एक तरफ राज्य में जहरीली शराब से लगातार हो रही मौत तथा दूसरी तरफ अदालतों की तल्ख टिप्पणी के बाद बिहार में लागू शराबबंदी कानून में एक बार फिर बड़े बदलाव की तैयारी है.
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बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम, 2016 में दूसरी बार संशोधन का प्रस्ताव लाया जा रहा है. इसके तहत पहली बार यदि शराब पीते पकड़े गए तो वहीं जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाएगा. दोबारा पकड़े जाने पर जेल की हवा खानी पड़ेगी. इसके साथ ही शराब से संबंधित सामान्य मामलों में भी राहत देने पर विचार किया जा रहा है.
नालंदा और सारण जिले में जनवरी माह में जहरीली शराब से 21 लोगों की मौत का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल अंतर्गत मुरार थाना क्षेत्र के अमसारी गांव में पांच लोगों की मौत हो गई तथा दो अन्य को गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया.
इन सभी लोगों ने 26 जनवरी के जश्न में शराब पार्टी का आयोजन किया था. देसी शराब पीने के चंद घंटों के अंदर ही एक-एक करके लोगों ने अपनी जान गवां दीं. हर बार की तरह पुलिस-प्रशासन ने इनकार करने के बजाय प्रथम दृष्टया ही स्वीकार कर लिया कि जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत हुई है. संभवत: पहली बार ऐसा हुआ है.
शिक्षा में बंगाल अव्वल, बिहार फिसड्डी
भारत सरकार की इकनॉमिक अडवाइजरी काउंसिल टु द प्राइम मिनिस्टर (EAC-PM) ने 2021 का फाउंडेशनल लिटरेसी ऐंड न्यूमरेसी इंडेक्स जारी किया है. यह इंडेक्स बताता है कि 10 साल से कम उम्र के छात्रों का ज्ञान किस स्तर पर है.
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सबसे ऊपर पश्चिम बंगाल
इस इंडेक्स में पश्चिम बंगाल के बच्चों को सबसे होनहार बताया गया है. यह बड़े राज्यों की श्रेणी का नतीजा है. सबसे खराब नंबर बिहार को मिले. तमिलनाडु दूसरे और महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर रहा.
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छोटे राज्यों में केरल अव्वल
छोटे राज्यों की श्रेणी में सबसे ज्यादा ज्ञान केरल के बच्चों में पाया गया. सबसे बुरा हाल झारखंड का रहा. दूसरे नंबर पर हिमाचल प्रदेश और तीसरे पर पंजाब का नंबर था.
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केंद्र शासित प्रदेश
यूटी कैटिगरी में लक्षद्वीप सबसे ऊपर रहा जबकि लद्दाख का प्रदर्शन सबसे खराब रहा.
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उत्तर पूर्वी राज्य
उत्तर पूर्वी राज्यों की कैटिगरी अलग थी. वहां मिजोरम को अव्वल नंबर दिया गया जबकि अरुणाचल प्रदेश को सबसे कम.
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औसत से भी नीचे
इस अध्ययन में पाया गया कि आधे से ज्यादा राज्यों का स्कोर राष्ट्रीय औसत (28.05) से नीचे था.
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पैमाने
इस अध्ययन में विभिन्न राज्यों को 41 मानकों पर परखा गया. इसके लिए पांच स्तंभ तय किए गए थे जिनमें शिक्षा तक पहुंच, आधारभूत स्वास्थ्य, नतीजे और प्रशासन शामिल हैं
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पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार सिंह ने कहा, ‘‘प्रारंभिक जांच से प्रतीत होता है कि सभी ने शराब पी थी. अवैध रूप से शराब बनाकर उपलब्ध कराने वालों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करने की कार्रवाई की जा रही है.''
