अमेरिकी राष्ट्रपति अगले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के नेताओं से मिलेंगे, क्वाड बैठक में नेता आमने सामने होंगे. अगले हफ्ते होने वाली इस बैठक की विशेष अहमियत है.
विज्ञापन
व्हाइट हाउस ने सोमवार को कहा कि अगले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिडे सुगा 24 सितंबर को जो बाइडेन से मिलेंगे. ये चारों देश क्वाड का हिस्सा हैं जो 2007 में बनाया गया था.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने एक बयान में कहा, "क्वाड नेता अपने संबंधों को और गहरा करने व व्यहारिकता में सहयोग बढ़ाने के लिए नए क्षेत्र जैसे कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई, जलवायु परिवर्तन का संकट, आधुनिक तकनीकों और साइबर क्षेत्र में साझेदारी और स्वतंत्र व खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र जैसे मुद्दों पर केंद्रित होंगे."
पहली बार मिलेंगे क्वाड नेता
साकी ने इस बात पर जोर दिया कि यह बैठक दिखाती है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सक्रियता बाइडेन-हैरिस सरकार की प्राथमिकता है, जिसे वह बहुपक्षीय जरियों से अंजाम देना चाहते हैं ताकि 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटा जा सके.
तस्वीरः कौन कितना बड़ा दाता
विश्व दाता सूचकांक में कौन कहां
दुनिया में साल 2020 में कितने लोगों ने अनजान लोगों की मदद की है, इसको लेकर ब्रिटिश संस्था चैरिटीज एड फाउंडेशन (सीएएफ) के द्वारा रिपोर्ट जारी की गई है. "वर्ल्ड गिविंग इंडेक्स" में भारत ने 68 पायदान की छलांग लगाई है.
तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS
82वें से 14वें स्थान पर आया भारत
कोविड महामारी के प्रकोप से विश्व को बचाने के लिए भारत ने 'वैक्सीन मैत्री' पहल के तहत कई देशों की मदद की थी. इन्हीं वजहों से इस साल की "वर्ल्ड गिविंग इंडेक्स" (विश्व दाता सूचकांक) की रिपोर्ट के अनुसार भारत को दुनिया का 14वां सर्वाधिक परोपकारी देश बताया गया है.
तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS
गरीब देश बड़े दिलवाले
चैरिटीज एड फाउंडेशन की इंडेक्स के मुताबिक इंडोनेशिया इस रैंकिंग में पहले स्थान पर रहा वहीं केन्या को दूसरा स्थान हासिल हुआ है. इस बार अफ्रीका के चार देश शीर्ष दस उदार देशों में शामिल हुए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Alangkara
महामारी में मदद के हाथ बढ़े
इस रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी के दौरान किए गए दान कार्यों का भी उल्लेख है. इस साल के सर्वेक्षण में दान और परोपकारी गतिविधियों पर लॉकडाउन के प्रभावों के बारे में भी बताया गया है.
तस्वीर: picture-alliance/Xinhua/M. Mohammed
अनजान लोगों की मदद
वर्ल्ड गिविंग इंडेक्स 2021 के मुताबिक बीते साल दुनिया के लगभग तीन अरब व्यस्क लोगों ने किसी न किसी ऐसे व्यक्ति की मदद की, जिसे वह जानते भी नहीं थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Mohamed
जी खोलकर भारतीयों ने मदद की
इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2017-2019 के बीच दान और परोपकारी गतिविधियों में काफी बढ़ोतरी हुई और साल 2020 में भी कई भारतीय दूसरों की सहायता में जुटे थे. भारत में सभी आयु वर्ग के लोगों ने इस साल खुल कर दान किया. आंकड़ों के मुताबिक 61 प्रतिशत भारतीयों ने अनजान लोगों की मदद की.
तस्वीर: Cheena Kapoor
नकद मदद भी की
भारत में जहां 34 प्रतिशत लोग मदद के लिए खुद आगे आए, वहीं 36 प्रतिशत लोगों ने आर्थिक रूप से सहायता की. अमीर देशों की तुलना में गरीब देशों में लोगों की मदद का चलन ज्यादा रहा.
