यूरोपीय अर्थव्यवस्था का डिजीटलाइजेशन
२२ नवम्बर २०१८Digitalizing Europe's economy
हर दिन 50 करोड़ डॉलर छापने वाली फैक्ट्री
हर दिन 50 करोड़ डॉलर छापने वाली फैक्ट्री
पिछले 150 साल से यह फैक्ट्री अमेरिकी डॉलर छाप रही है. आइए आपको ले चलते हैं द ब्यूरो ऑफ एंग्रेविंग एंड प्रिंटिंग यानी बीईपी में जहां अमेरिकी डॉलर की छपाई होती है. यहां आज भी डिजिटल दुनिया के चिन्ह कम ही दिखाई देते हैं.
नोट की फैक्ट्री
अमेरिका की सबसे बड़ी मनी फैक्ट्री को वॉशिंगटन में साल 1862 में बनाया गया. इसका मुख्यद्वार भव्य है और चूनापत्थर के विशाल खंभों पर टिका है. यह आकृति किसी किले का अहसास दिलाती है.
डॉलर क्लॉक
हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग कड़ी निगरानी वाले गलियारे से हो कर प्रिंटिंग रूम से गुजरते हैं. जब आप बीईपी की इमारत के अंदर होते हैं तो आप को बार बार लालची दानव यानी मैमन (धन के देवता) की याद दिलाई जाती है, जिसका यहां बोलबाला है, यहां तक कि इस विशाल घड़ी में भी आपको डॉलर ही दिखेंगे.
हरी पत्ती का हरा रंग
डॉलर के नोट का हरा रंग शायद सबसे अहम और पुराना गुण है. यह रंग कैसे बनता है, यह अत्यंत गोपनीय तो है ही, इसका पेटेंट भी है. एड मेजिया उन चंद लोगों में से हैं जो इसके बारे में जानते हैं और वो छपाई पर नजर रखते हैं. उनकी यह मशीन हर घंटे डॉलर की 10 हजार शीट तैयार कर सकती है.
वॉल्ट से बाहर निकाल कर सुखाना
इंस्पेक्टर लगातार छपाई पर नजर रखते हैं ताकि उसकी गुणवत्ता एक जैसी रहे. इन नोटों को सुखाने के लिए तीन दिन लगते हैं, इन्हें वॉल्ट में रखा जाता है. हर दिन करीब 56 करोड़ अमेरिकी डॉलर कीमत के नोट छापे जाते हैं. हर डॉलर के कागज और छपाई का खर्च 3.6 सेंट है.
कम से कम दो लोग
अत्यंत सुरक्षित इस हिस्से में लगा यह निशान बताता है कि किसी को भी अकेले काम करने की इजाजत नहीं है. यह एक संयोग ही है कि बीईपी के कर्मचारियों का औसत वेतन 93 हजार डॉलर सालाना है, जो औसत अमेरिकी आय का करीब दोगुना है.
अंतिम संख्या
दुनिया की शीर्ष मुद्रा बनने से पहले हर नोट पर एक नंबर अंकित होता है जो इसका सीरियल नंबर है. नंबर छापने वाली मशीन को इस काम के लिए हाथ से सेट किया जाता है.
ढुलाई के लिए तैयार
इसके बाद एक और मशीन इस्तेमाल की जाती है जो नोटों को छांटती, गिनती और 20, 50 और 100 डॉलर के बंडल बनाती है. 10 बंडल एक साथ रख कर प्लास्टिक में लपेटे जाते हैं. फिर एक कर्मचारी इन्हें ट्रॉली में जमा करता है और इस तरह से रखता है कि यूनीक सीरियल नंबर वाला स्टिकर दिखता रहे.
सबसे जरूरी सुरक्षा
बीईपी के करीब 2000 कर्मचारियों की सुरक्षा छपाई की जटिल प्रक्रिया के दौरान सबसे अहम है. छपाई की मशीनों को इस लाल बटन या फिर सेंसर के जरिए एक झटके में बंद किया जा सकता है.
सेंट्रल बैंक
जब तक ये डॉलर सेंट्रल बैंक नहीं पहुंच जाते और बैंक उनके नंबर इस्तेमाल के लिए जारी नहीं कर देता, ये नोट महज कागज के टुकड़े ही हैं, यानी इन पर कीमत चढ़ाना बैंक का काम है. (रिपोर्ट: आन्या श्टाइनबूख, मिषाएल मारेक)