बोल्सोनारो के लिए "सपना", मूलनिवासियों के लिए "नरसंहार बिल"
६ फ़रवरी २०२०
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सनारो संसद में ऐसा विधेयक लेकर आए हैं जिससे हजारों साल से रह रहे मूलनिवासियों की जमीन पर देश के बाकी लोग भी व्यवसाय कर सकेंगे. मूलनिवासी इस बिल को नरसंहार बिल बता रहे हैं.
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ब्राजील के राष्ट्रपति जिस बिल को अपना "सपना" बता रहे हैं, उसे मूलनिवासी नेताओं ने "नरसंहार बिल" करार दिया है. दरअसल ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने संसद में मूलनिवासियों की भूमि को खनन, कृषि और बिजली उत्पादन के लिए खोलने का विधेयक पेश किया. बिल के मुताबिक मूलनिवासियों के क्षेत्र में समुदाय के डिवेलपर थर्ड पार्टी डिवेलपर के साथ मिलकर "विकास" के काम में भाग ले सकते हैं.
इसका मतलब है कि जंगलों में रहने वाले मूलनिवासियों के इलाके में देश के बाकी हिस्से के लोग आकर खेती कर सकते है और उद्योग लगा सकते हैं. मौजूदा कानून के मुताबिक मूलनिवासियों के क्षेत्र में बाहरी लोग आकर ना बस सकते हैं ना ही उद्योग लगा सकते हैं. संसद से इस बिल को अभी मंजूरी मिलना बाकी है लेकिन बोल्सोनारो इसे पहले ही अपना सपना बता चुके हैं.
बोल्सोनारो ने संसद में कहा, "मैं चाहता हूं कि मेरा यह सपना सच हो जाए. अब कांग्रेस को इस पर फैसला लेना है." इस बिल में उन मूलनिवासियों की जमीन शामिल है जो लातिन अमेरिका के अमेजन क्षेत्र में रहते हैं. पर्यावरणविद भी बिल का विरोध कर रहे हैं. लेकिन बोल्सोनारो ने कहा है, "पर्यावरणविद हम पर इस बिल को वापस लेने का दबाव बनाएंगे. मेरा बस चले तो मैं ऐसे लोगों को अमेजन के जंगलों में कैद कर लूं, जब इन्हें पर्यावरण इतना ही पसंद है."
जनसंहार बिल
करीब 600 मूलनिवासी मुखिया अपने घरों को बचाने के लिए अमेजन राज्य के माटो ग्रोसो में मिले. मूलनिवासियों ने इस बिल को "नरसंहार करने वाला, संस्कृति को खत्म करने वाला और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला बताया."
मूलनिवासी इस बात से भी नाराज हैं कि उनके लिए काम करने वाली सरकारी एजेंसी "फुनाई" के प्रमुख के तौर पर सरकार ने मूलनिवासी को ना नियुक्त कर एक पूर्व मिशनरी रिकार्डो लोप्स डायस को सरकारी इकाई का नया समन्वयक जनरल बनाने की घोषणा की. मूलनिवासियों ने खुला पत्र लिखकर सरकार के इस फैसले का विरोध किया.
मूलनिवासियों के लिए काम करने वाली संस्थाएं बिल से जनजातियों के बीच स्वास्थ्य और संस्कृति के संभावित खतरों की आशंका जता रही हैं. ब्राजील के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अमेजन में 28 मूलनिवासी जनजातियों का समूह रहता है. राष्ट्रपति बोल्सोनारो सत्ता में आने के बाद यह कई दफा कह चुके हैं कि स्वदेशी समुदायों को ब्राजील के समाज में एकीकृत किया जाना चाहिए. उनकी भूमि विकास और देश की संप्रभुता को बाधित कर रही है.
ब्राजील का नाम आते ही जेहन में फुटबॉल और कार्निवाल घुमड़ने लगता है. लेकिन ब्राजील के कई और रंग हैं. जानिए विदेशी पत्रकारों की नजर से ब्राजील को.
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ब्राजीलियाई जुगाड़
मुश्किलों या बाधाओं को बड़े ही रोचक ढंग से सुलझा लेना, ब्राजील में ऐसा अकसर होता है. जब किसी को यह लगता है कि उसने सब कुछ करके देख लिया लेकिन उपाय नहीं मिल रहा है, तब ब्राजीलियाई जुगाड़ काम आता है. लेकिन ऐसा हमेशा अच्छे काम के लिए ही नहीं होता.
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देरी से आना जाना आम बात
अगर आप किसी ब्राजीलियाई शख्स से मिलने वाले हैं तो बहुत संभव है कि वह कुछ मिनट देर से ही आएगा, कभी कभी कुछ घंटे की देरी भी हो सकती है. ब्राजील में ऐसा होना आम बात है.
