फिल्में बॉक्स ऑफिस पर आती हैं और चली जाती हैं, लेकिन सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के किसी विशेष फिल्म के पीछे अपनी ताकत लगा देने के क्या मायने हैं? 'कश्मीर फाइल्स' के बाद 'द केरला स्टोरी' इस चलन की नई मिसाल बन गई है.
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केरल में इस्लामिक स्टेट के असर पर बनी फिल्म 'द केरला स्टोरी' सिनेमाघरों में आ चुकी है और फिल्म व्यापार समीक्षक तरन आदर्श के मुताबिक तीन दिनों में 35 करोड़ रुपये कमा भी चुकी है. कई फिल्म समीक्षकों ने फिल्म को काफी खराब रेटिंग दी है, लेकिन फिल्म को केंद्र सरकार, कई राज्य सरकारों और बीजेपी के नेताओं का पूरा समर्थन मिल रहा है.
फिल्म के समर्थन में उतर आए नेताओं में सबसे आगे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खड़े हैं. पांच मई को कर्नाटक के बेल्लारी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि इस फिल्म ने आतंकवाद के नए चेहरे को दिखाया है लेकिन कांग्रेस पार्टी फिल्म को बैन करना चाह रही है और आतंकियों का समर्थन करना चाह रही है.
फिल्म को कर्नाटक चुनावों से जोड़ते हुए उन्होंने आगे कहा, "कांग्रेस ने कभी आतंकवाद से इस देश की रक्षा नहीं की है. क्या कांग्रेस कर्नाटक को बचा सकती है?" मोदी के बाद कई बीजेपी नेता इस फिल्म की तारीफ कर चुके हैं.
फिल्म या प्रोपगैंडा?
फिल्म में केरल में रहने वाली तीन ऐसी लड़कियों की कहानी दिखाई गई है जिनका जबरदस्ती या धोखे से धर्मांतरण करा कर उन्हें मुसलमान बना दिया जाता है और फिर उन्हें इस्लामिक स्टेट का हिस्सा भी बना दिया जाता है.
जब फिल्म का ट्रेलर लॉन्च हुआ था तब उसमें फिल्म के निर्माताओं ने दावा किया था कि ऐसा केरल की 32,000 हिंदू और ईसाई महिलाओं के साथ हुआ था. इतनी बड़ी संख्या के दावे पर काफी विवाद हुआ. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और कांग्रेस सांसद शशि थरूर जैसे नेताओं ने भी इस संख्या को भ्रामक बताया.
फिल्म के खिलाफ जब विरोध बढ़ गया तो फिल्म के ट्रेलर को बदल दिया गया और उसमें 32,000 की जगह सिर्फ तीन लिख दिया गया. फिल्म समीक्षक शुभ्रा गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार में छपे एक लेख में लिखा है कि इस बदलाव से सब बदल गया और फिल्म के निर्माताओं के दावे पूरी तरह से गलतबयानी साबित हुए.
लेकिन फिर भी फिल्म निर्माताओं और बीजेपी के नेताओं का अभियान जारी है. संख्या में संशोधन के बाद फिल्म के निर्माताओं ने एक समाचार एजेंसी के साथ चर्चा में पूछा कि संख्या से क्या फर्क पड़ता है और अगर ऐसा सिर्फ 100 महिलाओं के साथ हुआ होता तो स्थिति क्या कम गंभीर होती?
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बीजेपी का समर्थन
फिल्म को मध्य प्रदेश में टैक्स फ्री दर्जा दे दिया गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से यह घोषणा करते हुए कहा कि यह फिल्म यह दिखाती है कि 'लव जिहाद' के जाल में फंस जाने के बाद 'बेटियों की जिंदगी कैसे बर्बाद हो जाती है."
दिल्ली में भी बीजेपी ने 'आप' सरकार ने फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग की है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए बेंगलुरु में फिल्म की एक विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया जिसके बाद उन्होंने कहा ये यह "आंखें खोलने वाली" फिल्म है और इसे सब को देखना चाहिए.
बॉलीवुड का भट्टा क्यों बैठा?
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केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने तो यहां तक कह दिया है कि जो लोग इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं वो पीएफआई और इस्लामिक स्टेट जैसे संगठनों के समर्थक हैं.
बीजेपी ने इसी तरह का सरकारी समर्थन 2022 में "द कश्मीर फाइल्स" को भी दिया था. फिल्म को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा आदि समेत लगभग सभी बीजेपी-शासित राज्यों में टैक्स फ्री घोषित कर दिया गया था.
चीन ने बदला फिल्म का अंत
चीन ने फिल्म 'मिनियंसः द राइज ऑफ ग्रू' का अंत बदल दिया है. लेकिन फिल्मों पर प्रतिबंधों के मामले में कई देशों का रिकॉर्ड खराब है.
