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बाइडेन और पुतिन ने मानाः परमाणु युद्ध कभी ना हो

१७ जून २०२१

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने अपनी पहली मुलाकात में सहयोग और सहमतियों की बातें की लेकिन एक-दूसरे को खरी-खरी सुनाने से भी नहीं चूके.

Schweiz Genf | Gipfeltreffen Biden und Putin
तस्वीर: Patrick Semansky/AP/picture alliance

जेनेवा में रूस और अमेरिका के राष्ट्रपतियों की इस मुलाकात पर दुनियाभर की निगाहें थीं. दोनों देशों के बीच हाल के महीनों में लगातार तनाव रहा है. उस पृष्ठभूमि में जब दोनों नेता स्विट्जरलैंड में एक झील किनारे स्थित विला में मिले, तो आशंकाएं और संभावनाएं कान लगाए बैठी थीं. दोनों पक्षों ने इस बैठक के पांच घंटे तक चलने की संभावना जताई थी लेकिन यह पहले ही खत्म हो गई. उसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति का हवा में उठा हुआ अंगूठा इस बात का प्रतीक था कि मुलाकात खराब नहीं रही. बाद में अमेरिकी अधिकारियों ने इस बैठक को ‘काफी सफल' बताया.

मुलाकात के बाद दोनों पक्षों ने एक साझा बयान भी जारी किया जिसके केंद्र में परमाणु अप्रसार का मु्द्द था. बयान में कहा गया, "परमाणु युद्ध कभी नहीं जीते जा सकते और कभी नहीं होने चाहिए.” साझा बयान में कहा गया कि ‘तनाव के बावजूद' साझे लक्ष्यों पर प्रगति हुई. दोनों नेताओं ने कहा, "निकट भविष्य में अमेरिका और रूस ‘रणनीतिक स्थिरता विमर्श' शुरू करेंगे जो गहन और सुविचारित होगा.” इस बयान में हथियारों पर नियंत्रण खतरे कम करने के उपायों के लिए काम शुरू करने पर भी सहमति जताई गई.

अमेरिका को खरी-खरी

रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने डॉनल्ड ट्रंप को हराकर अमेरिका के राष्ट्रपति बने जो बाइडेन को संतुलित और अनुभवी नेता बताया, जो घंटों तक बैठकर बातचीत को तैयार थे. बाइडेन के पद संभालने के बाद उनसे अपनी पहली बैठक को पुतिन ने रचनात्मक बताया. मीडियाकर्मियों से बातचीत में उन्होंने कहा, "असल में यह काफी नतीजे देने वाली बैठक रही. यह सारभूत थी, विशिष्ट थी और इसका मकसद नतीजे हासिल करना था, जिनमें से एक नतीजा था कि एक दूसरे पर भरोसे की हदों को बढ़ाया जाए.”

पुतिन ने हथियारों पर नियंत्रण के मामले में बाइडेन के मूल्यांकन की भी बात की. उन्होंने कहा, "मेरे ख्याल से यह एकदम स्पष्ट है कि राष्ट्रपति बाइडेन ने एक जिम्मेदाराना और हमारे विचार से सही वक्त पर न्यू स्टार्ट समझौते की समयसीमा को बढ़ाकर पांच साल, यानी 2024 तक करने का फैसला किया है.”

न्यू स्टार्ट समझौता 2010 में हुआ था जिसके तहत रणनीतिक परमाणु हथियारों, मिसाइलों और बमवर्षकों की एक संख्या तय कर दी गई थी. इसके तहत अमेरिका और रूस 1550 से ज्यादा हथियार तैनात नहीं कर सकते. पुतिन ने भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि बेशक, यहां सवाल उठता है कि अब क्या होगा. उन्होंने कहा कि एक दूसरे की संस्थाओं के स्तर पर हथियारों के नियंत्रण के मुद्दे पर विमर्श शुरू किया जाएगा.

पश्चिमी देशों के पत्रकारों ने पुतिन ने उनके देश में मानवाधिकारों और रूस के विपक्षी नेता अलेक्सी नवाल्नी के मुद्दे पर कई सीधे सवाल पूछे. नवाल्नी का तो पुतिन ने नाम तक नहीं लिया और सिर्फ ‘एक रूसी नागरिक' व ‘बार-बार अपराध करने वाला' कहकर संबोधित किया. उन्होंने कहा, "यह व्यक्ति जानता था कि वह रूस का कानून तोड़ रहा है. जानबूझकर कानून को नजरअंदाज करते हुए वह इलाज के लिए विदेश गया और जानबूझकर ऐसा काम किया जिसके लिए हिरासत में लिया जा सकता है.”

रूसी राष्ट्रपति ने उलटे अमेरिका पर ही दोहरा रवैया रखने का आरोप लगा दिया और कहा कि वह रूस के अंदरूनी मामलों में दखल देना चाहता है. उन्होंने 6 जनवरी को अमेरिका के कैपिटल हिल पर चढ़ाई करने वालों का भी यह कहते हुए बचाव किया कि उनकी चिंताएं जायज थीं. पुतिन ने साफ कहा, "मानवाधिकारों पर (अमेरिका से) भाषण नहीं सुनेंगे.”

बाइडेन ने क्या कहा

डीडब्ल्यू की मॉस्को संवाददाता एमिली शेरविन ने कहा कि रूस की इच्छा है कि उसे अहम भू-राजनीतिक शक्ति माना जाए और यह इच्छा पूरी करके पुतिन ने एक संतुलन साध ही लिया.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने बैठक के बाद अलग से पत्रकारों से बातचीत की. मुलाकात के बारे में उन्होंने कहा, "मैं आपको बता दूं कि करीब चार घंटे तक चली इस बैठक का माहौल अच्छा था, सकारात्मक था. कोई कड़ा कदम नहीं उठाया गया. जहां हम असहमत थे, मैने असहमति भी जताई. जहां वह असहमत थे, उन्होंने भी साफ कहा. लेकिन यह सब तनावपूर्ण माहौल में नहीं हुआ. कुल मिलाकर, मैंने राष्ट्रपति पुतिन से कहा कि हमें कुछ मूलभूत नियम बनाने होंगे, जिन्हें हम सब मानें.”

बाइडेन ने कहा कि उन्होंने साझा हितों से जुड़े क्षेत्रों पर बात की, जिनका फायदा दोनों देशों को नहीं बल्कि पूरी दुनिया को होगा. उन्होंने साइबर सुरक्षा पर हुई बातचीत को भी अहम बताया. उन्होंने कहा, "हमने साइबर और साइबर सुरक्षा पर काफी समय बिताया. मैंने प्रस्ताव रखा कि कुछ विशेष बुनियादी ढांचों पर हमलों के दायरे से बाहर कर दिया जाए, फिर चाहे वह साइबर हो या कोई और. मैंने उन्हें एक सूची भी दी. इसमें 16 संस्थानों के नाम हैं.”

बाइडेन ने कहा कि अमेरिका के पास बड़ी साइबर क्षमताएं हैं और रूस इस बात को जानता है. उन्होंने कहा, "अगर वे इन मूलभूत नियमों को तोड़ते हैं तो फिर हम जवाब देंगे. और दूसरी बात, मेरे ख्याल अब वह भी शीत युद्ध तो नहीं चाहते.”

वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स, एपी)

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