पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी करने के बाद हैदराबाद में बीजेपी के विधायक राजा सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. महीनों पहले बीजेपी नेता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर पर की गई टिप्पणी का असर देश में अभी तक चल रहा है.
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हैदराबाद के गोशामहल विधानसभा क्षेत्र से विधायक टी राजा सिंह ने सोमवार, 22 अगस्त को एक वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होंने पैगंबर मोहम्मद पर भद्दी टिप्पणी की थी. उसके बाद शहर में कई जगह लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए और सिंह की गिरफ्तारी की मांग की.
मंगलवार, 23 अगस्त को पुलिस ने सिंह को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने बताया कि उन्हें धार्मिक भावनाएं आहत करने की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है. राजा सिंह इससे पहले भी कई बार इस तरह के विवादों में फंस चुके हैं.
पिछले सप्ताह ही उन्होंने हैदराबाद में स्टैंड अप कॉमेडी कलाकार मुनव्वर फारुकी के एक कार्यक्रम को रोकने की कोशिश की थी. जब वो फारुकी के कार्यक्रम स्थल के पास अपने कई समर्थकों के साथ पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें निवारक हिरासत में ले लिया. उसके बाद ही कार्यक्रम सुचारू रूप से चल सका.
सिंह के खिलाफ कम से कम 43 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से कम से कम 30 मामले धार्मिक भावनाएं आहत करने और दो समुदायों के बीच वैमनस्य भड़काने से जुड़े हैं. 17 मामले दंगा करने और खतरनाक हथियार रखने और एक मामला हत्या की कोशिश से जुड़ा है.
वो कई बार खुलेआम मुस्लिमों को मारने की बातें कह चुके हैं. सितंबर 2020 में उन्होंने फेसबुक पर एक वीडियो डाला था जिसमें उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों को गोली मारने की और अन्य मुस्लिम-विरोधी बातें की थी. इसके बाद फेसबुक ने उन्हें अपनी सभी सेवाओं से प्रतिबंधित कर दिया था.
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पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी महीनों से भारत में एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है. मई 2022 में बीजेपी नेता नूपुर शर्मा ने एक टीवी कार्यक्रम में पैगंबर पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद उनके और उनकी पार्टी के खिलाफ कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए.
यहां तक कि मध्य एशिया के कई देशों ने भी शर्मा की निंदा की, जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें प्रवक्ता पद से निलंबित कर दिया. शर्मा के खिलाफ कई जगह एफआईआर भी दर्ज की गईं. सभी मामलों में आज भी सुनवाई चल रही है. जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उनकी टिप्पणी की वजह से "पूरे देश में आग लग गई है."
जुलाई में उदयपुर में दो लोगों ने शर्मा का समर्थन करने वाले एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी. दोनों जेल में हैं. उसके बाद देश के अलग अलग हिस्सों में ऐसी और भी वारदातें हुई हैं.
ऐसी थीं पैगंबर मोहम्मद की बीवी
पैगंबर मोहम्मद की पहली बीवी खदीजा बिंत ख्वालिद की इस्लाम धर्म में महिलाओं के अधिकार तय करवाने में अहम भूमिका मानी जाती है. कई मायनों में उन्हें मुस्लिम समुदाय की पहली फेमिनिस्ट भी माना जाता है.
पिता से सीखे व्यापार के गुर
खदीजा के पिता मक्का के रहने वाले एक सफल व्यापारी थे. कुराइश कबीले के पुरुष प्रधान समाज में खदीजा को हुनर, ईमानदारी और भलाई के सबक अपने पिता से मिले. उनके पिता फर्नीचर से लेकर बर्तनों और रेशम तक का व्यापार करते थे. उनका कारोबार उस समय के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों मक्का से लेकर सीरिया और यमन तक फैला था.
आजादख्याल और साहसी
खदीजा की शादी पैगंबर मोहम्मद से पहले भी दो बार हो चुकी थी. उनके कई बच्चे भी थे. दूसरी बार विधवा होने के बाद वे अपना जीवनसाथी चुनने में बहुत सावधानी बरतना चाहती थीं और तब तक अकेले ही बच्चों की परवरिश करती रहीं. इस बीच वे एक बेहद सफल व्यवसायी बन चुकी थीं, जिसका नाम दूर दूर तक फैला.
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ना उम्र की सीमा हो
पैगंबर मोहम्मद से शादी के वक्त खदीजा की उम्र 40 थी तो वहीं मोहम्मद की मात्र 25 थी. पैगंबर मोहम्मद को उन्होंने खुद शादी के लिए संदेश भिजवाया था और फिर शादी के बाद 25 सालों तक दोनों केवल एक दूसरे के ही साथ रहे. खदीजा की मौत के बाद पैगंबर मोहम्मद ने 10 और शादियां कीं. आखिरी बीवी आयशा को तब जलन होती थी जब वे सालों बाद तक अपनी मरहूम बीवी खदीजा को याद किया करते.
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आदर्श पत्नी, प्रेम की मूरत
अपनी शादी के 25 सालों में पैगंबर मोहम्मद और खदीजा ने एक दूसरे से गहरा प्यार किया. तब ज्यादातर शादियां जरूरत से की जाती थीं लेकिन माना जाता है कि हजरत खदीजा को पैगंबर से प्यार हो गया था और तभी उन्होंने शादी का मन बनाया. जीवन भर पैगंबर पर भरोसा रखने वाली खदीजा ने मुश्किल से मुश्किल वक्त में उनका पूरा साथ दिया. कहते हैं कि उनके साथ के दौरान ही पैगंबर पर अल्लाह ने पहली बार खुलासा किया.
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पहले मुसलमान
हजरत खदीजा को इस्लाम में विश्वास करने वालों की मां का दर्जा मिला हुआ है. वह पहली इंसान थीं जिन्होंने मोहम्मद को ईश्वर के आखिरी पैगंबर के रूप में स्वीकारा और जिन पर सबसे पहले कुरान नाजिल हुई. माना जाता है कि उन्हें खुद अल्लाह और उसके फरिश्ते गाब्रियाल ने आशीर्वाद दिया. अपनी सारी दौलत की वसीयत कर उन्होंने इस्लाम की स्थापना में पैगंबर मोहम्मद की मदद की.
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गरीबों की मददगार
अपने व्यापार से हुई कमाई को हजरत खदीजा गरीब, अनाथ, विधवा और बीमारों में बांटा करतीं. उन्होंने अनगिनत गरीब लड़कियों की शादी का खर्च भी उठाया और इस तरह एक बेहद नेक और सबकी मदद करने वाली महिला के रूप में इस्लाम ही नहीं पूरे विश्व के इतिहास में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा.