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5,400 साल पुराने पेड़ को बचाने की कोशिश कामयाब हो पाएगी?

सेरदार वारदार
२ मई २०२५

चिली के वर्षावनों में करीब 5,400 साल पुराना एक पेड़ है. हजारों साल से अपनी जगह पर डटे इस पेड़ की जान पर बन आई है. एक हाई-वे परियोजना उसके लिए खतरा बन गई है. क्या इस पेड़ और उसके जंगल को बचाने की कोशिश सफल होगी?

चिली के घने वर्षावनों में 5,400 साल पुराना पेड़. इसे 'ग्रान अबुएलो' नाम से जाना जाता है.
मिलिए 'ग्रान अबुएलो' से. माना जाता है कि यह पृथ्वी पर जिंदा सबसे पुराना पेड़ है. इसके ऊपर का हिस्सा बहुत दशक पहले टूट गया था तस्वीर: Miguel Soffia

कई साम्राज्यों का उदय हुआ और फिर वो मिट भी गए. कई भाषाएं पैदा हुईं और भुला दी गईं, लेकिन 'ग्रान अबुएलो' समय की कसौटी पर खरा उतरा है. अनुमानित तौर पर करीब 5,400 साल पुराने इस पेड़ ने न जाने कितनी सभ्यताओं को बनते और मिटते देखा है और आज भी अपनी जगह पर खड़ा है. स्पेनिश भाषा में 'ग्रान अबुएलो' का मतलब परदादा भी होता है और यह पेड़ अपने इस नाम को भी चरितार्थ करता है.

बेइंतिहा धधक रहे हैं अमेजन जंगल, भीषण सूखा है बड़ी वजह

फ्रांस में काम करने वाले चिली के प्रसिद्ध वैज्ञानिक जोनातन बैरिकविक उसी नमी वाले जंगल में बड़े हुए हैं, जो अब एलेर्से कोस्तेरो नेशनल पार्क में संरक्षित है. उनके दादा अनीवल यहां पार्क रेंजर थे. उन्होंने ही साल 1972 में 'ग्रान अबुएलो' को खोजा था. जोनातन बताते हैं कि उस पल ने उनके परिवार के इतिहास और पेड़ के भविष्य को बदल दिया.

बैरिकविक पेड़ की मंद-मंद नाड़ियों को मापते हैं. इनसे पेड़ की सेहत मालूम चलती है. यह भी पता चलता है भीतर पानी की आवाजाही कैसे होती हैतस्वीर: Miguel Soffia

पुराने दिनों को याद करते हुए जोनातन ने बताया, "मैंने अपने दादा के साथ इस जंगल में पहला कदम रखा था. उन्होंने मुझे पढ़ाई शुरू करने से पहले ही पौधों के नाम सिखा दिए थे. मेरे बचपन की यादें मेरे वैज्ञानिक जुनून को और ज्यादा बढ़ाती हैं."

अब जोनातन अपनी मां और शोधकर्ताओं की एक टीम के साथ मिलकर 'ग्रान अबुएलो' और अन्य पेड़ों से जुड़े रहस्यों को उजागर कर रहे हैं. वे ऐसी जानकारियां दे रहे हैं, जो जलवायु परिवर्तन को समझने और उससे लड़ने के हमारे तरीके को बदल सकती है.

हर तीन में से एक पेड़ पर मंडरा रहा है खतरा

इस जंगल के पेड़ जलवायु के तौर-तरीके भी बताते हैं

इस जंगल में पाए जाने वाले अलेर्से के पेड़, जिन्हें पेटागोनियन साइप्रस या फिट्जरोया क्यूप्रेसोइड्स के नाम से भी जाना जाता है, दूसरे पेड़ों की तुलना में सिर्फ पुराने नहीं हैं. यह प्रजाति दुनिया के सबसे ज्यादा जलवायु-संवेदनशील पेड़ों में से एक है. इसके तने के अंदर मौजूद हर छल्ला एक साल के मौसम का रिकॉर्ड है. इन छल्लों का अध्ययन करके शोधकर्ता हजारों साल पहले के मौसम के चक्र को फिर से बना सकते हैं. यह ऐसा डेटा है, जो इस क्षेत्र की किसी अन्य प्रजाति में नहीं मिलता.

चिली की वैज्ञानिक रोसीयो उरुतिया दशकों से इन पेड़ों का अध्ययन करती आई हैं. वह बताती हैं, "वे इनसाइक्लोपीडिया की तरह हैं." रोसीयो के शोध की मदद से 5,680 साल पुराने तापमान के आंकड़ों को दोबारा तैयार करने में मदद मिली है.

वैज्ञानिक रोसीयो उरुतिया 'इंक्रीमेंट बोरर' की मदद से तने के केंद्रीय भाग का एक हिस्सा निकालती हैं. इसके अध्ययन से पेड़ की उम्र और बढ़ने का इतिहास पता चलता हैतस्वीर: Serdar Vardar/DW

पेड़ की उम्र जानने के लिए, वैज्ञानिक अक्सर तने के एक हिस्से को निकालते हैं. इसके लिए 'इंक्रीमेंट बोरर' नामक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है. फिर कई वर्षों में बनने वाले छल्लों की संख्या गिनी जाती है.

कई पुराने पेड़ों ने अपने तने का मूल हिस्सा बहुत पहले खो दिया है. इसलिए वैज्ञानिकों को पेड़ की उम्र का अनुमान लगाने के लिए दिखाई देने वाले छल्लों के साथ-साथ सांख्यिकीय मॉडल पर भी निर्भर रहना पड़ता है, जो छल्लों की कुल संख्या का अनुमान लगाते हैं.

