सेक्स एजुकेशन से पाकिस्तान का जनसंख्या संकट दूर हो सकता है?
१० अक्टूबर २०१९
पाकिस्तान की आबादी अगले 30 वर्षों में लगभग दोगुनी होने की आशंका है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस संकट से उबरने के लिए परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य पर अधिक जागरूकता की आवश्यकता है.
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पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक छोटा शहर है भिट शाह. शाहिदा सोमरो इसी शहर में रहती हैं. वे इस प्रांत में महिला स्वास्थ्य कर्मचारी हैं. पूरे राज्य में उनके जैसी महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या 22 हजार से ज्यादा है. ये सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और समुदायों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम कर रही हैं. ये महिलाओं के बीच यौन और प्रजनन से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों को साझा करती हैं और उनकी मदद करती हैं.
दोपहर में सोमरो दो कमरे वाले घर के आंगन में बैठी हुई हैं. उनके चारों ओर अलग-अलग उम्र की महिलाएं हैं. इनमें से कुछ ऐसी भी हैं जो हाल ही में मां बनी हैं. उनकी गोद में बच्चे हैं. वे काफी असहज दिख रही हैं और शर्मा रही हैं. वे यहां अपनी मां, सास या चाची के साथ आई हैं. सभी यह जानना चाहती हैं कि अनचाहे गर्भ और बार-बार गर्भधारण करने से कैसे बचें.
सोमरो ने एक बक्से से कुछ डिब्बे निकाले और उन महिलाओं को अनचाहे गर्भ से बचने के तरीके बताए. उसने महिलाओं को इंजेक्शन, गोलियां, कंडोम दिखाए और बताया कि स्थानीय सरकारी अस्पताल में ये मुफ्त में मिलते हैं. लेकिन सभी महिलाएं सोमेरो की बात मानने को तैयार नहीं दिखीं. सोमरो कहती हैं, "यहां कई सारे मिथक और गलत धारणाएं हैं. कुछ महिलाएं इस बात से डरती हैं कि इस सब के इस्तेमाल से वे जीवन में कभी भी मां नहीं बन पाएंगी. वहीं कई अन्य का मानना है कि यह उनके धर्म के खिलाफ है."
सोमरो कोई प्रशिक्षित डॉक्टर या नर्स नहीं हैं. वे कहती हैं, "मेरा काम महिलाओं की बातों को सुनना और आश्वस्त करना है कि वे अपने जीवन को अच्छे से जी सकती हैं. मैं भी उसी समुदाय से हूं. इसलिए वे मुझे जानती हैं. जब मैं उन्हें अस्पताल जाने को कहती हूं तो वे मुझ पर विश्वास करती हैं."
पर्दा: फैशन या मजबूरी
घूंघट, बुर्का, नकाब या हिजाब - इनके कई अलग नाम और अंदाज हैं. ऐसे पर्दों से अपने व्यक्तित्व को ढकने को दासता का प्रतीक मानें या केवल एक फैशन एक्सेसरी, यहां देखिए दुनिया भर के चलन.
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ईरान में प्रचलित हिजाब
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मलेशिया का हिजाब 'टुडोंग'
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इराक में पूरा ढकने वाला पर्दा
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तुर्की में प्रचलित इस्लामी हेडस्कार्फ
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फलस्तीन के सुरक्षा दस्ते में शामिल महिलाएं
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भारतीय महिलाओं का दुपट्टा
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लेबनान की मारोनीट ईसाई महिलाओं का सिर ढकने का अंदाज
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ईसाई महिलाओं का शादी में पहना जाने वाला घूंघट
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अफगानी औरतों का पूरे शरीर ढकने वाला पर्दा
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नेपाल और भारत के ग्रामीण इलाकों का घूंघट
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फलीस्तीनी महिलाओं का पूरा चेहरा ढकने वाला नकाब
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चेहरे पर जाली वाली डिजायनर हैट
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चीन के एक समुद्री बीच पर फेसकिनी पहले चीनी महिला
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पश्चिम अफ्रीका के सेनेगल में हिजाब फैशन
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सेक्सएजुकेशनमेंनहींहैविश्वास
पाकिस्तान के रूढ़िवादी मुस्लिम समाज में सेक्स एजुकेशन यानी यौन शिक्षा पर रोक है. इस्लामिक मौलवियों के डर से परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर आम लोगों को जागरूक करने में कठिनाई आती है. काफी कम लोग ही गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल करते हैं. जो महिलाएं बार-बार मां नहीं बनना चाहतीं, ज्यादातर मामलों में उन्हें भी गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि परिवार नियोजन राष्ट्रीय प्राथमिकता का विषय नहीं बन पाया है.
