गुजरात भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र पटेल को राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है. घाटलोडिया सीट से विधायक पटेल को सोमवार मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी.
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रविवार को भूपेंद्र पटेल को विधायक दल का नेता चुना गया. वैसे पटेल पूर्व मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करीबी रहीं आनंदीबेन पटेल का बेहद करीबी माना जाता है. इसलिए यह भी कहा जा रहा है कि पटेल दरअसल नरेंद्र मोदी की पसंद हैं.
पटेल को जब विधायक दल का नेता चुना गया तब गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी मौजूद रहे, जिन्होंने हाल ही में पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने पटेल को पद सौंपे जाने का स्वागत किया और कहा कि उनके नेतृत्व में पार्टी सफलतापूर्वक चुनाव लड़ेगी. गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
कहां से आया भूपेंद्र पटेल का नाम?
भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया जाना बहुत से लोगों को हैरान करने वाला फैसला था. विधायक दल की बैठक में दो केंद्रीय मंत्रियों मनसुख मांडविया और पुरुषोत्तम रूपाला के अलावा लक्षद्वीप के विवादित प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल और राज्य के कृषि मंत्री आरसी फालदू का भी नाम चर्चा में रहा.
तस्वीरों में वे लम्हे जिन्हें भुलाना नामुमकिन
तस्वीरों में कैद वो लम्हे जिन्हें भुलाना मुमकिन नहीं
तस्वीरों के सहारे हम इतिहास को जिंदा रखते हैं. देखिए ऐसी कुछ घटनाओं की तस्वीरें जिन्हें शायद ही कोई भारतीय भूल पाए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. E. Curran
कन्हैया
जेएनयू छांत्र संघ अध्यक्ष कन्हैया को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद अदालत ले जाया गया और वहां उन पर वकीलों ने हमला कर दिया. उसके बाद छपी इस तस्वीर ने पूरे भारत को दो हिस्सों में बांट दिया. एक हिस्सा कन्हैया के साथ था और दूसरा उसके खिलाफ.
तस्वीर: Reuters
अन्ना आंदोलन
साल 2011 में समाजसेवी अन्ना हजारे ने दिल्ली के रामलीला मैदान में यूपीए सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अनशन किया. अन्ना को लोगों का समर्थन मिला. रामलीला मैदान में उनका समर्थन करने एक लाख से ज्यादा लोग पहुंचे. इस अनशन को खत्म करवाने के लिए सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी.
तस्वीर: AP
गुजरात का नरसंहार
2002 के गुजरात दंगों की यह तस्वीर बहुसंख्यकों की हिंसा का एक ऐसा प्रतीक बन गई कि इस तस्वीर में दिख रहे युवक की जिंदगी भी बदल गई. आज वह खुद अपनी इस तस्वीर पर शर्मिंदा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D'souza
छर्रों की पीड़ित
कश्मीर की 12 साल की यह बच्ची सुरक्षाकर्मियों के चलाए छर्रों में अपनी आंखें खो बैठी. अखबारों में जब इसकी तस्वीर छपी तो सब सहम गए. छर्रों पर बहस शुरू हो गई. अब सरकार नए उपाय तलाश रही है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
पुलवामा हमला
14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हुआ था. इस हमले में 46 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे. इस हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था. भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में बम गिराए थे. इसके जवाब में पाकिस्तान ने कार्रवाई की और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया.
तस्वीर: IANS
रेप की पीड़ा
निर्भया कांड के बाद जब आहत युवा दिल्ली में सड़कों पर उतरे तो इस तस्वीर ने वायरल होकर ऐसा आंदोलन खड़ा किया कि रेप के खिलाफ कानून तक को बदल जाना पड़ा.
तस्वीर: Getty Images/N. Seelam
बाबरी विध्वंस
अयोध्या में बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चढ़े इन युवकों की तस्वीर ने भारत के सामाजिक तानेबाने को तहस-नहस कर दिया. 6 दिसंबर 1992 की फोटो के बाद पूरे भारत में भयानक दंगे हुए और फिर आतंकवाद के एक ऐसे सिलसिले के शुरुआत हुई जो आज तक जारी है.
तस्वीर: AFP/Getty Images
आतंकवादी कसाब
2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले के दौरान आतंकी अजमल आमिर कसाब की तस्वीर सामने आई थी. ये तस्वीर सीएसटी स्टेशन पर ली गई थी. इसी रात कसाब को पकड़ लिया गया था. 2012 में कसाब को फांसी दे दी गई थी.
तस्वीर: AP
गोधरा की जलती ट्रेन
साबरमती एक्सप्रेस के जले हुए एस-6 कोच की यह तस्वीर आजाद भारत के सबसे भयानक सांप्रदायिक दंगों की वजह बना. 28 फरवरी 2002 को अखबारों में छपी इस तस्वीर ने हर भारतीय के मन को दहला दिया था.
