कोविड की अनदेखीः बोल्सोनारो पर मुकदमा चलाने की सिफारिश
२१ अक्टूबर २०२१
ब्राजील की एक संसदीय समिति ने राष्ट्रपति जाएर बोल्सोनारो पर मानवता के खिलाफ अपराधों का मुकदमा चलाने की सिफारिश की है. ऐसा कोविड महामारी से ठीक से ना निपटने के लिए किया गया है.
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ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो पर देश की संसदीय समिति ने नौ आरापों में मुकदमा चलाने की सिफारिश की है. इन आरोपों में मानवता के खिलाफ अपराधों के अलावा नीमहकीमी भी शामिल है.
सेनेटर रेनान कैलहाइरोस ने समिति की अंतिम रिपोर्ट को पेश किया. यह समिति राष्ट्रपति बोल्सोनारो की सरकार की कोरोना वायरस संबंधी नीतियों की जांच कर रही थी. छह महीने की जांच के बाद यह रिपोर्ट पेश की गई है.
करीब 1,200 पेज की इस रिपोर्ट में सरकारी धन के दुरुपयोग का भी आरोप है. रिपोर्ट कहती है कि कोविड की शुरुआत में मलेरिया की दवाई की सिफारिश करने के अलावा सरकार ने कोई और नीतिगत फैसला नहीं लिया.
देखिए, कहां कहां पहुंची वैक्सीन
कहां कहां पहुंची वैक्सीन
कोविड-19 वैक्सीन को लोगों तक पहुंचाने के लिए दुनियाभर के सैकड़ों स्वास्थ्यकर्मी दूभर यात्राएं कर रहे हैं. उनका काम है वैक्सीन को उन जगहों पर ले जाना जहां आना-जाना आसान नहीं है. मिलिए, ऐसे ही लोगों से.
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पहाड़ की चढ़ाई
दक्षिणी तुर्की में दूर-दराज पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए सिर्फ स्वास्थ्यकर्मी होना काफी नहीं है. उन्हें शारीरिक रूप से तंदुरुस्त और मजबूत भी होना पड़ता है क्योंकि पहाड़ चढ़ने पड़ते हैं. डॉ. जैनब इरेल्प कहती हैं कि लोग अस्पताल जाना पसंद नहीं करते तो हमें उनके पास जाना पड़ता है.
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बर्फीली यात्राएं
पश्चिमी इटली के ऐल्पस पहाड़ी के मारिया घाटी में कई बुजुर्ग रहते हैं जो वैक्सिनेशन सेंटर तक नहीं पहुंच सकते. 80 साल से ऊपर के लोगों को घर-घर जाकर वैक्सीन लगाई जा रही है.
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हवाओं के उस पार
अमेरिका के अलास्का में यह नर्स युकोन नदी के किनारे बसे कस्बे ईगल जा रही है. उसके बैग में कुछ ही वैक्सीन हैं क्योंकि ईगल सौ लोगों का कस्बा है जहां आदिवासी लोग रहते हैं. उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है.
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मनाना भी पड़ता है
दक्षिणी-पश्चिमी कोलंबिया के पहाड़ी इलाकों में 49 साल के ऐनसेल्मो टूनूबाला का काम सिर्फ वैक्सीन ले जाना नहीं है. उन्हें वैक्सीन की अहमियत भी समझानी पड़ती है क्योंकि कुछ आदिवासी समूह दवाओं से ज्यादा जड़ी-बूटियों पर भरोसा करते हैं.
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कई-कई घंटे चलना
मध्य मेक्सिको नोवा कोलोन्या इलाके में ये लोग चार घंटे पैदल चलकर टीकाकरण केंद्र पहुंचे. ये हुइशोल आदिवासी समूह के लोग हैं.
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नाव में सेंटर
ब्राजील के रियो नेग्रो में नोसा सेन्योरा डो लिवरामेंटो समुदाय के लोगों तक वैक्सीन नाव पर बने एक टीकाकरण केंद्र के जरिए पहुंची है.
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अंधेरे में उजाला
ब्राजील के इस आदिवासी इलाके में बिजली नहीं पहुंची है लेकिन वैक्सीन पहुंच गई है. 70 साल की रैमुंडा नोनाटा को वैक्सीन की पहली खुराक मोमबत्ती की रोशनी में मिली.
