वर्चस्व की लड़ाई में भड़की हिंसा की बलि चढ़े बेकसूर लोग
२३ मार्च २०२२पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले करीब सौ परिवारों वाले बगटूई गांव का नाम भी मंगलवार से पहले शायद लोगों ने नहीं सुना होगा. लेकिन अब तृणमूल कांग्रेस के एक उप-प्रधान की हत्या और कथित रूप से उसका बदला लेने के लिए 8-10 घरों में लगाई गई आग में झुलस कर आठ लोगों की मौत ने इसे रातों रात सुर्खियों में ला दिया है. गांव के एक व्यक्ति नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, "सोमवार शाम को भादू की हत्या के बाद ही गांव का चेहरा बदल गया था. लेकिन रात को जो कुछ हुआ उसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी.”
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कल करेंगी मौके का दौरा, कहा कि किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. सुबह मौके पर पहुंचे सीपीआईएम के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने आरोप लगाया है कि एसआईटी सबूत मिटाने का प्रयास कर सकती है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने घटना का संज्ञान लेते हुए इसे बेहद हैरान करने वाला बताया. कई जनहित याचिकाएं भी दायर हुई हैं.
अब इन घटनाओं के बाद यह गांव राजनीति का अखाड़ा बन गया है और खासकर विपक्षी दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में जुट गए हैं. दूसरी ओर, राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं. बंगाल में बीते करीब 11 साल में यह पहला मौका है जिसमें एक साथ इतने लोगों की मौत हुई है. इससे पहले सात मार्च, 2011 को पश्चिम मेदिनीपुर के नेताई में एक साथ नौ लोगों की हत्या हुई थी.
अब इस घटना के बाद इलाके के तमाम पुरुष पुलिस और जवाबी हमले के डर से गांव छोड़ कर फरार हो गए हैं. हालांकि पुलिस प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है. राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के लिए विशेष कार्यबल (एसआईटी) का गठन कर दिया है. इसमें सीआईडी के एडीजी ज्ञानवंत सिंह के अलावा पश्चिमी रेंज के एडीजी संजय सिंह और सीआईडी के डीआईजी मिराज खालिद शामिल हैं. इस घटना के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए रामपुरहाट के ओसी त्रिदीप प्रामाणिक और एसडीपीओ सायन अहमद को उनके पद से हटा दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले पर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है.
तृणमूल कांग्रेस के साथ ही पुलिस प्रशासन का भी कहना है कि इस घटना का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और इसकी वजह निजी दुश्मनी हो सकती है. लेकिन विपक्ष ने इसे बंगाल में कानून-व्यवस्था का मुद्दा बना लिया है और केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग कर रहा है. आग में झुलस कर मरने वाले आठों लोगों का मंगलवार शाम को पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया गया. लेकिन पूरे गांव में अब भी खौफ और सन्नाटा छाया है. कोई भी जल्दी इस बारे में बात नहीं करना चाहता. इस घटना के बाद से ही पूरा गांव छावनी में तब्दील हो गया है. हाईवे से गांव की ओर से जाने वाली सड़क को करीब चार किमी पहले ही घेर कर बैरिकेड लगा दिया गया है और किसी बाहरी व्यक्ति को वहां जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है.
कैसे हुई घटना
दरअसल, इलाके की पंचायत के उप-प्रधान और टीएमसी के वरिष्ठ नेता भादू शेख सोमवार शाम को गांव के पास एक चाय दुकान में चाय पी रहे थे. उसी समय कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर बम से हमला किया. इससे गंभीर रूप से घायल शेख को रामपुरहाट अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया. बगटूई गांव में दो मोहल्ले हैं—पूर्व पाड़ा और पश्चिम पाड़ा. शेख का मकान पूर्व पाड़ा में था. उनकी मौत की सूचना मिलते ही गांव में भारी उत्तेजना फैल गई और एक घंटे के भीतर ही कुछ लोगों ने पश्चिम पाड़ा में आठ से दस घरों में आग दी जिसमें कम से तीन महिलाएं और दो बच्चे भी शामिल हैं. इसके अलावा गंभीर रूप से झुलसे कई लोग जीवन और मौत के बीच झूल रहे हैं.
