अमेरिका में प्रशांत महासागर के 18 छोटे-बड़े देशों की दूसरी बैठक हो रही है. इस दौरान कई बड़े ऐलान होने का अनुमान है. अमेरिका में छोटे देशों के नेताओं की खूब खातिरदारी हो रही है
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इस हफ्ते 18 सदस्यों वाली पैसिफिक आइलैंड फोरम में हिस्सा लेंगे और प्रशांत महासागर के छोटे देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने की कोशिश करेंगे. इसके लिए अमेरिका ने कई लुभावने तोहफे भी तैयार किये हैं जिनमें अमेरिकन फुटबॉल के अनुभव से लेकर चमचमाते नये दूतावास तक शामिल हैं.
सोमवार और मंगलवार को होने वाली पैसिफिक आईलैंड फोरम का यह दूसरा साल है. पिछले साल भी यह बैठक वॉशिंगटन में हुई थी. अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक बाइडेन इस दौरान अमेरिकी पक्ष को पुरजोर तरीके से पेश करेंगे और कई योजनाओं का ऐलान करेंगे जिनमें इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, महासागरीय सहयोग और खासतौर पर अवैध रूप से मछली पकड़ने के लिए नये कदम उठाया जाना शामिल है.
प्रशांत महासागर में ऑस्ट्रेलिया और उसके इर्द-गिर्द छोटे द्वीपों वाले 18 देश इस फोरम का हिस्सा हैं, जिनमें कुछ देश तो बहुत ही छोटे हैं. व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "बेशक इसमें चीन की भूमिका भी है. चीन का प्रभाव और हठधर्मिता, खासकर इस क्षेत्र पर हमारे रणनीतिक रूप से ध्यान देने की एक वजह रही है.”
सोलोमन आईलैंड्स ने दिया झटका
इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव किस तेजी से बढ़ रहा है, उसकी एक मिसाल सोलोमन आईलैंड्स के प्रधानमंत्री की फोरम में गैरमौजूदगी है. पिछले कुछ समय में सोलोमन आईलैंड्स की चीन से करीबी बढ़ी है.
वहां के प्रधानमंत्री मनाशे सोगावारे पिछले हफ्ते ही संयुक्त राष्ट्र की सालाना बैठक में हिस्सा लेने न्यूयॉर्क गये थे लेकिन वह फोरम के लिए नहीं रुके. इस बात से अमेरिका में निराशा है.
व्हाइट हाउस के एक अन्य अधिकारी ने कहा, "इस बात से हमें निराशा हुई है कि उन्होंने इस बहुत खास सम्मेलन में शामिल ना होना का फैसला किया है.”
कहां हैं सबसे ज्यादा भाषाएं
दुनियाभर में कुल 6,500 भाषाएं बोली जाती हैं. हालांकि 2000 से ज्यादा भाषाओं के बोलने वाले 1000 से भी कम बचे हैं. सबसे ज्यादा लोग मैंडरिन बोलते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा भाषाएं किस देश में हैं? देखिए...
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ब्राजील (229)
पुर्तगाली देश में सबसे ज्यादा बोले जानी वाली भाषा है.
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ऑस्ट्रेलिया (245)
यहां 99% साक्षरता दर है और आबादी के हिसाब से यह एक बहुभाषी देश है.
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कैमरून (281)
अंग्रेजी और फ्रेंच इस अफ्रीकी देश की राष्ट्रीय भाषाएं हैं.
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मेक्सिको (289)
इनमें से 280 भाषाएं तो आदिवासियों की हैं.
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चीन (300)
70 फीसदी देशवासी मैंडरिन की ही कोई बोली बोलते हैं.
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अमेरिका (422)
इनमें से 211 यानी आधी भाषाएं प्रवासी लेकर आए.
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भारत (454)
हिंदी और अंग्रेजी देश की राष्ट्रीय भाषाएं हैं लेकिन हर राज्य में अपनी दर्जनों भाषाएं हैं.
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नाइजीरिया (526)
इतनी भाषाओं के बावजूद अंग्रेजी ही देश की राष्ट्रीय भाषा है.
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इंडोनेशिया (707)
98 स्थानीय भाषाएं ऐसी हैं जिन पर विलुप्त हो जाने का खतरा मंडरा रहा है.
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पापुआ न्यू गिनी (839)
यूरोप में जितनी भाषाएं बोली जाती हैं उससे दोगुनी इस छोटे से देश में हैं.
