीर की इन गलियों में आप खुद को किसी और समय में पा सकते हैं.
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जरा नजारा तो देखिए
गोरमे नाम का यह छोटा सा शहर एक राष्ट्रीय उद्यान के ठीक बीच में स्थित है. यहां छतों पर सजी इस तरह की कई आरामदायक बैठकें हैं, जिन्हें रंग बिरंगे गद्दों से सजाया गया है. यहां से ज्वालामुखीय परिदृश्य के ऊपर तैरते हुए गर्म हवा के गुब्बारों को बखूबी निहारा जा सकता है.
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हवा में सैर
कैपादोशिया के ऊपर गर्म हवा के गुब्बारे में सैर करना एक जादूई अनुभव जैसा हो सकता है. खास कर तड़के सुबह में, जब उगते सूरज की किरणें इलाके की ऊंची ऊंची चट्टानों पर पड़ती हैं, तब तो नजारा ही कुछ और होता है. एक यात्रा एक से ले कर चार घंटों तक लंबी हो सकती है.
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एक बढ़िया तस्वीर हो जाए
यह दुर्लभ दृश्य तस्वीरों और वीडियो बनाने के लिए यहां आने वाले लोगों का मनपसंद है. आप चाहें तो इनकी तरह एक सुर्ख लाल ड्रेस में हवा में तैरते हुए तस्वीर खिचवा सकती हैं या घोड़े या ऊंट की पीठ पर बैठ कर नए नए नजारों का आनंद ले सकती हैं.
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पत्थर की दुर्लभ आकृतियां
राष्ट्रीय उद्यान में 'लव वैली' के नाम से जानी जाने वाली यह अजीबोगरीब जगह भी है. इस जगह को यह नाम इन लिंग नुमा पत्थर की इन आकृतियों से मिला है. इन चट्टानों को यह आकार हजारों सालों में हवा और मौसम के थपेड़ों ने दिया है.
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चट्टानों में रिहाइश
ज्वालामुखी से निकला नरम टफ पत्थर इस इलाके में बड़ी मात्रा में मिलता है. इसके गुणों की वजह से चट्टानों के अंदर पूरे के पूरे शहर बनाना भी संभव हो सका है. जुल्म झेल रहे ईसाई समुदाय के लोगों ने यहां सबसे पहले तीसरी शताब्दी में छिपने की जगह बनाई थी. बाद में घर, चर्च और पूरे के पूरे मठ इन चट्टानों में बना दिए गए.
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दुर्लभ गुफाएं
जमीन के नीचे बनी गुफाओं की यह श्रंखला इस पूरे इलाके में फैली हुई है. इसे ऊपर से देख पाना मुश्किल है लेकिन नीचे उतरने वाले लोगों को ऐसी वास्तुकला मिलेगी जो पूरी दुनिया में दुर्लभ है.
यहां गर्म हवा के गुब्बारों, साइकिल, घोड़े और ऊंट की सवारी के अलावा क्वॉड बाइक से भी घूमा जा सकता है. आप इन्हें ले कर छोटे छोटे गांवों की तंग गलियों से गुजर सकते हैं या गोरमे के इर्द गिर्द राष्ट्रीय उद्यान में भी जा सकते हैं. (क्लॉडिया डेन)
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देश में पर्यटन 50,000 लोगों को रोजगार देता है और प्रत्यक्ष विदेशी मुद्रा में महामारी से पहले के तीन वर्षों में लगभग 8.4 करोड़ डॉलर का वार्षिक औसत योगदान दिया. 1974 में भूटान को उच्च श्रेणी के पर्यटकों के लिए खोल गया था उस समय यहां 300 पर्यटक पहुंचे थे. टीसीबी के डेटा से पता चलता है कि 2019 में यह संख्या बढ़कर 3,15,600 हो गई जो कि इससे पहले वाले साल से 15.1 फीसदी अधिक थी.
टूर ऑपरेटरों ने कहा कि पर्यटक अपना चयन करने के लिए स्वतंत्र होंगे. उनका कहना है कि पर्यटक खुद के ऑपरेटर और यात्रा कार्यक्रम बना पाएंगे जबकि इससे पहले पर्यटकों को टूर ऑपरेटरों के पैकेज चुनने पड़ते थे.
राजधानी थिम्पू में एलवेज भूटान ट्रैवल कंपनी चलाने वाले संगेय फुंत्सो कहते हैं कि फीस जरूर कुछ पर्यटकों को आने से रोकेगी लेकिन अमीर लोगों को नहीं. वो कहते हैं, "जो खर्च करना चाहते हैं उनका स्वागत है."
एए/वीके (रॉयटर्स)
कांच का पुल और झूलता कैफे
जॉर्जिया में बना यह पुल किसी अजूबे से कम नहीं. रोमांच और उसके आगे डर की इंतहा तक ले जाने वाला यह अनुभव इस यूरोपीय देश को पर्यटन के नक्शे पर बड़ा कर देता है.
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पैरों तले जमीन नहीं
यह पूरा पुल शीशे का बना है. देशबाशी घाटी के ऊपर एक सिरे को दूसरे से जोड़ते इस पुल के ऊपर से गुजरना हवा में चलने जैसा ही अहसास देता है.
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240 मीटर लंबा
इस पुल की लंबाई है 240 मीटर जो घाटी का विहंगम नजारा लेने के लिए भरपूर दूरी और समय उपलब्ध कराती है.
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छह करोड़ डॉलर का खर्च
इस पुल को बनाने में छह करोड़ डॉलर यानी लगभग 46 अरब रुपये से ज्यादा खर्च किए गए हैं. इस पुल को एक नई जॉर्जियन कंपनी कास लैंड ने बनाया है. कास लैंड को इस्राएली निवेश से स्थापित किया गया था.
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जिप लाइन के साथ
पुल पर एक जिप-लाइन यानी एक से दूसरे सिरे को सहारे के लिए रस्सी भी लगी है. जाहिर है, कुछ लोगों को तो सहारे की जरूरत होगी.
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तीन साल का वक्त
इस पुल की घोषणा मई 2019 में हुई थी और तब उम्मीद थी कि यह एक साल में पूरा हो जाएगा लेकिन कोविड और अन्य वजहों से काम टलता रहा औऱ इसे पूरा होने में तीन साल लग गए.
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हीरे के आकार वाला झूलता रेस्तरां
पुल के बीचोबीच एक झूलता हुआ रेस्तरां भी है ताकि आप नजरों के साथ पेट को भी आनंद दे सकें. निर्माण कंपनी की जनरल मैनेजर एकातेरीन तोर्डिया का कहना है कि इस कैफे को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के लिए भेजा जाएगा क्योंकि यह झूलता हुआ सबसे ऊंचा रेस्तरां है.
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परंपरा और आधुनिकताओं का संगम
इस पुल का उद्घाटन करते हुए जॉर्जिया के प्रधानमंत्री इराकली गारीबाशविली ने कहा कि यह पुल इस बात की मिसाल है कि कैसे अपनी विरासत को सहेजते हुए हम आधुनिक विश्व स्तरीय विकास कर रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे इलाके में पर्यटन बढ़ेगा.