वैज्ञानिक यह भी मापते हैं कि जंगल कितना कार्बन सोखता है और कितना उत्सर्जित करता है. पेड़ जितना बड़ा होगा, प्रत्येक पेड़ के छल्ले के बीच की जगह उतनी ही मोटी होगी. ज्यादा बढ़ने का मतलब है, ज्यादा कार्बन सोखना. यह मापना बहुत जरूरी है, ताकि पता चले कि धरती के गर्म होने पर जंगल में क्या बदलाव आता है.

जोनातन ने बताया, "जंगल हमारे कार्बन उत्सर्जन का लगभग एक तिहाई हिस्सा सोख लेते हैं." हालांकि, इस बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या ऐसा तब भी होगा जब धरती गर्म होती रहेगी? अलग-अलग मौसम में पेड़ कैसे बढ़ते हैं, यह समझने से हमें जानकारी मिलती कि वे कितना कार्बन सोखते हैं. इससे यह पता चल सकता है कि क्या भविष्य में और ज्यादा गर्मी होने पर भी जंगल ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करना जारी रख सकते हैं.

तस्वीर में दिख रहा 'फ्लक्स टावर' यह मापता है कि जंगल कितनी कार्बन डाई ऑक्साइड सोखता हैतस्वीर: Miguel Soffia

वर्षावन को खतरे में डाल रही है एक नई सड़क

अब इन सदियों पुराने पेड़ों पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. इसकी वजह यह है कि चिली सरकार ने नया राजमार्ग बनाने के लिए, पुरानी सड़क को फिर से खोलने का प्रस्ताव दिया है. यह सड़क संरक्षित राष्ट्रीय उद्यान के बीच से गुजरेगी. पुरानी सड़क का इस्तेमाल लकड़ी काटकर ले जाने के लिए किया जाता था.

अधिकारियों ने तर्क दिया कि इस सड़क से शहरों के बीच यातायात व्यवस्था बेहतर होगी और क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि यह सिर्फ दिखावा है. जोनातन ने डीडब्ल्यू को बताया, "असली वजह संपर्क नहीं है. पास में एक और सड़क पहले से मौजूद है. यह प्रस्तावित नई सड़क सीधे कोरल के बंदरगाह से जुड़ेगी, जिसका इस्तेमाल लैटिन अमेरिका के सबसे बड़े पल्प निर्यातकों में से एक करता है."

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कई स्थानीय लोगों का कहना है कि असली मकसद लकड़ी तक पहुंच बनाना लगता है. अलेर्से के पेड़ अपनी मजबूत, अच्छी गुणवत्ता और सीधे बढ़ने वाली लकड़ी के कारण बहुत कीमती होते हैं. रोसीयो उरुतिया समेत कई शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि सड़क बनने से जंगल में आग लगने का खतरा बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में 90 फीसदी से अधिक आग सड़कों के पास लगती है.

जोनातन बैरिकविक की मां नैंसी एरनानडेंस, वर्षों से हर हफ्ते इस जंगल में जाकर डेटा इकट्ठा करती हैंतस्वीर: Miguel Soffia

ऐसा दुनियाभर में हो रहा है. अमेजन जंगलों में धधकने वाली करीब 75 फीसदी आग सड़क से पांच किलोमीटर के दायरे में शुरू होती है. वहीं, अमेरिका में 95 फीसदी आग सड़क से 800 मीटर के भीतर शुरू होती है. उरुतिया बताती हैं, "अलेर्से एक लुप्तप्राय प्रजाति है. हर पेड़ मायने रखता है. एक बड़ी आग आखिरी पेड़ तक को जला सकती है."

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वैज्ञानिकों ने दुनिया की शीर्ष अकादमिक पत्रिकाओं में से एक 'साइंस' पत्रिका का रुख किया और खतरे की चेतावनी दी. उनके नतीजे कई साल के आंकड़ों पर आधारित थे. वो जिस निष्कर्ष पर पहुंचे थे, वो स्पष्ट और बेहद जरूरी था.

अलेर्से, दुनिया के सबसे ज्यादा जलवायु-संवेदनशील पेड़ों में से एक हैतस्वीर: Miguel Soffia

इन निष्कर्षों को एक रिपोर्ट में समाहित कर एक पत्र के रूप में छापा गया. उरुतिया बताती हैं, "यह सिर्फ एक पत्र नहीं था. यह वर्षों का शोध, जमीनी स्तर पर किया गया काम और सामुदायिक जुड़ाव था."

इस बात ने अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय को छू लिया, दुनियाभर के शोधकर्ता खुलकर बोलने लगे. स्थानीय लोगों के दबाव और शोधकर्ताओं की मांग, सरकार को पीछे हटाने के लिए काफी थी. फिलहाल, नई सड़क बनाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया है.

जोनातन के लिए यह बहुत व्यक्तिगत मामला है. उन्होंने कहा, "मेरी मां वर्षों से हर हफ्ते इस जंगल में जाती रही हैं और डेटा इकट्ठा करती रही हैं. उनका काम दक्षिणी गोलार्ध में इस तरह से रिकॉर्ड किया गया सबसे बड़ा डेटासेट होगा, जिससे दुनियाभर के वैज्ञानिकों को अहम जानकारी मिलेगी. इसका ऐसा असर हो रहा है, जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी."

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