क्यों नहीं रुक रही चॉकलेट के उत्पादन में बाल मजदूरी
१२ अक्टूबर २०१९
बड़ी चॉकलेट कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं से बाल मजदूरी को खत्म नहीं कर पा रही हैं. ज्यातर का कहना है कि वे तीसरी कंपनियों से कोको खरीदते हैं जहां मुख्यतः बाल मजदूरी होती है.
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गोदीवा, लिंट और हर्षि जैसी बड़ी चॉकलेट कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं से बाल श्रम को दूर करने में सफल नहीं हो पा रही हैं, ये दावा किया है एक एक्टिविस्ट समूह द्वारा जारी की गई एक नई रैंकिंग ने. गोदीवा को सबसे खराब रैंक मिली है, जिसका प्रदर्शन फरेरो और मोंडेलेज जैसे चॉॉकलेट से खराब पाया गया. ये बाल मजदूरी और वन-कटाई को कम करने के प्रयासों का आकलन करने वाला एक स्कोरकार्ड है जिसे एक्टिविस्ट समूह ग्रीन अमेरिका ने छापा है. मार्स और नेस्ले को लिंट और हर्षि से थोड़ा बेहतर पाया गया, जबकि सबसे अच्छा ग्रेड आल्टर एको, डिवाइन और टोनीज चोकलोनेली जैसी सात छोटी कंपनियों को मिला है.
बाहर से कोको की खरीद
दुनिया के कोको का अधिकतर हिस्सा पश्चिमी अफ्रीका के देश घाना और आइवरी कोस्ट में गरीब किसान परिवार उगाते हैं और अनुमान है कि वहां करीब 16 लाख बच्चे इस उद्योग में काम करते हैं. कंपनियों का कहना है कि वो इस समस्या को ठीक करने की कोशिश कर रही हैं. ग्रीन अमेरिका के अनुसार कुछ कंपनियों के प्रयासों को शुरू हुए अभी काफी कम समय हुआ है जबकि कुछ और कंपनियों को पारदर्शिता न रखने के लिए निचले ग्रेड मिले हैं. ग्रीन अमेरिका की श्रम न्याय प्रबंधक शार्लट टेट ने कहा, "इस हेलोवीन पर और रोज ही, बच्चों तक ऐसी कैंडीज पहुंचाई जानी चाहिए जिन्हें बाल श्रमिकों ने न बनाया हो."
गोदीवा का कहना है कि वो कोको तीसरी पार्टियों से खरीदती है जिसकी वजह से उसे कम अंक मिले. कंपनी की एक प्रवक्ता ने ईमेल के जरिए बताया, "हम अपने सप्लायरों के साथ गोदीवा आचार संहिता का पालन करने के लिए किए गए समझौतों के जरिए नैतिक रूप से चॉकलेट मंगाना सुनिश्चित करते हैं. इस संहिता में जोर-जबरदस्ती और बाल श्रम पर कड़ा प्रतिबन्ध है." और कंपनियों ने टिप्पणी के लिए किए गए अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया.
बच्चों के लिए सबसे अच्छे देश ये हैं...
बच्चों के लिए सबसे अच्छे देश कौन से हैं, सेव द चिल्ड्रन नाम की संस्था ने 175 देशों को इस कसौटी पर कसा. देखिए उसकी रैंकिंग में सबसे ऊपर कौन हैं.
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1. सिंगापुर (987)
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1. स्लोवेनिया (987)
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3. नॉर्वे (985)
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3. स्वीडन (985)
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5. फिनलैंड (984)
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6. आयरलैंड (981)
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6. नीदरलैंड्स (981)
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8. आइसलैंड (980)
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8. इटली (980)
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8. दक्षिण कोरिया (980)
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12. साइप्रस (978)
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12. जर्मनी (978)
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14. फ्रांस (977)
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14. स्पेन (978)
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16. बेल्जियम (976)
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17. ऑस्ट्रेलिया (975)
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17. स्विट्जरलैंड (975)
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19. जापान (973)
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19. इस्राएल (973)
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19. लक्जमबर्ग (978)
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फेयर ट्रेड वाला कच्चा माल
अधिकतर बड़ी चॉकलेट कंपनियां इस पर मेहनत कर रही हैं कि उनके कोको का वो हिस्सा बढे जो फेयर ट्रेड और रेनफॉरेस्ट अलायन्स जैसे नैतिक समूहों या उनके अपने प्रमाणन कार्यक्रमों से प्रमाणित हो. कइयों ने 2020 तक 100 प्रतिशत प्रमाणित कोको ही इस्तेमाल करने का लक्ष्य बनाया है. लेकिन ग्रीन अमेरिका का कहना है कि सिर्फ इतना काफी नहीं है, ये भी देखना आवश्यक है कि कंपनियों ने समुदायों का समर्थन करने और किसानों की आय को बढ़ाने वाले कदम भी उठाए हैं या नहीं. अंतर्राष्ट्रीय कोको इनिशिएटिव के अनुसार कोको की खेती करने वाले अधिकतर परिवार विश्व बैंक की दो डॉलर प्रतिदिन की गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं, जिसकी वजह से अपने आप बाल श्रम को बढ़ावा मिलता है.