शराबबंदी को लेकर पुलिस व प्रशासनिक तंत्र पहले से ही निशाने पर रहा है. नालंदा की घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा था कि अगर शराबबंदी लागू करना है तो सबसे पहले नालंदा प्रशासन द्वारा गलत बयान देने वाले उस अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए, क्योंकि प्रशासन का काम जहरीली शराब से मृत व्यक्तियों की मौत का कारण अजीबो-गरीब बीमारी बताना नहीं होता है.
जायसवाल ने कहा,‘‘इससे साफ जाहिर होता है कि प्रशासन शराब माफिया से मिला हुआ है और उसकी करतूतों को छुपाने का काम कर रहा है. शराब के अवैध कारोबार को खत्म करना है तो भ्रष्ट प्रशासन तंत्र, संलिप्त पुलिस व माफिया की तिकड़ी को खत्म करना होगा.''
क्यों किया जा रहा संशोधन?
बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम में पहली बार 2018 में संशोधन किया गया था. इसके तहत शराब पीते हुए पकड़े जाने के अपराध को जमानती बनाया गया. पुलिस स्टेशन से ही जमानत देने का प्रावधान किया गया. पहली बार शराब पीने के आरोप में पकड़े गए व्यक्ति को 50,000 रुपये का जुर्माना देकर रिहा करने का प्रावधान किया गया.
तब रिहाई का अधिकार कोर्ट के पास था जबकि मूल कानून में दस साल की जेल का प्रावधान था. हालांकि इस पर खास अमल नहीं किया गया. अब दूसरी बार का संशोधन प्रस्ताव दरअसल शराबबंदी कानून को लागू करने के तरीके को लेकर हो रही आलोचनाओं तथा अदालतों की फटकार के बाद लाया जा रहा है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने भी इस कानून में दूरदर्शिता का अभाव बताया था तथा कहा था कि इस वजह से हाईकोर्ट में जमानत के आवेदनों का अंबार लग गया है. जमानत के एक साधारण मामले को निपटाने में कोर्ट को एक साल का वक्त लग जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पीठ ने बीते 11 जनवरी को शराबबंदी कानून के तहत आरोपियों को अग्रिम व नियमित जमानत को चुनौती देने वाली बिहार सरकार की 40 अपीलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इन मामलों ने अदालतों को अवरुद्ध कर दिया है. पटना हाईकोर्ट के 14-15 जज केवल इन मामलों की ही सुनवाई कर रहे हैं.
आंकड़ों के अनुसार शराबबंदी कानून के उल्लंघन में चार लाख लोग गिरफ्तार किए गए हैं और जमानत के करीब बीस हजार मामले लंबित पड़े हैं. इसके साथ ही राज्य की 59 जेलों के 70,000 कैदियों में करीब 25,000 इस कानून के उल्लंघन के आरोपित हैं.
इन नेताओं को खानी पड़ी जेल की हवा
चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को जेल की सजा हुई. पी. चिदंबरम आईएनएक्स मामले में तिहाड़ गए. एक नजर उन नेताओं पर जिन्हें जेल जाना पड़ा.
तस्वीर: imago/Hindustan Times
पी. चिदंबरम
कांग्रेस की सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में आरोपी हैं. उन्हें इस मामले में तिहाड़ भेजा गया.
तस्वीर: APImages
लालू यादव
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को चारा घोटाले के तीन मामले में अब तक दोषी ठहराने के साथ ही सजा सुनाई जा चुकी है. फिलहाल वे झारखंड की जेल में बंद हैं.
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सुखराम
हाल के दशकों में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम पहले राजनेता थे जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उछला और उन्हें जेल जाना पड़ा.
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जे जयललिता
रंगीन टेलिविजन खरीद घोटाले में आरोपी के तौर पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे जयललिता को गिरफ्तार किया गया.
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एम करुणानिधि
तमिलनाडु में ओवरब्रिज घोटाले में उनके शामिल होने के आरोप में उन्हें तब गिरफ्तार किया गया जब वो विपक्ष में थे.
