अब कुछ एशियाई नागरिकों को बिना वीजा एंट्री नहीं देगा ब्राजील
२२ अगस्त २०२४
अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या से परेशान ब्राजील ने कहा है कि अब कुछ एशियाई देशों के लोगों को देश में बिना वीजा नहीं रुकने दिया जाएगा. अवैध प्रवासी ब्राजील का इस्तेमाल अमेरिका जाने के लिए रास्ते के रूप में करते हैं.
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अमेरिका जाने के लिए ब्राजील को रास्ता बनाने वाले लोगों ब्राजील परेशान हो गया है. उसने अगले सप्ताह से कुछ एशियाई देशों के शरणार्थियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना शुरू करेगा, जो दक्षिण अमेरिकी देश का प्रयोग अमेरिका और कनाडा की ओर पलायन के लिए कर रहे हैं. यह जानकारी बुधवार को न्याय मंत्रालय के प्रेस कार्यालय ने दी.
यह कदम सोमवार से लागू होगा और उन एशियाई प्रवासियों को प्रभावित करेगा जिन्हें ब्राजील में ठहरने के लिए वीजा की आवश्यकता है. संघीय पुलिस की एक जांच में पाया गया है कि ये प्रवासी अक्सर साओ पाउलो के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ठहराव के साथ फ्लाइट टिकट खरीदते हैं, लेकिन ब्राजील में ही रुक जाते हैं और वहां से अपनी यात्रा उत्तर की ओर शुरू करते हैं. पिछले साल एक रिपोर्ट आई थी कि अमेरिकी सीमा पर शरण मांगने वालों में भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
एसोसिएटेड प्रेस को मिले आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, हवाई अड्डे पर शरण मांगने वालों में से 70 फीसदी से अधिक भारतीय, नेपाली या वियतनामी नागरिक होते हैं. मंत्रालय ने कहा कि अगले सप्ताह से, जिन यात्रियों के पास वीजा नहीं है, उन्हें या तो हवाई जहाज से अपनी यात्रा जारी रखनी होगी या अपने देश वापस लौटना होगा.
रास्ता बन गया है ब्राजील
एक संघीय पुलिस अधिकारी मारिन्हो दा सिल्वा रेजेंडे जूनियर ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके अनुसार, पिछले साल की शुरुआत से गुआरूल्होस के हवाई अड्डे पर प्रवासियों के आने से "बड़ी अशांति" हो रही है.
दस्तावेज में कहा गया है कि सबूत बताते हैं कि अधिकांश प्रवासी साओ पाउलो से एक खतरनाक मार्ग का उपयोग कर रहे हैं, जो पश्चिमी राज्य एकरे की ओर जाता है. वहां से वे पेरू पहुंचते हैं और फिर मध्य अमेरिका होते हुए अमेरिका की दक्षिणी सीमा तक पहुंचते हैं. भारत में इसे 'डंकी मारना' कहा जाता है.
रिपोर्ट: अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों का सबसे बड़ा स्रोत भारत
संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 के मुताबिक भारत अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों का सबसे बड़ा स्रोत देश है. जानिए कितने प्रवासी भारत छोड़ कर गए और कहां कहां गए.
तस्वीर: Patricia de Melo Moreira/AFP
बढ़ता प्रवासन
वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय प्रवासन मानव विकास और आर्थिक वृद्धि का संचालक है और 2022 में दुनिया में अनुमानित 28.10 करोड़ अंतरराष्ट्रीय प्रवासी थे. रिपोर्ट प्रवासन के लिए संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय संस्था (आईओएम) ने जारी की है.
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प्रवासियों द्वारा भेजी हुई रकम
रिपोर्ट में दिखाया गया है कि प्रवासियों द्वारा अपने देश वापस भेजी जाने वाली रकम में 2000 से 2022 के बीच में 650 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 2000 में इस रकम का कुल मूल्य 128 अरब डॉलर था जबकि 2022 में यह रकम बढ़ कर 831 अरब डॉलर हो गई.
तस्वीर: picture alliance/imageBROKER
कम आय वाले देशों का फायदा
इन 831 अरब डॉलरों में 647 अरब डॉलर प्रवासियों द्वारा कम और मध्यम आय वाले देशों में भेजे गए. आईओएम के मुताबिक यह रकम इस तरह के देशों के सकल घरेलू उत्पाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकती है. वैश्विक स्तर पर यह रकम ऐसे देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को पीछे छोड़ चुकी है.