तस्वीर: Tarso Sarraf/AFP
झील के उस पार
यूगांडा की सबसे बड़ी झील बनयोन्यनी के ब्वामा द्वीप पर रहने वालों को वैक्सीन लगवाने के लिए नाव से आना पड़ता है.
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सब जल-थल
जिम्बाब्वे के जारी गांव में पहुंचने के लिए बनी सड़क टूट गई है. नदी पार करने का यही तरीका है लेकिन वैक्सीन तो पहुंचेगी.
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जापान के गांव
जापान में शहर भले चकाचौंध वाले हों, आज भी बहुत से लोग दूर-दराज इलाकों में रहते हैं. जैसे किटाएकी में इस बुजुर्ग के लिए स्वास्थ्यकर्मी घर आए हैं टीका लगाने.
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बेशकीमती टीके
इंडोनेशिया में टीकाकरण जनवरी में शुरू हो गया था. बांडा आचेह से मेडिकल टीम नाव के रास्ते छोटे छोटे द्वीपों पर पहुंची. टीके इतने कीमती हैं कि सेना मेडिकल टीम के साथ गई.
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दूसरी लहर के बीच
भारत में जब कोरोना वायरस चरम पर था, तब वैक्सीनेशन जारी था. लेकिन ब्रह्मपुत्र नदी पर स्थित बहाकजरी गांव में मेडिकल टीम के पास पहुंचे लोग मास्क आदि से बेपरवाह दिखाई दिए. (ऊटा श्टाइनवेयर)
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बोल्सोनारो पर अपराधिक मुकदमा चलाने के अलावा समिति ने उन पर महाभियोग चलाने की भी सिफारिश की है. हालांकि ऐसी सिफारिशों को मानने का फैसला चैंबर ऑफ डेप्युटीज के अध्यक्ष पर निर्भर करता है, जिन्हें बोल्सोनारो का करीबी माना जाता है.
हत्या का आरोप नहीं
समिति ने जिन आरोपों में मुकदमे की सिफारिश की है, उनमें आदिवासियों का नरसंहार और कत्ल जैसे संगीन आरोप शामिल नहीं किए गए. हालांकि इन आरोपों पर चर्चा हुई थी. समिति ने राष्ट्रपति के अलावा 65 अन्य व्यक्तियों और दो उद्योगों को भी रिपोर्ट में नामित किया है.
समिति में 11 सदस्य थे. इनमें से सात विपक्षी दलों से जुड़े हैं या निर्दलीय हैं. पिछले छह महीने के दौरान समिति ने दर्जनों लोगों के बयान दर्ज किए. अगले हफ्ते इस रिपोर्ट पर समिति में वोटिंग होने की संभावना है. रिपोर्ट को पारित करने के लिए बहुमत की जरूरत होगी, जिसे फिर प्रॉसीक्यूटर जनरल को भेजा जाएगा. प्रॉसीक्यूटर जरनल ही मुकदमा चलाने पर फैसला करेगा.
बोल्सोनारो का बोलबाला घटा
ब्राजील में 2.2 करोड़ लोग कोरोना वायरस महामारी का शिकार बने. वहां छह लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. महामारी के दौरान देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी. इस कारण मार्च और अप्रैल में बड़ी संख्या में मौतें हुईं.
पानी को तरसती धरती की पांचवीं बड़ी नदी
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इस स्थिति के बावजूद बोल्सोनारो ने कोरोनावायरस की गंभीरता को शुरुआत से ही ज्यादा अहमियत नहीं दी. उन्होंने वैक्सीन पर संदेह जाहिर किए और कड़ी पाबंदियां लगाने जैसे उपाय भी नहीं किए. उन्होंने बार-बार कहा कि उन्होंने खुद कोई टीका नहीं लगवाया.
बोल्सोनारो पर यह भी आरोप है कि उन्होंने ब्राजील के लिए वैक्सीन खरीदने में देरी की जबकि उनका देश अमेरिका और भारत के बाद दुनिया का तीसरा सबसे प्रभावित मुल्क है.
बोल्सोनारो सरकार के प्रति जनता का समर्थन लगातार घट रहा है. सितंबर में डाटाफोला संस्था द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में 53 प्रतिशत लोगों ने राष्ट्रपति की नीतियों को खारिज किया. 2019 में बोल्सोनारो द्वारा सत्ता संभालने के बाद से यह समर्थन का निम्नतम स्तर है.