पाकिस्तान के पेशावर में ईशनिंदा के आरोपी की कोर्ट में गोली मारकर हत्या कर दी गई. पाकिस्तान में ईशनिंदा का आरोप लगाकर पहले भी कई लोगों को पुलिस के हवाले किया जा चुका है. बदले के इरादे से भी कई बार आरोप लगाए जाते हैं.
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पेशावर में ईशनिंदा के एक आरोपी की बुधवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस के मुताबिक मारे गए 47 साल के शख्स का नाम अहमद नसीम था और वह उस समुदाय का सदस्य था जिस पर पाकिस्तान में आरोप लगता आया है कि वे पैगंबर मोहम्मद के उत्तराधिकार को चुनौती देते हैं. दुनियाभर में ईशनिंदा को लेकर पाकिस्तान के कानून सबसे सख्त माने जाते हैं. बुधवार को जब पुलिस ने सुरक्षा के बीच नसीम को कोर्ट में पेश किया तो उसी दौरान एक शख्स ने पिस्तौल से फायरिंग शुरू कर दी. नसीम की मौके पर ही मौत हो गई. हत्या के आरोपी को पुलिस ने घटनास्थल से ही गिरफ्तार कर लिया. पुलिस अधिकारी मिसाल खान ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "उस शख्स की एक युवक ने कोर्ट के भीतर गोली मारकर हत्या कर दी."
नसीम को अप्रैल 2018 में पहली बार एक स्थानीय शख्स द्वारा लगाए ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तान में ईशनिंदा का आरोप बहुत गंभीर माना जाता है. पाकिस्तान के रूढ़िवादी इलाकों में ईशनिंदा को लेकर भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या के मामले भी पहले सामने आ चुके हैं. यही नहीं ईशनिंदा को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हो चुके हैं. कई बार ईशनिंदा के दोषी को मौत की सजा तक हो जाती है.
नसीम अहमदिया मुस्लिम समुदाय का सदस्य था, हालांकि कई मुख्यधारा के मुस्लिम स्कूल उन्हें इस्लाम का हिस्सा नहीं मानते. पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक अहमदिया गैर-मुसलमान है और ऐसा कहा जाता है कि उन्हें इसी वजह से लंबे समय से प्रताड़ित किया जा रहा है. अहमदी समुदाय खुद को मुसलमान तो कहता है लेकिन मोहम्मद के आखिरी पैगंबर होने से इनकार करता है.
अधिकार समूहों का मानना है कि देश में ईशनिंदा के कानून का गलत फायदा उठाने वाले कई मामले हैं जिसे धार्मिक कट्टरवादियों से लेकर आम पाकिस्तानी तक बदले के लिए हिसाब किताब चुकता करने के लिए इस्तेमाल करता आया है. पाकिस्तान में रहने वाले ईसाई और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय देश में कानूनी और सामाजिक भेदभाव की शिकायत करते रहे हैं. इस लिहाज से ईशनिंदा के आरोप खासतौर से विवादित रहे हैं. साल 2010 में पाकिस्तान की अदालत ने आसिया बीबी नाम की महिला को ईशनिंदा का दोषी मानते हुए मौत की सुनाई थी लेकिन उन्हें 2018 में रिहा कर दिया गया था. रिहा होने के बाद आसिया बीबी ने पाकिस्तान छोड़ दिया और अब विदेश में रहती हैं. जेल में रहने और ईशनिंदा के आरोपों पर आसिया बीबी ने एक किताब भी लिखी थी.
पाकिस्तान के भीतर एक ऐसा अल्पसंख्यक समुदाय है जो स्वयं को मुस्लिम तो कहता है, लेकिन मोहम्मद को आखिरी पैगंबर नहीं मानता. पाकिस्तान इस समुदाय को मुस्लिम नहीं मानता. जानिए कौन हैं ये अहमदी.
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कौन है अहमदी
अहमदी समुदाय स्वयं को मुसलमान कहता है लेकिन मोहम्मद को आखिरी पैगंबर नहीं मानता. आम तौर पर इस्लाम में मोहम्मद को आखिरी पैगंबर माना जाता है.
