क्या यात्री जहाज पर्यावरण अनुकूल हो सकते हैं?
२ दिसम्बर २०२२मयोर्का द्वीप के तटों पर जब हवा प्रदूषण के काले बादलों को उड़ाती है तो इस हरकत का जिम्मेदार कौन है- ये स्पष्ट हो जाता है- वो है द्वीप की राजधानी पाल्मा के बंदरगाह में खड़ा क्रूज जहाज.
स्पेन के इस द्वीप शहर में 2022 के शुरुआती नौ महीनों में दस लाख क्रूज जहाज पंजीकृत करिए गए थे. डाटा दिखाते हैं कि उसी अवधि में 370 यात्री जहाज बंदरगाह पर पहुंचे थे. इस लिहाज से पाल्मा, भूमध्यसागर में क्रूज जहाजों का सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक बन गया है. पर्यावरण के लिए इसके नतीजे सही नहीं हैं.
मलोर्का प्लेटफॉर्म अंगेस्ट मेगा क्रूज शिप्स के एक्टिविस्टो के मुताबिक, बार्सीलोना के बाद पाल्मा यूरोप का दूसरा शहर है जहां क्रूज जहाजों की वजह से वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है.
उनके मुताबिक अकेले इस साल, पाल्मा पहुंचे क्रूज जहाज, 38,500 टन कार्बन डाइऑक्साइड, 890 टन नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और 635 टन सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जित कर चुके हैं. आंदोलनकारियों का कहना है, "जहाज कंपनियों ने पर्यावरण, जलवायु और जन स्वास्थ्य की हिफाजत के लिए पर्याप्त उपाय अभी तक नहीं किए हैं."
क्रूज जहाज उद्योग में बदलाव की गति सुस्त
जर्मन पर्यावरणीय संगठन, नाबु पर्यावरणीय और जलवायु बचाव के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनियों की कोशिशों का सालाना आकलन जारी करता है. उसने अपनी क्रूज रैंकिंग में पाया कि उन जहाजों के ऑपरेटर बुरी तरह विफल हैं.
इस साल सर्वश्रेष्ठ आंकी गई नॉर्वे की कंपनी, हुर्टिग्रुटेन भी पर्यावरण और जलवायु सुरक्षा के 50 फीसदी लक्ष्य ही पूरे कर पाई थी. रैंकिंग में शामिल अन्य कंपनियां का प्रदर्शन और भी बुरा था.
नाबु ने लिखा, "नतीजे दिखाते हैं कि एक बार फिर क्रूज कंपनियां अपने ऑपरेशनों और नये जहाजों के निर्माण में पर्यावरण और जलवायु सुरक्षाओं को तवज्जो नहीं दे रही है." नाबु के ट्रांसपोर्ट पॉलिसी अधिकारी क्रिस्टियान कॉप कहते है कि बेशक कुछ अपवाद हैं और कुछ सकारात्मक बदलाव भी हुए हैं, लेकिन तरक्की "साफतौर पर बहुत धीमी गति से हो रही है."
क्रूज लाइन्स इंटरनेशनल एसोसिएशन के जर्मनी से निदेशक हेल्गे ग्रामर्श्टोर्फ मामले को अलग ढंग से देखते हैं. वो जहाज कंपनियों के काम का पुरजोर तरीके से बचाव करते हैं. वो कहते हैं, "क्रूज कंपनियां काफी कुछ ही नहीं कर रही बल्कि अपने बूते जो संभव है वो सब कर रही हैं."
वो कहते हैं कि इन कंपनियों ने हाल के वर्षों में विभिन्न प्रौद्योगिकियों में महत्वपूर्ण तरक्की हासिल की है और समग्र तौर पर पूरी शिपिंग इंडस्ट्री के लिहाज से उद्योग को "अग्रणी" और "नवोन्मेष का चालक" बनाया है. "आखिरकार, कंपनियां अपने जहाज उन्हीं चीजों से तो बनाएगी जो बाजार में उपलब्ध है."
जलवायु-निरपेक्षता एक लंबी दूरी का लक्ष्य है
क्रूज जहाज इंडस्ट्री की दलील है कि जलवायु निरपेक्ष और रेडी टू यूज़ किस्म की उत्सर्जन मुक्त ड्राइव तकनीक अभी अस्तित्व में ही नहीं है. अभी लिक्विफाइड नेचुरल गैस सबसे ज्यादा विश्वसनीय वैकल्पिक ईँधन है. जबकि हाइड्रोजन, बिजली और ई-ईंधन अभी शुरुआती अवस्था में हैं.
फिर भी, इंडस्ट्री महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की ओर उन्मुख है. ग्रामर्श्टोर्फ कहते हैं कि 2030 तक, पहले जहाज जलवायु निरपेक्ष ढंग से चलेंगे. और 2050 तक तमाम जहाजी बेड़े ऐसे ही होंगे.
अधिकांश जहाज डीजल ईंधन से चलते रहेंगे, उनका पर्यावरणीय प्रदर्शन खासतौर पर खराब है. ग्रामर्श्टोफ कहते हैं कि ये तथ्य इस बात का सबूत है कि उद्योग को कितना दूर जाना होगा. उनके मुताबिक, एक स्टैंडर्ड जहाज उपकरण में पहले से एक्सॉस्ट गैस ट्रीटमेंट सिस्टम लगा रहता है जो उत्सर्जनों को उल्लेखनीय रूप से कम करता है.
