‘भारत का बेटा’: ऋषि सुनक के ब्रिटिश पीएम बनने पर झूमे भारतीय
२५ अक्टूबर २०२२
युनाइटेड किंग्डम के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपने भारतीय मूल और हिंदू पृष्ठभूमि को खुलकर जाहिर किया है और यही वजह है कि भारत में भी उनके इस पद पर पहुंचने को पूरे जश्न के साथ मनाया जा रहा है.
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ऋषि सुनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने की खबरके साथ भारत में सोशल मीडिया पर बधाइयों और खुशी की लहर आ गई. 42 वर्षीय सुनक ब्रिटेन के पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जिनका मूल विदेशी है और रंग गोरा नहीं है. आर्थिक उथल-पुथल से गुजर रहे देश की सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी ने पूर्व वित्त मंत्री सुनक को अपना नेता चुना है.
इस ऐतिहासिक घटना के दिवाली के दिन होने से भारत में खुशी दोगुनी होती देखी गई. लोगों ने अपनी भावनाएं ऐसे जाहिर की, जैसे उन्हीं के बीच में से कोई अपना ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बना हो. दिल्ली के एक उद्योगपति मनोज गर्ग ने कहा, "यह भारत के लिए गर्व की बात है कि जिस देश ने हम पर सदियों तक राज किया, आज वहां का प्रधानमंत्री भारतीय मूल का है.
भारत से रिश्ते
सुनक के दादा-दादी पंजाब के रहने वाले थे. वे 1930 के दशक में पूर्वी अफ्रीका चले गए थे, जहां से 1960 के दशक में वे ब्रिटेन गए और वहीं बस गए. सुनक का जन्म 1980 में इंग्लैंड के पूर्वी तट पर साउथैम्प्टन में हुआ. हालांकि भारत के साथ उनका एक और करीबी रिश्ता है. वह भारतीय अरबपति उद्योगपति और इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति के दामाद है. अक्षता मूर्ति उनकी पत्नी हैं.
इसी साल अप्रैल में अपनी पत्नी के कारण सुनक विवादों में भी रहे थे, जब यह बात सामने आई कि इंफोसिस में एक प्रतिशत के कम की हिस्सेदार अक्षता मूर्ति अपनी विदेशी आय पर ब्रिटेन में टैक्स नहीं दे रही थीं. हालांकि यह अवैध नहीं था लेकिन जब बतौर वित्त मंत्री सुनक अपने देश के लोगों पर कर बढ़ा रहे थे, तब उनकी पत्नी का देश में टैक्स ना देना उनकी छवि को नुकसान पहुंचा रहा था.
भारतीय मूल के नेता जो विश्व भर में छाए
अब तक कई भारतीय मूल के लोग दुनिया भर की सरकारों में तमाम अहम पद संभाल चुके हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा से लेकर मॉरीशस, फिजी, गुयाना जैसे देशों में भी भारतवंशी नेताओं का लंबा इतिहास रहा है.
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ऋषि सुनक
ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बन रहे हैं जो भारतीय मूल के हैं. कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य ऋषि सुनक फरवरी 2020 से ब्रिटिश कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे हैं. इसके पहले वह ट्रेजरी के मुख्य सचिव थे. ऋषि सुनक 2015 में रिचमंड (यॉर्क) से संसद सदस्य के रूप में चुने गए थे. सुनक भारत की कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और लेखिका सुधा मूर्ति के दामाद हैं.
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कमला हैरिस
अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में डेमोक्रैट पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार चुनी गई हैं कमला हैरिस. वह डेमोक्रैट पार्टी की ओर से अमेरिकी कांग्रेस में पांच सीटों पर काबिज भारतीय मूल के सीनेटरों में से एक हैं. कमला हैरिस की मां का नाम श्यामला गोपालन है. किशोरावस्था तक कमला हैरिस अपनी छोटी बहन माया हैरिस के साथ अकसर तमिलनाडु के अपने ननिहाल में आया करती थीं.
