थ्री डी प्रिंटर से निकल रहे हैं बाइक, जूते और गहने भी
बेलिंडा पॉल/महेश झा१४ सितम्बर २०१६
प्रिंटर से निकली मोटरसाइकिल, जो केवल दिखने में ही नहीं चलने में भी तेजतर्रार है. इस बाइक का नाम रखा गया है लाइट राइडर. यह 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है और इसका वजन 35 किलोग्राम है.
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थ्री डी प्रिंटिंग तकनीक ने डिजाइन डेवेलपर्स की कल्पना को जैसे पंख लगा दिए हैं. ऐसा लगता है कि इंसान जिन चीजों की कल्पना कर सकता है, उसे थ्री डी प्रिंटर से छाप कर निकाल भी सकता है. सबसे नई रचना है ऐसे ही प्रिंटर से निकली मोटरसाइकिल, जो केवल दिखने में ही नहीं चलने में भी तेजतर्रार है. इस बाइक का नाम रखा गया है लाइट राइडर. यह 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है और इसका वजन 35 किलोग्राम है. फ्रेम सिर्फ 6 किलो का है और इसे 3डी प्रिंटर से बनाया गया है. लाइट राइडर इलेक्ट्रिक मोटर की मदद से चलती है.
इसे आजमाने वाले बैर्नहार्ड ग्रूबर कहते हैं कि यह मस्त करने वाला और हैंडलिंग में बहुत ही आसान है. ग्रूबर खुद हार्ली डेविडसन चलाते हैं जो 320 किलो की है. ई-मोटरबाइक 10 गुना हल्की है. संयोग से ग्रूबर को पता चला कि एयरबस के कंपाउंड में स्थित एपी वर्क्स में उनके साथियों ने क्या बनाया है और वह आजमाने आ पहुंचे. लाइट राइडर चलाकर उन्हें मजा आ गया. हालांकि इसे बनाने की शुरुआत बस मस्ती भरे विचार से हुई थी.
देखिए, इमारतों पर दिखता जादूई थ्रीडी मैपिंग
इमारतों पर दिखती जादुई 3डी मैपिंग
3डी मैंपिंग किसी सतह पर वीडियो प्रोजेक्ट करने की तकनीक है. इससे देखने वाला अपनी आंखों के सामने किसी संरचना को कई अवतार लेते देखता है. तस्वीरों में देखें दुनिया भर में इस तकनीक का शानदार प्रदर्शन.
तस्वीर: Peter Boettcher/Kunstsammlung NRW
2 जून 2014 को भारत के 29वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आए तेलंगाना के पर्यटन विभाग ने राज्य के प्रमुख प्रतीकों को 3डी मैंपिंग तकनीक से सजाने का सोचा. इसके लिए चुनी गई बुद्ध प्रतिमा, काचीगुडा रेलवे स्टेशन और क्लॉक टावर (तस्वीर में).
तस्वीर: UNI
दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में मनाए जाने वाले बोनालू त्योहार के मौके पर पहली बार हैदराबाद में राज्य की समृद्ध विरासत को 3डी मैपिंग तकनीक की मदद से दर्शाया गया. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ऐसे और भी कार्यक्रम किए जाने की योजना है.
तस्वीर: UNI
बाघ से लेकर बंदर तक, पक्षियों से लेकर कीड़ों तक, एंपायर स्टेट की 381 मीटर ऊंची इमारत पर कई महत्वपूर्ण जीव प्रजातियों को जगह मिली. आयोजकों ने अपनी तरह के इस अनोखे प्रदर्शन के लिए 40 बड़े प्रोजेक्टरों का इस्तेमाल किया.
तस्वीर: Reuters/E. Munoz
ऑस्कर पुरस्कार जीत चुके लुई सिहोयोज ने 2009 में अपनी डॉक्यूमेंट्री के लिए इस प्रोजेक्ट की परिकल्पना की थी. वे पर्यावरण संरक्षण को समर्पित एक संगठन के संस्थापक भी हैं. ऑस्कर से नवाजी गई उनकी डॉक्यूमेंट्री जापान में डॉल्फिन के शिकार के कारोबार पर थी.