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प्रवासियों में पुरुष ज्यादा
प्रवासियों में जेंडर गैप पिछले 20 सालों में लगातार बढ़ता ही गया है और इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रवासियों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या ज्यादा है. 2000 में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों में 50.6 प्रतिशत पुरुष थे तो 49.4 प्रतिशत महिलाएं थीं. लेकिन 2020 में पुरुषों का आंकड़ा 51.9 प्रतिशत (14.6 करोड़) पर और महिलाओं का आंकड़ा 48.1 प्रतिशत (13.5 करोड़) पर आ गया.
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कहां जाते हैं सबसे ज्यादा प्रवासी
अमेरिका अंतरराष्ट्रीय प्रवासन का सबसे बड़ा गंतव्य देश है. इसके बाद स्थान है जर्मनी, सऊदी अरब, रूस, ब्रिटेन और फिर यूएई का. दिलचस्प बात है कि यूरोपीय देशों, अमेरिका और कनाडा को चुनने वाले प्रवासियों में महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा है.
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भारत से सबसे ज्यादा प्रवासन
भारत से सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रवासी अपना देश छोड़ कर दूसरे देश जा रहे हैं. 2022 में भारत से जाने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या करीब 1.70 करोड़ थी. इनमें करीब 60 लाख महिलाएं थीं और बाकी सब पुरुष.
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प्रवासन की मजबूरी
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संघर्ष, हिंसा, आपदा और अन्य वजह से दुनिया भर में विस्थापित लोगों की आबादी 11.70 करोड़ हो गई है, जो आधुनिक युग में सबसे बड़ी संख्या है.
तस्वीर: Adrees Latif/REUTERS
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जुलाई में समाचार एजेंसी एपी की एक जांच में पाया गया कि अमेजन से गुजरने वाले प्रवासियों में वियतनाम और भारत के लोग भी शामिल हैं. उनमें से तब कई एकरे लौट आए, जब अमेरिकी सीमा नीतियों के कारण वे अमेरिका में प्रवेश नहीं कर पाए.
हवाई अड्डे पर जमा हो रहे हैं विदेशी
ब्राजील के न्याय मंत्रालय ने कहा कि नए दिशा-निर्देश साओ पाउलो के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर वर्तमान में रह रहे 484 प्रवासियों पर लागू नहीं होंगे.
बुधवार को, ब्राजील के न्याय मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि साओ पाउलो का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा "फिर से उन विदेशी नागरिकों की भारी संख्या का सामना कर रहा है जो लताम एयरलाइन की उड़ानों से पहुंचते हैं और ब्राजील के इमीग्रेशन सिस्टम पर काम के अतिरिक्त बोझ के कारण जल्दी से बाहर नहीं निकल पाते हैं."
जान जोखिम में डालकर अमेरिका पहुंचने की कोशिश
मेक्सिको में हजारों प्रवासी अमेरिकी सीमा तक पहुंचने के लिए एक खतरनाक सफर पर जा रहे हैं. इस सफर में शारीरिक नुकसान भी पहुंच सकता है.
तस्वीर: Gustavo Graf/REUTERS
बॉर्डर तक पहुंचने के लिए मालगाड़ी ट्रेन
उत्तरी मेक्सिको के ह्यूहुएटोका के डंपिंग एरिया के पास जब मालगाड़ी थोड़ी देर के लिए रुकती है तो कई सौ लोग उस पर सवार हो जाते हैं. ये लोग किसी तरह से अमेरिकी सीमा तक पहुंचना चाहते हैं.
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जोखिम में जान
इन यात्राओं में शामिल अधिकतर लोग वेनेजुएला के हैं. वे ट्रेन पर सवार होते हैं. लंबी दूरी की यात्रा के दौरान कई बार लोग गिरकर घायल हो जाते हैं और कई बार तो उनकी मौत तक हो जाती है.
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मुश्किल भरी यात्रा
मालगाड़ी पर सवार होने के लिए लोग घंटों इंतजार करते हैं. वे ठंड और गर्मी का सामना करते हैं और कई बार क्रिमिनल गैंग्स के हत्थे भी चढ़ जाते हैं.
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बॉर्डर पर हजारों प्रवासियों के आने का डर
अमेरिका ने कोविड के दौरान प्रवासियों की एंट्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए टाइटल 42 नियम बनाया था. जिसके तहत अमेरिका ने कई प्रवासियों को वापस उनके देश भेज दिया था.