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किसने की स्थापना
इस समुदाय के संस्थापक थे मिर्जा गुलाम अहमद. इनका जन्म साल 1835 में पंजाब के कादियान में हुआ. इसलिए इन्हें मानने वाले लोगों को अहमदी या कादियानी भी कहा जाता है.
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कहां कितने अहमदी
वेबसाइट वर्ल्डएटलस डॉट कॉम के आंकड़ों मुताबिक अहमदी समुदाय दुनिया के 209 देशों में फैला है. सबसे ज्यादा अहमदी मुसलमान, दक्षिण एशिया, इंडोनेशिया, पूर्वी और पश्चिमी अफ्रीका समेत कैरेबियाई देशों में फैले हैं. अधिकतर देशों में यह एक अल्पसंख्यक समुदाय है.
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मुस्लिम ही नहीं
अधिकतर मुस्लिम समुदाय इन्हें मुस्लिम नहीं मानता. पाकिस्तान में अहमदियों का खुद को मुसलमान कहना गैरकानूनी है. इनकी कुल आबादी का ठोस अनुमान लगाना मुश्किल है. अहमदी मूवमेंट की बेवसाइट का दावा है कि दुनिया में तकरीबन 10 करोड़ अहमदी समुदाय के लोग रहते हैं.
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मुस्लिम सुधार समूह
ब्रिटिश शासन काल के दौरान भारत में पहली बार साल 1889 में आधिकारिक रूप से अहमदिया मुस्लिम जमात (एएमजे) नाम की संस्था की स्थापना की गई. एएमजे का मुख्यालय लंदन में है. इसके मुताबिक जर्मनी में करीब 40 हजार अहमदिया मुसलमान रहते हैं. यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता मुस्लिम सुधार समूह होने का भी दावा करता है.
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पाकिस्तान का मसला
पाकिस्तान में 1974 में बनाए गए एक कानून के तहत इन्हें गैर मुसलमान घोषित किया गया. एक दशक बाद एक और कानून आया, जिसमें अहमदी लोगों के खुद को मुसलमान कहने और मस्जिद बनाने पर रोक लगाई गई. कट्टरपंथियों ने उनके धार्मिक स्थलों को बंद करवा दिया.
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जर्मनी में 40 हजार अहमदिया
20वीं सदी की शुरुआत में अहमदिया जर्मनी आए. साल 1920 से यह समुदाय जर्मनी में अपनी मस्जिदों का संचालन करने लगा. पाकिस्तान में अहमदी समुदाय खुद को मुसलमान नहीं कह सकता. 1970 के दशक में जब पाकिस्तान में अहमदी समुदाय को गैर इस्लामिक मानने का कानून पारित हुआ तो उसके बाद बड़ी संख्या में अहमदी पाकिस्तान छोड़ जर्मनी आ गए.
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अहमदी मुसलमानों के देश
वर्ल्डएटलस डॉट कॉम के मुताबिक सबसे अधिक अहमदी लोग नाइजीरिया में रहते हैं. यहां इनकी संख्या करीब 28 लाख है. इसके बाद तंजानिया में, जहां इनकी संख्या 25 लाख है. भारत में भी करीब 10 लाख अहमदी रहते हैं.
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यहां भी फैले
चौथे और पांचवे नंबर पर नाइजर और घाना का नंबर आता है. नाइजर में करीब 970,000 हजार तो घाना में 635,000 हजार अहमदी मुस्लिम रहते हैं. छठे स्थान पर पाकिस्तान का नंबर आता है जहां इनकी संख्या 600,000 के लगभग है.
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अन्य देश
सातवें नंबर पर कांगो, आठवें पर सिएरा लियोन, नवां नंबर कैमरुन का आता है. दसवें स्थान पर इंडोनेशिया का स्थान आता है. यहां भी तकरीबन 400,000 हजार अहमदी मुसलमान रहते हैं.