तस्वीर: Reuters/E. Munoz
खतरे में पड़ चुके जानवरों की ओर ध्यान दिलाने के लिए न्यूयॉर्क की मशहूर एंपायर स्टेट बिल्डिंग का इस्तेमाल किया गया. बिल्डिंग के कैनवास पर 3डी मैपिंग के चलते यह प्रस्तुति दुनिया भर में लोगों को तक संदेश पहुंचाने में कामयाब रही.
तस्वीर: Reuters/E. Munoz
9 मई 2014 को साराजीवो सिटी हॉल और नेशनल लाइब्रेरी के दोबारा खोले जाने के खास मौके पर भी 3डी मैपिंग तकनीक का प्रयोग हुआ. बोस्निया में 1896 में बनी यह इमारत 1992 में युद्ध की चपेट में आकर नष्ट हो गई थी. 1996 से ही ईयू की फंडिंग की मदद से इसकी मरम्मत का काम चल रहा था.
तस्वीर: Elvis Barukcic/AFP/Getty Images
पॉप के गुरु प्रभावशाली जर्मन संगीतकार क्राफ्टवेर्क अपने आप में एक कला हैं. इन्हें 70 के दशक में इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है. क्राफ्टवेर्क के यादगार संगीत कार्यक्रमों और उसमें 3डी शो के तड़के के साथ ही दूसरे विश्व युद्ध के बाद विश्व मंच पर जर्मनी की वापसी हुई मानी जाती है.
तस्वीर: Peter Boettcher/Kunstsammlung NRW
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आयडिया था एपी वर्क्स के नील्स ग्राफेन. वह बताते हैं, "ये विचार हमें क्रिसमस की पार्टी के दौरान आया. हमने निजी दिलचस्पी की वजह से पूछा कि ई-बाइक जैसा कुछ नहीं बनाया जा सकता है क्या! और ये आइडिया हमारे बॉस को इतना पसंद आया कि यह हमारी कंपनी का प्रोजेक्ट बन गया."
फिर ग्राफेन इसे तैयार करने में जुट गए. पहले तो कंप्यूटर पर डेवलप किया गया. एक अलगोरिद्म की मदद से लाइट राइडर की गणना की गई. इसका आधार यह डाटा था कि ड्राइव करने के दौरान मोटरसाइकिल पर क्या दबाव काम करता है. फिर इस आधार पर 3डी प्रिंटर में फ्रेम के टुकड़ों का सही मॉडल बनाया गया, एयरोनॉटिक्स टेक्नोलॉजी के लिए पेटेंट कराए गए अल्युमिनियम के मिश्रधातु का इस्तेमाल कर. अल्युमिनियम जैसा हल्का, टाइटन जैसा फौलादी. लेकिन धातु का सामान प्रिंट करने वाले 3डी प्रिंटर की भी सीमाएं हैं. ग्राफने बताते हैं कि छोटे छोटे टुकड़ों में प्रिंट निकालकर उन्हें वेल्डिंग के जरिये जोड़ा गया. ये टुकड़े बनाना और इसके बारे में सोचना कि इन्हें किस तरह जोड़ा जाए कि ये सुरक्षित हों, ये बहुत बड़ी चुनौती थी.
देखिए, 3D प्रिंटर ने दिया नया जीवन
3डी प्रिंटिंग से मिला जीवन
इस टूकन पर कुछ शरारती लड़कों ने हमला किया जिसमें उसकी चोंच का ऊपरी हिस्सा टूट गया. लेकिन 3डी प्रिंटिंग ने उसकी कमी दूर की.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Rescate Animal Zoo Ave/H. A. Rivera
कामयाबी
चोंच के बिना टूकन चिड़िया गा नहीं सकती. कोस्टा रिका के ग्रेसिया इलाके में एक साल तक इसकी आवाज नहीं सुनाई दी. लेकिन 3डी प्रिंटिंग और एक मरे हुए साथी पक्षी की चोंच को मिलाकर इस टूकन को उसके सुर लौटाए जा सके.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Rescate Animal Zoo Ave/H. A. Rivera
प्रिंटिंग
पक्षी के इलाज के लिए डॉक्टरों ने पहले इसकी चोंच का सीटी स्कैन किया. उसके बाद उन्होंने कंप्यूटर की मदद से उसकी चोंच का सटीक मॉडल तैयार किया. इसी मॉडल ने चोंच की 3डी प्रिंटिग में मदद की.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Ezequiel Becerra
नया हाथ
फ्रांस के 6 वर्षीय मैक्सॉन्स के पास दाहिना हाथ नहीं था. उनका नया रंगीन हाथ 3डी प्रिंटिंग की ही देन है. और कीमत मात्र 50 यूरो.
