जर्मन संसद बुंडेस्टाग में विपक्षी नेता फ्रीडरीष मैर्त्स ने परमाणु बिजली घरों पर चांसलर के फैसले को "पागलपन" कहा है. संसद का बजट सत्र चल रहा है और महंगाई और ऊर्जा संकट के साथ यूक्रेन युद्ध चर्चा के केंद्र में है.
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संसद में चर्चा के दौरान चांसलर ओलाफ शॉल्त्स को सीधे संबोधित करते हुए मैर्त्स ने चीख कर कहा, "इस पागलपन को रोकिए." क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी, सीडीयू के प्रमुख ने परमाणु बिजली घरों को चलते रहने की अनुमति नहीं देने को "पागलपन" कहा है. उनका कहना है कि यह फैसला व्यापार करने के लिए आदर्श जगह के रूप में जर्मनी की पहचान को ऐसा नुकसान पहुंचायेगा जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी.
चांसलर शॉल्त्स और जर्मनी के आर्थिक मामलों के मंत्री रॉबर्ट हाबेक चाहते हैं कि जर्मनी के बाकी बचे तीन परमाणु बिजली घरों में से दो को वैकल्पिक तौर पर बनाये रखा जाये ना कि उन्हें चलाते रहने की अनुमति दे दी जाये. शॉल्त्स ने मैर्त्स को जवाब दिया, "जो लोग विभाजन की बात करते हैं वो इस देश में समन्वय को खतरे में डाल रहे हैं और इस वक्त यह करना गलत है." चांसलर ने यह भी कहा, "हमारे देश को कम करके मत आंकिये, हमारे देश के नागरिकों को कम करके मत आंकिये. मुश्किल घड़ी में हमारा देश अपने आप आगे बढ़ता है. जब चीजें कठिन होने लगें तो पुरानी चीजों को छोड़ने की हमारी अच्छी परंपरा है."
परमाणु बिजली घरों पर मतभेद
जर्मन सरकार इस साल सर्दियों में ऊर्जा की सप्लाई बनाये रखने की कोशिशों में जुटी है. रूस से आने वाली गैस की सप्लाई कम होती जा रही है और फिलहाल अनिश्चितकाल के लिये बंद है. परमाणु बिजली घरों को इस साल के आखिर में बंद करना था लेकिन सरकार ने उनमें से दो को अगले साल अप्रैल के मध्य तक वैकल्पिक तौर पर बनाये रखने का फैसला किया है. अगर बिजली की कमी होती है तो इन बिजली घरों को चालू किया जा सकेगा. उधर विपक्षी दल सीडीयू के नेता का कहना है कि ऊर्जा आपूर्ति के लिहाज से मुश्किल समय में इन्हें बंद करने की बजाय चालू रखा जाना चाहिये.
परमाणु बिजली घरों के बारे में फैसला तीन सत्ताधारी पार्टियों सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी, एसपीडी, हाबेक की ग्रीन पार्टी और उदारवादी फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी के बीच भी विवाद की वजह बना है. पर्यावरणवादी पार्टी ग्रीन चाहती है कि अंगेला मैर्केल के जमाने में लिये फैसले पर कायम रहा जाये यानी परमाणु बिजली घर बंद हो जबकि एफडीपी लंबे समय से चाहती है कि बिजली की बढ़ती कीमतों को देखते हुए इन्हें चालू रखा जाये.
दूसरे यूरोपीय देशों की तरह ही जर्मनी के सामने ऊर्जा संकट के साथ ही महंगाई प्रमुख मुद्दा है. एक तरफ यूक्रेन की जंग है तो दूसरी तरफ रूस से गैस और तेल की घटती सप्लाई. इनकी वजह से महंगाई आये दिन नई ऊंचाइयां छू रही है. बुंडेस्टाग में मंगलवार को अगले साल का बजट प्रस्ताव पेश करते हुए वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री फ्लोरियान टोंकार ने कहा कि महंगाई और उसके कारण होने वाली समस्यायें फिलहाल जर्मनी के सामने सबसे बड़ी चुनौती हैं. टोंकार ने यह भी कहा कि जर्मन संविधान में सार्वजनिक कर्ज की जो सीमा तय की है उसका भी ध्यान रखा जाना चाहिये. वित्त मंत्री क्रिश्चियान लिंडनर एक अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में हिस्सा लेने गये थे इसलिये उनकी जगह टोंकार ने बजट प्रस्ताव पेश किया.
कर्ज घटाने के लिये घटाया बजट
टोंकार का कहना है, "इस बात पर सहमति है कि हमें आज विस्तारवादी आर्थिक नीति की जरूरत नहीं है बल्कि योजनाबद्ध तरीके से घाटे को कम करने की ओर बढ़ना होगा."
जर्मनी में इसका मतलब है कि सरकार 2023 के बजट के साथ कर्ज पर सीमा की ओर बढ़ना चाहती है जिसे डेट ब्रेक भी कहा जाता है. टोंकार ने इस बात पर जोर दिया कि संसद के दोनों सदनों में कर्ज की सीमा तय की गई थी और संविधान में भी यह लिखा है.
जर्मनी में महंगाई की दर अगस्त महीने में 7.9 फीसदी तक चली गई, इसी दौर में आर्थिक विकास तेजी से नीचे जा रहा है. महंगाई ने बहुत बड़ी आबादी को परेशान कर रखा है और इससे पूरे समाज की उद्यमशील सफलता खतरे में पड़ गई है. बजट प्रस्ताव में कुल 445.2 अरब यूरो के खर्च का ब्यौरा दिया गया है. पिछले सालों की तुलना में यह काफी कम है. तब महामारी और आर्थिक सहायता देने के लिये भारी भरकम बजट पेश किया गया था.