पिछले दो दशक में पाकिस्तान की जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ी है. 1998 में ये जहां 13 करोड़ थी, वहीं 2017 में 20 करोड़ से ज्यादा हो गई है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि के अनुसार चीन, भारत, अमेरिका, इंडोनेशिया और ब्राजील के बाद पाकिस्तान आबादी के मामले में दुनिया में छठे स्थान पर पहुंच गया है. पाकिस्तान की जनसंख्या हर साल 2.4 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 2050 तक पाकिस्तान की आबादी 40 करोड़ तक पहुंच सकती है. पाकिस्तान में युवाओं की तादाद बढ़ रही है, अर्थव्यवस्था सिकुड़ रही है और यहां सैन्य तख्तापटल का इतिहास रहा है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसे हालात में देश में कोई बड़ी आपदा आ सकती है.
ऐसी थीं पैगंबर मोहम्मद की बीवी
पैगंबर मोहम्मद की पहली बीवी खदीजा बिंत ख्वालिद की इस्लाम धर्म में महिलाओं के अधिकार तय करवाने में अहम भूमिका मानी जाती है. कई मायनों में उन्हें मुस्लिम समुदाय की पहली फेमिनिस्ट भी माना जाता है.
पिता से सीखे व्यापार के गुर
खदीजा के पिता मक्का के रहने वाले एक सफल व्यापारी थे. कुराइश कबीले के पुरुष प्रधान समाज में खदीजा को हुनर, ईमानदारी और भलाई के सबक अपने पिता से मिले. उनके पिता फर्नीचर से लेकर बर्तनों और रेशम तक का व्यापार करते थे. उनका कारोबार उस समय के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों मक्का से लेकर सीरिया और यमन तक फैला था.
आजादख्याल और साहसी
खदीजा की शादी पैगंबर मोहम्मद से पहले भी दो बार हो चुकी थी. उनके कई बच्चे भी थे. दूसरी बार विधवा होने के बाद वे अपना जीवनसाथी चुनने में बहुत सावधानी बरतना चाहती थीं और तब तक अकेले ही बच्चों की परवरिश करती रहीं. इस बीच वे एक बेहद सफल व्यवसायी बन चुकी थीं, जिसका नाम दूर दूर तक फैला.
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ना उम्र की सीमा हो
पैगंबर मोहम्मद से शादी के वक्त खदीजा की उम्र 40 थी तो वहीं मोहम्मद की मात्र 25 थी. पैगंबर मोहम्मद को उन्होंने खुद शादी के लिए संदेश भिजवाया था और फिर शादी के बाद 25 सालों तक दोनों केवल एक दूसरे के ही साथ रहे. खदीजा की मौत के बाद पैगंबर मोहम्मद ने 10 और शादियां कीं. आखिरी बीवी आयशा को तब जलन होती थी जब वे सालों बाद तक अपनी मरहूम बीवी खदीजा को याद किया करते.
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आदर्श पत्नी, प्रेम की मूरत
अपनी शादी के 25 सालों में पैगंबर मोहम्मद और खदीजा ने एक दूसरे से गहरा प्यार किया. तब ज्यादातर शादियां जरूरत से की जाती थीं लेकिन माना जाता है कि हजरत खदीजा को पैगंबर से प्यार हो गया था और तभी उन्होंने शादी का मन बनाया. जीवन भर पैगंबर पर भरोसा रखने वाली खदीजा ने मुश्किल से मुश्किल वक्त में उनका पूरा साथ दिया. कहते हैं कि उनके साथ के दौरान ही पैगंबर पर अल्लाह ने पहली बार खुलासा किया.
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पहले मुसलमान
हजरत खदीजा को इस्लाम में विश्वास करने वालों की मां का दर्जा मिला हुआ है. वह पहली इंसान थीं जिन्होंने मोहम्मद को ईश्वर के आखिरी पैगंबर के रूप में स्वीकारा और जिन पर सबसे पहले कुरान नाजिल हुई. माना जाता है कि उन्हें खुद अल्लाह और उसके फरिश्ते गाब्रियाल ने आशीर्वाद दिया. अपनी सारी दौलत की वसीयत कर उन्होंने इस्लाम की स्थापना में पैगंबर मोहम्मद की मदद की.
