डायबिटीज ठीक करने वाली डायट
३ अगस्त २०१७Can a special diet cure diabetes?
डायबिटीज बहुत ही चुपचाप आने वाली बीमारी है. लेकिन अगर आप अपने शरीर और व्यवहार पर ध्यान देंगे तो आप इससे बचाव कर सकते हैं.
पहचानें डायबिटीज के शुरुआती संकेत
डायबिटीज बहुत ही चुपचाप आने वाली बीमारी है. लेकिन अगर आप अपने शरीर और व्यवहार पर ध्यान देंगे तो आप इससे बचाव कर सकते हैं.
दो किस्म का डायबिटीज
डायबिटीज दो प्रकार हैं, टाइप-1 और टाइप-2. टाइप-1 आनुवांशिक होता है, यह बच्चों और युवाओं में देखने को मिलता है. लेकिन इसके मामले बहुत ही कम होते हैं. टाइप-2 डायबिटीज ज्यादा जीवनशैली से जुड़ा है और दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है.
टाइप-1
इसमें शरीर इंसुलिन नहीं बनाता है. इंसुलिन खाने से मिलने वाले ग्लूकोज को तोड़ता है और ऊर्जा के रूप से कोशिकाओं तक पहुंचाता है. लेकिन टाइप-1 डायबिटीज के पीड़ितों को बचपन से इंसुलिन लेना पड़ता है.
टाइप-2
यह चुपचाप आता है. बढ़ती उम्र और बेहद आरामदायक जीवनशैली के चलते इंसान को यह बीमारी लगती है. इसमें शरीर शुगर को ऊर्जा में बदलने की रफ्तार धीमी या बंद कर देता है. और एक बार यह लगी तो फिर इससे पार पाना आसान नहीं होता. आगे देखिये टाइप-2 डायबिटीज के शुरूआती संकेत.
तेज प्यास लगना
टाइप-2 डायबिटीज का अहम शुरुआती लक्षण है, बार बार तेज प्यास लगना. मुंह में सूखापन रहना. ज्यादा भूख लगना और ज्यादा पानी न पीने के बावजूद बार बार पेशाब लगना.
शारीरिक तकलीफ
शुरुआती संकेत मिलने पर अगर कोई न संभले तो ज्यादा मुश्किल होने लगती है. डायबिटीज के चलते सिर में दर्द रहना, नजर में धुंधलापन सा आना और बेवजह थकने जैसी समस्यायें सामने आती हैं.
नींद न आना
शुगर का असर नींद पर भी पड़ता है. डायबिटीज के रोगियों को बहुत गहरी नींद नहीं आती है. उनके हाथ या पैरों में झनझनाहट सी रहती है.
सेक्स में परेशानी
डायबिटीज के 30 फीसदी रोगियों को सेक्स में परेशानी भी होने लगी है. इसके पीड़ित महिला और पुरुष को आर्गेज्म में परेशानी होने लगती है.
गंभीर संकेत
कुछ मामलों के टाइप-2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण बिल्कुल नजर नहीं आते. उनमें दूसरे किस्म के लक्षण नजर आते हैं, जैसे फुंसी, फोड़े या कटे का घाव बहुत देर से भरना. खुजली होना, मूत्र नलिका में इंफेक्शन होना और जननांगों के पास जांघों में खुजली होना. पिंडलियों में दर्द भी रहता है.
किसे ज्यादा खतरा
मोटे और खासकर मोटी कमर वाले लोगों को, आलसियों को, सुस्त जीवनशैली के साथ सिगरेट पीने वालों को, बहुत ज्यादा लाल मीट व मीठा खाने वालों डायबिटीज का खतरा सबसे ज्यादा होता है.
उम्र और टाइप-2 डाबिटीज का रिश्ता
आम तौर पर 45 साल के बाद इसका पता चलता है. लेकिन भारत समेत कई देशों में बदलती जीवनशैली के साथ 25-30 साल के युवाओं को डायबिटीज की शिकायत होने लगी है. लेकिन कड़ी शारीरिक मेहनत करने वाले और संयमित ढंग से खाना खाने वाले बुजुर्गों में कोई डायबिटीज नहीं दिखता.
बैक्टीरिया की भी भूमिका
ताजा शोध में पता चला है कि बड़ी आंत में रहने वाले बैक्टीरिया भी टाइप-2 डायबिटीज में भूमिका निभाते हैं. आंत में हजारों किस्म के बैक्टीरिया होते हैं, इनमें ब्लाउटिया, सेरेराटिया और एकेरमानसिया भी शामिल हैं. लेकिन डायबिटीज के रोगियों में इनकी संख्या बहुत बढ़ जाती है. वैज्ञानिकों को शक है कि इनकी बहुत ज्यादा संख्या के चलते मेटाबॉलिज्म प्रभावित होने लगता है
शक होने पर क्या करें
खुद टोटके करने के बजाए डॉक्टर से परामर्श करें और नियमित अंतराल में शुगर टेस्ट कराएं. डायबिटीज से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है, कसरत या शारीरिक मेहनत. अगर आपका शरीर थकेगा तो शुगर लेवल नीचे गिरेगा और नींद भी अच्छी आएगी.
खुद के लिए 30 मिनट
हर दिन 30 मिनट कसरत कर लें, यह डायबिटीज से आपको बचाएगी. डायबिटीज हो भी गया तो कसरत उसे काबू में रखेगी. संतुलित आहार भी बहुत जरूरी है.
कैसी हो खुराक
खून में शुगर की मात्रा खाने पर निर्भर करती है. डायबिटीज के रोगियों को या डायबिटीज का शक होने पर कभी पेट भरकर न खाएं. तीन घंटे के अंतराल पर कुछ हल्का खाएं. प्याज, भिंडी, पत्ता गोभी, खीरा, टमाटर, दही, दाल, पपीता और हरी सब्जियां बेहद लाभदायक होती हैं.
मिक्स खाना
वैज्ञानिकों के मुताबिक अलग अलग आहार में भिन्न भिन्न किस्म के बैक्टीरिया होते हैं. इसीलिए बेहतर है कि फल, अनाज, सब्जी, बीज और रेशेदार फलियों से संतुलित डायट बनाई जाए. इससे आंतों में अलग अलग बैक्टीरियों का अनुपात सही बना रहेगा.
मीठा भी साथ रहे
डायबिटीज ऐसी बीमारी है जो बहुत ज्यादा परहेज करने पर भी मारती है. शुगर लेवल अगर बहुत नीचे गिर जाए तो रोगी को चक्कर आ सकता. लिहाजा डायबिटीज से लड़ने के दौरान हमेशा कुछ मीठा अपने पास रखें. जब लगे कि शुगर लेवल बहुत गिर रहा है तो हल्का सा मीठा खा लें.