तस्वीर: SHOWBIZ Film Reviews/empics/picture alliance
बदल गया अंतः पकड़े गए चोर
चीन ने फिल्म 'मिनियन्सः द राइज ऑफ ग्रू' का अंत बदल दिया है ताकि चोरों को भागते ना दिखाया जा सके. चीन में रिलीज वर्जन में एक मिनट अतिरिक्त है जहां पुलिस चोरों को पकड़कर जेल में डालती है और सजा दिलाती है. इसका मकसद है कि पुलिस और सरकार प्रभुत्व बना रहे.
तस्वीर: SHOWBIZ Film Reviews/empics/picture alliance
किस के कारण बैन
‘लाइटईयर’ नाम की नई फिल्म को संयुक्त अरब अमीरात समेत कई मुस्लिम देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है. वजह है एक सीन जिसमें दो महिला किरदारों को किस करते दिखाया गया है.
तस्वीर: Disney/Pixar/AP Photo/picture alliance
हटाना चाहा था सीन
फिल्म निर्माता कंपनी पिक्सर ने अलिशा और एक अन्य महिला किरदार के बीच किसिंग का यह सीन हटाने पर भी विचार किया था. लेकिन कंपनी के कर्मचारियों ने इस कदम का विरोध किया जिसके बाद सीन को ना हटाने का फैसला किया गया. हालांकि यूएई ने हाल ही में ऐलान किया था कि वह फिल्मों को सेंसर नहीं करेगा, लेकिन ‘लाइटईयर’ को फिर भी बैन कर दिया. वहां समलैंगिक संबंध अपराध हैं.
तस्वीर: Disney/Pixar/AP Photo/picture alliance
चीन में ‘फैंटैस्टिक बीस्ट्स 3’ में बदलाव
चीन में भी फिल्मों में समलैंगिकता दिखाने पर सख्ती है. इसकी मिसाल तब मिली जब ‘फैंटैस्टिक बीस्ट्स 3’ फिल्म में दो लाइन के एक डायलॉग को चीनी अधिकारियों की संतुष्टि के लिए हटाया गया.
तस्वीर: Warner Bros. Entertainment/dpa/picture alliance
पर हर कहानी नहीं बदली जा सकती
कई ऑस्कर जीतने वाली 2005 की फिल्म ‘ब्रोकबैक माउंटेन’ दो युवकों की प्रेम कहानी थी. इसे चीन में रिलीज नहीं किया जा सका था. ब्रिटिश गायक एल्टन जॉन की जिंदगी पर बनी 2019 की फिल्म ‘रॉकेटमैन’ को भी चीन में बैन किया गया था.
तस्वीर: Focus Features/Paramount Classics/imago
तिब्बत पर भी टेढ़ी निगाहें
तिब्बत को लेकर भी चीन अत्याधिक संवेदनशील रहता है. यही वजह है कि ब्रैड पिट की फिल्म ‘सेवन ईयर्स इन तिब्बत’ (1997) को चीन में बैन कर दिया गया था. यह फिल्म एक ऑस्ट्रियाई पर्वतारोही हाइनरिष हारेर और दलाई लामा की दोस्ती की कहानी है. ना सिर्फ इस फिल्म को बैन कर दिया गया बल्कि फिल्म के हीरो ब्रैड पिट की अन्य फिल्मों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.
तस्वीर: Film Constantin/dpa/picture alliance
बोहेमियन रैप्सडी
म्यूजिक बैंड ‘क्वीन’ के गायक फ्रेडी मर्करी के बारे में फिल्म ‘बोहेमियन रैप्सडी’ जब चीन में रिलीज हुई तो उसमें ऐसी हर बात लापता थी जिससे गायक की समलैंगिकता का संकेत मिलता था. यहां तक कि कहानी के लिए बेहद अहम बातें जैसे मर्करी का खुलकर यह कहना कि वह समलैंगिक हैं या फिर उन्हें एड्स हो जाना भी हटा दिया गया.
तस्वीर: Everett Collection/picture alliance
रूस में क्या है सीन
रूस में भी समलैंगिकता से जुड़े सीन फिल्मों से हटाए जाते रहे हैं. ‘रॉकेटमैन’ के कई सीन हटाए गए थे, जिसका एल्टन जॉन ने विरोध भी किया था. हालांकि रूस में समलैंगिक संबंधों पर रोक नहीं है लेकिन समलैंगिकता के बारे में प्रॉपेगैंडा फैलाना अवैध है.
तस्वीर: Matrix/imago images
जर्मनी में भी बैन
जर्मनी में कई फिल्मों को प्रतिबंध झेलना पड़ा है. मसलन, राष्ट्रीय समाजवाद, हिंसा या नस्लवादी हिंसा भड़काने वाली फिल्मों को प्रतिबंधित किया जा सकता है. पीटर जैक्सन की फिल्म ‘ब्रेनडेड’ को जर्मनी में बैन कर दिया गया था क्योंकि इसमें अत्याधिक हिंसा दिखाई गई थी.