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२८ जून २०१७ब्राजील का मशहूर सांबा म्यूजिक और डांस 100 साल का हो गया है. 27 नवंबर 1916 को पहली बार रियो डे जेनेरो शहर में पहला सांबा गाना आया था. अब सांबा ब्राजील की पहचान है.
सांबा: मस्ती के 100 साल
ब्राजील का मशहूर सांबा म्यूजिक और डांस 100 साल का हो गया है. 27 नवंबर 1916 को पहली बार रियो डे जेनेरो शहर में पहला सांबा गाना आया था. अब सांबा ब्राजील की पहचान है.
कहां से हुई शुरुआत
इस डांस की शुरुआत रियो डे जेनेरो की झुग्गी बस्ती से हुई थी.
मस्ती के रंग
सांबा अपनी खास रंग बिरंगी ड्रसों और मुखौटों के लिए जाना जाता है. लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी मस्ती.
रियो का जबाव नहीं
बीते 100 साल में सांबा यूं तो दुनिया के कई हिस्सों तक पहुंचा है. लेकिन इसका जो रंग रियो में देखने को मिलता है, उसका कोई जवाब नहीं.
ब्राजील की पहचान
बीते 100 साल में ये डांस और म्यूजिक ब्राजील की संस्कृति का अहम हिस्सा बन गया है. ये उन कई चीजों में शामिल है जो दुनिया में ब्राजील की पहचान हैं.
अफ्रीकियों को श्रेय
सांबा का श्रेय उन काले अफ्रीकी और खास तौर से अंगोला और कांगो के लोगों को जाता है जो अपनी संस्कृति और संगीत के रंग लेकर लैटिन अमेरिका पहुंचे थे.
गुलामों की देन
यह संगीत और डांस उन लोगों की देन है जिन्हें ब्राजील में गुलाम बनाकर ले जाया गया था.
रियो कार्निवल
रियो कार्निवल में सांबा की धूम रहती है. दुनिया भर से लोग इसे देखने पहुंचते हैं. जो रियो नहीं जा पाते, वो इसकी तस्वीरों में रियो की मस्ती महसूस कर सकते हैं.
मादकता
रियो कार्निवल के दौरान सांबा की मस्ती और मादकता अलग ही दिखती है.
कॉस्ट्यूम
डांस ही नहीं, रियो में कार्निवल के दौरान सांबा डांसरों की ड्रेस भी बेहद आकर्षक होती हैं. उनके चमकदार रंग आखों को बहुत लुभाते हैं.
जनसैलाब
बताया जाता है कि 2011 में रियो के कार्निवल में 49 लाख लोगों ने हिस्सा लिया और इसमें चार लाख विदेशी थे.
सांबा की दीवानगी
रियो से 100 साल पहले शुरू हुए सांबा डांस और म्यूजिक का जादू वैसे अब दुनिया भर में चल रहा है. कई देशों में ऐसे स्कूल खुल रहे हैं जहां सांबा सिखाया जाता है.
रफ्तार के जादूगर भी
इस तस्वीर में अपनी रफ्तार के लिए मशहूर उसैन बोल्ट भी सांबा के रंग में रगे हैं.
सांबा का जलवा
सांबा की लय और ताल ही कुछ ऐसी होती हैं कि कोई भी झूमने लगे.
सांबा का मक्का
रियो में हर हफ्ते न जाने कितनी सांबा पार्टियां होती हैं, जहां इसे पसंद करने वाले पहुंचते हैं. रियो ऐसे लोगों का मक्का कहा जा सकता है.
सांबा के कारण
रियो के झुग्गी वाले इलाके अपराध और ड्रग्स के लिए जाने जाते हैं. कई लोगों का कहना है सांबा ने उन्हें वापस सामान्य जिंदगी में लौटने में मदद की है.
चलता रहेगा सांबा
सांबा के शौकीनों का कहना है कि जब ये इर्गगिर्द होता है तो आप सब कुछ भूल जाते हैं. सांबा संगीतकार पेद्रो दा फ्लोर का कहना है कि जब दुनिया रहेगी, तब तक सांबा रहेगा.