तस्वीर: J. Pachoud/AFP/Getty Images
व्हीलचेयर
इटली की इस कुतिया लुइसा ने एक सड़क दुर्घटना में अपने आगे के दोनो पैर गंवा दिए. उसके नए मालिक ने उसके लिए 3डी प्रिंटर की मदद से व्हीलचेयर बनवाकर उसे नया जीवन दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Kästle
स्तन का आवरण
लुइसा के दोनों मालिक मैनुएल टॉशे और पेट्रा रैप 3डी प्रिंटर्स डेवलप करते हैं. लुइसा के स्तन के लिए उनके बेटे और उसकी गर्लफ्रेंड ने आवरण तैयार किया. अगर बाद में साइज में कोई परिवर्तन होता है तो 3डी प्रिंटर की मदद से नया आवरण प्रिंट हो सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Kästle
खोपड़ी
खोपड़ी के चेटिल हिस्से की 3डी प्रिंटिंग की मदद से मरम्मत की गई है. टूकन की चोंच की तरह इसका मॉडल भी सीटी स्कैन की मदद से तैयार हुआ. इस विधि से निर्मित अंग बेहद सटीक होते हैं, अंतर मिलीमीटर का दसवां हिस्सा मात्र हो सकता है.
तस्वीर: DW/F. Schmidt
नकली से असली हड्डी
यह आरोपण भी इसी विधि से हैइड्रॉक्सीलेपेटाइट पाउडर से बना है. इसलिए हड्डी से जुड़ने में आसानी होती है. समय के साथ असल हड्डी का फिर से विकास होने लगता है और इंप्लांट में इस्तेमाल हुआ मैटीरियल धीरे धीरे घटता जाता है.
तस्वीर: caesar/3mat
प्रिंटर से निकले दांत
दांत बनाने में महीने और हफ्ते लगने का दौर जा चुका. आज दांत का सीटी स्कैन सीधे लैब को भेजा जा सकता है. कुछ ही दिन में 3डी प्रिंटिंग से आपके लिए दांत तैयार कर कंपनी आपको कुरियर कर देती है.
तस्वीर: DW/F. Schmidt
दिल का मामला मुश्किल
जिन क्षेत्रों में 3डी प्रिटिंग तकनीक अभी पापड़ बेल रही है वह है दिल जैसे अंग. हृदय जैसे जटिल अंग का धमनियों और शिराओं के साथ सटीक मॉडल तैयार किया जाना संभव है, लेकिन फिलहाल इसे क्लास में पढ़ाने के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है.
तस्वीर: DW/F.Schmidt
कोशिकाएं बनाने का ख्वाब
फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च 3डी प्रिंटिंग की मदद से कोशिकाएं बनाने की कोशिश कर रहा है. इसके जरिए लोगों में प्रतिरोधी क्षमता की कमी जैसी समस्याओं में मदद की जा सकेगी.
तस्वीर: Reuters/R. Duvignau
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बहुत से डिजायनर अब 3डी प्रिंटर का इस्तेमाल करते हैं. प्रिंटर से कुर्सी बनाना कोई समस्या नहीं है. गहने भी कंप्यूटर पर डिजायन किए जा सकते हैं और उसके बाद प्रिंट किए जा सकते हैं. मानने में वक्त लगता है लेकिन जूते बनाने का विचार भी काम कर सकता है. इस तरह स्टार्ट अप और बड़ी कंपनियां अपने आयडिया को जल्द और किफायती तरीके से मूर्त रूप दे सकते हैं. 3डी प्रिंट एक्सपर्ट योहान फॉन हैरवार्थ कहते हैं, "अब हम तेजी से प्रोडक्ट को बेहतर बना सकते हैं. इसके अलावा, और ये मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, यदि आप नतीजे से संतुष्ट नहीं हैं, तो मैं कहूंगा कि प्रोडक्ट को नष्ट कर दीजिए. उसे फेंक दीजिए और नई शुरुआत कीजिए. आपका क्या नुकसान हुआ! शायद 30, 40 या 100 यूरो का. आप अपनी रचनात्मकता को खुला छोड़ सकते हैं."