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सफर आसान नहीं
वेनेजुएला के रहने वाले 23 साल के रोमारियो सोलानो कहते हैं, "हम जानते हैं कि जैसे-जैसे पलायन बढ़ा है, कड़े कदम उठाए गए हैं." वो कहते हैं कि उनके पास बस के किराये का पैसा नहीं है इसलिए वह मालगाड़ी पर सफर करने को मजबूर हैं.
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सफर पर बड़े, बच्चे और परिवार
अमेरिका पहुंचने की चाह रखने वालों में अधिकतर गरीब लोग हैं. वे किसी तरह से मालगाड़ी के खाली डिब्बे या छत पर जगह पाना चाहते हैं. खुले डिब्बे में वे कंबल बिछाकर अपना सफर पूरा करने की कोशिश करते हैं. कई लोग ट्रेन की छत पर ही सवार हो जाते हैं. एए/सीके (रॉयटर्स)
तस्वीर: GUSTAVO GRAF/REUTERS
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न्याय विभाग ने कहा कि वह प्रवासियों को बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान करने के लिए एयरलाइनों पर दबाव डालेगा, क्योंकि वे अपने शरणार्थी दर्जे के आवेदन के लिए इंतजार कर रहे हैं. लताम ने एपी की टिप्पणी के लिए अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया.
साओ पाउलो के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बुधवार को एक बैठक के बाद सरकारी वकील गिलहर्मे रोचा गोपफर्ट ने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि हम जल्दी से इन शरण अनुरोधों पर निर्णय लें ताकि विदेशियों का बढ़ता आगमन हवाई अड्डे के संचालन को प्रभावित न करे."
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शरणार्थियों के लिए खुला रहा है ब्राजील
एक दस्तावेज में कहा गया है कि इस साल 15 जुलाई तक ब्राजील की संघीय पुलिस को 9,082 शरण अनुरोध प्राप्त हुए. यह पिछले पूरे साल की तुलना में दोगुना है और एक दशक में सबसे अधिक है.
ब्राजील ने ऐतिहासिक रूप से शरणार्थियों का स्वागत किया है. विशेष रूप से हाल के वर्षों में अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को बड़े पैमाने पर शरण दी गई है. लेकिन ब्राजील का इस्तेमाल अमेरिका में घुसने के लिए एक केंद्र के रूप में करने के लिए शरणार्थी दर्जा मांगने वाले प्रवासियों की रिपोर्टों ने सरकार में निराशा पैदा की है, खासकर उस समय जब हैती, सीरिया, अफगानिस्तान और यूक्रेन के कई लोग मानवीय वीजा मांग रहे हैं. सितंबर 2021 और अप्रैल 2024 के बीच ब्राजील ने अकेले अफगानों को 11,248 मानवीय वीजा जारी किए.
एक साथ कई कूटनीतिक विवादों में फंसा है चीन
भारत के साथ सीमा-विवाद हो, हॉन्ग कॉन्ग को लेकर आलोचना हो या महामारी के फैलने के पीछे उसकी भूमिका को लेकर जांच की मांग, चीन इन दिनों कई मोर्चों पर कूटनीतिक विवादों में फंसा हुआ है. आइए एक नजर डालते हैं इन विवादों पर.
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कोरोनावायरस
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने मांग की है कि चीन जिस तरह से कोरोनावायरस को रोकने में असफल रहा उसके लिए उसकी जवाबदेही सिद्ध की जानी चाहिए. कोरोनावायरस चीन के शहर वुहान से ही निकला था. चीन पर कुछ देशों ने तानाशाह जैसी "वायरस डिप्लोमैसी" का भी आरोप लगाया है.
तस्वीर: Ng Han Guan/AP Photo/picture alliance
अमेरिका
विश्व की इन दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के आपसी रिश्ते पिछले कई दशकों में इतना नीचे नहीं गिरे जितने आज गिर गए हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार और तकनीक को लेकर विवाद तो चल ही रहे हैं, साथ ही अमेरिका के बार बार कोरोनावायरस के फैलने के लिए चीन को ही जिम्मेदार ठहराने से भी दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़ गए हैं. चीन भी अमेरिका पर हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनों को समर्थन देने का आरोप लगाता आया है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/A. Hosbas
हॉन्ग कॉन्ग
हॉन्ग कॉन्ग अपने आप में चीन के लिए एक बड़ी कूटनीतिक समस्या है. चीन ने वहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करना चाहा लेकिन अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने इसका विरोध किया. हॉन्ग कॉन्ग कभी ब्रिटेन की कॉलोनी था और चीन के नए कदमों के बाद ब्रिटेन ने कहा है कि हॉन्ग कॉन्ग के ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट धारकों को विस्तृत वीजा अधिकार देगा.
