अमिताभ बच्चन अपनी एनएफटी लाने वाले हैं. सलमान खान भी लाने वाले हैं. डिजाइनर मनीष मल्होत्रा तो तीन लाख रुपये कमा भी चुके हैं. क्या है एनएफटी जिसकी दीवानगी भारत के मशहूर लोगों पर छाती जा रही है.
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अमिताभ बच्चन और सलमान खान भारत की उन मशहूर हस्तियों में से हैं, जो अपने-अपने एनएफटी लाने की तैयारी कर रहे हैं. अमिताभ बच्चन की एनएफटी में उनके दस्तखत किए उनकी ही फिल्मों के पोस्टर भी शामिल होंगे. सलमान खान ने ट्विटर पर अपने 4.3 करोड़ फॉलोअर्स को एनएफटी के लिए तैयार रहने को कहा है.
एनएफटी डिजिटल संपत्ती होती है, जिसे ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए संभाला जाता है. इस तकनीक की मदद से तस्वीरें, वीडियो और अन्य कीमती डिजिटल संपत्तियों का मालिकाना हक सुनिश्चित किया जाता है. पिछले कुछ महीनों में दुनियाभर में एनएफटी को लेकर हल्ला है. हालांकि बहुत से लोग इसे लेकर सशंकित हैं लेकिन इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है.
जानिए, कैसे काम करता है बिटकॉइन
बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है
हाल में बिटकॉइन के मूल्य में काफी उतार चढ़ाव देखे गए हैं, जिसकी वजह से निवेशकों को संदेह हो गया है कि इसमें अपना पैसा डालें या नहीं. डीडब्ल्यू कोई सलाह नहीं देता लेकिन आइए आपको बताते हैं कि आखिर बिटकॉइन काम कैसे करता है.
डिजिटल मुद्रा
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है क्योंकि यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ही उपलब्ध है. यानी इसका कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है. यह एन्क्रिप्ट किए हुए एक ऐसे नेटवर्क के अंदर होती है जो व्यावसायिक बैंकों या केंद्रीय बैंकों से स्वतंत्र होता है. इससे बिटकॉइन को पूरी दुनिया में एक जैसे स्तर पर एक्सचेंज किया जा सकता है. एन्क्रिप्शन की मदद से इसका इस्तेमाल करने वालों की पहचान और गतिविधियों को गुप्त रखा जाता है.
तस्वीर: STRF/STAR MAX/IPx/picture alliance
एक रहस्यमयी संस्थापक
बिटकॉइन को पहली बार 2008 में सातोशी नाकामोतो नाम के व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था. यह आज तक किसी को नहीं मालूम कि यह एक व्यक्ति का नाम है या कई व्यक्तियों के एक समूह का. 2009 में एक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किए जाने के बाद यह मुद्रा लागू हो गई.
तस्वीर: picture-alliance/empics/D. Lipinski
कैसे मिलता है बिटकॉइन
इसे हासिल करने के कई तरीके हैं. पहला, आप इसे कॉइनबेस या बिटफाइनेंस जैसे ऑनलाइन एक्सचेंजों से डॉलर, यूरो इत्यादि जैसी मुद्राओं में खरीद सकते हैं. दूसरा, आप इसे अपने उत्पाद या अपनी सेवा के बदले भुगतान के रूप में पा सकते हैं. तीसरा, आप खुद अपना बिटकॉइन बना भी सकते हैं. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है.
डिजिटल बटुए की जरूरत
बिटकॉइन खरीदने से पहले आपको अपने कंप्यूटर में वॉलेट सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पड़ता है. इस वॉलेट में एक 'पब्लिक' चाभी होती है जो आपका पता होता है और एक निजी चाभी भी होती है जिसकी मदद से वॉलेट का मालिक क्रिप्टो मुद्रा को भेज सकता है या पा सकता है. स्मार्टफोन, यूएसबी स्टिक या किसी भी दूसरे डिजिटल हार्डवेयर का इस्तेमाल वॉलेट के रूप में किया जा सकता है.
अब बिटकॉइन से कुछ खरीदा जाए
आइए जानते हैं भुगतान के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. मान लीजिए मिस्टर एक्स मिस वाई से एक टोपी खरीदना चाहते हैं. इसके लिए सबसे पहले मिस वाई को मिस्टर एक्स को अपना पब्लिक वॉलेट पता भेजना होगा, जो एक तरह से उनके बिटकॉइन बैंक खाते की तरह है.