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फोरम के दौरान मार्शल आईलैंड्स के साथ ‘कॉम्पैक्टस ऑफ फ्री एसोसिएशन' समझौते की नयी शर्तों पर भी बात होनी है. यह समझौता आने वाले शनिवार को खत्म हो रहा है. अमेरिका का इस तरह का समझौता माइक्रोनीजिया और पलाऊ के साथ भी है. ये सभी इलाके पहले अमेरिकी सरकार के तहत आते थे. समझौते के तहत अमेरिका को वहां अपनी सेना रखने का अधिकार मिलता है. बदले में अमेरिका इन देशों को आर्थिक मदद और सुरक्षा की गारंटी मुहैया कराता है. साथ ही इन देशों के लोग अमेरिका में रह सकते हैं और काम कर सकते हैं.
मार्शल आईलैंड्स चाहता है कि नये समझौते में 1940 और 1950 के दशक में अमेरिका द्वारा किये गये परमाणु परीक्षणों के प्रभाव का मुआवजा भी शामिल हो. व्हाइट हाउस के अधिकारियों का कहना है कि सम्मेलन के दौरान बाइडेन इस बात का ऐलान कर सकते हैं कि समझौते की वार्ता में खासी प्रगति हुई है.
यह सम्मेलन इसलिए भी खास है क्योंकि मई में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन पैसिफिक नेताओं की बैठक में शामिल होने पापुआ न्यू गिनी जाने वाले थे लेकिन आखिरी वक्त में उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया था. तब अमेरिका में कर्ज की सीमा बढ़ाने को लेकर राजनीतिक संकट उठ खड़ा हुआ था, जिस कारण बाइडेन ने ऑस्ट्रेलिया में होने वाली क्वॉड बैठक और पापुआ न्यू गिनी का दौरा टाल दिया था.
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बढ़िया खातिरदारी
ऐसा माना जा रहा है कि बाइडेन अब उस बार की भरपाई की कोशिश करेंगे. अमेरिकी प्रशासन ने वॉशिंगटन में पैसिफिक देशों के नेताओं की खातिरदारी की खूब तैयारी की है. रविवार को ये नेता ट्रेन से बाल्टिमोर गये जहां वे रेवन्स और इंडियानापोलिस कोल्ट्स टीमों के बीच हुए एनएफएल मैच में खास मेहमान थे.
सोमवार दोपहर को ये नेता राष्ट्रपति बाइडेन के साथ खाना खाएंगे. मंगलवार को उनकी अमेरिका के जलवायु और अर्थव्यवस्था जैसे विभाग देखने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक होगी. साथ ही वे अमेरिकी सांसदों के साथ भी समय बिताएंगे.
खोते द्वीप की खूबसूरती
प्रशांत सागर में बसा ऑनतोंग जावा द्वीप जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर है. ऊंची उठती लहरें और नियमित तूफान इस द्वीप के अस्तित्व पर संकट पैदा कर रहे हैं. लोग अपनी मातृभूमि खोने का खतरा झेल रहे हैं.
तस्वीर: Displacement Solutions/Beni Knight
अलग थलग द्वीप
ऑनतोंग जावा सिर्फ 12 वर्ग किलोमीटर बड़ा है जिसकी जमीन समुद्र स्तर से केवल 3 मीटर ऊंची है. सोलोमन द्वीप से 500 किलोमीटर दूर बसे इस द्वीप के चारों ओर पश्चिमी प्रशांत सागर की गहराइयां हैं. यहां के लोग हमेशा ही लहरों और तूफान के साये में जिए हैं लेकिन मुश्किलें बढ़ रही हैं.
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परंपराओं का पालन
यह द्वीप सैकड़ों सालों से बसा है. पोलीनेशिया के लोग इस द्वीप पर 2000 साल पहले बसे. सदियों पुराने नृत्य ताकतवर प्राकृतिक शक्तियों की कथा कहते हैं. ये नृत्य स्थानीय संस्कृति का अहम हिस्सा तो हैं ही, वे स्थानीय आबादी की पहचान का भी अभिन्न अंग हैं.
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प्रकृति का साथ
परंपरागत रूप से घर नारियल और पंडाना के पेड़ों से बनाए जाते हैं. आजकल इन झोपड़ियों में सौर ऊर्जा की मदद से आधुनिक रोशनी की जाती है. इस द्वीप के दुनिया से कटे होने का एक फायदा यह भी है कि रात के आसमान का अंधेरा पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त दिखता है.
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कहां जाएंगे बच्चे
यदि समुद्र स्तर का बढ़ना जारी रहता है तो जल्द ही यह द्वीप समुद्र में डूब जाएगा. 8 वर्षीय विल्सन आयुंगा जैसे ऑनतोंग जावा के बच्चों के लिए इस द्वीप को छोड़कर कहीं और ऊंची जगह पर बसने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा. लोगों को डर है कि उनकी जन्मभूमि छिन जाएगी.