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गरीबों की मददगार
अपने व्यापार से हुई कमाई को हजरत खदीजा गरीब, अनाथ, विधवा और बीमारों में बांटा करतीं. उन्होंने अनगिनत गरीब लड़कियों की शादी का खर्च भी उठाया और इस तरह एक बेहद नेक और सबकी मदद करने वाली महिला के रूप में इस्लाम ही नहीं पूरे विश्व के इतिहास में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा.
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सिविलसोसायटीकाकदम
जनसंख्या विस्फोट से निपटने के लिए पाकिस्तान की सिविल सोसायटी के सदस्य कदम उठा रहे हैं. 1990 के दशक में शुरू हुए पाकिस्तान के महिला स्वास्थ्य कर्मचारी कार्यक्रम बड़े स्तर पर मां और शिशुओं को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. ये महिला कर्मचारी घर-घर जाकर लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जानकारी देती हैं और गर्भ निरोधक बांटती हैं. लेकिन सरकार द्वारा संचालित यह कार्यक्रम प्रशिक्षण और पैसे की कमी से जूझ रहा है. सोमरो जैसी कर्मचारियों को महीनों तक वेतन नहीं मिलता है. इसके लिए कभी-कभी उन्हें प्रदर्शन तक करना पड़ता है.
प्रांतीय सरकारी अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी नदीम शाह कहते हैं, "परिवार नियोजन के लिए सिर्फ धन की ही समस्या नहीं है, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी अभाव दिखता है. मेरे अनुभव के हिसाब से पाकिस्तान की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली निरंतर बनाए रखने के लिए एक समुचित दृष्टिकोण का अभाव है. बड़े पैमाने पर पैसे की हेराफेरी होती है. यह दिखाता है कि सरकारी तंत्र पूरी तरह से फेल है. कई अन्य इलाकों में गैर-सरकारी संगठन भी परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं."
पर्यवेक्षकों का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव के लिए सरकार को आगे आना होगा. इमरान खान सरकार का कहना है कि वह इस समस्या के सामाधान के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए ज्यादा पैसा देगी. उनकी सरकार ने "एहसास" कार्यक्रम के तहत एक कल्याणकारी राज्य बनाने की बात की है. यह पिछली सरकारों द्वारा तैयार किए गए सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों पर ही आधारित है लेकिन अब इसमें गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य और शिक्षा को भी शामिल किया गया है.
पाकिस्तान.. और इतना खूबसूरत
दुनिया के खूबसूरत पर्यटन स्थलों की जब बात चलती है तो पाकिस्तान का शायद ही जिक्र हो. बेशक इसकी वजह वहां चरमपंथी खतरा है, लेकिन पाकिस्तान में कई ऐसी जगह हैं जिन्हें देख कर मुंह से यही निकलेगा, वाह.
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जन्नत
कश्मीर को धरती पर जन्नत का नाम दिया जाता है. इसका एक हिस्सा भारत के नियंत्रण में है तो दूसरा पाकिस्तान के. पूरे कश्मीर में ऐसे दिलकश नजारों की कमी नहीं है.
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सबसे ऊंचा रणक्षेत्र
ये तस्वीर एक सैन्य हेलीकॉप्टर से ली गई है. ये पर्वत सियाचिन के हैं जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र कहते हैं. ये जगह पाकिस्तान में स्कारदू के करीब है.
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स्वात की सुंदरता
ये है पाकिस्तान की स्वात घाटी, जो तालिबानी चरमपंथियों को लेकर कई साल से सुर्खियों में रही है. लेकिन कुदरत ने यहां खूबसूरती दिल खोल लुटाई है.
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पूर्व का स्विट्जरलैंड
स्वात का इलाका इस कदर खूबसूरत है कि जब ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ ने यूसुफजई स्टेट ऑफ स्वात का दौरा किया तो उन्होंने इसे पूर्व का स्विट्जरलैंड कहा था.
तस्वीर: Adnan Bacha
व्हाइट पैलेस
स्वात जिले में ही मिंगोरा शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है व्हाइट पैलेस. 1940 में इसका निर्माण उस समय हुआ जब स्वात एक रियासत हुआ करती थी. बताया जाता है कि ये उसी पत्थर से बना है जिससे ताजमहल बना.
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हरियाली और रास्ता
दूर तक फैली हरियाली और बुलंदियों को छूते पर्वत इस इलाके की पहचान हैं, लेकिन हाल के सालों में बार बार चरमपंथ के कारण यहां सैलानियों ने जाना छोड़ दिया है.