तस्वीर: DW/A. Ansari
अमीर देशों का हाल
अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड, यूके और नीदरलैंड जैसे अमीर देश रैंकिंग में फिसल गए. अनजान लोगों की मदद करने वाले शीर्ष 10 देशों की श्रेणी में जापान आखिरी स्थान पर है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Medina
हर साल जारी होती है रिपोर्ट
चैरिटीज एड फाउंडेशन ब्रिटेन की एक संस्था है, जो हर साल विश्व के लगभग 140 देशों की रैंकिंग जारी करती है. 2009 से यह इस संबंध में लगभग 16 लाख लोगों का साक्षात्कार कर चुकी है.
तस्वीर: picture alliance/AA/H. Baban
8 तस्वीरें1 | 8
अगले हफ्ते जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के नेता संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिस्सा लेने के लिए न्यू यॉर्क जाएंगे और तभी क्वाड की बैठक भी तय की गई है. पिछली बार क्वाड सदस्य मार्च में एक वर्चुअल बैठक में मिले थे. चारों देशों के विदेश मंत्री और अन्य आधिकारिक स्तरों पर मिलते रहे हैं.
कोविड वैक्सीन की सप्लाई के मुद्दे पर चर्चा के लिए अमेरिका सरकार भारत के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए है. एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि 24 सितंबर को होने वाली बैठक में कोविड वैक्सीन की सप्लाई और निर्यात एक अहम मुद्दा होंगे.
भारत-अमेरिका संपर्क
मार्च में जब पिछली बार क्वाड बैठक हुई थी तब कोविड वैक्सीन की सप्लाई को लेकर चारों देशों ने मिलकर काम करने का वादा किया था. लेकिन उसके फौरन बाद भारत में कोरोना वायरस की एक भयानक लहर आई और लाखों लोगों की जान चली गई. इसके चलते दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक भारत ने निर्यात रोक दिया था.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि वे भारत और अन्य क्वाड सहयोगियों के साथ लगातार संपर्क में हैं ताकि कोविड वैक्सीन पर सहयोग को जारी रखा जा सके. एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि वॉशिंगटन ने भारत की आपातकालीन जरूरत को देखते हुए अप्रैल में अपना कच्चा माल भारत को दे दिया था.
इस अधिकारी ने कहा, "हम दुनियाभर के लिए सुरक्षित और प्रभावशाली वैक्सीन का सबसे बड़ा उत्पादक होने के लिए हम भारत की सराहना करते हैं. हम यह भी मानते हैं कि कोवैक्स (कार्यक्रम) और दुनिया भारत के योगदान पर निर्भर है. अमेरिका के लिए अहम है कि वो अपने सारे साझीदारों और सहोगियों से संवाद करे ताकि महामारी को खत्म करने के लिए मिलकर जरूरी कदम उठाए जा सकें."
वीके/एए (रॉयटर्स, डीपीए)
तस्वीरेंः कई कूटनीतिक विवादों में फंसा है चीन
एक साथ कई कूटनीतिक विवादों में फंसा है चीन
भारत के साथ सीमा-विवाद हो, हॉन्ग कॉन्ग को लेकर आलोचना हो या महामारी के फैलने के पीछे उसकी भूमिका को लेकर जांच की मांग, चीन इन दिनों कई मोर्चों पर कूटनीतिक विवादों में फंसा हुआ है. आइए एक नजर डालते हैं इन विवादों पर.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. Peng
कोरोनावायरस
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने मांग की है कि चीन जिस तरह से कोरोनावायरस को रोकने में असफल रहा उसके लिए उसकी जवाबदेही सिद्ध की जानी चाहिए. कोरोनावायरस चीन के शहर वुहान से ही निकला था. चीन पर कुछ देशों ने तानाशाह जैसी "वायरस डिप्लोमैसी" का भी आरोप लगाया है.
तस्वीर: Ng Han Guan/AP Photo/picture alliance
अमेरिका
विश्व की इन दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के आपसी रिश्ते पिछले कई दशकों में इतना नीचे नहीं गिरे जितने आज गिर गए हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार और तकनीक को लेकर विवाद तो चल ही रहे हैं, साथ ही अमेरिका के बार बार कोरोनावायरस के फैलने के लिए चीन को ही जिम्मेदार ठहराने से भी दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़ गए हैं. चीन भी अमेरिका पर हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनों को समर्थन देने का आरोप लगाता आया है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/A. Hosbas
हॉन्ग कॉन्ग
हॉन्ग कॉन्ग अपने आप में चीन के लिए एक बड़ी कूटनीतिक समस्या है. चीन ने वहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करना चाहा लेकिन अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने इसका विरोध किया. हॉन्ग कॉन्ग कभी ब्रिटेन की कॉलोनी था और चीन के नए कदमों के बाद ब्रिटेन ने कहा है कि हॉन्ग कॉन्ग के ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट धारकों को विस्तृत वीजा अधिकार देगा.