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अप्रतिबद्ध सरकार
लुआनिउआ की अनछुई खूबसूरती ऊपर से साफ दिखती है. यह ऑनतोंग जावा के उन दो द्वीपों में शामिल है जहां लोग रहते हैं. ताड़ के इन खूबसूरत पेड़ों के पीछे एक प्रतिबद्ध सरकार की कमी दिखती है. ऑनतोंग जावा सोलोमन द्वीप समूह का हिस्सा है, लेकिन नागरिक सुविधाओं के अभाव में समस्याएं पैदा हो रही हैं.
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बंटता द्वीप
ऑनतोंग जावा के लोगों को जलवायु परिवर्तन के नतीजे साफ होने लगे हैं. समुद्र का जलस्तर बढ़ने की वजह से हेनुआ आइकू द्वीप दो हिस्सों में बंटने लगा है. समुद्र का पानी द्वीप के बीच से घुसने लगा है और उसने खाद्य सुरक्षा और भूस्खलन की समस्या सबके सामने ला दी है.
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जलवायु परिवर्तन
समुद्री जलस्तर बढ़ने से द्वीप के हिस्से डूब रहे हैं. उनसे होने वाले नुकसान के अलावा जलवायु परिवर्तन के कारण तेज हवाओं और कभी भी आने वाले तूफानों का खतरा बढ़ गया है. ये द्वीप के तटीय इलाकों के अलावा वहां बसे गांवों को भी खतरे में डाल रहे हैं.
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फसल में कमी
समुद्र का पानी द्वीप पर घुसने का एक नुकसान यह भी हो रहा है कि वह जमीन को खराब कर रहा है. मिट्टी के धूसर होने के कारण खेती ठीक से नहीं हो रही है. पैट्रन लालियाना का तारो गार्डन धरती की उर्वरा शक्ति कम होने के कारण उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है.
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बदलता समय
सैरा अबोरा ने अपनी सारी जिंदगी ऑनतोंग जावा पर बिताई है. उन्हें वह समय भी याद है जब द्वीप पर आज जहां गांव है वहां झाड़ियां हुआ करती थी. उन्हें यह भी याद है कि पहले जहां लोग रहा करते थे, वह जगह इस बीच पानी में डूब चुकी है. पानी के बढ़ने से गांव छोटा हो गया है.
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डूबा गांव
ऑनतोंग जावा के लोगों के लिए समुद्री जलस्तर बढ़ने के खतरों के सबूत द्वीप पर हर कहीं दिखते हैं. आज जहां सफेद रेत दिखती है, वहां कभी सुंदर रमणीक गांव हुआ करता था. बढ़ते समुद्री पानी ने 40 घरों और एक कब्रगाह को लील लिया है.
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धरती बिन संस्कृति नहीं
ऑनतोंग जावा के लोगों को पता नहीं कि अपनी धरती के बिना वे अपनी संस्कृति कैसे बचा पाएंगे. अपने द्वीप को छोड़ना उनके लिए पहचान खोने जैसा है. लेकिन जैसे जैसे जलवायु परिवर्तन के नतीजे लोगों को विस्थापित करने का खतरा पैदा कर रहे हैं ऑनतोंग जावा की संस्कृति का भविष्य धूमिल हो रहा है.
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उम्मीद की किरण
ऑनतोंग जावा से लोगों के विस्थापन की संभावना बढ़ती जा रही है, लेकिन अभी भी लोग आशावान हैं कि वे अपनी परंपरागत भूमि पर रह सकेंगे. वह भूमि जिसने उन्हें 2000 साल से पनाह दी है और खुशहाली में जिंदा रखा है.
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अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक सम्मेलन के दौरान अमेरिका कुक आईलैंड्स और नीव के साथ राजनयिक रिश्तों की स्थापना का भी ऐलान करेगा. इस द्वीपीय देश की आबादी 2,000 से भी कम है. साथ ही नये दूतावास खोले जाने का भी ऐलान किया जाएगा. अगले साल की शुरुआत में वनातू में दूतावास खोले जाने की योजना है. हाल ही में सोलोमन आईलैंड्स और टोंगा में नये अमेरिकी दूतावास शुरू किये गये हैं.
इसके अलावा अमेरिका प्रशांत महासागरीय देशों को क्वॉड संगठन में शामिल होने का न्योता भी दे सकता है. यह एक रक्षा सहयोग संगठन है जिसमें फिलहाल अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया भारत और जापान शामिल हैं.