पुलिस ने इस मामले में अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय बताते हैं, "सोमवार रात तृणमूल के उप-प्रधान बहादुर शेख की हत्या की खबर आई थी. उसके एक घंटे बाद देखा गया कि पास के ही 7-8 घरों में आग लग गई है. इस मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहां के एसडीपीओ और रामपुरहाट के ओसी को हटा दिया गया है.” उनका कहना था कि पहले 10 लोगों की मौत की बात कही गई थी. वह सही नहीं थी. कुल आठ लोगों की मौत हुई है. एक ही मकान से सात लोगों के शव बरामद हुए हैं. एक घायल ने अस्पताल में दम तोड़ा है. जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है. पुलिस महानिदेशक के मुताबिक, फिलहाल गांव में परिस्थिति नियंत्रण में है.
गरमाती राजनीति
इस घटना के बाद राजनीति अचानक गरमा गई है. बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों ने ने राज्य सरकार पर इस मामले को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इस मामले पर सरकार की खिंचाई करते हुए मुख्य सचिव से इस घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. उधर, बीजेपी ने राज्य में कानून और व्यवस्था के ध्वस्त होने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार कहते हैं, "बंगाल धीरे-धीरे राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है.” बीजेपी की एक पांच सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम शुक्रवार को मौके का दौरा करेगी. इसमें बंगाल के दो नेता भी शामिल. इस समिति का गठन पार्टी प्रमुख जे.पी.नड्डा ने किया है. इससे पहले बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में नड्डा से मुलाकात कर बंगाल में केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग उठाई थी.
जगदीप धनखड़ ने अपने एक बयान में कहा है कि यह घटना इस बात का संकेत है कि राज्य हिंसा और अराजकता की संस्कृति की गिरफ्त में है और कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है. राज्यपाल ने ट्वीट में कहा, "प्रशासन को दलीय हित से ऊपर उठने की जरूरत है जो आगाह किए जाने के बाद भी हकीकत में नजर नहीं आ रही है.” मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल पर पलटवार करते हुए उनको अनुचित बयान देने से बचने को कहा है. देर रात राज्यपाल को भेजे अपने पत्र में उन्होंने कहा कि आपके बयानों में बंगाल सरकार को धमकाने के लिए दूसरे राजनीतिक दल का समर्थन करने वाले स्वर सुनाई दे रहे हैं. ऐसे बयानों से जांच के काम में बाधा पहुंचेगी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को घटनास्थल का जायजा लेने के लिए बीरभूम भेजने का भी फैसला किया है.बीरभूम की घटना के साथ राजनीति का कोई लेना-देना नहीं है, यह बात टीएमसी भी कह चुकी है और पुलिस भी. इससे साफ है कि यह घटना इलाके पर कब्जे की लड़ाई का नतीजा है. पुलिस ने भी निजी दुश्मनी के चलते भादू शेख की हत्या की बात कही है. उसके बाद आगजनी की घटना उसका बदला लेने के लिए हुई. टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा है कि रामपुरहाट में आग से मौत का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. यह स्थानीय ग्रामीणों संघर्ष है. एक दिन पहले टीएमसी नेता की हत्या की गई थी. वे बेहद लोकप्रिय थे. उनकी मौत के कारण लोगों में भारी नाराजगी थी. जिले के एसपी नागेंद्र नाथ त्रिपाठी ने पत्रकारों को बताया कि फिलहाल मामले की जांच चल रही है. उसके बाद ही हकीकत सामने आएगी.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि भले ही इस मामले का राजनीति से कोई संबंध नहीं हो, इसने बंगाल में मजबूती से कदम जमाने का प्रयास कर रही बीजेपी को सरकार और टीएमसी के खिलाफ एक मजबूत हथियार तो दे ही दिया है. फिलहाल इस मुद्दे पर अगले कुछ दिनों तक राजनीति लगातार गरमाने के आसार हैं.