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निक्की हेली
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की दूत रह चुकीं निक्की हेली का नाम बचपन में निमरता निक्की रंधावा था. 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन में जगह पाने वाली वह भारतीय मूल की पहली राजनेता बनीं. इससे पहले वह दो बार साउथ कैरोलाइना की गवर्नर रह चुकी थीं. उनके पिता अजीत सिंह रंधावा और मां राजकौर रंधावा का संबंध पंजाब के अमृतसर जिले से है. शादी के बाद उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया.
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बॉबी जिंदल
भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक के रूप में सबसे पहले बॉबी जिंदल लुइजियाना के गवर्नर बने थे. इस तरह निक्की हेली अमेरिका में किसी राज्य की गवर्नर बनने वाली भारतीय मूल की दूसरी अमेरिकी नागरिक हुईं. जिंदल एक बार रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी भी पेश कर चुके हैं. उनके माता पिता भारत से अमेरिका जाकर बसे थे.
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प्रीति पटेल
ब्रिटेन की पहली भारतीय मूल की गृह मंत्री बनीं पटेल हिंदू गुजराती प्रवासियों के परिवार से आती हैं. माता-पिता पहले अफ्रीका के युगांडा जाकर बसे थे जहां उनका जन्म हुआ. 1970 के दशक में उनका परिवार ब्रिटेन आकर बसा. 2010 में कंजर्वेटिव पार्टी से चुनाव जीतकर ब्रिटिश संसद पहुंची प्रीति पटेल खुद बाहर से आकर देश में शरण लेने के इच्छुकों के प्रति काफी सख्त रवैया रखती हैं.
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अनीता आनंद
कनाडा की कैबिनेट में भारतीय मूल के लोगों की भरमार है. पब्लिक सर्विसेज एंड प्रोक्योरमेंट की केंद्रीय मंत्री अनीता इंदिरा आनंद कनाडा की कैबिनेट में शामिल होने वाली पहली हिंदू महिला हैं. इससे पहले वह टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर थीं. भारत से आने वाले इनके माता पिता मेडिकल पेशे से जुड़े रहे. मां स्वर्गीया सरोज राम अमृतसर से और पिता एसवी आनंद तमिलनाडु से आते हैं.
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नवदीप बैंस
ट्रूडो कैबिनेट में साइंस, इनोवेशन एंड इंडस्ट्री मंत्री नवदीप बैंस कनाडा के ओंटारियो प्रांत में जन्मे थे. सिख धर्म के मानने वाले इनके माता पिता भारत से वहां जाकर बसे थे. 2004 में केवल 26 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला चुनाव जीता और कनाडा की संसद में लिबरल पार्टी के सबसे युवा सांसद बने. अपने राजनीतिक करियर में बैंस ने हमेशा इनोवेशन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने की दिशा में काम किया है.
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हरजीत सज्जन
भारत के पंजाब के होशियारपुर में जन्मे हरजीत सज्जन इस समय कनाडा के रक्षा मंत्री हैं. कनाडा की सेना में लेफ्टिनेंट-कर्नल के रूप में सेवा दे चुके सज्जन इससे पहले 11 सालों तक पुलिस विभाग में भी काम कर चुके हैं. पंजाब में ही जन्मे नेता हरबंस सिंह धालीवाल 1997 में कनाडा की केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य बनने वाले पहले भारतीय-कनाडाई थे.
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महेन्द्र चौधरी
दक्षिणी प्रशांत महासागर क्षेत्र में बसे द्वीपीय देश फिजी में भारतीय मूल के लोग ना केवल सांसद या मंत्री बल्कि देश के प्रधानमंत्री तक बने हैं. यहां की 38 फीसदी आबादी भारतीय मूल की ही है. लेबर पार्टी के नेता चौधरी को 1999 में देश का प्रधानमंत्री चुना गया. लेकिन एक साल के बाद ही एक सैन्य तख्तापलट से सरकार गिर गई. एक बार फिर 2006 के संसदीय चुनाव जीत कर वह वित्त मंत्री बने.
