जो बाइडेन के पास अब राष्ट्रपति के रूप में कुछ ही हफ्ते बचे हैं. इन आखिरी दिनों में वह अपनी विरासत को मजबूत करने और छवि सुधारने की कोशिश में बड़े फैसले ले रहे हैं.
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हर पिछली सरकार की तरह, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी आजकल, अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले अपने अधूरे काम पूरे करने की होड़ में लगे हैं. उनके पास अपनी नीतियों की रक्षा करने और अपनी विरासत को मजबूत करने का यह आखिरी मौका है. डॉनल्ड ट्रंप 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे.
डॉनल्ड ट्रंप की वापसी के साथ, बाइडेन का यह प्रयास और भी महत्वपूर्ण हो गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि बाइडेन अपनी सरकार के फैसलों को सुरक्षित रखने और अपनी छवि को सुधारने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं.
कैन्सस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रॉबर्ट रोलैंड कहते हैं, "जाते-जाते राष्ट्रपति अक्सर अपनी छवि बनाने और जितना हो सके उतना काम पूरा करने की कोशिश करते हैं."
बाइडेन भी इससे अलग नहीं हैं. उनकी हाल की गतिविधियों में यह साफ दिखता है. उनके सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनकी शारीरिक थकान भी साफ नजर आती है.
अमेरिकाकी प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के इतिहासकार जूलियन जेलिजर कहते हैं, "जब सत्ता एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाती है, तो ऐसे वक्त में आमतौर पर राष्ट्रपति बहुत सक्रिय हो जाते हैं."
मौत की सजा पर फैसला
हाल ही में, बाइडेन ने मौत की सजा पाए 40 में से 37 संघीय कैदियों की मौत की सजा को माफ कर दिया. इस फैसले से रिपब्लिकन पार्टी के नेता भड़क गए. डॉनल्ड ट्रंप ने इसका जवाब देते हुए और कड़ी सजा की मांग की है.
रोलैंड का कहना है, "बाइडेन असल में ट्रंप के आने वाले फैसलों से डर रहे हैं. यही डर उन्हें अपनी नीतियों को बचाने और अपनी सरकार की उपलब्धियों को मजबूत करने के लिए प्रेरित कर रहा है."
सबसे ज्यादा इन देशों में दी जाती है मौत की सजा
बहुत से देशों में मौत की सजा खत्म कर दी गई है या उसे कुछ दुर्लभ मामलों के लिए सीमित किया जा रहा है. हालांकि अब भी कई देश हैं जहां यह जारी है. देखिए उन देशों को जहां सबसे ज्यादा लोगों को मौत की सजा दी जाती है.
तस्वीर: Allison Bailey/NurPhoto/picture alliance
कितने देशों में फांसी की सजा
117 देशों ने फांसी की सजा पूरी तरह खत्म कर दी है. 9 देशों ने युद्ध के दौरान किए अपराधों को छोड़ कर बाकी सब में मौत की सजा पर रोक लगा दी है. 23 देश ऐसे हैं, जहां मौत की सजा अब भी दी जाती है, लेकिन बीते 10 सालों में किसी को यह सजा नहीं दी गई. 55 देशों में मौत की सजा अब भी दी जाती है.
चीन
चीन की सरकार मौत की सजाओं को गुप्त रखती है. इनके बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती. अनुमान है कि हर साल यहां हजारों लोगों को मौज की सजा दी जाती है. मौत की सजा के लिए उन्हें गोली मारी जाती है या कुछ मामलों में जहर का इंजेक्शन दिया जाता है. 2022 में यहां करीब एक हजार लोगों को मौत की सजा दी जाने की जानकारी मिली थी.
तस्वीर: PantherMedia/picture alliance
ईरान
ईरान में दी गई 80 फीसदी से ज्यादा मौत की सजा गोपनीय रखी जाती है. हालांकि कुछ मौत की सजाओं का बकायदा एलान होता है. हर साल यहां फांसी की सजा पाने वाले लोगों की संख्या सैकड़ों मे होती है. 2020 में 246 तो 2021 में 314 लोगों को फांसी की सजा दी गई. चीन के बाहर दी जाने वाली मौत की सजाओं में 90 फीसदी ईरान, सऊदी अरब और मिस्र में दी जाती हैं.
