डॉनल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात विवादों में घिर गई. इससे एक बड़ा सवाल उठ गया है, अगर अमेरिका पीछे हट जाए, तो क्या यूरोप अकेले रूस को रोक सकता है?
मीडिया के सामने जेलेंस्की पर गुस्साते ट्रंप और जेडी वैंसतस्वीर: Jim LoScalzo/CNP/ZUMA Press/IMAGO
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रूस के साथ युद्ध रोकने के लिए अमेरिका में समझौते पर दस्तखत करने गए वोलोदिमीर जेलेंस्की को राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मीडिया के सामने ना सिर्फ बुरा-भला कहा कि बल्कि मुलाकात को ही बीच में रोक दिया जिसके बाद जेलेंस्की को व्हाइट हाउस छोड़कर जाना पड़ा. दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान माहौल अचानक गर्म हो गया. ट्रंप ने जेलेंस्की को "बेवजह जिद करने वाला" बताया और यूक्रेन के साथ एक महत्वपूर्ण खनिज समझौता रद्द कर दिया. यह डील अमेरिका को यूक्रेन की दुर्लभ धातुओं तक पहुंच देती, लेकिन ट्रंप ने इसे अचानक खत्म कर दिया.
इस घटनाक्रम के बाद यूरोपीय नेताओं ने जल्द ही यूक्रेन को भरोसा दिलाने की कोशिश की. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा, "यूक्रेन के लोगों से ज्यादा शांति की चाहत किसी और को नहीं है. हम मिलकर एक स्थायी और न्यायसंगत शांति का रास्ता ढूंढ रहे हैं. यूक्रेन को जर्मनी और यूरोप पर भरोसा करना चाहिए."
रूस-यूक्रेन युद्ध में कौन सा देश किसके साथ है
रूस कई फ्रंट से यूक्रेन पर हमला कर रहा है. हवाई बमबारियों के अलावा यूक्रेन पर क्रूज और बलिस्टिक मिसाइल भी दागे जाने की खबर है. पुतिन ने यूक्रेन की सेना से समर्पण करने को कहा है.
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अमेरिका
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि दुनिया की प्रार्थना यूक्रेनी जनता के साथ है. उन्होंने रूस को चेताया, "राष्ट्रपति पुतिन ने जानबूझकर युद्ध शुरू किया है. इसके चलते होने वाली मौतों और बर्बादी का जिम्मेदार केवल रूस होगा. अमेरिका और साथी देश संगठित होकर मजबूती से इसका जवाब देंगे. पूरी दुनिया रूस को जिम्मेदार मानेगी."
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जर्मनी
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा, "24 फरवरी की यह तारीख यूक्रेन के लिए भीषण और यूरोप के लिए मायूस करने वाली है. हम रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाएंगे, ताकि रूसी नेतृत्व के आगे साफ हो जाए कि उन्हें इस हमले की बड़ी कीमत चुकानी होगी. पुतिन ने यह युद्ध शुरू करके गंभीर चूक की है. जर्मनी नाटो की प्रतिबद्धताओं के साथ खड़ा है."
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ब्रिटेन
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, "यूक्रेन में हो रही भीषण घटनाओं से मैं स्तब्ध हूं. आगे क्या करना है, इसपर मैंने राष्ट्रपति जेलेन्स्की से बात की है. बिना किसी उकसावे के यूक्रेन पर हमला करके राष्ट्रपति पुतिन ने खूनखराबे और बर्बादी का रास्ता चुना है. ब्रिटेन और हमारे सहयोगी डटकर इसका जवाब देंगे."
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फ्रांस
राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद एक आपातकालीन बैठक बुलाई. इस मुद्दे पर राष्ट्र के नाम उनका एक संदेश टीवी पर भी प्रसारित हुआ. इसमें माक्रों ने कहा, "फ्रांस, यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा." फ्रेंच विदेश मंत्री जॉं ईव लु द्रियॉं ने भी कहा कि फ्रांस, हर तरह से यूक्रेन को समर्थन देगा.
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चीन
चीन ने यूक्रेन पर किए गए रूसी हमले को 'आक्रमण' कहे जाने का विरोध किया है. विदेश मंत्री वांग यी ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को फोन भी किया. इसमें उन्होंने कहा कि चीन समझता है कि यूक्रेन मामले का अपना एक जटिल इतिहास है. उन्होंने लावरोव से यह भी कहा कि चीन सुरक्षा से जुड़ी रूस की जायज चिंताओं को भी समझता है.
तस्वीर: Keith Tsuji/ZUMA/picture alliance
कनाडा
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने रूसी हमले की निंदा की. उन्होंने कहा कि रूस को इस आक्रामकता की सजा मिलेगी. ट्रूडो बोले, "बिना किसी उकसावे के किया गया यह हमला यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है. हम रूस से अपील करते हैं कि वह अपनी सेना और प्रॉक्सी फोर्स को यूक्रेन से निकाल ले."
