हंगेरियन-अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस की अडानी मामले पर टिप्पणी को लेकर बीजेपी नेताओं ने सोरोस की कड़ी आलोचना की है. बीजेपी ने कहा है कि सोरोस भारत के लोकतंत्र को ही तोड़ना चाहते हैं.
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जर्मनी में चल रहे म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन में 16 फरवरी, 2023 को बोलते हुए सोरोस ने कहा था कि गौतम अडानी के व्यापार की समस्याओं की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कमजोर होंगे और भारत में "लोकतांत्रिक पुनरुत्थान" का रास्ता खुलेगा.
92 साल के सोरोस ने कहा, "मोदी और शक्तिशाली उद्योगपति अडानी करीबी साथी हैं; दोनों की किस्मत एक दूसरे के साथ गुंथी हुई है. अडानी इंटरप्राइजेज ने स्टॉक बाजार में पैसे जुटाने की कोशिश की, लेकिन वो नाकामयाब रहे. अडानी पर स्टॉक धोखेबाजी का आरोप है और उनका स्टॉक ताश के पत्तों की तरह ढह गया."
उन्होंने आगे कहा, "मोदी इस विषय पर शांत हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों को और संसद में जवाब देना पड़ेगा." सोरोस ने कहा कि अडानी की समस्याएं "भारत की सरकार पर मोदी के शिकंजे को उल्लेखनीय ढंग से कमजोर करेंगी" और "अति आवश्यक संस्थागत सुधारों की तरफ जोर देने के लिए रास्ते खोलेंगी".
उन्होंने यह भी कहा, "यह सरल तर्क लग सकता है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि भारत में लोकतांत्रिक पुनरुत्थान होगा."
सोरोस अडानी समूह पर अमेरिकी कंपनी हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट के आने के बाद के घटनाक्रम के बारे में बात कर रहे थे. रिपोर्ट में अडानी पर दशकों तक "स्टॉक धोखेबाजी और एकाउंटिंग जालसाजी" का आरोप लगाया गया था.
रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार में समूह की कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. संसद में विपक्ष ने भी यह मुद्दा उठाया और एक संसदीय समिति द्वारा पूरे मामले की जांच की मांग की.
कौन हैं जॉर्ज सोरोस
सोरोस हंगेरियन-अमेरिकी मूल के अरबपति निवेशक हैं. उन्हें उनके लोकोपकार के लिए भी जाना जाता है. 1960 के दशक से लेकर उन्होंने कई हेज फंडों की स्थापना की और दुनिया के सबसे प्रभावशाली अरबपतियों में से एक बन गए.
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उन्हें 1992 में ब्लैक वेंस्डे के नाम से जाने जाने वाले यूके सरकार के वित्तीय संकट के समय बैंक ऑफ इंग्लैंड के शेयरों की शार्ट सेलिंग कर एक अरब पाउंड मुनाफा कमाने के लिए जाना जाता है.
उन्हें दुनिया भर में प्रगतिशील और उदार राजनीति का समर्थक भी माना जाता है और यह भी माना जाता है कि वो दुनिया भर में इस विचारधारा के कार्यक्रमों और गतिविधियों की वित्तीय मदद भी करते हैं.
इस तरह की मदद के लिए उन्होंने ओपन सोसाइटी फाउंडेशन्स नाम की संस्था की स्थापना की थी, जिसके जरिए उन्होंने अरबों रुपए दान किए हैं. फोर्ब्स ने उन्हें "सबसे दरियादिल दाता" कहा है.
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बीजेपी का हमला
अडानी प्रकरण में सोरोस की टिप्पणी के बाद भारत सरकार के मंत्रियों और बीजेपी के नेताओं ने सोरोस पर सीधे निशाना साधा और कहा कि वो भारत के लोकतंत्र को ही गिराने की कोशिश कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सोरोस की टिप्पणी पर बुलाई गई एक विशेष प्रेस वार्ता में कहा, "जिस इंसान ने बैंक ऑफ इंग्लैंड को तोड़ दिया, जिसे एक आर्थिक युद्ध अपराधी घोषित किया जा चुका है उसने भारतीय लोकतंत्र को तोड़ने की कामना की घोषणा की है."
ईरानी ने कहा कि सोरोस के बयानों से स्पष्ट हो रहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं को निशाना बनाने के लिए एक अरब डॉलर की फंडिंग की घोषणा की है.