तस्वीर: AP
शिबू सोरेन
शिबू सोरेन को अपने सहयोगी शशिकांत झा की हत्या के सिलसिले में दोषी करार दिया गया. उनके खिलाफ नरसिम्हा राव की सरकार को बचाने के लिए घूस लेकर वोट देने का मामले में भी उन्हें कोर्ट ने दोषी करार दिया.
तस्वीर: AP
बंगारु लक्ष्मण
बीजेपी के अध्यक्ष रहे बंगारु लक्ष्मण को तहलका स्टिंग ऑपरेशन में पैसे लेते हुए दिखाने के बाद ना सिर्फ पार्टी प्रमुख का पद छोड़ना पड़ा बल्कि उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने चार साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई.
तस्वीर: Tehelka.com
अमर मणि त्रिपाठी
उत्तर प्रदेश के नौतनवा से चार बार विधायक रहे अमर मणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के लिए दोषी करार दिया गया.
तस्वीर: Getty Images /AFP/P. Singh
मोहम्मद शहाबुद्दीन
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन पर हत्या और जबरन वसूली के दर्जनों मामले चल रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के नेता और सांसद रहे शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहाई मिली थी लेकिन जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी.
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अमित शाह
सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी के एनकाउंटर मामले में अमित शाह को ना सिर्फ गिरफ्तार किया गया बल्कि उन्हें गुजरात से तड़ीपार भी कर दिया गया. दो साल तक बाहर रहने के बाद उन्हें अदालत से राहत मिली.
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ए राजा
यूपीए की सरकार में मंत्री रहे ए राजा को भी टेलिकॉम घोटाले में ही जेल जाना पड़ा था लेकिन फिलहाल उन्हें भी अदालत ने बरी कर दिया है.
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माया कोडनानी
2002 में गुजरात के दंगों के दौरान लोगों को भड़काने और उन्हें हिंसा के लिए उकसाने का दोषी करार दिया गया. गुजरात सरकार में मंत्री और पेशे से डॉक्टर रहीं कोडनानी को आखिरकार जेल जाना पड़ा.
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कनीमोझी
करुणानिधि की बेटी कनीमोझी को 2जी घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
तस्वीर: UNI
ओमप्रकाश चौटाला
हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला को टीचर भर्ती घोटाला में दोषी करार दिया गया. जिसके कारण उन्हें जेल में रहना पड़ा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/dpaweb
सुरेश कलमाड़ी
दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी जेल गए.
तस्वीर: AP
मधु कोड़ा
मधु कोड़ा पर झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति जुटाने का केस चला. इनमें से एक मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया और तीन साल की सजा दी गई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Strdel
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पटना हाईकोर्ट ने भी राज्य में शराबबंदी के बावजूद इसकी बढ़ते मामलों की संख्या तथा हर दिन पकड़े जाने वाली शराब को लेकर एतराज जताया था. बेगूसराय के एक मामले में अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि कोर्ट यह क्यों नहीं माने कि शराब के अवैध व्यापार का नेटवर्क चलाने वाले माफिया की पुलिस से साठगांठ है. कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि अब तक कितने बड़े सप्लायर या माफिया पकड़े गए हैं. अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि भारी मात्रा में शराब की बरामदगी तो हो रही है लेकिन शराब की तस्करी में लगे सिंडिकेट को पुलिस पकड़ नहीं पाई है. सिर्फ वही लोग पकड़े जा रहे हैं जो शराब को एक जगह से दूसरी जगह ले जा रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा ट्रक ड्राइवर और छोटे लोग ही हैं.
कोर्ट में शराबबंदी कानून के उल्लंघन में चल रहे 30-40 प्रतिशत मामले शराब पीने वालों के खिलाफ हैं. इस कानून में किए जा रहे संशोधन का उद्देश्य अदालतों में लंबित मामलों में कमी लाना तथा शराब माफिया व तस्करों को जल्द से जल्द सजा दिलाना है. विदित हो कि इस साल जनवरी महीने के 15 दिनों में पांच हजार लोग गिरफ्तार किए गए हैं तथा एक से 15 जनवरी के बीच करीब डेढ़ लाख लीटर अवैध शराब जब्त की गई है.