घाना और आइवरी कोस्ट ने कहा है कि वे दोनों देश इस साल एक लिविंग इनकम डिफरेंशियल नामक एक आय योजना ले कर आए थे, जिससे किसानों की गरीबी कम हो सके, लेकिन कोको कंपनियों का ध्यान उस योजना से कहीं ज्यादा उनकी अपनी निरंतरता पर है. दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा, "दोनों देश 2019/20 के लिए सभी निरंतरता और प्रमाणन कार्यक्रमों का फिर से परीक्षण कर रहे हैं."
तमाम कानून और नियमों के बावजूद बाल मजूदरी आज भी कई मुल्कों में बड़ी समस्या बनी हुई है. वैश्विक जोखिमों जैसे विषयों पर शोध करने वाली लंदन की रिसर्च कंपनी वेरस्कि मेपलक्रोफ्ट ने ऐसे देशों की एक सूची जारी की है
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1. उत्तर कोरिया
इस सूचकांक में जिन 27 देशों को बाल श्रम के लिहाज से अत्याधिक जोखिम वाला बताया गया है उसमें सबसे पहले एशियाई देश उत्तर कोरिया का नंबर आता है.
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2. सोमालिया
साल 2018 के आंकड़ों के मुताबिक अफ्रीकी देश सोमालिया में पांच से चौदह साल के तकरीबन 38 फीसदी बच्चे बतौर बाल श्रमिक काम कर रहे हैं. निर्माण और खनन कार्य में इनसे सबसे ज्यादा काम लिया जाता है.
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3. दक्षिण सूडान
पांच साल तक गृह युद्ध झेलने वाले दक्षिणी सूडान में बच्चे खनन और निर्माण कार्य के साथ-साथ देह व्यापार में जाने को मजबूर हैं. बाल श्रम रोकने के लिए देश में श्रम कानून 2017 लाया गया लेकिन अब भी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है.
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4. इरीट्रिया
अफ्रीकी देश इरीट्रिया में बच्चे कृषि के साथ साथ सोने के खनन में भी झोंक दिए जाते हैं. इसके अलावा बच्चों की तस्करी भी यहां की बड़ी समस्या है.
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5. मध्य अफ्रीकी गणराज्य
हिंसाग्रस्त अफ्रीकी इलाकों में बच्चों को गैर सरकारी हथियारबंद गुट भी बतौर चाइल्ड कमांडों भर्ती किए जाते हैं. इस पर संयुक्त राष्ट्र भी कई बार चिंता जता चुका है लेकिन अब तक जमीन पर कुछ भी ठोस नहीं हुआ है.
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6. सूडान
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन के आंकड़ों के मुताबिक सूडान में तकरीबन 47 फीसदी बच्चे जोखिम भरे काम करने को मजबूर हैं. ग्रामीण इलाकों में करीब 13 फीसदी बच्चे कुल श्रम बल का हिस्सा हैं, वहीं शहरों में यह औसत करीब पांच फीसदी है.
दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला में अधिकतर बच्चे घरेलू काम और देह व्यापार में झोंक दिए जाते हैं. वेनेजुएला से हर साल हजारों बच्चों की तस्करी कर उन्हें कोलंबिया भी भेजा जाता है और उनसे बतौर सेक्स वर्कर काम लिया जाता है.
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8. पापुआ न्यू गिनी
एशिया-प्रशांत में बसे इस द्वीप में भी बच्चों को सेक्स कारोबार में लगा दिया जाता है. हालांकि स्थिति में बेहतरी के लिए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से नेशनल एक्शन प्लान टू एलीमिनेट चाइल्ड लेबर भी लॉन्च किया लेकिन अब तक कोई खास सफलता नहीं मिली.
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9. चाड
पिछली रिपोर्टों के मुताबिक चाड में अधिकतर बच्चों को कृषि कार्य में लगाया जाता है. हालांकि यहां बड़ी संख्या में बच्चों की खरीद-फरोख्त भी इसलिए होती है ताकि उन्हें तेल उत्पादन के कार्यों में लगाया जा सके.
तस्वीर: UNICEF/NYHQ2010-1152/Asselin
10. मोजाम्बिक
मोजाम्बिक के श्रम मंत्रालय ने साल 2017 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि देश में सात से 17 साल के करीब दस लाख बच्चे बतौर बाल श्रमिक काम करने को मजबूर हैं. रिपोर्ट में कहा गया था कि बच्चों को ट्रांसपोर्ट, खनन, कृषि कार्य के साथ-साथ सेक्स कारोबार में भी धकेला जाता है.