तस्वीर: Allison Bailey/NurPhoto/picture alliance
सऊदी अरब
सऊदी अरब अकेला ऐसा देश है जहां अब भी लोगों का सिर काट कर मौत की सजा दी जाती है. साल 2020 में 27 लोगों को यह सजा मिली. इससे पहले के पांच सालों में यह औसत प्रति वर्ष 146 था. कोविड की महामारी भी इसका एक बड़ा कारण था. इसके बाद के सालों में फिर से मौत की सजा पाने वालों की संख्या बढ़ गई है. 12 मार्च 2022 को यहां 81 लोगों को मौत की सजा दी गई जो देश के इतिहास में सबसे ज्यादा है.
तस्वीर: FAYEZ NURELDINE/AFP/Getty Images
मिस्र
मिस्र में 2011 की क्रांति के बाद फांसी की सजाओं में बहुत बढ़ोत्तरी हुई है. कई मानवाधिकार संगठन यहां की सरकार पर मौत की सजा का इस्तेमाल राजनीतिक विरोध को दबाने में करने का आरोप लगाते हैं. यहां भी मौत की सजा को गोपनीय ही रखा जाता है. 2022 में यहां 536 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई. इसी साल 24 लोगों को फांसी पर लटकाया गया.
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इराक
सबसे ज्यादा और अकसर मौत की सजा देने वाले देशों में इराक भी प्रमुख है. यहां का आतंकवाद रोधी कानून बहुत व्यापक और काफी अस्पष्ट है, इसी कानून के तहत बहुत से लोग मौत की सजा पाते हैं. की बार गाड़ियों की तस्करी और सरकारी दस्तावेज चुराने के दोषियों को भी मौत की सजा मिलती है. आमतौर पर यहां फांसी पर लटका कर मौत की सजा दी जाती है. 2022 में यहां करीब 7,900 लोग मौत की सजा के इंतजार में थे.
तस्वीर: Murtadha Al-Sudani/AA/picture alliance
उत्तर कोरिया
मौत की सजा के लिए कुख्यात देशों में उत्तर कोरिया भी शामिल है. यहां उन चार देशों में एक है जहां सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दी जाती है. हत्या, बलात्कार, जासूसी, राजनीतिक विरोध और सरकार की पाबंदी वाली मीडिया के इस्तेमाल पर भी यहां मौत की सजा मिल सकती है. मौत की सजा पाए लोगों के शव भी उनके परिजनों को नहीं सौंपे जाते.
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यमन
यमन में भारतीय नर्स को मौत की सजा सुनाई गई है. हाल ही में यमन के राष्ट्रपति ने भी इस सजा पर मुहर लगा दी. 2021 में यमन में 14 लोगों को मौत की सजा दी गई. 2022 तक यहां 84 लोग मौत की सजा पाने का इंतजार कर रहे थे. आबादी के हिसाब से यहां मौत की सजा की दर काफी ज्यादा है. यहां गोली मार कर मौत की सजा दी जाती है और कभी कभी सार्वजनिक रूप से भी मौत की सजा मिलती है.
तस्वीर: AP
जापान
चीन की तरह जापान में भी मौत के सजा की तारीख की पहले से घोषणा नहीं होती. मरने वालों को 1-2 घंटे पहले ही इसका पता चलता है. सजा देने के बाद जेल अधिकारी लोगों को इसकी जानकारी देते हैं. ज्यादातर मामलों में कई लोगों की हत्या के लिए यहां मौत की सजा मिलती है. यहां भी फांसी पर लटका कर मौत की सजा दी जाती है. 2022 में यहां 116 लोग मौत की सजा पाने का इंतजार कर रहे थे.
तस्वीर: Kyodo News/IMAGO
अमेरिका
संयुक्त राज्य अमेरिका, अमेरिकी महाद्वीप में अकेला ऐसा देश है जहां अपराधियों को मौत की सजा मिलती है. इसके 50 में से 27 राज्य अब भी मौत की सजा देते हैं. अमेरिका में 2022 तक 2,46 कैदी यहां दशकों तक जेल में मौत की सजा का इंतजार करते हैं जो कई दशकों तक हो सकता है. यहां जहर का इंजेक्शन देने के साथ ही बिजली के झटके, जहरीली गैस, फांसी और गोली मार कर मौत की सजा दी जाती है.