तस्वीर: Adrian Wyld/empics/picture alliance
तुर्की
राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ने हमले की निंदा की. टीवी पर प्रसारित अपने भाषण में एर्दोआन ने कहा, "हम यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करना जारी रखेंगे." एर्दोआन ने यह भी कहा कि रूस और यूक्रेन, दोनों से तुर्की के करीबी संबंध हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच संघर्ष देखकर उन्हें बहुत निराशा हो रही है.
तस्वीर: Irina Yakovleva/ITAR-TASS/imago images
भारत
इस मामले पर अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान नहीं आया है. मगर यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने यूएनएससी में भारत का रुख स्पष्ट किया. उन्होंने मौजूदा घटनाक्रम पर दुख जताते हुए तनाव को तत्काल घटाने की अपील की. यह भी कहा कि सभी संबंधित पक्षों की जायज सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
दक्षिण कोरिया
राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा कि उनका देश रूस पर लगाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों का साथ देगा. राष्ट्रपति आवास ने एक बयान जारी कर कहा, "यूक्रेन की आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रहनी चाहिए. ताकत का इस्तेमाल करके निर्दोषों को नुकसान पहुंचाने का किसी हाल में समर्थन नहीं किया जा सकता है."
तस्वीर: Yonhap/REUTERS
ईरान
विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दोल्लाहियां ने एक ट्वीट में लिखा कि ईरान समस्या सुलझाने के लिए युद्ध का सहारा लेने में यकीन नहीं करता है. ईरान ने नाटो के उकसावे को यूक्रेन संकट की जड़ बताते हुए राजनैतिक और कूटनीतिक समाधान की अपील की.
तस्वीर: Michael Gruber/AP Photo/picture alliance
इटली
इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी ने कहा कि सारे सहयोगी एकजुट हैं. यूक्रेन की संप्रभुता, यूरोपीय सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और साझा मूल्य बनाए रखने के लिए जो भी करना पड़े, वे साथ मिलकर करेंगे. पीएम द्रागी ने यह भी कहा कि समय आ गया है कि यूरोपीय संघ रूस पर बेहद सख्त प्रतिबंध लगाए.
तस्वीर: ALBERTO PIZZOLI/AFP
हंगरी
प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने कहा कि यूरोपीय संघ और नाटो के अपने साथियों के साथ मिलकर हंगरी भी रूस के हमले की निंदा करता है. उन्होंने यह भी कहा कि हंगरी के लिए अपने लोगों की सुरक्षा सबसे जरूरी है. इसीलिए इस सैन्य संघर्ष से बाहर रहते हुए वह यूक्रेन को मानवीय सहायता देने के लिए तैयार है.
तस्वीर: Tamas Kovacs/MTI via AP/picture alliance
ग्रीस
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद ग्रीस ने अपनी सेना और एनर्जी स्टाफ की आपातकालीन बैठक बुलाई. इसमें प्रधानमंत्री किरयेकोस मित्सोताइकिस ने रूसी हमले की निंदा की. राष्ट्रपति कैटरीना सैकलारापुलू ने भी कहा कि एक आजाद देश पर किए गए रूसी हमले की वह कड़ी निंदा करती हैं.
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इस्राएल
इस्राएल ने रूसी हमले को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का उल्लंघन बताया. विदेश मंत्री याइर लैपिड ने रूस की निंदा करते हुए यह भी कहा कि इस्राएल के रूस और यूक्रेन, दोनों के साथ अच्छे रिश्ते हैं. उन्होंने दोनों देशों में रहने वाले यहूदियों की भी बात की. कहा कि उनकी सुरक्षा इस्राएल के लिए अहम है.
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फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने भी साफ कहा, "रूस आक्रांता है और यूक्रेन पीड़ित. हम पहले भी यूक्रेन के साथ थे और आगे भी रहेंगे. यूक्रेन की सुरक्षा, यूरोप की सुरक्षा है."
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा, "आपकी बहादुरी पूरे यूक्रेन के साहस को दिखाती है. मजबूत रहिए, निडर बनिए. आप अकेले नहीं हैं."
ट्रंप का रवैया: ‘मैं बीच में हूं'
पहले ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात कर चुके डॉनल्ड ट्रंप ने इस मुलाकात में खुद को एक तटस्थ मध्यस्थ की तरह पेश किया, न कि यूक्रेन के सहयोगी के रूप में. उन्होंने कहा, "मैं बीच में हूं. आप जेलेंस्की का पुतिन के लिए गुस्सा देख सकते हैं. ऐसे में किसी समझौते तक पहुंचना मुश्किल है."
बैठक करीब 45 मिनट चली लेकिन माहौल तब और बिगड़ गया जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वैंस ने जेलेंस्की को टोका. उन्होंने कहा, "महोदय, पूरी इज्जत के साथ, लेकिन ओवल ऑफिस में आकर इस तरह दबाव बनाना सही नहीं है."