ब्लॉकचेन
मिस वाई से उनके पब्लिक वॉलेट का पता पा लेने के बाद, मिस्टर एक्स को अपनी निजी चाभी से इस लेनदेन को पूरा करना होगा. इससे यह साबित हो जाता कि इस डिजिटल मुद्रा को भेजने वाले वही हैं. यह लेनदेन बिटकॉइन से रोजाना होने वाले हजारों लेनदेनों की तरह बिटकॉइन ब्लॉकचेन में जमा हो जाता है.
डिजिटल युग के खनिक
अब मिस्टर एक्स द्बारा किए हुए लेनदेन की जानकारी ब्लॉकचेन नेटवर्क में शामिल सभी लोगों को पहुंच जाती है. इन लोगों को नोड कहा जाता है. मूल रूप से ये निजी कम्प्यूटर होते हैं, जिन्हें 'माइनर' या खनिक भी कहा जाता है. ये इस लेनदेन की वैधता को सत्यापित करते हैं. इसके बाद बिटकॉइन मिस वाई के पब्लिक पते पर चला जाता है, जहां से वो अपनी निजी चाभी का इस्तेमाल कर इसे हासिल कर सकती हैं.
बिटकॉइन मशीन रूम
सैद्धांतिक तौर पर ब्लॉकचेन नेटवर्क में कोई भी खनिक बन सकता है. लेकिन अधिकतर यह प्रक्रिया बड़े कंप्यूटर फार्मों में की जाती है जहां इसका हिसाब रखने के लिए आवश्यक शक्ति हो. इस प्रक्रिया में लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए नए लेनदेनों को तारीख के हिसाब से जोड़ कर एक कतार में रखा जाता है.
एक विशाल सार्वजनिक बही-खाता
हर लेनदेन को एक विशाल सार्वजनिक बही-खाते में शामिल कर लिया जाता है. इसी को ब्लॉकचेन कहा जाता है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन एक ब्लॉक की तरह जमा कर लिए जाते हैं. जैसे जैसे सिस्टम में नए ब्लॉक आते हैं, सभी इस्तेमाल करने वालों को इसकी जानकारी पहुंच जाती है. इसके बावजूद, किसने किसको कितने बिटकॉइन भेजे हैं, यह जानकारी गोपनीय रहती है. एक बार कोई लेनदेन सत्यापित हो जाए, तो फिर कोई भी उसे पलट नहीं सकता है.
बिटकॉइनों का विवादास्पद खनन
खनिक जब नए लेनदेन को प्रोसेस करते हैं तो इस प्रक्रिया में वे विशेष डिक्रिप्शन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर नए बिटकॉइन बनाते हैं. डिक्रिप्ट होते ही श्रृंखला में एक नया ब्लॉक जुड़ जाता है और उसके बाद खनिक को इसके लिए बिटकॉइन मिलते हैं. पूरे बिटकॉइन नेटवर्क में चीन सबसे बड़ा खनिक है. वहां कोयले से मिलने वाली सस्ती बिजली की वजह से वो अमेरिका, रूस, ईरान और मलेशिया के अपने प्रतिद्वंदी खनिकों से आगे रहता है.
बिजली की जबरदस्त खपत
क्रिप्टो माइनिंग और प्रोसेसिंग के लिए जो हिसाब रखने की शक्ति चाहिए, उसकी वजह से बिटकॉइन नेटवर्क ऊर्जा की काफी खपत करता है. यह प्रति घंटे लगभग 120 टेरावॉट ऊर्जा लेते है. कैंब्रिज विश्वविद्यालय के बिटकॉइन बिजली खपत सूचकांक के मुताबिक इस क्रिप्टो मुद्रा को इस नक्शे में नीले रंग में दिखाए गए हर देश से भी ज्यादा ऊर्जा चाहिए. - गुडरून हाउप्ट
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बॉलीवुड में संपत्तियों की एनएफटी की खरीद-बेच से जुड़ी संस्था बॉलीकॉइन के अयान अग्निहोत्री कहते हैं, "बॉलीवुड के लिए एनएफटी अभी थोड़ी नई चीज है लेकिन मुझे यकीन है कि वे (बॉलीवुड स्टार) इसे एक नए प्लैटफॉर्म की तरह देखेंगे, जहां वे अपनी सामग्री से पैसा कमा सकते हैं.”