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लियो वरादकर
2017 में आयरलैंड के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने लियो वरादकर कंजरवेटिव फिन गेल पार्टी से आते हैं. डब्लिन में पैदा हुए और पेशे से डॉक्टर वरादकर 2007 में पहली बार सांसद बने. 2015 में समलैंगिक विवाह पर आयरलैंड में हुए जनमत संग्रह के दौरान उन्होंने सार्वजनिक तौर पर घोषित किया कि वे खुद समलैंगिक हैं. उनके पिता अशोक मुंबई से आए एक डॉक्टर थे और आयरलैंड में मिरियम नाम की एक नर्स के साथ शादी कर वहीं बस गए.
तस्वीर: DW/G. Reilly
एंतोनियो कॉस्ता
पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंतोनियो कॉस्ता भारत में गोवा से ताल्लुक रखते हैं. 2017 में वह प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजे गए थे. खुद सोशलिस्ट विचारधारा के समर्थन कॉस्ता ज्यादा से ज्यादा प्रवासियों के अपने देश में आने का स्वागत करते हैं. पहले उनके पिता गोआ से मोजाम्बिक गए और फिर उनका परिवार पुर्तगाल में बसा.
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हालांकि यह बात अब उनके ब्रिटेन का पहला विदेशी मूल का प्रधानमंत्री बनने की ऐतिहासिक घटना के नीचे छिप गई है. भारतीय टीवी चैनलों ने सुनक की इस कामयाबी को भारत की निजी कामयाबी की तरह पेश किया है. एनडीटीवी अंग्रेजी ने लिखाः भारत का बेटा साम्राज्य के ऊपर पहुंचा. इंडिया टुडे न्यूज चैनल ने ब्रिटेन की आर्थिक हालत पर टिप्पणी करते हुए लिखा: घायल ब्रिटेन को मिला देसी बॉस.
एक साल पहले ही भारत में ऐसी खुशी कमला हैरिस के अमेरिका का उपराष्ट्रपति बनने पर मनाई गई थी. कमला हैरिस भी भारतीय मूल की हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सुनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने को तारीखी घटना बताया. व्हाइट हाउस में दिवाली के जश्न के दौरान उन्होंने कहा, "यह एक मील का पत्थर है और इसका बड़ा महत्व है.”
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हिंदू और भारतीय
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनक को ट्विटर पर बधाई दी और कहा कि वह वैश्विक मुद्दों पर नए ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ काम करने को लेकर उत्सुक हैं. उन्होंने कहा, "जीवित पुल के जैसे यूके में रह रहे भारतीयों को दिवाली की विशेष बधाई. हमने ऐतिहासिक रिश्तों को आधुनिक साझादीरी में बदला है.”
कई लोगों ने इस बात को प्रमुखता दी है कि ब्रिटेन से आजाद हुए भारत को 75 बरस हुए हैं और एक भारतीय मूल का व्यक्ति वहां का प्रधानमंत्री बन गया है. आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने ट्विटर पर लिखा, "आज जब भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष में एक स्वतंत्र देश के रूप में दिवाली मना रहा है, तो यूके को भारतीय मूल का प्रधानमंत्री मिला है. इतिहास का एक चक्र पूरा हुआ.”
कुछ लोगों ने सुनक के हिंदू होने को भी बड़ी अहमियत दी है. सुनक अपने आपको ‘गर्वित हिंदू' कह चुके हैं. ट्वटिर पर 2020 का वह वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें सुनक का संसद में गीता पर हाथ रखकर संसद सदस्य के तौर पर शपथ लेते देख जा सकते हैं. कुछ अन्य वीडियो भी इसी मकसद से साझे किए जा रहे हैं कि सुनक की धार्मिक पृष्ठभूमि को दिखा सकें. 2020 में सुनक ने कुछ पत्रकारों से कहा था, "मैं पूरी तरह ब्रिटिश हूं. यह मेरा घर, मेरा देश है. लेकिन मेरी सांस्कृति पृष्ठभूमि भारतीय है.”