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समाज

ईशनिंदा के आरोपी की कोर्ट में हत्या

३० जुलाई २०२०

पाकिस्तान के पेशावर में ईशनिंदा के आरोपी की कोर्ट में गोली मारकर हत्या कर दी गई. पाकिस्तान में ईशनिंदा का आरोप लगाकर पहले भी कई लोगों को पुलिस के हवाले किया जा चुका है. बदले के इरादे से भी कई बार आरोप लगाए जाते हैं.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Sajjad

पेशावर में ईशनिंदा के एक आरोपी की बुधवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस के मुताबिक मारे गए 47 साल के शख्स का नाम अहमद नसीम था और वह उस समुदाय का सदस्य था जिस पर पाकिस्तान में आरोप लगता आया है कि वे पैगंबर मोहम्मद के उत्तराधिकार को चुनौती देते हैं. दुनियाभर में ईशनिंदा को लेकर पाकिस्तान के कानून सबसे सख्त माने जाते हैं. बुधवार को जब पुलिस ने सुरक्षा के बीच नसीम को कोर्ट में पेश किया तो उसी दौरान एक शख्स ने पिस्तौल से फायरिंग शुरू कर दी. नसीम की मौके पर ही मौत हो गई. हत्या के आरोपी को पुलिस ने घटनास्थल से ही गिरफ्तार कर लिया. पुलिस अधिकारी मिसाल खान ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "उस शख्स की एक युवक ने कोर्ट के भीतर गोली मारकर हत्या कर दी."

नसीम को अप्रैल 2018 में पहली बार एक स्थानीय शख्स द्वारा लगाए ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तान में ईशनिंदा का आरोप बहुत गंभीर माना जाता है. पाकिस्तान के रूढ़िवादी इलाकों में ईशनिंदा को लेकर भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या के मामले भी पहले सामने आ चुके हैं. यही नहीं ईशनिंदा को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हो चुके हैं. कई बार ईशनिंदा के दोषी को मौत की सजा तक हो जाती है.

नसीम अहमदिया मुस्लिम समुदाय का सदस्य था, हालांकि कई मुख्यधारा के मुस्लिम स्कूल उन्हें इस्लाम का हिस्सा नहीं मानते. पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक अहमदिया गैर-मुसलमान है और ऐसा कहा जाता है कि उन्हें इसी वजह से लंबे समय से प्रताड़ित किया जा रहा है. अहमदी समुदाय खुद को मुसलमान तो कहता है लेकिन मोहम्मद के आखिरी पैगंबर होने से इनकार करता है.

अधिकार समूहों का मानना है कि देश में ईशनिंदा के कानून का गलत फायदा उठाने वाले कई मामले हैं जिसे धार्मिक कट्टरवादियों से लेकर आम पाकिस्तानी तक बदले के लिए हिसाब किताब चुकता करने के लिए इस्तेमाल करता आया है. पाकिस्तान में रहने वाले ईसाई और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय देश में कानूनी और सामाजिक भेदभाव की शिकायत करते रहे हैं. इस लिहाज से ईशनिंदा के आरोप खासतौर से विवादित रहे हैं. साल 2010 में पाकिस्तान की अदालत ने आसिया बीबी नाम की महिला को ईशनिंदा का दोषी मानते हुए मौत की सुनाई थी लेकिन उन्हें 2018 में रिहा कर दिया गया था. रिहा होने के बाद आसिया बीबी ने पाकिस्तान छोड़ दिया और अब विदेश में रहती हैं. जेल में रहने और ईशनिंदा के आरोपों पर आसिया बीबी ने एक किताब भी लिखी थी.

एए/सीके (एएफपी)

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