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क्या हो सकते हैं बदलाव?
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में शराबबंदी कानून में दूसरी बार किए जा रहे संशोधन में शराब की बिक्री अब संगठित अपराध की श्रेणी में आएगी तथा इस काम में लगे लोगों की संपत्ति जब्त की जाएगी. यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि ऐसा कोई भी पदार्थ जो शराब में बदला जा सकता है वह मादक द्रव्य की श्रेणी में आएगा.
आमलोगों के मद्देनजर सबसे अहम संशोधन का प्रस्ताव यह है कि कोई व्यक्ति यदि पहली बार शराब पीते पकड़ा जाएगा तो वह जुर्माना देकर छूट सकेगा. वहीं जुर्माना नहीं भरने वाले दोषी व्यक्ति को एक माह के लिए जेल भेज दिया जाएगा. दरअसल, ऐसे मामले काफी संख्या में आ रहे थे कि कोई व्यक्ति दूसरे राज्य से किसी वैवाहिक या अन्य कार्यक्रम में बिहार आया और जानकारी के अभाव में उसने शराब का सेवन किया या फिर उसके पास से शराब बरामद की गई तो उसे सीधे जेल भेज दिया जाता था. पहली बार पकड़े गए ऐसे लोगों से अब फाइन लेकर उन्हें छोड़ दिया जाएगा.
बिहार को खास बनाने वाली बातें
बिहार पर अक्सर ध्यान राजनीति और विकास के मामले में पिछड़ेपन की खबरों को लेकर जाता है. लेकिन बिहार का एक गौरवशाली इतिहास है.
तस्वीर: Manish Kumar/DW
शिक्षा का केंद्र
प्राचीन काल में बिहार दुनिया भर के सीखने वालों के लिए शिक्षा का केंद्र था. पाटलिपुत्र भारतीय सभ्यता का गढ़ था तो नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी. नालंदा लाइब्रेरी ईरान, कोरिया, जापान, चीन, फारस से लेकर ग्रीस तक के पढ़ने वालों को आकर्षित करती थी. बख्तियार खिलजी की सेना ने इसमें आग लगा दी थी, जिसे बुझने में तीन महीने लगे थे.
तस्वीर: AP
कला की खान
सैंकड़ों साल पुरानी मिथिला पेंटिग आज देश और विदेश में प्रसिद्ध है. इसकी जन्मस्थली भी बिहार ही है. भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चार सिंहों के सिर वाला अशोक चक्र कभी बिहार में स्थित अशोक स्तंभ से ही लिया गया गया.
तस्वीर: picture alliance/DINODIA PHOTO LIBRARY
धर्मों की जन्मस्थली
बौद्ध और जैन धर्मों का उदय बिहार में हुआ, गौतम बुद्ध और महावीर के फैलाए अहिंसा के सिद्धांत की शुरुआत भी यहीं हुई मानी जाती है. इसके अलावा सिख धर्म की जड़ें भी बिहार से जुड़ी हैं. सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह पटना में जन्मे थे.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/N. Ut
भाषाएं और बोलियां
सबसे ज्यादा लोग हिन्दी बोलते समझते हैं. इसके अलावा भोजपुरी, मगही और मैथिली बोलियां भी खूब प्रचलित हैं. ऑफिसों, बैंकों, शिक्षा संस्थानों और कई प्राइवेट कंपनियों में अंग्रेजी भी बोली समझी जाती है. मैथिली में अच्छी खासी साहित्य रचनाएं हुई हैं. मैथिल कवि कोकिल कहे जाने वाले विद्यापति मैथिली के कवि और संस्कृत के बड़े विद्वान थे.