तस्वीर: Adnan Bacha
शहद का दलदल
ये स्वात का गबीना जब्बा इलाका है, जिसका पश्तो भाषा में अर्थ होता है शहद का दलदल.
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ये कहां आ गए हम..
यहां मधु मक्खियां बड़ी संख्या में पाई जाती हैं और यहां का शहद पूरे खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में मशहूर है. गबीना जब्बा में यूं ही दूर तक खुला आसमान दिखाई पड़ता है.
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जी नहीं भरेगा
यहां ऐसे नजारे हैं कि देखते रहिए लेकिन जी नहीं भरेगा. ये इलाका बहुत सी उपयोगी जड़ी बूटियों से भी मालामाल है. ऐसे में यहां कई तरह के शोध भी होते रहते हैं.
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चरमपंथ की मार
पाकिस्तान में चरमपंथ के कारण जो क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं उनमें देश का पर्यटन उद्योग प्रमुख है.
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पानी रे पानी
घनी वादियां और उनसे निकलता निर्मल पानी. हर तरफ बिखरी ऐसी खूबसूरती किसी को भी अपनी तरफ खींच सकती है.
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नंगा पर्वत
ये है उत्तरी पाकिस्तान में नंगा पर्वत जो दुनिया में नौंवा सबसे ऊंचा पर्वत है. इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8,126 मीटर है. ये गिलगित बल्तिस्तान में है और इस इलाके पर भारत भी अपना दावा जताता है.
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आठ हजारी
नंगा पर्वत दुनिया के उन 14 पर्वतों में से एक है जिनकी ऊंचाई आठ हजार मीटर से ज्यादा है. कम ही लोग हैं जो इन पर्वतों पर चढ़ पाए हैं.
तस्वीर: dpa
सिंधु घाटी
ये नजारा है सिंधु घाटी का, जो पाकिस्तान के नॉर्दन एरियाज में है. पानी के बंटवारे को लेकर भारत और पाकिस्तान में सिंधु जल संधि है, लेकिन अब इस पर भी सवाल उठने लगे हैं.
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हवा में नफरत
अफगानिस्तान से लगने वाले पाकिस्तान के कबायली इलाके बहुत खूबसूरत हैं. लेकिन इस स्वच्छ आबोहवा में कई सालों से हिंसा और नफरत घुली है.
तस्वीर: DW/A. Bacha
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सरकार की यह योजना कागजों पर अच्छी दिखती है लेकिन आलोचकों का कहना है कि उनकी सरकार अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार, अफगानिस्तान में हिंसक हालात और कश्मीर समस्या जैसे कई मोर्चों पर जूझ रही है. ऐसे में सार्थक सुधार काफी मुश्किल नजर आ रहे हैं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर सभी तक गर्भ निरोधकों को पहुंचाने की पहल से संभवतः पाकिस्तान की जनसंख्या समस्या में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकता है.
अमेरिका स्थित गूटमाखर इंस्टीट्यूट और पाकिस्तान में जनसंख्या परिषद की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष करीब 38 लाख अनचाहे गर्भ ठहरते हैं और गर्भनिरोधक से इस समस्या का निवारण किया जा सकता है. यह रिपोर्ट सितंबर महीने में जारी की गई थी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान में करीब एक करोड़ 68 लाख विवाहित महिलाओं में से आधी महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधक तरीकों का इस्तेमाल नहीं करती हैं.
रिपोर्ट के सह लेखक और पाकिस्तान में जनसंख्या परिषद के निदेशक जेबा सथार कहते हैं, "यह अध्ययन सबूत है कि पाकिस्तान में परिवार नियोजन सेवाओं के लिए और अधिक निवेश की जरूरत है. पाकिस्तान को इंडोनेशिया, मलेशिया, बांग्लादेश और ईरान से सीखने की जरूरत है." उनका शोध दिखाता है कि पाकिस्तान वर्तमान में गर्भनिरोधक पर करीब आठ करोड़ डॉलर वार्षिक खर्च करता है. लेकिन आधुनिक तरीकों के लिए यदि 17 करोड़ खर्च करे तो हर साल 30 लाख से अधिक अनचाहे गर्भ के मामलों को रोका जा सकेगा. इससे अनचाहे गर्भ में 82 प्रतिशत की कमी होगी.
भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है. लोग इस खेल के इस कदर दीवाने हैं कि इसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. इसके चलते ही क्रिकेट के कुछ साइड इफैक्ट्स भी हैं. देखिए क्या हैं ये इन तस्वीरों में.
