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यूरोपीय संघ में जंगल काट कर उगायी गई चीजें नहीं बिकेंगी

७ दिसम्बर २०२२

यूरोपीय संघ में ऐसी कंपनियों के सामान खरीदने पर रोक लगाने पर सहमति बन गई है जिनके सामान के लिए जंगलों को काटा जाता है. जंगल को नुकसान पहुंचा कर बनने वाले सामान को यूरोप में नहीं बेचा जा सकेगा.

Kolumbien| Entwaldung in Caqueta
तस्वीर: Juancho Torres/AA/picture alliance

इस ऐतिहासिक सहमति के साथ यूरोपीय संघ ने एक मिसाल कायम की है. इस कानून के लागू हो जाने के बाद पाम ऑयल, मवेशी, सोया कॉफी, कोकोआ, चिंबर और रबर के साथ ही बीफ या फर्नीचर जैसी चीजें बेचने वालों को यह प्रमाण देना होगा कि इसके लिए जंगल को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है.

जो कारोबारी इस शर्त का पालन नहीं करेंगे उन पर नये नियमों के तहत जुर्माना लगेगा. यह जुर्माना क्या और कितना होगा इस पर यूरोपीय संघ के सदस्य देश यूरोप की संसद में बहस कर रहे हैं.

यूरोपीय संघ चीन के बाद दुनिया में कृषि उपज का सबसे बड़ा आयातक है. पर्यावरण के लिए काम करने वाले समूहों का कहना है कि इससे आयातों के कारण होने वाले जंगलों के नुकसान को रोकने की कोशिश का बड़ा असर होगा. 

पिछले साल दुनिया भर में कुल 37.5 लाख हेक्टेयर उष्णकटिबंधीय वनों का नुकसान हुआ. इसका मतलब है कि हर एक मिनट में फुटबॉल के 10 मैदानों के बराबर जंगल साफ हो गये. ये आंकड़े मॉनिटरिंग सर्विस ग्लोबल फोरेस्ट वॉच के हैं. जंगलों की कटाई का जलवायु परिवर्तन को रोकने के वैश्विक लक्ष्यों पर बहुत बुरा असर होता है. आखिर पेड़ दुनिया भर में पैदा होने वाले कार्बन उत्सर्जन का करीब एक तिहाई सोख लेते हैं.

ताड़ के पेड़ लगाने के लिए बहुत सारी जमीन से जंगलों को साफ किया गया हैतस्वीर: Lim Huey Teng/REUTERS

2021 में दुनिया के पुराने जंगलों का सफाया सबसे ज्यादा ब्राजील, डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, बोलीविया और इंडोनेशिया में हुआ. इसके पीछे खेती के लिए जंगलों को साफ करना सबसे बड़ी वजह बतायी गयी है.  डब्लिन सिटी यूनिवर्सिटी में पर्यावरण राजनीति और सिद्धांत पढ़ाने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर डैनी मार्क्स का कहना है कि यूरोपीय संघ का कानून, "वैश्विक जंगलों की कटाई और जैव विविधता को हो रहे नुकसान को रोकने की दिशा में बहुत बड़ा कदम है. यह ऐतिहासिक उपलब्धि है क्योंकि यह पहला कानून है जो जंगलों की कटाई के वैश्विक कारकों से निपटेगा."

कानून कैसे और क्यों बना है?

बड़े पैमाने पर कृषि सामानों का उत्पादन उष्णकटिबंधीय जंगलों और गीली जमीनों के नुकसान की कीमत पर होता है. वन संपदा के विशेषज्ञों का मानना है कि यह उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई का मुख्य कारक है. इसके नतीजे में पैदा हुई चीजें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेची जाती हैं जिनमें यूरोपीय संघ भी शामिल है.

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ग्राहकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के दबाव में यूरोपीय आयोग ने 2020 में सार्वजनिक स्तर पर इसे लेकर चर्चा चलाई. यह इस बारे में था कि वैश्वक जंगलों की कटाई और वनों के घटने को कम करने के लिए क्या किया जाना चाहिए.

10 लाख से ज्यादा लोगों ने इस पर जवाब दिया. यह यूरोपीय संघ में पर्यावरण के मुद्दे पर उठे सवाल पर सबसे ज्यादा और किसी भी मुद्दे पर दूसरा सबसे ज्यादा लोगों का जवाब था. 

इसके बाद से ही जंगलों की कटाई को शून्य करने के लिए कानून बनाने को आम लोगों और नागरिक समुदाय संगठनों का साथ मिलने लगा. इसके साथ ही बड़े पैमाने पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भी इसे अपना समर्थन दिया है.