तस्वीर: Nate Jenkins/AP/picture alliance
भारत
भारत भी उन देशों में है जहां अब भी फांसी की सजा दी जाती है. फिलहाल यहां 539 कैदी मौत की सजा के इंतजार कर रहे हैं. आखिरी बार 2020 में यहां चार लोगों को मौत की सजा मिली थी. यह सभी निर्भया बलात्कार कांड के दोषी थे. भारत में फांसी पर लटका कर मौत की सजा दी जाती है.
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दक्षिण कोरिया
दक्षिण कोरिया में फांसी पर लटका कर मौत की सजा दी जाती है हालांकि अगर अपराध देश की सेना से जुड़ा हो, तो फिर दोषियों को गोली मारने का रिवाज है. 2021 तक यहां 60 कैदी मौत की सजा पाने के इंतजार में थे. आखिरी बार यहां 1997 में फांसी की सजा दी गई थी. (स्रोतः सभी आंकड़े मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल और वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की वार्षिक रिपोर्टों से लिए गए हैं.)
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बाइडेन ने अपने कार्यकाल के अंत में 39 राष्ट्रपति क्षमादान दिए और करीब 1,500 लोगों की सजा कम की. व्हाइट हाउस ने इसे आधुनिक इतिहास का सबसे बड़ा क्षमादान बताया.
ब्राउन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर वेंडी शिलर कहती हैं, "हर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के अंत में माफी और सजा कम करने के फैसले लेते हैं."
विवादास्पद फैसला
बाइडेन का सबसे विवादास्पद फैसला रहा उनके बेटे हंटर बाइडेन को माफ करना. बाइडेन ने कहा कि उनके बेटे के साथ अदालत और अभियोजकों ने अनुचित व्यवहार किया. इस फैसले की ट्रंप और रिपब्लिकन नेताओं ने तीखी आलोचना की. यहां तक कि डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ नेताओं ने भी इसे गलत बताया.
रोलैंड कहते हैं, "इस माफी ने बाइडेन की छवि को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. यही वजह है कि वह अपने प्रशासन की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने के लिए और ज्यादा मेहनत कर रहे हैं."
छात्र ऋण के मुद्दे पर भी बाइडेन ने आखिरी समय में बड़ा कदम उठाया. उन्होंने सरकारी सेवाओं में काम कर रहे 55,000 लोगों के स्टूडेंट लोन माफ कर दिए. उन्होंने कहा, "मेरे प्रशासन ने विभिन्न कदमों के तहत लगभग 50 लाख लोगों को स्टूडेंट लोन की माफी दी है."
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यूक्रेन को मदद भेजने की होड़
बाइडेन का सबसे बड़ा कदम रहा यूक्रेन को अधिक से अधिक मदद पहुंचाना. हाल ही में अमेरिका ने यूक्रेन के लिए नई रणनीति का एलानकिया. उन्होंने ट्रंप के आने से पहले यूक्रेन को कई अरब डॉलर के सैन्य उपकरण भेजे. ट्रंप पहले ही यूक्रेन में अमेरिकी मिसाइलों के इस्तेमाल का विरोध कर चुके हैं, जिसकी इजाजत बाइडेन ने दीथी.
बाइडेन ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए नए वादे किए. हालांकि, ट्रंप और उनकी रिपब्लिकन पार्टी इन्हें पलटने की कोशिश कर सकते हैं. बाइडेन ने न्यायपालिका में विविधता लाने पर जोर दिया. उन्होंने पहली अश्वेत महिला को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया. अपने कार्यकाल में उन्होंने कुल 235 फेडरल जजों की नियुक्ति करवाई. यह किसी भी एक कार्यकाल में सबसे ज्यादा है.
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने का भारत के आईटी सेक्टर पर असर
06:56
डेमोक्रेटिक पार्टी ने ट्रंप की नीतियों को अदालत में चुनौती देने की तैयारी की है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में रिपब्लिकन पार्टी के पास 6-3 का बहुमत है. विशेषज्ञ मानते हैं कि बाइडेन के आखिरी फैसले उनके प्रशासन की विरासत को कुछ हद तक बचा सकते हैं.
बाइडेन अपने अंतिम दिनों में बड़े और विवादास्पद फैसले लेकर अपनी विरासत को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उनकी राह आसान नहीं है, खासकर तब जब ट्रंप जैसे प्रतिद्वंद्वी सत्ता में लौट रहे हैं.