तस्वीरों में: पांच अंग जो छप सकते हैं
पांच अंग जो छप सकते हैं
3डी प्रिंटिग तकनीक से कई बड़ी उपलब्धियां सामने आ रही हैं. अब शरीर के अंग 3डी प्रिंटर की मदद से बनाए जा सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
किडनी
3डी तकनीक से किडनी बनाना जटिल प्रक्रिया है क्योंकि यह बहुत जटिल अंग है. लेकिन अमेरिका के वेक फॉरेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ रिजनरेटिव मेडिसिन में यह संभव हो सका है. बायोप्रिंटेड किडनी अभी काम नहीं कर रही लेकिन शोध जारी है. जल्द ही यह संभव होने की उम्मीद है.
तस्वीर: Fotolia
कान
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के बायोइंजीनियरों ने 3डी कान सफलतापूर्वक डिजाइन कर लिया है. यह कान गाय की उपास्थि और चूहे की पूंछ से निकाले रेशेपूर्ण कोलेजन के 25 करोड़ कोषिकाओं से बनाया गया है. अविकसित बाहरी कान (माइक्रोशिया) के साथ पैदा होने वाले बच्चों या सुनने में गड़बड़ी वाले लोगों के लिए यह अहम साबित हो सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Sax
धमनियां
पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी और एमआईटी के रिसर्चरों ने ओपन सोर्स रेपरैप प्रिंटर और कस्टम सॉफ्टवेयर की मदद से ये शिराएं और धमनियां बनाई हैं. उन्होंने इसके लिए चीनी के तंतुओं का एक नेटवर्क का सांचा बनाया और इसे मक्के से बनाए गए पोलिमर से ढंक दिया. ढांचा बनने के बाद इसे धो दिया जाता है जिससे चीनी धुल जाती है.
तस्वीर: picture-alliance/chromorange
स्किन ग्राफ्टिंग
पहले बायोप्रिंटर स्कैन की मदद से मरीज के घाव को नापा जाता है. एक वॉल्व थ्रॉम्बिन एंजाइम निकालता है और दूसरा कोलेजन और फाइब्रिनोजन वाली कोषिकाएं. इसके बाद इंसानी फाइब्रोब्लास्ट की परत और फिर केराटिनोसाइट्स यानि त्वचा की कोषिकाओं की परत लगाई जाती है. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही सीधे घाव में नई त्वचा प्रिंट की जा सकेगी.
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हड्डियां
वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी ने सिरामिक पावडर से बनी त्रिआयामी हड्डियां प्रिंट करने में सफलता पाई है. ये उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं जो एक्सीडेंट के दौरान हुए मल्टीपल फ्रैक्चर से जूझ रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
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एकदम हल्के लाइट राइडर फ्रेम को प्रिंट करने के दौरान मिली जानकारी से नील्स ग्राफेन को विमानन तकनीक में भी प्रगति की उम्मीद है. वह कहते हैं, "हर किलोग्राम के लिए, जिसे आपको हवा में भेजना है, एयरलाइन को और आखिरकार ग्राहकों को रकम खर्च करनी पड़ती है. और यदि हम 3डी प्रिंटर जैसे प्रोडक्शन तरीकों के जरिये पुर्जों को हल्का बना सकते हैं, तो इसका मतलब यह होगा कि ग्राहकों को कम खर्च करना होगा."
3डी प्रिंटर से निकले मोटरबाइक की कीमत है 50,000 यूरो. 30 लोगों के ऑर्डर आ गए हैं. रोड पर उतरने का लाइसेंस पाने की प्रक्रिया चल रही है.