ताड़ के पेड़ लगाने के लिए बहुत सारी जमीन से जंगलों को साफ किया गया हैतस्वीर: Lim Huey Teng/REUTERS

कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए इस कानून का मतलब क्या है?

नये कानून के तहत प्रमुख चीजें और उनसे बने सामान को यूरोपीय संघ के बाजारों में बिकने की इजाजत नहीं होगी. अगर वे इस जमीन पर उगाई गई हैं जिन पर दिसंबर 2020 तक जंगल था. कारोबारियों को यह भी दिखाना होगा कि स्थानीय लोगों के अधिकारों का उनके कारोबार में पूरा सम्मान किया गया है.

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पर्यावरण के लिए काम करने वाले गुट माइटी अर्थ के निदेशक जूलियन ओराम का कहना है, "कंपनियों को यह दिखाना होगा कि वो खेत के स्तर पर अपने सप्लाई चेन को देख रहे हैं और सरकारी अधिकारी जरूरी जांच करेंगे."

कानून का पालन नहीं करने वाली कंपनियों पर यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में उनके टर्नओवर का चार फीसदी तक जुर्माना लग सकता है.  

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वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट के वरिष्ठ सलाहकार चार्ल्स बार्बर का कहना है कि इन नियमों से कार्पोरेट सप्लाई चेन को झटका लगेगा. आयातक, थोक व्यापारी, खुदरा व्यापारी नये कानून को एक जोखिम के तौर पर देखेंगे. साथ ही उनकी छवि को भी नुकसान हो सकता है. पकड़े जाने का डर साथ ही कानूनी कार्रवाई झेलने का डर.

उम्मीद है कि वो अपने सप्लायरों को इस बारे में अपनी चिंताओं और मांग के बारे में बताएंगे और उनसे सामान को जंगल की कटाई से मुक्त करने के लिए ज्यादा भरोसा चाहेंगे. इसके नतीजे में आखिरकार यह बात आखिरी सिरे तक पहुंचेगी और जंगलों की कटाई रुकेगी.

कानून का विरोध कौन कर रहा है

सूची में शामिल चीजों का निर्यात करने वाले ब्राजील, कोलंबिया और इंडोनेशिया जैसे देश इसकी आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह नियम बोझ हैं, जो खर्च बढ़ाएंगे और साथ ही मुक्त व्यापार की राह में बाधक बनेंगे.

जलवायु परिवर्तन और इंसानी गतिविधियों से जंगलों का बहुत नुकसान हुआ हैतस्वीर: Fernando Souza/ZUMApress/picture alliance

हालांकि बहुत सी कंपनियां जो जंगलों की कटाई को धीमा करना चाहती हैं वो इसके समर्थन में हैं. छोटे किसान सप्लाई चेन का अहम हिस्सा होते हैं उनके लिए अपने सामान को जंगल की कटाई से मुक्त घोषित करना थोड़ा झंझट बढ़ाएगा.

हरित कंपनियों ने आमतौर पर कानून का स्वागत किया है. हालांकि वो स्थानीय लोगों के अधिकारों के सम्मान को साबित करने की आलोचना कर रही हैं. उनका कहना है कि करार सिर्फ उन देशों के साथ ही संभव होगा जो उन लोगों के अधिकार को कानूनी रूप से संरक्षण देते हैं.

क्या इस कानून का कॉप 15 नेचर समिट पर कोई असर होगा?

मॉन्ट्रियाल में संयुक्त राष्ट्र के नेचर कॉन्फ्रेंस में 195 देशों को एक नये वैश्विक जैव विविधता करार को अंतिम रूप देना है जिससे कि पौधों, जीवों और इकोसिस्टम को हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सके. यूरोपीय संसद के प्रमुख वार्ताकार क्रिस्टोफ हैनसेन ने उम्मीद जताई है कि यूरोपीय संघ का कानून कॉप 15 में दूसरे देशों को भी प्रेरित करेगा.

हालांकि बार्बर कहते हैं कि उत्पादन करने वाले और खरीदार देशों के बीच नये नियमों को लेकर तीखी बहस भी हो सकती है. हालांकि इस बात के आसार कम हैं कि इस बहस का सम्मेलन के नतीजों पर कोई बड़ा असर होगा.

एनआर/वीके (रॉयटर्स)

इंडोनेशिया: खेती के लिए जंगल काटने को मजबूर लोग

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