चीन ने लोकतांत्रिक-शासन वाले देश ताइवान पर हमेशा से अपने आधिपत्य का दावा किया है. अब चीन ने ताइवान पर उसका स्वामित्व स्वीकार कर लेने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है. लेकिन भारी मतों से दोबारा चुनी गई ताइवान की राष्ट्रपति ने चीन के दावों को ठुकराते हुए कह दिया है कि सिर्फ ताइवान के लोग उसके भविष्य का फैसला कर सकते हैं.
तस्वीर: Office of President | Taiwan
भारत
भारत और चीन के बीच उनकी विवादित सीमा पर गंभीर गतिरोध चल रहा है. सुदूर लद्दाख में दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे पर अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं. दोनों में हाथापाई भी हुई थी.
तस्वीर: Reuters/Handout
शिंकियांग
चीन की उसके अपने पश्चिमी प्रांत में उइगुर मुसलमानों के प्रति बर्ताव पर अमेरिका और कई देशों ने आलोचना की है. मई में ही अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने उइगुरों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लागू करने वाले एक विधेयक को बहुमत से पारित किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/File
हुआवेई
अमेरिका ने चीन की बड़ी टेलीकॉम कंपनी हुआवेई को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की थीं. उसने अपने मित्र देशों को चेतावनी दी थी कि अगर वो अपने मोबाइल नेटवर्क में उसका इस्तेमाल करेंगे तो उनके इंटेलिजेंस प्राप्त की जाने वाली संपर्क प्रणालियों से कट जाने का जोखिम रहेगा. हुआवेई ने इन आरोपों से इंकार किया है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/J. Porzycki
कनाडा
चीन और कनाडा के रिश्ते तब से खराब हो गए हैं जब 2018 में कनाडा ने हुआवेई के संस्थापक की बेटी मेंग वानझाऊ को हिरासत में ले लिया था. उसके तुरंत बाद चीन ने कनाडा के दो नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया था और केनोला बीज के आयात को ब्लॉक कर दिया था. मई 2020 में मेंग अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ दायर किया गया एक केस हार गईं.
तस्वीर: Reuters/J. Gauthier
यूरोपीय संघ
पिछले साल यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने आपस में तय किया कि वो चीन के प्रति अपनी रण-नीति और मजबूत करेंगे. संघ हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर चीन की दबाव वाली कूटनीति को ले कर चिंतित है. संघ उसकी कंपनियों के चीन के बाजार तक पहुंचने में पेश आने वाली मुश्किलों को लेकर भी परेशान रहा है. बताया जा रहा है कि संघ की एक रिपोर्ट में चीन पर आरोप थे कि वो कोरोनावायरस के बारे में गलत जानकारी फैला रहा था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Messinger
ऑस्ट्रेलिया
मई 2020 में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से जौ (बार्ली) के आयत पर शुल्क लगा दिया था. दोनों देशों के बीच लंबे समय से झगड़ा चल रहा है. दोनों देशों के रिश्तों में खटास 2018 में आई थी जब ऑस्ट्रेलिया ने अपने 5जी ब्रॉडबैंड नेटवर्क से हुआवेई को बैन कर दिया था. चीन ऑस्ट्रेलिया की कोरोनावायरस की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर भी नाराज है.
तस्वीर: Imago-Images/VCGI
दक्षिण चीन सागर
दक्षिण चीन सागर ऊर्जा के स्त्रोतों से समृद्ध इलाका है और चीन के इस इलाके में कई विवादित दावे हैं जो फिलीपींस, ब्रूनेई, विएतनाम, मलेशिया और ताइवान के दावों से टकराते हैं. ये इलाका एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग भी है. अमेरिका ने आरोप लगाया है कि चीन इस इलाके में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए कोरोनावायरस के डिस्ट्रैक्शन का फाय उठा रहा है.