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भंयकर ठंडी बीयर
ब्राजील में अगर बीयर बहुत ही ज्यादा ठंडी न हो तो लोग भौंहे सिकोड़ सकते हैं. वहां बीयर भी बड़ी बोतल में मिलती है और गिलास में उड़ेलकर बांटी जाती है.
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चावल और बीन की दीवानगी
ब्राजील में मेहमानों की आवभगत के दौरान आप भले ही कितने ही प्रकार का भोजन परोसें, इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. लेकिन चावल और बीन्स आपको परोसने ही होंगे. ब्राजील के लोगों को चावल और बीन्स बहुत पंसद है.
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सांबा
ब्राजील में सिर्फ सांबा ही नहीं होता. देश में कई तरह के डांस लोकप्रिय हैं. लेकिन विदेशों में सांबा ही सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं. हालांकि सारे ब्राजीलियाई सांबा करते होंगे, ये समझना गलत है.
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कार्निवाल का देश
ब्राजील का जिक्र आते ही जेहन में कार्निवाल भी आता है. दुनिया भर का मीडिया इसे कवर करता है. लेकिन आधे से ज्यादा ब्राजीलियाई कहते हैं कि कार्निवाल से उनका कोई लेना देना नहीं.
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धैर्य और उम्मीद
निराशा हाथ लगने पर ब्राजील के लोग आम तौर पर चिंता में नहीं डूब जाते. उन्हें लगता है कि "अंत में सब ठीक हो जाएगा" और इसी उम्मीद में वे इंतजार करते हैं. गैलप ने 138 देशों में सर्वे करने के बाद ब्राजील के लोगों को सबसे ज्यादा आशावादी करार दिया.
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बातचीत और मस्तमौला
ब्राजील के लोग जीवन का आनंद लेना जानते हैं, उन्हें बातचीत करना, मुलाकातें करना और साथ में खाने पीने का शौक होता है. हालांकि यह कह देना कि सारे ब्राजीलियाई ऐसे ही होते हैं, गलत होगा.
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शर्म या झिझक
ब्राजीलियाई विवाद या मतभेद की स्थिति में साफ साफ बात नहीं करते. वो शांत रहकर स्थिति को टालने की कोशिश करते हैं. विनम्र होना अच्छा है लेकिन सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस होना चाहिए.
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सोशल नेटवर्किंग का खुमार
व्हाट्सऐप, फेसबुक, स्नैपचैट या इंस्टाग्राम आप जो नाम लेंगे आपको ब्राजील के लोग वहां दिखाई पड़ेंगे. जर्मनी में लोग सोशल मीडिया पर बहुत ही पर्सनल जानकारी देने से बचते हैं, लेकिन ब्राजीलियाई सब कुछ बताते हैं. 2012 के शोध के मुताबिक फेसबुक की सबसे ज्यादा लत ब्राजील के लोगों को ही लगी है.
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पुरुष प्रधान समाज
ब्राजीलियाई पुरुष प्यार का इजहार करने से चूकते नहीं है. पार्टी में अगर कोई सिंगल महिला हो तो कोई न कोई उससे फ्लर्ट करने की कोशिश जरूर करेगा. ब्राजील के समाज में पुरुष प्रधानता साफ झलकती है. महिला अगर इनकार कर दे तो मर्द बड़ी मुश्किल से इस बात को हजम कर पाते हैं.
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रंग बिरंगा लोकतंत्र
इतालवी, जर्मन, जापानी, अफ्रीकी, पुर्तगीज या ब्राजीलियाई मूल के लोग, ब्राजील इन्हीं से मिलकर बना है. यूरोपीय देशों को भले ही आप्रवासियों का समाज में समेकन मुश्किल लगे लेकिन ब्राजील में यह बड़े आराम से दिखाई पड़ता है. लेकिन इसके बावजूद अश्वेत लोगों के साथ वहां भी भेदभाव की शिकायतें आती रहती हैं.
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खूबसूरती की जंग
परफेक्ट नाखून, हफ्ते में एक बार ब्यूटी पार्लर का चक्कर लगाना और फिर दर्पण के सामने घंटों बिताना. ब्राजील की महिलाओं को खुद को संवारना बेहद पंसद है. कॉस्मेटिक कंपनी एवोन के अंतरराष्ट्रीय शोध के मुताबिक दुनिया भर में ब्राजील की महिलाएं ही अपनी सुंदरता की सबसे ज्यादा परवाह करती हैं.
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गर्व और शर्म एक साथ
ब्राजील के लोगों को अपनी राष्ट्रीयता पर गर्व भी होता है और शर्म भी आती है. एक तरफ लोग जहां ब्राजील की संस्कृति और हर चीज से प्यार करते हैं. वहीं दूसरी तरफ उन लोगों को अपने देश पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं है. लेखक नेलसन रोड्रिगेज इसे ब्राजीलियाई लोगों का "मट कॉम्पेक्स" कहते हैं.