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दूसरे खेलों की अनदेखी
क्रिकेट के चलते भारत में दूसरे खेलों की अनदेखी आम है. ये बात सिर्फ संस्थागत तौर पर क्रिकेट को प्रोत्साहन दिए जाने की ही बात नहीं है, बल्कि चारों तरफ फैली क्रिकेट की खुमारी, पैसा और ग्लैमर के चलते नए खिलाड़ी भी दूसरे खेलों के बजाय सिर्फ क्रिकेट की ओर आकर्षित होते हैं.
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काम का हर्जा
क्रिकेट के शौकीन मैच की एक एक गेंद, एक एक शॉट पर नजरें गड़ाए रखना चाहते हैं. और इसके चलते मैच वाले दिन काम धाम ठप्प पड़ जाता है. और जहां ठप्प नहीं पड़ता वहां धीमा हो जाना तो लाजमी है.
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सूखे की मार, क्रिकेट का खुमार
पिछले दिनों बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य में भयंकर सूखे के बीच क्रिकेट के मैदानों की सिंचाई पर सवाल उठाकर इस तरफ ध्यान दिलाया कि बुनियादी जरूरतें ज्यादा अहम हैं. क्रिकेट जैसे महंगे खेलों के दौरान ये बात अकसर भुला दी जाती है.
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क्रिकेट का सट्टा बाजार
क्रिकेट के मैदान के बाहर भी क्रिकेट के मैच खेले जाते हैं और इनकी शक्ल होती है अवैध सट्टेबाजी की. एक अनुमान के मुताबिक एक विश्वकप के दौरान केवल भारत में तकरीबन दस हजार करोड़ रूपये से ज्यादा का सट्टा लगाया जाता है. इस सब में काला धन इस्तेमाल होता है.
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समय की बर्बादी
क्रिकेट में वक्त काफी जाया होता है. जहां केवल एक टेस्ट मैच 3 से 5 दिन का समय लेता है. वहीं 50 ओवरों का वनडे भी पूरा एक दिन ले लेता है. हालांकि टी20 के एक नए छोटे फॉर्मेट को भी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में मान्यता मिली है. लेकिन ये भी कई तरह से बहुत वक्त लेता है.
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विदड्रॉल सिंड्रोम
क्रिकेट के टूर्नामेंटों में गहरे से मशगूल दर्शक कई बार फाइनल खत्म होते ही इस पशोपेश में पड़ जाते हैं कि अब क्या किया जाए. क्रिकेट के साइड इफैक्ट्स में ये विदड्रॉल सिंड्रोम भी एक पहलू है.
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खेल नहीं धंधा
लोकप्रियता बढ़ने से क्रिकेट खेल की जगह एक बाजार में तब्दील होता ज्यादा दिखाई दिया है. इस खेल से बेतहाशा पैसा जुड़ गया है और बाजार भी क्रिकेट खिलाड़ियों को अपने उत्पाद बेचने के लिए इस्तेमाल करता है.
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नए दौर के ग्लेडिएटर्स
क्रिकेट के नए टी20 फॉर्मेट में खिलाड़ियों के लिए लगने वाली बोलियां, पुराने रोमन साम्राज्य के गुलाम ग्लेडिएटर्स की याद दिलाती हैं, जो अपने खरीदारों के मनोरंजन के लिए अपनी जान की बाजी लगाकर लड़ा करते थे.
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खिलाड़ियों पर दबाव
क्रिकेट सितारों को उनके प्रशंसक जितना सिर आंखों पर बिठा कर रखते हैं, उन पर हमेशा अपने प्रदर्शन को बेहतरीन बनाए रखने का भारी दबाव रहता है. एक लिहाज से ये बढ़िया है लेकिन एक खिलाड़ी के लिए हमेशा एक सा प्रदर्शन बरकरार रखना संभव नहीं होता.
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खेल या उन्माद
कई बार क्रिकेट खेल के बजाय एक उन्माद में बदल जाता है. अपने कूटनीतिक रिश्तों में लंबे समय से खटास के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच हो रहा क्रिकेट मैच भी युद्ध के उन्माद जैसा माहौल पैदा कर देता है. ऐसे में खेल, खेल नहीं रह जाता.
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बच्चे और क्रिकेट
क्रिकेट की खुमारी नई पीढ़ी में भी कम नहीं है. बच्चे भी क्रिकेट मैच के लिए अपने समय का एक बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं. कुछ क्रिकेट खेलने में और कुछ देखने में. इसके अलावा क्रिकेट के लिए क्लास बंक करना भी आम है.