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समाज

"अच्छे दोस्त असहमत हो सकते हैं"

१६ जुलाई २०२१

गुरुवार को वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से मुलाकात की, जो पद पर रहते हुए दोनों नेताओं की संभवतया अंतिम मुलाकात थी.

तस्वीर: Susan Walsh/AP/picture alliance

बतौर चांसलर अपनी अंतिम अमेरिका यात्रा पर मैर्केल वॉशिंगटन में हैं. गुरुवार को दोनों नेताओं ने रूस के साथ एक पाइपलाइन योजना पर अपनी-अपनी असहमतियों के बावजूद कई मुद्दों पर सहमत होने की बात कही.

अमेरिका रूस के पाइपलाइन प्रोजेक्ट का विरोध करता है जबकि जर्मनी समर्थन. हालांकि दोनों नेताओं ने कहा कि वे रूस के आक्रामक और चीन के लोकतंत्र विरोधी रवैये के विरोध में साथ खड़े होंगे.

राजनीति से संन्यास लेने से पहल अपने आखिरी दौरे पर व्हाइट हाउस पहुंचीं मैर्केल की बाइडेन ने जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि मैर्केल की जिंदगी जर्मनी की और दुनियाभर की अभूतपूर्व सेवा की एक मिसाल है.

अमेरिका की पिछली सरकार में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति रहते दोनों देशो के संबंधों में काफी खटास आ गई थी. लेकिन इस जनवरी में बाइडेन के पद संभालने के बाद से दोनों नेताओं ने पुरानी खाइयों को पाटने की कोशिश की है.

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बाइडेन के पद संभालने के बाद व्हाइट हाउस का दौरा करने वालीं मैर्केल पहली यूरोपीय नेता हैं. उन्होंने कहा, "मैं मित्रता का सम्मान करती हूं."

असहमतियां

भले ही अमेरिका और जर्मनी पुराने सहयोगी हैं, लेकिन बदले भू-राजनीतिक हालात में दोनों पक्षों की असहमतियां स्पष्ट दिखाई दीं. खासकर नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन को लेकर. रूस की यह पाइपलाइन बाल्टिक सागर के नीचे से रूस से जर्मनी तक बनाई जा रही है.

अमेरिका इस योजना को लेकर उत्साहित नहीं है क्योंकि उसे डर है कि रूस इसे यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है. 11 अरब अमेरिकी डॉलर की यह योजना सितंबर में पूरी होने की संभावना है. हालांकि यह यूक्रेन के कुछ दूर से निकलेगी, जिस कारण उसे शुल्क नहीं मिलेगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने दोहराया कि उन्होंने जर्मनी के खिलाफ प्रतिबंध लगाने से इसलिए परहेज किया क्योंकि योजना अब पूरी होने ही वाली है. बाइडेन के इस फैसले की विपक्षी रिपब्लिकन के अलावा उनकी अपनी पार्टी के सदस्यों ने भी आलोचना की थी.

बाइडेन ने कहा कि वह और मैर्केल इस बात पर एकमत हैं कि रूस को ऊर्जा का इस्तेमाल एक भू-राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा, "अच्छे दोस्त असहमत भी हो सकते हैं. पूर्वी यूरोप में नाटो सहयोगियों के खिलाफ रूस के आक्रामक रवैये के खिलाफ हम साथ खड़े हैं और खड़े रहेंगे."

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जर्मनी और अमेरिका चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर भी अलग-अलग मत रखते हैं. जर्मनी चीन के साथ व्यापार को लेकर उत्सुक है जबकि अमेरिका ने कई प्रतिबंध लगाकर चीन के खिलाफ कड़ा रुख जाहिर किया है.

मैर्केल ने भी असहमतियों का जिक्र किया लेकिन दोनों देशों के बीच सहमति और एकता पर जोर दिया. उन्होंन कहा, "हम सबके मूल्य समान हैं, अपने वक्त की चुनौतियों के प्रति हम सबकी प्रतिबद्धता समान है."

रिश्तों की गहराई

78 वर्षीय बाइडेन और 66 वर्षीय मैर्केल के पास दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने के लिए ज्यादा साझा वक्त नहीं है. 2005 से चांसलर मैर्केल इस सितंबर में पद छोड़ रही हैं और राजनीति से संन्यास ले रही हैं.

सितंबर में जर्मनी में आम चुनाव होंगे. सर्वेक्षण कहते हैं कि मैर्केल की पार्टी क्रिश्चन डेमोक्रैट्स को बढ़त मिलनी तय है लेकिन सरकार बनाने के लिए गठबंधन में वह किसे शामिल करेगी, यह अभी तय नहीं है. बाइडेन की डेमोक्रैटिक पार्टी के पास अमेरिकी कांग्रेस में कमजोर बहुमत है जिसे वह अगले साल होने वाले चुनावों में खो भी सकती है.

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार में जर्मनी में राजदूत रहे जॉन एमरसन कहते हैं कि अमेरिका के लिए जर्मनी एक बहुत जरूरी सहयोगी है क्योंकि वह न सिर्फ नाटो सहयोगी और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है बल्कि रूस, मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका के साथ संपर्कों और संबंधों में एक अहम पुल का काम भी करता है. जर्मनी में अमेरिका का सैन्य अड्डा भी है जहां 36 हजार सैनिक हैं.

वीके/एए (रॉयटर्स)

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