जर्मनी में जीगेन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ऐसी तकनीक विकसित कर रहे हैं जो आदतों को छोड़ने में मदद करेगी. ऐसे उपकरण जिनकी मदद से लोग लिफ्ट के बदले सीढ़ियों का इस्तेमाल करेंगे या टीवी पूरी तरह ऑफ करेंगे.
गलत आदतें और बदलती तकनीक, इंसान के इंटेलिजेंस को प्रभावित कर रही हैं. अगर आप अपने दिमाग को चुस्त रखना चाहते हैं तो ये सब न करें.
मस्तिष्क पर बुरा असर डालने वाली आदतें
गलत आदतें और बदलती तकनीक, इंसान के इंटेलिजेंस को प्रभावित कर रही हैं. अगर आप अपने दिमाग को चुस्त रखना चाहते हैं तो ये सब न करें.
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बहुत ज्यादा फैट वाला खाना
बहुत ज्यादा जमा फैट वाला खाना खाने से मस्तिष्क में डोपेमीन का स्तर गिरता है. डोपेमीन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो इंसान को काम करने के लिए प्रेरित करता है. कई शोधों में यह साफ हो चुका है कि बहुत ज्यादा फैट वाला खाना इंसान को धीमा बनाता है, स्मरण शक्ति पर असर डालता है और अवसाद को भी बढ़ावा देता है.
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मल्टीटास्किंग
मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के न्यूरोसाइंस के एक्सपर्ट अर्ल मिलर के मुताबिक इंसान का मस्तिष्क एक साथ कई काम करने के लिए नहीं बना है. एक साथ कई काम करने पर एकाग्रता भंग होती है और दिमाग जरूरी सूचानाओं को याद नहीं रख पाता.
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हर बात पर गूगल
पता, टेलीफोन या कोई और जानकारी पाने के लिए गूगल सर्च करना बड़ी राहत है. लेकिन धीरे धीरे इंसान अपनी मेमोरी का कम से कम इस्तेमाल करने लगा है. स्मृति के लिए मस्तिष्क के भीतर हिप्पोकैम्पस जिम्मेदार होता हैं. तकनीक के चलते इंसान सूचनाएं पा रहा है लेकिन उन्हें याद नहीं रख पा रहा है.
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बहुत ज्यादा मीठे फल
पोषण विशेषज्ञ डॉक्टर सारा ब्रेवर के मुताबिक बहुत ज्यादा मीठे फल नहीं खाने चाहिए, "काम करने के लिए मस्तिष्क को ग्लूकोज चाहिए. लेकिन बहुत छोटे अंतराल में बहुत ज्यादा ग्लूकोज मिले तो भी दिमाग धीमा हो जाता है."
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मीडिया का असर
मनोविज्ञानी मार्क्स एप्पल अपनी रिसर्च में यह साबित कर चुके हैं कि फिल्म, रियलिटी शो और टीवी का असर हमारे व्यवहार पर पड़ता है. एप्पल के मुताबिक हम जो कुछ भी देखते या सुनते हैं वह अचेतन में हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है.
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जेट लैग और नींद में खलल
लंबी हवाई यात्रा के बाद होने वाली थकान या फिर लगातार नींद में आ रही बाधा हिप्पोकैंपस पर असर डालती है. वहां याददाश्त बेहतर करने वाले न्यूरॉन्स के नए समूह नहीं बनते हैं. इसका असर धीरे धीरे सामने आता है.
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चुईंग गम
एक वक्त ऐसा था जब चुईंग गम को मसूड़ों या जबड़ों के लिए बहुत अच्छा बताया जाता था. लेकिन नए एक्सपेरिमेंट दिखाते हैं कि चुईंग चबाने का असर एकाग्रता पर पड़ता है. चुईंग गम चबाते वक्त शॉर्ट टर्म मेमोरी कमजोर पड़ जाती है.