अमेरिका और रूस के रिश्ते एक बार फिर रसातल पर पहुंचते दिख रहे हैं. 2020 में अमेरिकी चुनाव में रूसी दखल पर खुफिया रिपोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय राजनीति गरम हो गई है. ट्रंप की तुलना में बाइडेन अलग तेवर अपना रहे हैं.
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने के लिए कीमत चुकानी होगी. बुधवार को प्रसारित इंटरव्यू में बाइडेन ने कहा कि पुतिन को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने की कोशिश के लिए खामियाजा भुगतना पड़ेगा. बाइडेन ने कहा, "उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी और आप बहुत जल्द इसे देखेंगे." दरअसल अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस की ओर से चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी.
बाइडेन का यह बयान नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के कार्यालय की रिपोर्ट के बाद आया है, जिसके मुताबिक पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डॉनल्ड ट्रंप के समर्थन में प्रचार अभियान चलाने में मदद का आदेश दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक मतदाताओं के बीच चुनावी प्रक्रिया में विश्वास कम करने की कोशिश की गई और डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन की उम्मीदवारी को कमजोर करने का प्रयास किया गया.
बाइडेन ने पुतिन को हत्यारा माना
बाइडेन ने कहा कि वह पुतिन को "अच्छी तरह से जानते हैं" और जनवरी में दोनों के बीच "लंबी बातचीत" हुई थी. यह पूछे जाने पर कि क्या वे पुतिन को उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को जहर देने के लिए "हत्यारा" मानते हैं, बाइडेन ने कहा, "हां." बाइडेन की प्रतिक्रिया पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से बिल्कुल अलग है, जिन्होंने 2017 में न केवल एक समान प्रश्न को टाल दिया, बल्कि अपनी गलतियों के लिए देश के इतिहास को दोषी ठहराया था. ट्रंप ने फॉक्स न्यूज में एक इंटरव्यू को कहा था, "बहुत सारे हत्यारे हैं, क्या आपको लगता है कि हमारा देश इतना निर्दोष है?"
रूस ने रिपोर्ट को निराधार बताया
बाइडेन की टिप्पणी के बाद रूस ने बुधवार को अपने अमेरिकी राजदूत को मॉस्को वापस "सलाह" के लिए बुला लिया है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने चुनाव में हस्तक्षेप के आरोपों को "बिल्कुल निराधार और अपुष्ट" कहा और आरोपों को मॉस्को के खिलाफ नए प्रतिबंधों को "सही ठहराने" का प्रयास बताया. बाइडेन ने कहा कि पुतिन पर उनके व्यक्तिगत विचारों के बावजूद वे "ऐसे क्षेत्र में एक साथ काम करना चाहते हैं जहां जो हमारे पारस्परिक हित में है. इसलिए मैंने शस्त्र नियंत्रण संधि को पुनर्जीवित किया. क्योंकि यह मानवता के हित में है."
हैकिंग और चुनाव में हस्तक्षेप के आरोपों पर वॉशिंगटन और मॉस्को के बीच हाल के वर्षों में तनाव बढ़ा है. यही नहीं अमेरिकी क्रेमलिन आलोचक एलेक्सी नावाल्नी को जेल से रिहा करने की मांग भी करता आया है.
एए/सीके (डीपीए, रॉयटर्स)
यूरोप में राजनीति का अखाड़ा बनी एक पाइपलाइन
रूस के साथ जब भी पश्चिमी देशों का विवाद बढ़ता है तो नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन सबके निशाने पर आ जाती है. इसके जरिए बाल्टिक सागर से होते हुए रूसी गैस सीधे जर्मनी आएगी. लेकिन अमेरिका समेत कई देश इस पाइपलाइन के खिलाफ है.
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रूसी गैस की जरूरत
रूस की गिनती दुनिया में तेल और प्राकृतिक गैस से सबसे ज्यादा मालामाल देशों में होती है. खासकर यूरोप के लिए रूसी गैस के बिना सर्दियां काटना बहुत मुश्किल होगा.
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पारंपरिक गैस रूट
अभी रूसी गैस यूक्रेन होकर यूरोप तक पहुंचती है. 2019 में रूसी कंपनी गाजप्रोम के साथ हुई डील के मुताबिक यूक्रेन को 2024 तक 7 अरब डॉलर गैस ट्रांजिट फीस के तौर पर मिलेंगे.
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यूक्रेन का डर
रूस यूरोपीय बाजार के लिए अपनी 40 प्रतिशत गैस यूक्रेन के रास्ते ही भेजता है. लेकिन यूक्रेन को डर है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन चालू होने के बाद उसकी ज्यादा पूछ नहीं होगी.
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नॉर्ड स्ट्रीम 2
नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन रूसी गैस को सीधे जर्मनी तक पहुंचाने के लिए बनाई जा रही है. यह बाल्टिक सागर से गुजरेगी और इस पर 10 अरब यूरो की लागत आएगी.
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क्या है फायदा
माना जाता है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 के जरिए यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को होने वाली रूसी गैस की आपूर्ति दोगुनी हो जाएगी. जर्मनी रूस गैस का सबसे बड़ी खरीददार है.
जर्मनी उत्साहित
इस पाइपलाइन से हर साल रूस से जर्मनी को 55 अरब क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस की आपूर्ति होगी. जर्मनी में चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर बहुत उत्साहित है.
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दबाव
नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन का 90 फीसदी काम पूरा हो गया है. लेकिन इसके खिलाफ आवाजें लगातार तेज हो रही हैं. यूरोप के कई देशों के साथ-साथ अमेरिका भी इसे बंद करने के लिए दबाव डाल रहा है.
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बुरी डील?
अमेरिका भी इसे जर्मन की लिए बुरी डील बताता है. नए अमेरिकी राष्ट्रपति भी बाइडेन भी इसके खिलाफ हैं. वैसे कई जानकार कहते हैं कि अमेरिका दरअसल यूरोप को अपनी गैस बेचना चाहता है.
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रूस पर निर्भरता
फ्रांस और पोलैंड समेत कई यूरोपीय देशों का कहना है कि इस पाइपलाइन से रूस पर यूरोपीय संघ की निर्भरता बढ़ेगी और गैस का पारंपरिक ट्रांजिट रूट कमजोर होगा.
रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नावाल्नी को हुई सजा के बाद नॉर्ड स्ट्रीम 2 के खिलाफ फिर आवाजें तेज हो गई हैं. लेकिन जर्मन सरकार का कहना है कि उसने पाइपलाइन को लेकर अपना रुख नहीं बदला है.
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घरेलू राजनीति
जर्मनी में विपक्षी ग्रीन पार्टी और कारोबार समर्थक एफडीपी पार्टी भी इस प्रोजेक्ट को खत्म करने या रोकने की मांग कर रही हैं. मैर्केल के सत्ताधारी गठबंधन में भी इस पाइपलाइन के खिलाफ स्वर उभरने लगे हैं.