जेलेंस्की ने जवाब दिया, "पुतिन 25 बार अपने ही समझौते तोड़ चुके हैं." लेकिन ट्रंप ने उनकी बात को टाल दिया और कहा, "आप तीसरे विश्व युद्ध के साथ जुआ खेल रहे हैं."
इसके बाद ट्रंप और वैंस ने जेलेंस्की को बोलने ही नहीं दिया. वह बोलने की कोशिश करते रहे लेकिन ट्रंप और वैंस लगातार बोलते रहे और यूक्रेन के राष्ट्रपति से काफी नाराजगी भरे अंदाज में बात की. दो राष्ट्राध्यक्ष मीडिया के सामने झगड़ रहे थे और ट्रंप के सामने जेलेंस्की बहुत बेबस नजर आ रहे थे.
व्हाइट हाउस में मीडिया के सामने राष्ट्रपति ट्रंप और राष्ट्रपति जेलेंस्की की तीखी बहस हुईतस्वीर: Andrew Harnik/Getty Images
यूरोप अकेले रूस को रोक सकता है?
ट्रंप की इस प्रतिक्रिया के बाद यूरोपीय देशों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है – अगर अमेरिका पीछे हटता है, तो क्या वे रूस को रोक सकते हैं? जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश यूक्रेन को मदद का भरोसा दे रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि उनकी सैन्य ताकत अभी भी रूस के मुकाबले काफी कम है.
इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्ट्रैटजिक स्टडीज की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने अपनी रक्षा बजट में 41 फीसदी की बढ़ोतरी की है. अब यह उसकी जीडीपी का 6.7 फीसदी हो गया है. दूसरी ओर, ब्रिटेन ने 2027 तक इसे केवल 2.5 फीसदी करने का वादा किया है.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर इस मुद्दे पर अमेरिका से साफ जवाब मांग रहे हैं. लेकिन ट्रंप कोई स्पष्ट आश्वासन देने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा, "ब्रिटेन की सेना बहुत मजबूत है. वे खुद अपनी सुरक्षा कर सकते हैं."
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यूरोपीय सेना का विकल्प?
अगर अमेरिका मदद नहीं करता, तो क्या यूरोप अपनी सेना भेज सकता है? यूक्रेनी अधिकारियों का मानना है कि रूस को रोकने के लिए 1-2 लाख अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की जरूरत होगी. लेकिन पश्चिमी देश केवल 30,000 सैनिकों भेजने पर विचार कर रहे हैं.
इसके अलावा, यूरोप के पास अमेरिका जैसी उन्नत मिसाइलें, एयर डिफेंस सिस्टम और जासूसी की तकनीक नहीं हैं. हालांकि यूरोप के नेता यूक्रेन के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं. वॉशिंगटन में हुई इस घटना के बाद यूरोप ने फिर से जेलेंस्की को समर्थन देने के बयान जारी किए. स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने कहा, "यूक्रेन, स्पेन तुम्हारे साथ है."
नॉर्वे के प्रधानमंत्री योनास स्टोरे ने ट्रंप की टिप्पणी को "गैरजिम्मेदाराना" बताया. चेक गणराज्य के राष्ट्रपति पेत्र पावेल ने कहा, "हम यूक्रेन के साथ पहले से भी ज्यादा मजबूती से खड़े हैं. यूरोप को अब अपनी भूमिका निभानी होगी."
यूरोप के धुर-दक्षिणपंथियों में भी है मतभेद
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जर्मनी के नेता योहान वेडेफुल ने ट्रंप के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा, "व्हाइट हाउस में जो हुआ वह चौंकाने वाला है. एक आक्रमण झेल रहे देश के राष्ट्रपति को इस तरह अपमानित करना ठीक नहीं. आजाद यूरोप यूक्रेन को धोखा नहीं देगा."
इस बीच, रूसी अधिकारियों ने इस पूरे घटनाक्रम पर खुशी जताई. रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने ट्रंप की मुलाकात पर प्रतिक्रिया दी, "ट्रंप ने पहली बार इस नशे के आदी मसखरे को सच बताया. कीव सरकार तीसरे विश्व युद्ध से खेल रही है."
अब आगे क्या होगा?
वॉशिंगटन की इस घटना के बाद कई बड़े सवाल खड़े हो गए हैं. क्या अमेरिका यूक्रेन को आधुनिक हथियार देना जारी रखेगा? अगर अमेरिका पीछे हटता है, तो क्या यूरोप अकेले रूस को रोक पाएगा? क्या यूरोप की सैन्य ताकत इतनी है कि वह यूक्रेन को सुरक्षा दे सके?
जेलेंस्की फिलहाल अपने सहयोगियों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने व्हाइट हाउस से निकलने के बाद सोशल मीडिया पर लिखा, "धन्यवाद अमेरिका. हमें न्यायपूर्ण और स्थायी शांति चाहिए. हम उसी के लिए काम कर रहे हैं."
लेकिन बड़ा सवाल अब भी बना हुआ है – क्या अमेरिका यूक्रेन का साथ देगा, या यूरोप को अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी?