ब्रिटेन में पढ़ाई के बाद दो साल तक मिलेगा वर्क वीजा
१२ सितम्बर २०१९
ब्रिटेन में जाकर पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है.
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ब्रिटेन सरकार ने अपने देश में विदेशी छात्रों के लिए पढ़ाई के बाद वर्क वीजा दो साल तक बढ़ाने की योजना को फिर से शुरू करने की घोषणा की. अब प्रतिभाशाली छात्रों के लिए पढ़ाई करने के बाद ब्रिटेन में बेहतरीन अवसरों को पाने का अधिक मौका मिलेगा. ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में स्नातक के लिए यह 2020-21 में लॉन्च होगा. दो साल के अध्ययन के बाद का कार्य वीजा तत्कालीन गृह सचिव थेरेसा मे ने 2012 में रद्द कर दिया था. इस कार्यक्रम के दोबारा शुरू होने से ब्रिटेन जाने वाले छात्रों की संख्या में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है.
यह नई ग्रेजुएट स्कीम सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए होगी, जिसमें भारत के छात्र भी शामिल हैं. यह उनके लिए लागू होगा, जिन्होंने एक छात्र के रूप में ब्रिटेन में अधिकृत संस्थान से स्नातक स्तर या उससे ऊपर की पढ़ाई किसी भी विषय में सफलतापूर्वक पूरी कर ली है. यह वीजा छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद दो साल तक किसी भी क्षेत्र में अपनी पसंद का काम करने की अनुमति देगा.
गृह सचिव प्रीति पटेल ने एक बयान में कहा, "नए ग्रेजुएट रूट का मतलब प्रतिभाशाली अंतरराष्ट्रीय छात्रों से होगा. चाहे वे विज्ञान के छात्र हों या गणित, प्रौद्योगिकी अथवा इंजीनियरिंग के छात्र हों. ऐसे छात्र ब्रिटेन में अध्ययन करने के बाद मूल्यवान कार्य अनुभव हासिल कर कामयाबी पा सकते हैं." इसके अलावा भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त डॉमिनिक अक्विथ ने कहा, "भारतीय छात्रों के लिए यह शानदार खबर है, जो अब अपनी डिग्री पूरी करने के बाद अधिक समय ब्रिटेन में बिता पाएंगे. इससे उन्हें पढ़ाई के बाद आगे के कौशल और अनुभव प्राप्त हो सकेंगे."
ब्रिटेन में अध्ययन के लिए जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या जून 2019 में समाप्त होने वाले वर्ष में लगभग 22 हजार तक पहुंच गई. इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 42 फीसदी की वृद्धि हुई है. जबकि तीन साल पहले की तुलना में यह बढ़ोतरी 100 फीसदी से भी अधिक है. इस फैसले के बाद से अब इनकी संख्या में और भी अधिक वृद्धि की संभावना है.
भारत में सरकारी नौकरी, संस्था या शोध में जाने के लिए उम्मीदवारों को किसी न किसी परीक्षा का सामना करना पड़ता है. इंडिया टुडे पत्रिका ने अपनी एक रिपोर्ट में इन सात परीक्षाओं को भारत की सबसे कठिन परीक्षा कहा है.
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संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी)
तीन चरणों में होने वाली यूपीएससी की परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है. इसमें सफल होने वाले उम्मीदवार कलेक्टर, एसपी और ग्रेड ए सेवाओं में राजपत्रित अधिकारी बनते हैं.
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कॉमन एडमीशन टेस्ट (कैट)
भारत के प्रतिष्ठित बिजनेस-स्कूलों के लिए होने वाली इस परीक्षा को देश की दूसरी सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है. इसमें चयनित छात्र इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में दाखिला लेते हैं, जहां से एमबीए करने के बाद उन्हें लाखों की नौकरियां मिलती हैं.
देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) के लिए होने वाली इस परीक्षा को भी भारत की मुश्किल परीक्षाओं में से एक माना जाता है. लगभग हर 45 पर एक उम्मीदवार का इसमें चयन होता है.
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ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट)
देश में पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर होने वाली इस परीक्षा के जरिए इंजीनियरिंग, तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में उच्च शिक्षा और अन्य सरकारी स्कॉलरशिप के रास्ते खुलते हैं. गेट में प्राप्त स्कोर तीन साल की अवधि तक मान्य होता है.
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कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लेट)
देश में कानून की पढ़ाई कराने वाली 16 नामी नेशनल लॉ यूनिर्सिटीज के लिए यह परीक्षा होती है. इसमें चयनित छात्र कानून में स्नातक और स्नाकोत्तर की पढ़ाई करते हैं.
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यूजीसी-नेशनल एलिजिबल्टी टेस्ट (नेट)
यह परीक्षा साल में दो बार होती है. इसमें चयनित कुछ उम्मीदवारों को रिसर्च फेलोशिप और असिस्टेंट लेक्चररशिप मिलती है. यह परीक्षा देश भर में 83 विषयों में होती है.
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नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए)
भारतीय रक्षा सेवाओं के लिए होने वाली यह परीक्षा भी कठिन परीक्षाओं में से एक हैं. इस परीक्षा से थल सेना, वायु सेना और नौ सेना के लिए उम्मीदवारों का चयन होता है. लिखित परीक्षा में चयनित उम्मीदवारों को बाद में साक्षात्कार समेत अन्य टेस्ट भी देने होते हैं.