अग्निहोत्री ने इसी महीने अपना यह प्लैटफॉर्म बॉलीकॉइन शुरू किया है और कुछ ही दिनों में वह कुल उपलब्ध दो करोड़ में से 80 लाख बॉलीकॉइन बेच चुके हैं. बॉलीकॉइन एक तरह की क्रिप्टो करंसी है, जिसे एनएफटी खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन ऐसा तब होगा जब कोई बॉलीवुड हस्ती एनएफटी बेचेगी. एक बॉलीकॉइन की कीमत 10 अमेरिकी सेंट यानी लगभग साढ़े सात रुपये है.
क्या हैं एनएफटी?
एनएफटी यानी नॉन फंजीबल टोकन. अर्थव्यवस्था में फंजीबल संपत्ति उसे कहते हैं जो हाथ से ली-दी जा सके. जैसे आपके पास 100 रुपये का नोट है, जिसे देकर आप 50-50 रुपये के दो नोट ले सकते हैं. यह फंजीबल संपत्ति है.
तो इसके उलट नॉन-फंजीबल हुआ, जिसका ठोस आधार पर लेन-देन ना हो सके. यानी उसकी कीमत कुछ ऐसी है कि उसके बदले कुछ लिया दिया नहीं जा सकता. यह कोई घर भी हो सकता है, मोना लीसा जैसी पेंटिंग हो सकती है. या कोई वीडियो हो सकती है. ऐसी चीजें दूसरी नहीं हैं, तो इनकी असल कीमत तय करना मुश्किल है.
डिजिटल जगत में ऐसी चीजों को सामान्य चीजों की तरह खरीदा बेचा जा सकता है. इसके बदले आपको डिजिटल टोकन मिल जाएंगे, जिन्हें एनएफटी कहा जाता है.
भारत में हो रही है बिक्री
बॉलीवुड के बाहर भी हस्तियां एनएफटी में दिलचस्पी दिखा रही हैं. क्रिकेटर दिनेश कार्तिक ने एक डिजिटल आर्ट रील की नीलामी का ऐलान किया है. यह वीडियो रील एक क्रिकेट मैच की है जिसमें कार्तिक ने मैच जिताने के लिए आखरी मैच पर छक्का लगाया था.
कार्तिक ने इस वीडियो के लिए न्यूनतम कीमत डिजिटल करंसी में 5 एथरीयम रखी है, जो करीब 20 हजार डॉलर के बराबर है. हालांकि अभी तक उन्हें कोई बोली नहीं मिली है.
विकिपीडिया: दीप तले अंधेरा
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समाचार एजेंसी रॉयटर्स को कार्तिक ने बताया, "पश्चिम में तो एनएफटी का खासा बोलबाला हो गया है. बास्किटबॉल के विशेल पलों को डिजीटल रूप में फैन्स को बेचा जा रहा है. वहीं से हमें यह आइडिया आया."
कुछ लोगों को एनएफटी में सफलता भी मिल चुकी है. भारत के सबसे बड़े फैशन डिजाइनरों में से एक मनीष मल्होत्रा ने हाल ही में अपने सबसे चर्चित डिजाइनों के डिजिटल स्केच के एनएफटी बेचे. एक स्केच के लिए उन्हें चार हजार अमेरिकी डॉलर यानी लगभग तीन लाख रुपये मिले. मल्होत्रा की वेबसाइट पर दुल्हनों के लिबास कम कीमत पर उपलब्ध हैं. इनकी कीमत दो से ढाई लाख रुपये के बीच है.
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भरोसा कैसे करें?
एनएफटी जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसे लेकर कई लोगों के मन में शंकाएं भी हैं. वे कहते हैं कि ऐसी चीजें जो असल में नहीं हैं बल्कि उन्हें सिर्फ ऑनलाइन देखा जा सकता है, उनके ऊपर इतनी बड़ी रकम खर्च करने की बात उन्हें समझ नहीं आती.
लेकिन ये आशंकाएं लोगों को एनएफटी खरीदने से रोक नहीं पा रहीं. मार्किट पर नजर रखने वाले डैपरडार के आंकड़ों के मुताबिक 2021 की तीसरी तिमाही में 10.7 अरब डॉलर के एनएफटी खरीदे-बेचे जा चुके हैं. पिछली तिमाही के मुकाबले यह आठ गुना ज्यादा है.
भारत में क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स में एनएफटी का कारोबार देखने वालीं वाइस प्रेजीडेंट विशाखा सिंह कहती हैं अब हस्तियों के इस क्षेत्र में आ जाने से हलचल और बढ़ेगी. वह बताती हैं, "इस पूरे सिस्टम के लिए यह बहुत अच्छा है. इससे हमें पूरा खेल बदल देने वाली इस डिजिटल संपत्ति के बारे में लोगों को जागरूक करने में मदद मिलेगी.”