तस्वीर: AP
भोपाल की भयानक याद
पीछे पोस्टर में आप एक ब्लैक एंड व्हाइट फोटो देख पा रहे हैं? जमीन में दबी इस लाश की फोटो मशहूर फोटोग्राफ रघु राय ने 1984 में भोपाल गैस कांड के बाद खींची थी. आज भी यह तस्वीर सिहरन पैदा कर देती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP
राजीव गांधी की आखिरी तस्वीर
इस तस्वीर के कुछ पलों बाद राजीव गांधी बम धमाके में मारे गए थे. अपनी हत्यारिन के हाथों फूल माला पहनते राजीव गांधी की इस तस्वीर ने भारतीय जनमानस को झकझोर दिया था.
तस्वीर: Getty Images/AFP
महात्मा गांधी की शव यात्रा
आजाद भारत की शायद यह पहली ऐसी तस्वीर थी जिसने हर भारतीय की आंख को भिगो दिया था.
तस्वीर: picture-alliance/Imagno
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स्वराज्य अखबार के सलाहकार संपादक आनंद रघुनाथन कहते हैं कि पत्रकारों की तो छोड़िए, खुद भूपेंद्र पटेल को आखिरी मिनट तक नहीं पता था कि वह सीएम बनने जा रहे हैं.
गुजरात की अंदरूनी राजनीति से परिचित एक पत्रकार ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि भूपेंद्र पटेल को यह पद मिलना आनंदीबेन का बदला है. वह बताती हैं, "भूपेंद्र पटेल आनंदीबेन के बेहद करीबी हैं. जिस तरह आनंदीबेन पटेल को पद से हटाया गया था, उसका बदला अब उन्होंने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनवाकर ले लिया है.”
भूपेंद्र पटेल अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन और अहमदाबाद अर्बन डिवेलपमेंट अथॉरिटी में रहे हैं. बहुत से लोग मानते हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने से राज्य में बीजेपी मजबूत होगी. बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने ट्वीट कर इस फैसले का स्वागत किया.
उन्होंने लिखा, "बहुत अच्छी बात है कि भूपेंद्र पटेल को गुजरात का नया मुख्यमंत्री चुना गया है. अब बीजेपी का गुजरात की सत्ता में लौटना सुनिश्चित है.”
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विजय रुपाणी के साथ क्या हुआ?
विजय रुपाणी को गृह मंत्री अमित शाह का बेहद करीबी माना जाता है. गुजरात की राजनीति पर निगाह रखने वाले लोग मानते हैं कि अमित शाह के कारण ही रुपाणी को मुख्यमंत्री पद मिला था लेकिन पार्टी और जनता दोनों में उनकी छवि वैसी नहीं बन पाई, जिसके जरिए बीजेपी चुनाव जीत सके.
‘ऑफ द रिकॉर्ड' तो इस तरह की बातें भी चर्चा में हैं कि अमित शाह ने कुछ दिन पहले विजय रुपाणी को बता दिया था कि अब उन्हें नहीं बचाया जा सकता. एक पत्रकार बताती हैं, "विजय रुपाणी को हटाने के पीछे एक बड़ी वजह भ्रष्टाचार भी है. उनकी छवि खराब हो रही थी.”
गुजरात में जमीन के लिए जूझते ग्रामीण
05:56
विजय रुपाणी ने 2016 में पद संभाला था और शनिवार को उन्होंने इस्तीफा दे दिया. हालांकि इस बड़े बदलाव की चर्चा गलियारों में तभी से गर्म थी जब अमित शाह गुजरात दौरे पर गए थे. भले ही रुपाणी ने मीडिया के सामने कहा भी था कि कोई बदलाव नहीं हो रहा है. लेकिन शनिवार को अचानक उन्हें पद छोड़ना ही पड़ा.
‘जन की बात' अखबार के संपादक प्रदीप भंडारी लिखते हैं कि पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "दो दिन तक मीडिया की अटकलों के बाद, पहली बार विधायक बने पाटीदार समाज के भूपेंद्र पटेल को विजय रुपाणी की जगह सीएम बनाया गया है. मुझे इससे समझ आया कि पीएम मोदी ने बता दिया, बॉस कौन है.”
बहुत से विश्लेषक एक पटेल को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी के पाटीदार समाज का समर्थन वापस पाने के प्रयास के तौर पर भी देख रहे हैं. 2017 में बीजेपी को पाटीदार समाज के 55 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि 2012 में यह आंकड़ा 80 प्रतिशत था.
