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गंगा में डाली गईं थी लाशें, माना अधिकारी ने

चारु कार्तिकेय
२४ दिसम्बर २०२१

स्वच्छ गंगा मिशन के प्रमुख राजीव रंजन मिश्रा ने माना है कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान वाकई गंगा में लाशें डाली गई थीं. मिश्रा नमामि गंगे कार्यक्रम के प्रमुख भी हैं.

Weltspiegel 17.05.2021 | Corona | Indien Prayagraj | Bestattung
तस्वीर: Prabhat Kumar Verma/ZUMA Wire/imago images

गंगा में लाशें डाले जाने की बात मिश्रा ने अपनी नई किताब "गंगा: रीइमैजिनिंग, रीजूवनेटिंग, रीकनेक्टिंग" में मानी है. इंडियन एक्सप्रेस अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक किताब का एक पूरा हिस्सा इसी घटना पर केंद्रित है.

इस हिस्से में मिश्रा ने लिखा है, "जैसे जैसे कोविड-19 महामारी की वजह से लाशों की संख्या बढ़ने लगी, जिला प्रशासन विह्वल हो गए, उत्तर प्रदेश और बिहार के शवदाहगृहों और श्मशान घाटों की क्षमता से ज्यादा लाशें आने लगी, ऐसे में गंगा में लाशों को डालना आसान हो गया."

मिश्रा ने यह भी बताया है कि सभी मामले उत्तर प्रदेश के ही थे और नदी के बिहार वाले हिस्सों में जो लाशें मिली थीं वो उत्तर प्रदेश से ही बहकर वहां पहुंची थीं. सभी लाशें उत्तर प्रदेश के ही कन्नौज और बलिया के बीच गंगा में डाली गई थीं.

उन्नाओ में गंगा के किनारे दफनाई गई लाशों की जांच करती पुलिसतस्वीर: Sanjay Kanojia/AFP

मिश्रा तेलांगना कैडर के आईएएस अधिकारी हैं और 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. उनकी किताब का विमोचन प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देब्रॉय ने किया.

आखिर मानना ही पड़ा

मई 2021 में दूसरी लहर के दौरान मिश्रा को खुद कोविड हो गया था और गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उनका इलाज किया गया था. उन्होंने किताब में लिखा है कि अस्पताल में अपने इलाज के दौरान ही उन्हें इन घटनाओं के बारे में पता चला.

उसके बाद उन्होंने सभी 59 जिला गंगा समितियों को इस स्थिति से निपटने का आदेश दिया. फिर उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार को भी इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया.

मिश्रा कहते हैं कि केंद्रीय अधिकारियों की एक बैठक में उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना कि राज्य के केंद्रीय और पूर्वी हिस्सों में ऐसा वाकई हो रहा है. हालांकि मिश्रा ने किताब में यह भी लिखा है कि गंगा में डाली गई लाशों की कुल संख्या हजारों में नहीं थी बल्कि 300 से ज्यादा नहीं रही होगी.

बिहार के बक्सर में भी तैरती मिली थी लाशेंतस्वीर: IANS

मई में बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में गंगा ही नहीं दूसरी नदियों में भी बहती हुई लाशें मिली थीं. पश्चिम बंगाल में भी अलर्ट जारी कर दिया गया था. अकेले बिहार के बक्सर में कुल 81 शव मिले थे.

हजारों शव मिले थे नदी के किनारे

अटकलें लग रही थीं कि हो सकता है गरीब परिवारों ने दाह संस्कार का खर्च उठाने में असमर्थता की वजह से शवों को नदी में प्रवाहित कर दिया होगा, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई.

उस दौरान नदी में सीधे बहा देने के अलावा कई लोगों ने शवों को नदी के किनारे रेत में दफना भी दिया था. उत्तर प्रदेश के स्थानीय मीडिया में आई कई खबरों के मुताबिक अकेले प्रयागराज में एक बड़े घाट पर रेत में दफनाए हुए करीब 5,000 शव मिले थे.

दैनिक भास्कर अखबार ने उत्तर प्रदेश के हर जिले में रिपोर्टर भेज कर गंगा नदी में तैर रही और गंगा के किनारे दफनाई गई लाशों का सच निकालने की कोशिश की थी. बाद में अमेरिकी अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स ने दैनिक भास्कर के मुख्य संपादक ओम गौड़ का लिखा संपादकीय छापा. संपादकीय का शीर्षक था, "मृतकों को लौटा रही है गंगा. वो झूठ नहीं बोलती."

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