चीन ने लोकतांत्रिक-शासन वाले देश ताइवान पर हमेशा से अपने आधिपत्य का दावा किया है. अब चीन ने ताइवान पर उसका स्वामित्व स्वीकार कर लेने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है. लेकिन भारी मतों से दोबारा चुनी गई ताइवान की राष्ट्रपति ने चीन के दावों को ठुकराते हुए कह दिया है कि सिर्फ ताइवान के लोग उसके भविष्य का फैसला कर सकते हैं.
तस्वीर: Office of President | Taiwan
भारत
भारत और चीन के बीच उनकी विवादित सीमा पर गंभीर गतिरोध चल रहा है. सुदूर लद्दाख में दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे पर अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं. दोनों में हाथापाई भी हुई थी.
तस्वीर: Reuters/Handout
शिंकियांग
चीन की उसके अपने पश्चिमी प्रांत में उइगुर मुसलमानों के प्रति बर्ताव पर अमेरिका और कई देशों ने आलोचना की है. मई में ही अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने उइगुरों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लागू करने वाले एक विधेयक को बहुमत से पारित किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/File
हुआवेई
अमेरिका ने चीन की बड़ी टेलीकॉम कंपनी हुआवेई को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की थीं. उसने अपने मित्र देशों को चेतावनी दी थी कि अगर वो अपने मोबाइल नेटवर्क में उसका इस्तेमाल करेंगे तो उनके इंटेलिजेंस प्राप्त की जाने वाली संपर्क प्रणालियों से कट जाने का जोखिम रहेगा. हुआवेई ने इन आरोपों से इंकार किया है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/J. Porzycki
कनाडा
चीन और कनाडा के रिश्ते तब से खराब हो गए हैं जब 2018 में कनाडा ने हुआवेई के संस्थापक की बेटी मेंग वानझाऊ को हिरासत में ले लिया था. उसके तुरंत बाद चीन ने कनाडा के दो नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया था और केनोला बीज के आयात को ब्लॉक कर दिया था. मई 2020 में मेंग अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ दायर किया गया एक केस हार गईं.
तस्वीर: Reuters/J. Gauthier
यूरोपीय संघ
पिछले साल यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने आपस में तय किया कि वो चीन के प्रति अपनी रण-नीति और मजबूत करेंगे. संघ हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर चीन की दबाव वाली कूटनीति को ले कर चिंतित है. संघ उसकी कंपनियों के चीन के बाजार तक पहुंचने में पेश आने वाली मुश्किलों को लेकर भी परेशान रहा है. बताया जा रहा है कि संघ की एक रिपोर्ट में चीन पर आरोप थे कि वो कोरोनावायरस के बारे में गलत जानकारी फैला रहा था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Messinger
ऑस्ट्रेलिया
मई 2020 में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से जौ (बार्ली) के आयत पर शुल्क लगा दिया था. दोनों देशों के बीच लंबे समय से झगड़ा चल रहा है. दोनों देशों के रिश्तों में खटास 2018 में आई थी जब ऑस्ट्रेलिया ने अपने 5जी ब्रॉडबैंड नेटवर्क से हुआवेई को बैन कर दिया था. चीन ऑस्ट्रेलिया की कोरोनावायरस की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर भी नाराज है.
तस्वीर: Imago-Images/VCGI
दक्षिण चीन सागर
दक्षिण चीन सागर ऊर्जा के स्त्रोतों से समृद्ध इलाका है और चीन के इस इलाके में कई विवादित दावे हैं जो फिलीपींस, ब्रूनेई, विएतनाम, मलेशिया और ताइवान के दावों से टकराते हैं. ये इलाका एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग भी है. अमेरिका ने आरोप लगाया है कि चीन इस इलाके में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए कोरोनावायरस के डिस्ट्रैक्शन का फाय उठा रहा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Aljibe
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ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने जनवरी 2023 में अपने प्रशासन के शुरुआती दिनों में अपने देश को सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन के लिए वैश्विक संधि में वापस लाने का फैसला किया था. उनके प्रशासन ने मानवीय वीजा बनाए रखा है, लेकिन उनके लिए दिशा-निर्देश अधिक सख्त हो गए हैं.