देखिएः नरेंद्र मोदी के अलग-अलग रूप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलग अलग रूप
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहनावे की वजह से भी चर्चा में रहते हैं. देश में विभिन्न जगहों पर भ्रमण के दौरान उनका पहनावा ऐसा होता है जो सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है. एक नजर उनके पहनावे पर.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky
पारंपरिक मराठी पगड़ी पहने नरेंद्र मोदी
यह तस्वीर उस समय की है जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इसमें वे पारंपरिक मराठी पगड़ी पहने हुए नजर आ रहे हैं. नरेंद्र मोदी वर्ष 2006 में अहमदाबाद में छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी पर आधारित नाटक 'जाणता राजा' कार्यक्रम का उद्घाटन करने पहुंचे थे. यह कार्यक्रम 6 दिनों तक हुआ था, जिसमें हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ 200 से ज्यादा कलाकारों ने अपना प्रदर्शन किया था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky
पगड़ी में नरेंद्र मोदी
तस्वीर वर्ष 2007 की है. इस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. गांधीनगर में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के साथ बैठक के दौरान नरेंद्र मोदी ने यह पगड़ी पहन रखी थी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky
केसरिया पगड़ी पहने हुए नरेंद्र मोदी
तस्वीर वर्ष 2009 की है, जब 24 जून को 'जग्गनाथ रथ यात्रा' के मौके पर अहमदाबाद में आयोजित रथ यात्रा जुलूस के दौरान नरेंद्र मोदी केसरिया पगड़ी पहने हुए नजर आए. इस मौके पर भगवान जग्गनाथ के मंदिर से भगवान जग्गनाथ, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा की शोभायात्रा निकाली गई थी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky
सफेद पगड़ी में नरेंद्र मोदी
तस्वीर वर्ष 2011 की है. इस समय नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद स्थित गुजरात विश्वविद्यालय कन्वेंशन सेंटर में उपवास की शुरुआत की थी. यह उपवास 17 सितंबर को खुद को प्रधानमंत्री पद के सुयोग्य उम्मीदवार के रूप में खुद को दिखाने के लिए की गई थी. इस दौरान स्वामीनारायण मंदिर के पुजारी ने उनके माथे पर तिलक लगाया था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky
असम में पहने जाने वाली टोपी
यह तस्वीर 30 अप्रैल 2010 की है. नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. गुजरात के स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर अहमदाबाद में अतिथियों से मुखातिब होते वक्त उन्होंने पूर्वोत्तर भारत स्थित राज्य असम में पहनी जाने वाली टोपी पहन रखी थी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky
लाल और पीले रंग की पगड़ी
नरेंद्र मोदी को पगड़ी से खास लगाव है और यह खासियत उनके ड्रेसिंग सेंस को अन्य नेताओं से अलग बनाती है. यह तस्वीर है 15 अगस्त 2014 की है. प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार देश को लाल किले से संबोधित कर रहे नरेंद्र मोदी ने लाल और पीले रंग की पगड़ी पहनी थी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Das
रंगीन पगड़ी
यह तस्वीर है 15 अगस्त 2019 की. देश को लाल किले से संबोधित कर रहे मोदी ने कुर्ता-पायजामा तथा रंगीन पगड़ी पहन रखी था. इस दौरान अपने 90 मिनट से अधिक के संबोधन में तीन तलाक, स्वच्छता, जल का महत्व, जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों पर बात की. उनके भाषण के साथ-साथ पगड़ी भी चर्चा का विषय बनी रही.
तस्वीर: imago images/Hindustan Times
केदारनाथ में नरेंद्र मोदी
लोकसभा चुनाव 2019 का मतदान संपन्न होने पर नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ पहुंच भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी. यहां उन्होंने करीब 17 घंटा बिताए थे. पूजा और गुफा में ध्यान के बाद मोदी ने ट्वीट कर लिखा था, 'शानदार, शांत और आध्यात्मिक. हिमालय में बहुत कुछ खास है. पहाड़ों पर लौटना हमेशा से ही एक सुखद अनुभव रहा है.'
तस्वीर: IANS/Twitter/@narendramodi
ध्यान करते मोदी
तस्वीर 18 मई 2019 की है. लोकसभा चुनाव में मतदान संपन्न होने के बाद नरेंद्र मोदी उत्तराखंड के केदारनाथ पहुंचे थे. यहां उन्होंने 'ध्यान कुटिया' में ध्यान लगाया था. इसके बाद से ही यह कुटिया आकर्षण का केंद्र बन गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर ही इक गुफा का निर्माण किया गया था. इसे रूद्र गुफा के नाम से भी जाना जाता है. 12,250 फीट की ऊंचाई पर बने इस गुफा में श्रद्धालु ध्यान करते हैं.