एनआर/एमजे (डीपीए)
संकट के दौर में इन उपायों से ऊर्जा बचा रहा है जर्मनी
जर्मनी और यूरोप ऊर्जा संकट का सामना कर रहे हैं. यूरोपीय संघ ने 15 फीसदी ऊर्जा बचाने की मुहिम शुरू की है. जर्मन सरकार ने देशवासियों के लिये कुछ नियम तय किये हैं, हालांकि बहुत से लोग अपनी तरफ से भी कई कोशिश कर रहे हैं.
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बैंक में बिजली की बचत
बैंकों ने भी ऊर्जा संकट को देखते हुए कदम उठाये हैं. ऑफिस में जगहों को नई तरह से व्यवस्थित किया जा रहा है और कम स्टाफ वाले दफ्तर एक जगह लाये जा रहे हैं. डॉयचे बैंक ने कहा है कि वह जर्मनी में अपनी 1400 इमारतों में ऊर्जा बचाने के उपाय लागू कर रहा है और इसके जरिये 49 लाख किलोवॉट बिजली बचाई जायेगी.
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ऊर्जा बचाने के नियम का दूसरा चरण अक्टूबर में
ऊर्जा बचाने के नियमों का पहला चरण 1 सितंबर से लागू हो गया जो फरवरी तक चलेगा. दूसरा चरण अक्टूबर में आयेगा जो अगले दो सालों के लिये होगा. इसमें गैस हीटिंग का इस्तेमाल करने वाली सभी इमारतों की ऊर्जा दक्षता की जांच भी होगी.
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ऐतिहासिक इमारतों में अंधेरा
जर्मनी में ऐतिहासिक इमारतों के बाहर जलने वाली रोशनी रात को गुल कर दी जा रही है. पहले ये बड़ी बड़ी इमारतें सारी रात रोशनी से जगमग रहती थीं. कोलोन का विशाल कथीड्रल भी उन इमारतों में शामिल है जो अब रात में नहीं जगमगाते. उत्सव या सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिये यह पाबंदी नहीं है.
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सार्वजनिक इमारतों में बिजली की बचत
सार्वजनिक इमारतों के गलियारों और हॉल में अब हीटिंग नहीं होगी और दफ्तरों का तापमान भी 19 डिग्री से ज्यादा नहीं होगा. यहां सिर्फ हाथ धोने के इस्तेमाल होने वाले गर्म पानी के गीजर और टैंक स्विच ऑफ कर दिये गये हैं. अस्पताल, स्कूल और डे केयर सेंटर को इन नियमों से बाहर रखा गया है.
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दुकानों के लिये निर्देश
जर्मन सरकार ने दुकानों और शोरूम के लिये भी उर्जा बचाने के दिशा निर्देश जारी किये हैं. एयरकंडीशन या हीटिंग चलाते समय दुकानों के दरवाजे खुले नहीं रहेंगे ताकि बिजली बचाई जा सके. हीटिंग को 19 डिग्री से ज्यादा नहीं रखने के भी निर्देश दिये गये हैं.
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बिलबोर्ड और नियॉन साइन
बिजली से रोशन विज्ञापन और बिलबोर्ड को अब रात में 10 बजे के बाद बंद कर दिया जा रहा है. ट्रैफिक सुरक्षा से जुड़े विज्ञापन और साइनबोर्ड इसमें शामिल नहीं हैं. दुकानों के शोकेस पर अभी यह नियम लागू नहीं किया गया है.
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स्विमिंग पूल में गर्म पानी नहीं
स्विमिंग पूल और स्पोर्ट्स हॉल में अब हीटिंग बंद कर दी गई है. यहां तक कि स्विमंग पूल के शॉवर में भी गर्म पानी नहीं मिल रहा. प्राइवेट पूल को अब गैस या बिजली से गर्म नहीं किया जा सकता है. रिहैबिलिटेशन सेंटर या फिर रिक्रियेशनल फैसिलिटी और होटल को इस नियम के दायरे से बाहर रखा गया है.
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रेल सेवा में बिजली बचाने की मुहिम
जर्मन रेल कंपनी डॉयचे बान पूरे देश में सबसे ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करती है. कुछ हफ्ते पहले डॉयचे बान ने ऊर्जा बचाने के उपाय लागू किये हैं और इसके लिये कर्मचारियों को बोनस भी देगी. कंपनी ने रोशनी, हीटिंग, एयरकंडीशन यहां तक कि लिफ्ट का कम इस्तेमाल कर बिजली बचाने वालों को बोनस देने का फैसला किया है.
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निजी स्तर पर कोशिशें
सरकार के सुझाये उपायों के अलावा भी बहुत से लोग निजी स्तर पर बिजली और ऊर्जा बचाने की कोशिशों में जुटे हैं. सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने के साथ ये लोग बिजली कम इस्तेमाल करने, खाना कम बनाने यहां तक कि शॉवर में कम समय बिताने जैसे उपाय आजमा रहे हैं.
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लकड़ी जला कर आग
बहुत से लोगों ने सर्दियों के लिये लकड़ी जमा करनी शुरू कर दी है. गैस की महंगाई और उसकी कमी को देखते हुए इसका इस्तेमाल करना पड़ सकता है. बहुत से घरों में अब भी ऐसी फायरप्लेस और चिमनियां लगी हुई हैं जिनमें लकड़ी जला कर घर को गर्म किया जा सकता है. हालत ये हो गई है कि लकड़ी बेचने वाली दुकानें कोटा तय कर रही हैं.