उन्होंने यह भी कहा, "जॉर्ज सोरोस का यह ऐलान कि वो हिंदुस्तान में मोदी को झुका देंगे, हिंदुस्तान की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी सरकार को ध्वस्त करेंगे उसका मुंहतोड़ जवाब हर हिंदुस्तानी को देना चाहिए." अडानी समूह ने अभी तक सोरोस की टिप्पणी पर कोई बयान नहीं दिया है.
इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी के आरोप का सामना कर रहे गौतम अदाणी
गौतम अदाणी कभी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे लेकिन एक रिपोर्ट ने उनके व्यापार को इतना नुकसान पहुंचा दिया कि अदाणी समूह की पूंजी 8000 अरब से ज्यादा गिर गई. जानिए गौतम अदाणी और उनके साम्राज्य के बारे में.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
अपार संपत्ति
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी को कभी एशिया के सबसे अमीर और दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में जाना जाता था. अहमदाबाद के एक मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले और शिक्षा भी पूरी ना कर पाने वाले एक व्यक्ति के लिए इसे एक अचंभित करने वाली उपलब्धि माना जाता था.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
सादा शुरुआत
कहा जाता है कि गौतम अदाणी ने कॉलेज शिक्षा छोड़ कर मुंबई में हीरों का कारोबार शुरू किया. बाद में अहमदाबाद लौट कर उन्होंने अपने भाई के साथ मिल कर प्लास्टिक आयात करने का व्यापार किया. फिर 1980 के दशक में उन्होंने अदाणी एंटरप्राइजेज की स्थापना की.
तस्वीर: Jack Guez/AFP
आर्थिक सुधारों का लाभ
1990 के दशक में जब भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण और वैश्वीकरण का दौर आया तब अदाणी ने अपने व्यापार का विस्तार किया और बंदरगाहों, निर्माण और कोयला खनन में निवेश करना शुरू किया. उनकी पहली बड़ी परियोजना मुंद्रा बंदरगाह आज भारत का सबसे बड़ा व्यावसायिक बंदरगाह है और वो देश के सबसे बड़े निजी बंदरगाह ऑपरेटर हैं.
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तेजी से विस्तार
इसके बाद एक दशक के अंदर ही वो भारत में कोयला खदानों के सबसे बड़े डेवलपर और ऑपरेटर बन गए. आज अदाणी समूह बड़े शहरों में एयरपोर्ट चलाता है, सड़कें, बिजली, सैन्य उपकरण, कृषि उपकरण और उत्पाद आदि बनाता है और मीडिया संस्थान भी चलाता है. अदाणी समूह का लक्ष्य है 2030 तक अक्षय ऊर्जा में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनना.
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ऋण पर खड़ा साम्राज्य
शेयर बाजार में अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों के दाम सिर्फ पांच सालों में 1,000 प्रतिशत बढ़ गए. लेकिन समीक्षकों का कहना है कि अदाणी समूह का इतनी तेजी से हुआ विस्तार ऋण के दम पर हुआ है. समूह के ऊपर करीब 2,400 अरब रुपयों का ऋण है, जिसमें से करीब 730 अरब रुपयों का ऋण भारतीय बैंकों से लिया गया है.
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मोदी से संबंध
समीक्षकों का यह भी कहना है कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब गौतम अदाणी ने उनसे हाथ मिलाया और जब मोदी प्रधानमंत्री बने तब उनके करीब संबंधों का फायदा अडानी को राष्ट्रीय स्तर पर मिला. पहली बार प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी चुनाव अभियान में अक्सर अदाणी के चार्टर्ड विमान में यात्रा करते हुए नजर आते थे.
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सरकारी समर्थन के आरोप
आलोचकों का कहना है कि मोदी से दोस्ती होने की वजह से अदाणी अपने प्रतिद्वंदियों से आगे निकल पाए, व्यापार का विस्तार किया और बिना पर्याप्त निगरानी के ज्यादा से ज्यादा ऋण भी उठाया. गौतम अदाणी ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में एक रिपोर्ट जारी कर अदाणी समूह पर इतिहास की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी का आरोप लगाया. हिंडनबर्ग का आरोप है कि गौतम अदाणी ने लेखा धोखाधड़ी की है और ऑफशोर कर पनाह वाले देशों के रास्ते पैसे लगा कर अपनी कंपनियों के शेयरों के दामों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया.
एक रिपोर्ट का असर
अदाणी समूह ने इन आरोपों का भी खंडन किया है लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद समूह को बड़ा धक्का लगा है. बाजार में समूह की पूंजी में 8000 अरब से ज्यादा की गिरावट आई है और गौतम अदाणी ने भी सबसे अमीर लोगों की सूची में अपना स्थान खो दिया है.