बिहार प्राचीन काल में मगध कहलाता था और इसकी राजधानी पटना का नाम पाटलिपुत्र था. मान्यता है कि बिहार शब्द की उत्पत्ति बौद्ध विहारों के विहार शब्द से हुई जो बाद में बिहार हो गया. आधुनिक समय में 22 मार्च को बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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राज का इतिहास
बिहार में मौर्य, गुप्त जैसे राजवंशों और मुगल शासकों ने राज किया. 1912 में बंगाल के विभाजन के समय बिहार अस्तित्व में आया. फिर 1935 में उड़ीसा और 2000 में झारखण्ड बिहार से अलग होकर स्वतंत्र राज्य बने. दुनिया का सबसे पहला गणराज्य बिहार में वैशाली को माना जाता है. भारत के चार महानतम सम्राट समुद्रगुप्त, अशोक, विक्रमादित्य और चंद्रगुप्त मौर्य बिहार में ही हुए.
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अगर कोई व्यक्ति बार-बार शराब पीता पकड़ा गया तो उसे जुर्माना और जेल दोनों हो सकता है. इसके साथ ही शराब पीने तथा बेचने के आरोप में पकड़े गए लोगों के लिए अलग-अलग कोर्ट बनाने का प्रस्ताव है, ताकि त्वरित गति से मामलों का निपटारा किया जा सके. इस उद्देश्य से न्यायालयों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है. अब इससे जुड़े मामलों का ट्रायल एक्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट, डिप्टी कलेक्टर या इससे ऊपर रैंक के अधिकारी भी कर सकेंगे.
यह भी प्रस्ताव आ सकता है कि जिस जगह से शराब बरामद होगी उस जगह को एएसआई भी सील कर सकेगा तथा जब्त शराब को सुरक्षित स्थल पर ले जाना यदि संभव नहीं होगा तो उसे डीएम के निर्देश पर बरामदगी स्थल पर ही नष्ट किया जा सकेगा. इसके लिए डीएम अपनी ओर अधिकारी प्रतिनियुक्त करेंगे. वहीं नए संशोधन में शराब के धंधे में पकड़े गए वाहनों को भी जुर्माना लेकर छोड़ने का प्रावधान किया जा सकता है. इसके साथ ही शराब बेचने व बनाने में शामिल अपराधियों की चल-अचल संपत्ति जब्त करने का भी प्रस्ताव है. यह अधिकार सरकार के पास होगा और इसके तहत राज्य के बाहर के शराब तस्करों की संपत्ति की भी जब्ती की जाएगी.
संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर गृह तथा विधि विभाग के पास भेजा गया है. संभावना है कि आगामी बजट सत्र में इसे पेश कर दिया जाएगा. उत्पाद आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने कहा, ‘‘मद्य निषेध विधेयक में संशोधन प्रस्ताव पर काफी लंबे समय से विचार चल रहा है. नए संशोधन प्रस्ताव में शराब पीकर पकड़े जाने के मामले में सुनवाई का अधिकार एक्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट को दिए जाने की तैयारी है. जुर्माने की राशि क्या होगी, यह अभी तय नहीं है.''
क्या अंतरिक्ष में शराब पी जा सकती है?
अंतरिक्ष में जीवन कैसा होता है? वहां लोग सूसू-पॉटी कैसे जाते हैं, सेक्स कैसे करते हैं, खाना कैसे खाते हैं जैसे सवाल सबके मन में उठते हैं. लीजिए सात ऐसे ही जरूरी सवालों के जवाब जानिए...
तस्वीर: Bruce Weaver/AFP/Getty Images
क्या अंतरिक्ष में शराब पी जा सकती है?