ब्रेमरहाफन यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेस में टूरिज्म और क्रूज मैनेजमेंट के प्रोफेसर अलेक्सिस पापाथानासिस भी उद्योग की कोशिशों की ओर इशारा करते हैं. वो कहते हैं, "शिपिंग कंपनियां ताजातरीन टेक्नोलजी के साथ तालमेल बैठाने के लिए पूरा जोर लगा रही हैं, उनकी कोशिशों में ऊर्जा कीमतों को कम करने का लक्ष्य भी शामिल है."
लेकिन ये एक पेचीदा तथ्य है कि क्रूज जहाज को बनाने में करोड़ो यूरों के निवेश की जरूरत होती है. द्रुत प्रौद्योगिकीय विकास को देखते हुए, इन दिनों जहाज कुछ ही साल में बेकार हो जाते हैं. और उनका पुनःसंयोजन, यानी पुराने पुर्जे लगाकर नये लगाना महंगा पड़ता है और अक्सर उसमें प्रतिबंध भी होते हैं.
विशेषज्ञो का कहना है कि शिपिंग कंपनियों के बीच आर्थिक प्रतिस्पर्धा भी एक मुद्दा है. गैरबाध्यकारी निर्देशों को स्वैच्छिक स्तर पर मानने वाली कंपनियों को अतिरिक्त कीमतें भरनी पड़ती हैं लिहाजा वे आर्थिक नुकसान में रहती हैं.
पापाथानासिस कहते हैं कि "रेगुलेशन एक बड़ी भूमिका निभाता है." नॉर्वे में जैसे कुछ ठिकानों पर क्रूज जहाजों के लिए सख्त जरूरतें पहले से अमल में हैं, अंटार्कटिका में भी यही है. वो कहते हैं, "स्टैंडर्ड ऐसे ही गढ़े या निर्धारित किए जाते हैं." "नतीजतन, शिपिंग कंपनियों को ज्यादा तेजी से नयी स्थितियों में ढलना होगा."
क्या तटवर्ती ऊर्जा काम आएगी?
तटवर्ती ऊर्जा सप्लाई का मुद्दा दिखाता है कि प्रदूषण की स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है. एक क्रूज जहाज में 10 फीसदी तक का डीजल उत्सर्जन तब होता है जब जहाज बंदरगाह पर खड़े खड़े तैरते रहते हैं और उन्हें चालू रखे हुए डीजल जनरेटरों क जरिए ऊर्जा सप्लाई की जाती है.
नतीजतन तट के पास बड़ी मात्रा में उत्सर्जन होता है, और हवा प्रदूषित होकर आसपास के बाशिंदों को प्रभावित करती है. तटवर्ती ऊर्जा का बुनियादी ढांचा इस स्थिति को बदल सकता है. जहाज लोकल बिजली ग्रिड से जुड़कर अपने शोर भरे और प्रदूषण करने वाले इंजिनों को बंद कर सकते हैं.
यूरोपीय संघ के एक नीति निर्देश के तहत, तमाम प्रमुख बंदरगाहों को 2030 तक ऐसा बुनियादी ढांचा मुहैया कराना ही होगा. क्रूज लाइन्स इंटरनेशनल एसोसिएशन जर्मनी के मुताबिक दुनिया भर में करीब 40 फीसदी क्रूज जहाजों के पास पहले से तटवर्ती ऊर्जा कनेक्शन मौजूद हैं. और अगले पांच साल में, ये संख्या बढ़कर 70 फीसदी हो जाएगी.
फिर भी समस्याएं खुद बंदरगाहों में निहित हैं. ग्रामरश्टोर्फ कहते हैं, "करीब 1000 क्रूज जहाजों में से सिर्फ 29 ही जरूरी उपकरओं से सुसज्जित हैं. इस मामले में तरक्की सुनिश्चित करने के लिए बंदरगाहों को भी कुछ करना होगा."
जर्मन शहर कील के बंदरगाह मे जल्द ही दुनिया के सबसे बड़े तटवर्ती ऊर्जा कनेक्शनो में से एक होगा. 2023 तक बुनियादी ढांचा तैयार हो जाएगा, तो छह जहाजों को एक साथ हरित ऊर्जा सप्लाई मिलेगी.
पाल्मा बंदरगाह प्राधिकरण की आलोचना तटवर्टी ऊर्जा की आपूर्ति न करने को लेकर भी होती रही है. भले ही जहाजों की आमद के लिहाज से ये मलोर्का का सबसे अहम बंदरगाह है, लेकिन इसके पास जरूरी बुनियादी ढांचा नहीं है.
और बंदरगाह अधिकारियों के मुताबिक ये स्थिति जल्द बदलने वाली नहीं है. लिहाजा जब भी कोई यात्री जहाज बंदरगाह पर होगा, पाल्मा के आकाश पर धुएं के बादल मंडराते रहेंगे.
रिपोर्टः योनास मार्टिनी