1975 में अंतरिक्षयात्रियों थॉमस स्टैफर्ड और डीक स्लेटन को वोडका ट्यूब दी गई थीं. लेकिन ट्यूब में वोडका शराब नहीं बल्कि इस ब्रैंड का चुकंदर का सूप था. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर शराब पीने की मनाही है क्योंकि अल्कोहल में एथेनॉल होता है जो बहुत ज्वलनशील होता है और साज ओ सामान को खराब कर सकता है. अंतरिक्षयात्रि तो ऐसे माउथवॉश या आफ्टरशेव भी प्रयोग नहीं कर सकते, जिनमें अल्कोहल हो.
तस्वीर: NASA
क्या अंतरिक्ष में कभी कोई मरा है?
1967 में एक पायलट की मौत हुई थी, जिसे अंतरिक्ष में हुई पहली मौत माना गया क्योंकि उसका विमान 50 मील से अधिक की ऊंचाई पर उड़ रहा था. 1967 और 1971 में अंतरिक्षयान में सोवियत संघ के चार यात्री मारे गए थे. 1986 में चैलेंजर स्पेस शटल उड़ान भरने के मात्र 73 सेकंड बाद धमाके से फट गया और सभी सात यात्री मारे गए. 2003 में कोलंबिया स्पेस शटल में धरती पर लौटते हुए विस्फोट हुआ और सात यात्री मारे गए.
तस्वीर: Thom Baur/AP/picture alliance
बिना गुरुत्वाकर्षण नंबर दो कैसे संभव होता है?
अंतरिक्ष यात्रियों की टॉयलेट सीट वैक्यूम जैसी होती है. जैसे ही उस पर बैठो, सोखना शुरू कर देती है. वैसे, अंतरिक्ष में पेशाब को रीसाइकल कर पीने का पानी बनाया जाता है.
तस्वीर: Long Wei/Costfoto/picture alliance
क्या अंतरिक्ष यात्री जल्दी मर जाते हैं?
गुरुत्वहीनता में रहने का शरीर पर असर तो पड़ता है. सिर में द्रव्य बनते हैं और करीब एक लीटर रक्त कम हो जाता है. इसलिए धरती पर लौटने के बाद यात्री अक्सर पीले नजर आते हैं. लेकिन वैज्ञानिकों को अभी भी यह नहीं पता कि लंबी अवधि में अंतरिक्ष यात्रा का शरीर पर कितना असर होता है.
तस्वीर: Bill Ingalls/NASA/epa/dpa/picture-alliance
कैसे सोते हैं अंतरिक्ष यात्री?
गुरुत्वहीनता के कारण बिस्तर में लेटना संभव नहीं है इसलिए यात्री स्लीपिंग बैग इस्तेमाल करते हैं, जो छोटे से केबिन में दीवार से चिपकाया गया होता है. चिपकाया इसलिए जाता है ताकि यह इधर उधर ना तैरे और कहीं टकरा ना जाए.
तस्वीर: Zhang Yirong/Xinhua/picture alliance
कितना पैसा कमाते हैं अंतरिक्ष यात्री?
1969 में अपोलो 11 फ्लाइट में गए तीन यात्रियों में से नील आर्मस्ट्रॉन्ग को सबसे ज्यादा धन मिला था. 27,401 डॉलर यानी आज के हिसाब से लगभग 2,09,122 डॉलर. आज अंतरिक्ष यात्रियों को अपने कौशल और अनुभव के आधार पर 66,000 से एक लाख 60 हजार डॉलर (भारतीय रुपयों में 50 लाख से डेढ़ करोड़ के बीच) मिलते हैं.
तस्वीर: NASA
स्पेस में सेक्स का मन करे तो?
अंतरिक्ष में सेक्स करना पृथ्वी से काफी अलग तरह का अनुभव होता है. यौन इच्छा तो हो सकती है लेकिन हर 90 मिनट में आपकी आंतरिक घड़ी की लय बदल जाती है और उससे सब कुछ बदल जाता है, जिसमें आपके सेक्स हॉरमोन भी शामिल हैं और संभवतः आपकी कामेच्छा भी.